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उतानासन की विधि,लाभ और सावधानियां।Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya. 2025

आज हम बात कर रहें है,उतानासन की विधि,लाभ और सावधानियां।Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya. की,सबसे पहले हमारे मन में शंका होती है, कि हमें योगाभ्यास क्यों करना चाहिए। इसका सीधा सा जवाब है, हमारे शरीर को मानसिक,शारीरिक एवं आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए योगाभ्यास करना आवश्यक होता है।
जब हम अपनी दैनिक जीवनचर्या में योगाभ्यास को नियमित एवं विधिपूर्वक हिस्सा बना लेते है,तो उपरोक्त सभी लाभ प्राप्त होना निश्चित है।

योगाभ्यास से हमारे शरीर में लचीलापन आता है। हमारे आंतरिक अंग पुष्ट होने लगते है। पाचनतंत्र स्वस्थ एवं मजबूत बनने लगता है। हार्मोन्स का नियन्त्रित स्त्राव होने लगता है।
योग के साथ साथ प्राणायामों का अभ्यास किया जाता है। जिससे हमारे सांसों का लय बनता है । ध्यान से हमारा मस्तिष्क पुष्ट होता है। इस प्रकार योगाभ्यास से हमारे शरीर के समस्त अंग प्रभावित होते है। जिस कारण हम शारीरिक,मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ बनतें है।

1- परिचय-                                          Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya.

योगाभ्यास में एक महत्वपूर्ण आसन होता है उत्तानासन । “उत्तान“ संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब होता है “तीव्र खिंचाव,“ और “आसन“ का मतलब होता है,’’मुद्रा’’। उतानासन को अंग्रेजी में Standing Forward Bend Pose कहा जाता है।
उतानासन Uttanasan  एक प्रारम्भिक योगाभ्यास है,इसके अभ्यास से शरीर में लचीलापन लाने का प्रयास किया जाता है। अतः नये अभ्यासियों को इसका अभ्यास अवश्य करवाया जाता है। जिससे उनके शरीर में लचीलापन आ सके जिससे उन्हें अन्य योगाभ्यास करने में कठीनाईयों का अनुभव न हों । इसके अभ्यास में हमारे कमर,मेरूदण्ड,जांघें एवं पिण्डलियों पर खिंचाव का अनुभव होता है। जिससे इन अंगों में लचीलापन आता है।

2-उत्तानासन Uttanasan के अभ्यास की विधिः-                                                        Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya.

आज हम बात कर रहें है,उतानासन की विधि,लाभ और सावधानियां।Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya. की,इस योगाभ्यास की विधि पादहस्तासन योगासन से मिलती जुलती है। इनके अभ्यास में काफी समानताए होती है। किसी योगाभ्यास को प्रारम्भ करने से पूर्व शरीर को वार्मअप करने के लिए अपने प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में शरीर को वार्म अप करना चाहिए। इससे शरीर में गर्मी एवं लचीलापन आयेगा,शरीर का कड़कपन खत्म होगा। जिस कारण योगाभ्यास करने में आसानी होगी।

उतानासन Uttanasan दो प्रकार से किया जाता है। जिसकी प्रथम विधि इस प्रकार है।

Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya.
https://pixabay.com/illustrations/yoga-girl-fitness-pose-heath-7116604/

शरीर को वार्मअप कैसे करें जाने के लिए क्लिक करें।

प्रथम विधि-                                                                                                                         Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya. 
1.योगा मेट पर सीधे खड़े हो जाएं, अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाकर जोड़ें और हाथों को शरीर के साथ चिपकाते हुए सीधे नीचे की ओर लटका कर रखें। एक प्रकार से सावधान की मुद्रा में खड़े हो जायें।
2.अपनी कमर को सीधा एवं दृष्टि सामने की ओर रखते हुए खड़े रहें।
3.श्वांस को भीतर की ओर भरते हुए अपने दोंनों हाथों को एक साथ धीरे धीरे ऊपर की उठाएं।

4.अपनी श्वांसों को छोड़ते हुए धीरे धीरे सामने की ओर झुकें।
5. अपने सिर को अपने घुटनों या जांघो से स्पर्श करावें।
6. अपने हाथों को जमीन की ओर जाने दें,हथेलियों को जमीन पर टिकाने का प्रयास करें। प्रारम्भ में यह स्थिति प्राप्त करने में आपको कठीनाई होगी । अतः अपने हाथों से अपनी पिण्डलियों अथवा टखनों को पकड़ने का प्रयास करें। शरीर के साथ जबरदस्ती नहीं करें,जहॉ तक आप आसानी से झुक सकते है। झुकें कुछ दिनों के अभ्यास से आप इस मुद्रा को आसानी से बनाने में सफल होगें।

7.प्रारम्भ में इस मुद्रा में कुछ सेकेण्डों के लिए रूकें। अभ्यास होने पर अपने प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में 15 से 20 सेकण्ड तक रूकें ।
8. श्वांस भरते हुए धीरे धीरे सीधे खड़े होते जायें,और सामान्य स्थिति में आ जायें।
9. इस मुद्रा को 3 से 5 बार अभ्यास करना चाहिए।

द्वितीय प्रकार की विधि-                                                                                            Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya.

1 अपने दोनों पैरों के बीच लगभग दो से अढ़ाई फिट की दूरी बनाते हुए खड़े हो जायें।

2.श्वांस छोड़ते हुए धीरे धीरे नीचे बैठ जायें।
3.आसन की इस मुद्रा में अपने दोनों पैरों के पंजों को बाहर की ओर एवं ऐड़ियों को अन्दर की ओर रखते हुए बैठें।
3.अपने दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में अपने सीने के सामने रखें।
4.इस स्थिति में अपनी कोहनियों की आपस में दूरी बनाते हुए कोहनियों को बाहर की ओर धकेलते हुए दबाव से अपने घुटनों को बाहर की ओर धकेलने का अभ्यास करें ।

5.अपने मेरूदण्ड को सीधा एवं दृष्टि सामने की ओर रखें।
6. प्रारम्भ में आपके नितम्ब जमीन को स्पर्श नहीं करें जो जबरदस्ती नहीं करें,कुछ समय तक अभ्यास के बाद आपके नितम्ब जमीन को स्पर्श करने लग जायेंगें।
7. इस मुद्रा को 15 से 20 मिनट बनायें रखें।
8. इस मुद्रा की 3 से 5 आवृति दोहरावें।

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3-उत्तानासन Uttanasan के लाभः-                                                                      Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya. 

आज हम बात कर रहें है,उतानासन की विधि,लाभ और सावधानियां।Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya. की,कोई भी कार्य हो अगर उसे पूर्ण मनोयोग एवं विधिपूर्वक तरीके से किया जाये तो उस कार्य में हमें सफलता मिलनी अवश्यम्भावी होती है । यही स्थिति उत्तानासन के योगाभ्यास में अपनानी होगी,अगर हम अपने शरीर के स्वास्थ के प्रति जागरूक है।

1. मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
उतानासन Uttanasan के अभ्यास के दौरान हमने हमारी कमर,जांघ,पिण्डलियों में खिंचाव का अनुभव किया। इसका अर्थ हुआ इस खिंचाव से हमारे इन अंगों की मांसपेशियों में लचीलापन आता है एवं ये अंग मजबूती प्राप्त करते है। जिससे हमारा शरीर स्वस्थ एवं मजबूत बनता है।
2.मेरूदण्ड को लचीला बनाता है।
उतानासन Uttanasan के नियमित एवं विधिपूर्वक अभ्यास करते है । तो हमारे मेरूदण्ड को काफी बार झुकना एवं सीधा होना पड़ता है। जिस कारण से यह योगाभ्यास हमारे मेरूदण्ड को लचीला एवं स्वस्थ बनने में सहयोगी बनता है।

3.पाचनतन्त्र को स्वस्थ एवं मजबूती मिलती है।                                                                                      Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya. 
उतानासन Uttanasan के नियमित योगाभ्यास से हमारा पाचन तन्त्र स्वस्थ होने में काफी मदद मिलती है। जब हम इस योग का अभ्यास करते है, तो हम अपने पेट पर काफी दबाव का अनुभव करते है। परिणामस्वरूप हमारे आंतरिक अंग जैसे अमाशय,आन्तें आदि उतेजित होकर सक्रिय होते है। जो कि हमारे पाचनतन्त्र के लिए अति लाभदायक होते है। जिस कारण से अपच,कब्ज,पेट की गैस एवं एसिडिटी आदि समस्याओं में राहत मिलती है।

4. प्रजनन अंगों को पुष्ट करता है।
उतानासन  Uttanasan की मुद्रा में आपके श्रोणि क्षेत्र (नाभि से नीचे का भाग )पर खिंचाव यानी प्रभाव पड़ता है । जिससे इस क्षे़त्र में स्थित अंगों जैसे गर्भाशय एवं अन्य प्रजनन अंगों को पुष्ट होने का बल मिलता है ।

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5.रक्त परिसंचरण में सुधार-
उतानासन Uttanasan करने से हमारा रक्त परिसंचरण में सुधार होकर समस्त शरीर में रक्त की आपूर्ति सुधरती है। इस योगाभ्यास से हमारा शरीर एक तरह से दोहरा हो जाता है। जब हम उतानासन Uttanasan की मुद्रा बनाते है,तो हमारा सिर जमीन की तरफ होता है। ऐसी स्थिति में रक्त का प्रवाह हमारे सिर की ओर हो जाता है। जिस कारण हमारे हृद्य से ऊपर के शरीर को रक्त का प्रर्याप्त प्रवाह प्राप्त होता है।

6.मानसिक तनाव कम होता है-                                                                                Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya. 
उतानासन Uttanasan के अभ्यास के दौरान रक्त का प्रवाह हमारे सिर की ओर होने से हमारे मस्तिष्क की तन्त्रिकाओं को बल मिलता है। जिससे वे पुष्ट होकर स्वस्थ बनती है । जिस कारण उतानासन Uttanasan के अभ्यासी को मानसिक तनाव का सामना नहीं करना पड़ता। मानसिक समस्याओं जैसे सिर दर्द,भ्रम,नकारात्मक विचारों का शमन होता है,मानसिक तनाव,अनिन्द्रा एवं चिन्ताओं आदि मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

7. इस उतानासन Uttanasan योग के अभ्यास से महिलाओं को मासिक धर्म सम्बन्धी समस्या में राहत मिलती है।
8.यह योगाभ्यास चिड़चिड़े स्वभाव, क्रोधी स्वभाव वाले व्यक्तियों के स्वभाव में शान्ति लाने में सहयोगी होता है। अतः इस प्रकार के लोगों को इस योगाभ्यास को नियमित रूप से करना चाहिए।
9.उतानासन Uttanasan के नियमित अभ्यास से यकृत एवं गुर्दों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है,ये अंग स्वस्थ बनते है।
10.जोड़ों के लिए लाभदायक
उतानासन Uttanasan की मुद्रा में हमारी कोहनियों के जोड़,कुल्हे के जोड़,घुटने एवं टखने प्रभावित होते है इनमें खिंचाव होता है। ये अंग उतानासन की नियमित अभ्यास से सुदृढ़ एवं मजबूत बनते है।

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4-उत्तानासन के अभ्यास में सावधानियां –                                                    Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya. 

आज हम बात कर रहें है,उतानासन की विधि,लाभ और सावधानियां।Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya. की,
1. पीठ में चोट लगी हो कमर में किसी प्रकार का दर्द हो तो यह अभ्यास न करें।
2.मांसपेशियों में दर्द या खिंचाव का अनुभव होने पर उतानासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
3.उतानासन Uttanasan में हमारी कमर,जांघ आदि की मांसपेशियों पर खिंचाव पैदा होता है अतः साइटिका की समस्या होने पर इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए,अन्यथा इसके अभ्यास से दर्द बढ़ सकता है।

4. मेरूदण्ड सम्बन्धी किसी समस्या से पीड़ित को इस योगाभ्यास Uttanasan को नहीं करना चाहिए।
5.उच्च रक्तचाप,चक्कर आने की समस्या होने पर एवं गर्भवती महिलाओं को इस Uttanasan योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
6.उतानासन Uttanasan के अभ्यास में अपने शरीर की आवाज को सुने किसी प्रकार के दर्द,खिंचाव होने की स्थिति में शरीर के साथ जबदस्ती नहीं करें ।
7. बैठने के लिए नितम्बों को जमीन से स्पर्श करवाने के लिए जबरदस्ती नहीं करें,धैर्य के साथ कुछ दिनों का अभ्यास करें।

8.योगाभ्यास Uttanasan के दौरान किसी प्रकार की जल्दबाजी अथवा लापरवाही नहीं करनी चाहिए अन्यथा हानि होने की सम्भावना बन सकती है।
8. गर्भवती महिलाओं को जमीन स्पर्श की स्थिति से बचना चाहिए। उचित तो यह है कि तीन माह की गर्भवती महिलाओं को इस Uttanasan आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya.

5-निष्कर्ष-

यह Uttanasan एक ऐसा योगाभ्यास है।जिसका योग्य मार्गदर्शन में नियमित रूप से अभ्यास किया जाये ,तो शारीरिक के साथ साथ मानसिक लाभ भी मिलते है। इसके Uttanasan नियमित अभ्यास सिरर्दद,मानसिक अशान्ति,नकारात्मक विचारों का अन्त, शरीर में रक्त का परिसंचरण में सुधार आदि अनेकों लाभ मिलते है। शरीर का कड़कपन खत्म होकर लचीलापन आता है।

इस पोस्ट का उद्देश्य योग की जानकारी देना मात्र है । योगाभ्यास अपने चिकित्सक के परामर्श से किसी योग्य योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में करना चाहिए। बिना उचित सलाह के किये गये योगाभ्यास से हानि होने की सम्भावना बन सकती है।

FAQ

uttanasan

उतानासन दो प्रकार से किया जाता है। एक प्रकार के आसन में खड़े रह कर कमर से झुकते हुए अपनी हथेलियों को जमीन से स्पर्श करवाया जाता है। दूसरी विधि में बैठ कर नमस्कार की मुद्रा में रहते हुए। अपने नितम्बों को जमीन से स्पर्श करवाते हुए। घुटनों को अधिक से अधिक खोलते हुए बैठना होता है।
उतानासन दो प्रकार से किया जाता है। जिसकी प्रथम विधि इस प्रकार है। प्रथम विधि- 1.योगा मेट पर सीधे खड़े हो जाएं, अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाकर जोड़ें और हाथों को शरीर के साथ चिपकाते हुए सीधे नीचे की ओर लटका कर रखें। एक प्रकार से सावधान की मुद्रा में खड़े हो जायें। 2.अपनी कमर को सीधा एवं दृष्टि सामने की ओर रखते हुए खड़े रहें। 3.श्वांस को भीतर की ओर भरते हुए अपने दोंनों हाथों को एक साथ धीरे धीरे ऊपर की उठाएं। 4.अपनी श्वांसों को छोड़ते हुए धीरे धीरे सामने की ओर झुकें। 5. अपने सिर को अपने घुटनों या जांघो से स्पर्श करावें। 6. अपने हाथों को जमीन की ओर जाने दें,हथेलियों को जमीन पर टिकाने का प्रयास करें। प्रारम्भ में यह स्थिति प्राप्त करने में आपको कठीनाई होगी । अतः अपने हाथों से अपनी पिण्डलियों अथवा टखनों को पकड़ने का प्रयास करें। शरीर के साथ जबरदस्ती नहीं करें,जहॉ तक आप आसानी से झुक सकते है। झुकें कुछ दिनों के अभ्यास से आप इस मुद्रा को आसानी से बनाने में सफल होगें। 7.प्रारम्भ में इस मुद्रा में कुछ सेकेण्डों के लिए रूकें। अभ्यास होने पर अपने प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में 15 से 20 सेकण्ड तक रूकें । 8. श्वांस भरते हुए धीरे धीरे सीधे खड़े होते जायें,और सामान्य स्थिति में आ जायें। 9. इस मुद्रा को 3 से 5 बार अभ्यास करना चाहिए। द्वितीय प्रकार की विधि- 1 अपने दोनों पैरों के बीच लगभग दो से अढ़ाई फिट की दूरी बनाते हुए खड़े हो जायें। 2.श्वांस छोड़ते हुए धीरे धीरे नीचे बैठ जायें। 3.आसन की इस मुद्रा में अपने दोनों पैरों के पंजों को बाहर की ओर एवं ऐड़ियों को अन्दर की ओर रखते हुए बैठें। 3.अपने दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में अपने सीने के सामने रखें। 4.इस स्थिति में अपनी कोहनियों की आपस में दूरी बनाते हुए कोहनियों को बाहर की ओर धकेलते हुए दबाव से अपने घुटनों को बाहर की ओर धकेलने का अभ्यास करें । 5.अपने मेरूदण्ड को सीधा एवं दृष्टि सामने की ओर रखें। 6. प्रारम्भ में आपके नितम्ब जमीन को स्पर्श नहीं करें जो जबरदस्ती नहीं करें,कुछ समय तक अभ्यास के बाद आपके नितम्ब जमीन को स्पर्श करने लग जायेंगें। 7. इस मुद्रा को 15 से 20 मिनट बनायें रखें। 8. इस मुद्रा की 3 से 5 आवृति दोहरावें।
उत्तानासन के लाभः- 1. मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। 2.मेरूदण्ड को लचीला बनाता है। 3.पाचनतन्त्र को स्वस्थ एवं मजबूती मिलती है। 4. प्रजनन अंगों को पुष्ट करता है। 5.रक्त परिसंचरण में सुधार- 6.मानसिक तनाव कम होता है- 7. इस उतानासन योग के अभ्यास से महिलाओं को मासिक धर्म सम्बन्धी समस्या में राहत मिलती है। 8.यह योगाभ्यास चिड़चिड़े स्वभाव, क्रोधी स्वभाव वाले व्यक्तियों के स्वभाव में शान्ति लाने में सहयोगी होता है। 9.उतानासन के नियमित अभ्यास से यकृत एवं गुर्दों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है,ये अंग स्वस्थ बनते है। 10.जोड़ों के लिए लाभदायक-
1. पीठ में चोट लगी हो कमर में किसी प्रकार का दर्द हो तो यह अभ्यास न करें। 2.मांसपेशियों में दर्द या खिंचाव का अनुभव होने पर उतानासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। 3.साइटिका की समस्या होने पर इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। 4. मेरूदण्ड सम्बन्धी किसी समस्या से पीड़ित को इस योगाभ्यास को नहीं करना चाहिए। 5.उच्च रक्तचाप,चक्कर आने की समस्या होने पर एवं गर्भवती महिलाओं को इस योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। 6.उतानासन के अभ्यास में अपने शरीर की आवाज को सुने किसी प्रकार के दर्द,खिंचाव होने की स्थिति में शरीर के साथ जबदस्ती नहीं करें । 7. बैठने के लिए नितम्बों को जमीन से स्पर्श करवाने के लिए जबरदस्ती नहीं करें,धैर्य के साथ कुछ दिनों का अभ्यास करें। 8.योगाभ्यास के दौरान किसी प्रकार की जल्दबाजी अथवा लापरवाही नहीं करनी चाहिए अन्यथा हानि होने की सम्भावना बन सकती है। 8. गर्भवती महिलाओं को जमीन स्पर्श की स्थिति से बचना चाहिए। उचित तो यह है कि तीन माह की गर्भवती महिलाओं को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

 

 

 

 

 

 

 



5 responses to “उतानासन की विधि,लाभ और सावधानियां।Uttanasan Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniya. 2025”

  1. सरोज Avatar

    Is aasan ka abhyas kiya bahut asrkark h, dhanyawad

  2. Raghuvir singh Avatar

    Saral bhasha me acchi jankari

  3. Raghuvir singh Avatar

    Saral bhasha me jankari

  4. Raghuvir singh Avatar

    Aachi jankari

  5. Tejveer singh Avatar

    Shandar

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