इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.
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आज हम बात कर रहे है, इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.की, हमारे शरीर में इड़ा,पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियां होती है।इड़ा नाड़ी को चन्द्र या बांया स्वर ,पिंगला नाड़ी को सूर्य या दांया स्वर कहते है। ये स्वर या नाड़ीया स्वतः शारीरिक क्रिया के अनुसार चलती है,परन्तु हम इनका संचालन अपने नासिका स्वर को बदल कर अपनी ईच्छा के अनुसार इड़ा या पिंगला का संचालित कर सकते है। स्वर विज्ञान के ज्ञाता स्वर को देख कर अनेक समस्याओं के परिणामों को जानने की या स्वर (नाड़ी चलन )को बदल कर अपने अनुकूल बनाने की क्षमता भी विकसित कर परिणामों को प्रभावित कर देते है,ऐसा स्वर विज्ञानी मानते है।
हमारी 72000 नाड़ियों में महत्वपूर्ण 14 नाड़ियों में से अति विशिष्ठ तीन इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना में से इड़ा नाड़ी की महता पर आज बात करेंगें । यह नाड़ी हमारे मूलाधार से प्रारम्भ होकर हमारे मेरूदण्ड में से सर्पिलाकर आकृति में चक्रों को भेदती हुई ,हमारी बायीं नासिका में समाप्त होती है।
इस नाड़ी को चन्द्र स्वर,शीतल नाड़ी या स्त्रैणीय नाड़ी भी कहते है। इस नाड़ी की ऊर्जा चन्द्रमा की प्रकृति की होने के कारण चन्द्र नाड़ी भी कहा जाता है। इस नाड़ी की प्रकृति शीतलता लिए होती है।
यह नाड़ी हमें मानसिक शान्ति, आत्मबोध, हमारी भावनाओं एवं अर्न्तज्ञान को संरक्षित करती है । इस नाड़ी के सक्रिय रहने के दौरान हमें अपनी भावनाओं,विचारों को संयमित तरीके से करने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह नाड़ी हमारे दांये मस्तिष्क को प्रभावित करती है। जिससे हमारी रचनात्मकता का विकास होता है।
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Table Of Content
क्रम सं. | विषय वस्तु |
1 | नाड़ियां क्या है |
2 | हमारे शरीर में कितनी नाड़ियाँ हैं? |
3 | इड़ा नाड़ी क्या है ? |
4 | इड़ा नाड़ी की क्या विशेषताएं होती है ? |
5 | इड़ा नाड़ी की सक्रियता को कैसे पहचानें ? |
6 | अवरूद्ध इड़ा नाड़ी को कैसे पहचानें ? |
7 | अवरूध इड़ा नाड़ी को सक्रिय कैसे करें ? |
8 | नाड़ियों की सफाई या शु़द्धकरण ? |
9 | अवरूध नाड़ी के अवरोधों को खत्म करने हेतू उपाय |
10 | नाड़ी या स्वर का प्रभाव एवं परिणाम- |
11 | इड़ा नाड़ी या बांया स्वर में क्या करें ? |
12 | स्वर कैसे बदलें ? |
1.नाड़ियां क्या है ? ( Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.)
आज हम बात कर रहे है, इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.की,नाड़ी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के मूल शब्द “ नाद ” से हुई है जिसका अर्थ है “बहना”। इस प्रकार नाड़ी शब्द का अर्थ “नदी” भी कह सकते है।
ये नाड़ियां हमारी प्राणों को प्रवाहित करने वाली आध्यात्मिक एवं मानसिक रूप से अनुभव की जा सकने वाली अत्यन्त सूक्ष्म अदृश्य संरचनाएं होती है।हमारे शरीर में बहने वाली नाड़ियों का कार्य हमारी प्राणशक्ति को परिवहन करना होता है। ये नाड़ियां इतनी सूक्ष्म होती है, कि इन्हें भौतिक रूप से देखा जाना सम्भव नहीं होता है ।
अगर हम अपने शरीर में चीरा लगाकर देखें तो हमें हमारी रक्त वाहनियां तो दिखाई देगी परन्तु नाड़ियां दिखाई नहीं देंगी। भ्रमवंश हम रक्त वाहनियों एवं नाड़ियों को एक ही समझने की भूल कर देते है। इन नाड़ियों को योगी अथवा स्वर विज्ञान के अभ्यासी व्यक्ति ही अनुभव कर सकते है ,जब वे प्राणों के प्रवाह की गति को नाड़ियों में अनुभव करते है।
जब हम अध्यात्म में कुंडलिनी शक्ति जागरण की बात करते है। तो यह चर्चा बिना नाड़ी की चर्चा के पूर्ण नहीं हो सकती । नाड़ियों के शुद्धिकरण एवं सक्रियता के बिना चक्रों के जागृत नहीं कर सकते एवं चक्रों की सक्रियता के बिना कुण्डलिनी का जागरण नहीं हो सकता।
अतः एक साधक को सर्व प्रथम नाड़ियों का ज्ञान होना आवश्यक होता है। वैसे तो हमारे शरीर में 72,000 नाड़ियां होती हैं इन 72,000 नाड़ियों में तीन मुख्य नाड़ियां हमारे मूलाधार से निकलती है जो हमारे मेरूदण्ड के बाईं, दाहिनी और मध्य यानी क्रमशः इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना से निकलती हैं। इन 72,000 नाड़ियों का कोई भौतिक रूप नहीं होता। इन नाड़ियों का अनुभव करने के लिए हमें साधना की आवश्यकता होती है। योग्य मार्गदर्शन में साधना के उपरान्त हम इन नाड़ियों में प्रवाहित होती प्राण ऊर्जा को हम अनुभव कर सकते है,यही प्रवाह हमें नाड़ियों का अनुभव करवाता है।
2.हमारे शरीर में कितनी नाड़ियाँ हैं? ( Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.)
आज हम बात कर रहे है, इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.की, हमारे शरीर में रक्त वाहनियों को भी बोलचाल में नाड़ी कहा जाता है। परन्तु अध्यात्म के अनुसार ये नाड़ी नहीं होकर रक्त वाहनियां होती है। जिनका कार्य रक्त एवं ऑक्सीजन को शरीर की प्रत्येक कौशिका तक पहुंचाना होता है।
जबकि अध्यात्म के अनुसार नाड़ियों का कार्य प्राण शक्ति को प्रवाहित करना होता है। इस प्रकार ये नाड़ियां, प्राण शक्ति को शरीर के प्रत्येक भाग तक पहुंचाने का कार्य करती हैं। इसी शक्ति के कारण हमारा जीवन चलता है,हम जीवित रहते है।
हमारे शरीर मे इन नाड़ियों का इतना बड़ा जाल बिछा हुआ है। जो हमारे शरीर की प्रत्येक कौशिका तक अपनी पहुंच रखता है। इनकी संख्या के बारे में हमारे ग्रन्थों में संख्या भी अलग अलग बताई गई है जैसे-
शिव संहिता के अनुसार हमारे शरीर में 3,50,000 नाड़ियाँ हैं।
हठ योग प्रदीपिका में नाड़ियों की कुल संख्या 72,000 है। इन नाड़ियों का उत्पति स्थान कांडा से बताया गया है जो कि नाभि के नीचे और प्यूबिस के ऊपर मूलाधार में होता है।
इन 72000 नाड़ियों में से 14 नाड़ियों को महत्वपूर्ण माना गया है। जो इस प्रकार है-
1.इडा – 2. पिंगला – 3. सुषुम्ना – 4. गांधारी – 5. हस्तिजिह्वा – 6. कुहू
7. सरस्वती – 8.पूषा – 9. शाखिनी – 10. पयस्विनी – 11. वारुणी –
12.अलम्बुष – 13. विश्वोदरी – 14. यशस्विनी –
हमारे शरीर को स्वस्थ एवं निरोगी रखने के लिए आवश्यक है कि हमारी नाड़ियों में हमारी प्राण शक्ति यानी की प्राणिक ऊर्जा का प्रवाह निबार्ध रूप से होता रहे। उसके मार्ग में किसी प्रकार की बाधा नहीं आनी चाहिए। इन बाधाओं को हटाने बाबत् भी हम इसी लेख में आगे चर्चा करेंगें।
3.इड़ा नाड़ी क्या है ? ( Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.)
आज हम बात कर रहे है, इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.की, जैसा कि हम इड़ा नाड़ी की परिचयात्क चर्चा ऊपर भी कर चुके है । इड़ा नाड़ी शीतल प्रकृति की होती है। अध्यात्म में शीतलता चन्द्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रकार यह कह सकते है कि इड़ा नाड़ी चन्द्रमा का प्रतिनिधित्व करती है।
शीतलता हमेशा शारीरिक और मानसिक रूप से हमें शान्ति एवं भावनात्मक रूप से प्रभावित करती है। यह मानसिक विचारों को नियन्त्रित करने में हमे प्रभावित करती है। इड़ा का संस्कृत में अर्थ होता है। आराम इस प्रकार यह अपने नाम के अनुरूप हमारे तन एवं मन को आराम देने का कार्य करती है।
इड़ा नाड़ी हमारे मूलाधार से उत्पन्न होती है और हमारे मेरूदण्ड पर बांयी ओर से सर्पिलाकार में घुमती हुई, हमारे चक्रों को भेद कर ऊपर की और उठती हुई, हमारी बांयी नासिक पर समाप्त हो जाती है। हमारे सात ऊर्जा चक्रों में सबसे नीचे स्थिति मूलाधार से इड़ा एवं पिंगला निकलती है। इड़ा बांयी तरफ से एवं पिंगला मूलाधार के दांयी तरफ से निकल कर ऊर्जा चक्र, स्वाधिष्ठान, मणीपुरम चक्र,अनाहत चक्र,विशुद्धि चक्र एवं आज्ञा चक्र से होती हुई, प्रत्येक चक्र पर एक दूसरे को क्रॉस करती हुई ऊपर की ओर उठ कर इड़ी बांयी नासिका एवं पिंगला दांयी नासिका में समाप्त हो जाती है।
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4.इड़ा नाड़ी की क्या विशेषताएं होती है ? ( Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.)
आज हम बात कर रहे है, इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.की, हमारे शरीर में प्राणिक ऊर्जा को प्रवाहित करने में इड़ा नाड़ी एक महत्वपूर्ण नाड़ी होती है। इसकी योग्य मार्गदर्शन में साधना कर ली जाये तो व्यक्ति अपने शारीरिक एवं आध्यात्मिक स्वरूप में आश्चर्यजनक एवं अलौकिक परिवर्तन कर सकता है।
कुछ विशेषताएं इस प्रकार है। –
1.यह मूलाधार से निकल कर मेरूदण्ड के सहारे ऊर्जा चक्रों को भेदती हुई हमारी बांयी नासिका में समाप्त हो जाती है।
2. इसकी प्रकृति शीतल होती है।
3. यह हमारे मन एवं शरीर को शान्ति एवं शीतलता प्रदान करती है।
4.इड़ा नाड़ी की सक्रियता होने से हम आराम की अवस्था में आ जाते है।
5. इस नाड़ी को चन्द्र नाड़ी भी कहा जाता है। अतः यह नाड़ी रात के समय अधिक सक्रिय रहती है।
6.चूंकि यह नाड़ी शीतलता का प्रतिनिधित्व करती है। अतः यह हमें आत्म निरीक्षण,आत्म चिन्तन,अन्तर्मुखी,संवेदनशील एवं शान्त स्वभाव का बनाती है।
7. इड़ा नाड़ी की अधिक सक्रियता से पुरूषों में स्त्रियोंचित गुणों की अधिकता आने की सम्भावना बनती है।
8. इस नाड़ी की अधिक सक्रियता के कारण व्यक्ति में आलस्य एवं निष्क्रयता के भाव पैदा होने लगते है।
9. इड़ा नाड़ी हमारे मस्तिष्क के दांये भाग को अधिक प्रभावित करती है।
10.ध्यान केन्द्रित करने या एकाग्रता बनाएं रखने में सहयोगी होती हैं।
11.इड़ा नाड़ी की सक्रियता का व्यक्ति रचनात्मक विचारों वाला होता है।
आप अपनी इड़ा नाड़ी को सन्तुलित तरीक से सक्रिय रखते है, तो आप अपनी रचनात्मकता,जागरूकता,शान्ति एवं ऊर्जा की क्षमता में वृद्धि कर सकते है।
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5.इड़ा नाड़ी की सक्रियता को कैसे पहचानें ? ( Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.)
आज हम बात कर रहे है, इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.की, इड़ा नाड़ी,चन्द्र नाड़ी या बांया स्वर की सक्रियता को अनुभव करने या जानना बहुत ही आसान होता है।
इसके बहुत तरीके होते है जिनकी जानकारी आपको आपके प्रशिक्षक समय समय पर देते रहते है।
आईये एक तरीके पर चर्चा करते है।
1.शान्तभाव के साथ एकान्त स्थान पर किसी भी मुद्रा में बैठ जायें।
2. अपने दोनों नासिका छिद्रों के नीचे अपनी कोई भी एक अंगुली हल्की सी दूरी बनाते हुए रखें।
3. श्ंवास-प्रश्वास होने दें, सूक्ष्म संवेदनाओं के साथ अपने श्ंवास प्रश्ंवास को देखने का प्रयास करें । आप अनुभव करेंगें कि किसी एक नासिका से तेज गति के साथ प्रश्ंवास हो रहा है। जिस नासिक छिद्र से अधिक मात्रा में श्ंवास बाहर निकलता अनुभव हो रहा है। वही स्वर या नाड़ी उस समय चल रही है। यह मानना चाहिए।
4.अगर आप दाहिनें नासिका से श्वास को बाहर निकलता अनुभव कर रहे है तो आपका सूर्य/पिंगला नाड़ी या दाहिना स्वर चल रहा है। मान कर क्रिया करनी चाहिए।
5.अगर आप बायीं नासिका से श्वास को बाहर निकलता अनुभव कर रहे है तो आपका चन्द्र/इड़ा नाड़ी या बांया स्वर चल रहा है। मान कर क्रिया करनी चाहिए।
6.जब कभी आप दोंनों नासिका छिद्रों से श्ंवास बाहर निकलता अनुभव करें तो ंमानना चाहिए कि आपका सुषुम्ना स्वर या सुषुम्ना नाड़ी चल रही है।
6.अवरूद्ध इड़ा नाड़ी को कैसे पहचानें ? ( Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.)
आज हम बात कर रहे है, इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.की, इड़ा नाड़ी अवरूध होने पर व्यक्ति जीवन शक्ति का ह्रास होना अनुभव करने लगता है। इड़ा नाड़ी के अवरूध होने पर निम्नानुसार प्रभाव दिखाई देने लगते है।
जैसे शरीर में आलस्य का प्रभाव बढ़ना, भावनात्मक रूप से कमजोर महसूस करना, पाचन तंत्र का कमजोर होना, पेट में गैस,कब्ज की स्थिति बनना,रात्रि को असहज अनुभव करना,मानसिक रूप से अवसाद की स्थिति बनना,बुरी आदतों को चाहने के बावजूद सुधार करने में सक्षम नहीं होना, आदि ।
अगर ऐसे लक्षण दिखाई दे ंतो आपको अपने चिकित्सक अथवा योग्य प्रशिक्षक से परामर्श करना चाहिए। वे आपको इन लक्षणों के प्रभाव से मुक्त कराने में सहयोग कर सकते है।
7.अवरूध इड़ा नाड़ी को सक्रिय कैसे करें ?
आज हम बात कर रहे है, इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.की, हमारी इड़ा नाड़ी के अवरूध होने के कई कारण हो सकते है। जिनके बारे में आप अपने योग गुरू से चर्चा कर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है।
कुछ सामान्य कारण होते है जैसे शारीरिक अस्वस्थता,मानसिक तनाव, अथवा जीवन की दैनिक समस्याएं आदि। इस तरह की समस्याओं का अनुभव होने पर अपने चिकित्सक से अवश्य परामर्श करना चाहिए।
8.नाड़ियों की सफाई या शु़द्धकरण ?
आज हम बात कर रहे है, इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.की, नाड़ियों की सफाई या शु़द्धकरण का कार्य योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में योग एवं प्राणायामों का अभ्यास करके कर सकते है। जिस प्राणायाम को करने में आपको सरलता हो अथवा जिसमें आपकी रूची हो, से अपने योग प्रशिक्षक को अवगत करवाते हुए आप उस प्राणायाम का अभ्यास अपने प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में कर सकते है।
प्राणायाम अभ्यास के समय आप अपनी कल्पनाओं में अपनी नाड़ियों को देखनें एवं उनमें प्रवाहित हो रही प्राण शक्ति के प्रवाह को अनुभव करते हुए कल्पना करें कि आपकी नाड़ीयों का शुद्धिकरण हो रहा है एवं उनमें निर्बाध रूप से प्राण शक्ति प्रवाहित होकर उर्ध्वगति को जा रही है।
कल्पना शक्ति का प्रयोग करते हुए देखें कि आपकी नाड़ीयों में से अशुद्धियां दूर हो रही है,नकारात्मकता रूपी बादल हट रहे है। नाड़ियों में चमकीला प्रकाश रूपी ऊर्जा का प्रवाह अपनी गति के साथ सक्रिय हो रहा है।
9.अवरूध नाड़ी के अवरोधों को खत्म करने हेतू उपाय- ( Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.)
1.नाड़ी शोधन प्राणायाम।
2.चन्द्र नमस्कार योगाभ्यास।
3.योग निन्द्रा का अभ्यास।
4.त्रिकोणासन का अभ्यास।
5. विपरीतकरणी आसन का अभ्यास।
इन योग, प्राणायाम का अभ्यास करने के कुछ दिनों में आपने आप में सकारात्मक रूप से ऊर्जा के प्रवाह को एवं अपने आप में परिवर्तन होता देख रहे होगें।
10.नाड़ी या स्वर का प्रभाव एवं परिणाम-
आज हम बात कर रहे है, इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.की, हमारे शरीर में चलने वाली नाड़ियां या स्वर को स्वर विज्ञान में बहुत महत्व दिया गया है। स्वर विज्ञान के ज्ञानी लोग नाड़ियों /स्वर के चालन को देख कर भविष्य एवं व्यक्ति के स्वभाव एवं कार्य तक की जानकारी प्राप्त कर लेते है। इसका ज्योतिष के रूप में भी प्रयोग कर भविष्य की जानकारी भी प्राप्त कर लेते है।
हमारे श्ंवास के रूप में हमारे नाक के द्वारा निकलती हुए हवा की दूरी को नाप कर इस श्वांस को भी तत्वों में विभक्त किया गया है।
नासिका से निकली श्वास का दैर्ध्य 16 अंगुल हो तो पृथ्वी तत्व होता है।
नासिका से निकली श्वास का दैर्ध्य 12 अंगुल हो तो जल तत्व होता है।
नासिका से निकली श्वास का दैर्ध्य 8 अंगुल हो तो अग्नि तत्व होता है।
नासिका से निकली श्वास का दैर्ध्य 6 अंगुल हो तो वायु तत्व होता है।
नासिका से निकली श्वास का दैर्ध्य 3 अंगुल हो तो आकाश तत्व होता है।
स्वर विज्ञान के जानकार लोग स्वर की गति को देख कर आने वाले समय के शुभ,अशुभ परिणाम का भी विचार कर लेते है। स्वर विज्ञान के बारे में अधिक जानने की अगर आपकी रूची हो तो इसके लिए आपको किसी अच्छी स्वर विज्ञान की पुस्तक एवं योग्य गुरू का मार्गदर्शन लेना चाहिए।
11.इड़ा नाड़ी या बांया स्वर में क्या करें ?
आज हम बात कर रहे है, इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.की, स्वर विज्ञान के जानकार लोगों का कहना है कि इड़ा नाड़ी के चालन के समय व्यक्ति को तरल पदार्थो का सेवन करना चाहिए जैसे चाय,काफी,दूध,पानी आदि पेशाब का विसर्जन भी बायें स्वर में करना चाहिए। क्योंकि इस स्वर की प्रकृति शीतल होती है। शुभ कार्यो को भी इसी स्वर में प्रारम्भ करना लाभप्रद माना गया है।
माना जाता है कि जब बांया स्वर या इड़ा नाड़ी चल रही हो तो स्थायी प्रकृति के कार्य करने चाहिए जैसे भवन निर्माण,व्यापार प्रारम्भ करना,लम्बी यात्राएं, राजा या मंत्री,अधिकारी से वार्ता करनी हो,विद्यालय-कॉलेज में प्रवेश,आदि स्थायी एवं शुभ कार्य करने चाहिए।
12.स्वर कैसे बदलें ? ( Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.)
आज हम बात कर रहे है, इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.की, स्वर विज्ञान में बताया गया है कि आपको इड़ा नाड़ी की सक्रियता की आवश्यकता है परन्तु उस समय पिंगला नाड़ी चल रही है। आपको अपनी नाड़ी की गति बदलनी है तो –
1.आप दांयी करवट लेट जायें आपका बांया स्वर या इड़ा नाड़ी सक्रिय हो जायेगी।
2.जब आपका दांया स्वर या पिंगला नाड़ी चल रही हो और आपको बांया स्वर या इड़ा नाड़ी को सक्रिय करना हो तो दांयी नासिका पर हल्का दबाव देकर श्वांस को रोकने का प्रयास करें,कुछ समय में आपका बांया स्वर या इड़ा नाड़ी सक्रिय हो जायेगी।
निष्कर्ष-
हमने नाड़ीयों एवं इड़ा नाड़ी की महता के बारे में चर्चा की। हमने यह भी जाना कि इड़ा नाड़ी को कैसे सक्रिय करें, इड़ा नाड़ी की सक्रियता में होने वाली बाधाओं की भी जानकारी प्राप्त की,स्वर की गति बदलने, स्वर के परिणाम के बारे भी चर्चा की इस चर्चा से हमें इड़ा नाड़ी के महत्व का ज्ञान हुआ।
इसके अभ्यास से होने वाले लाभों को देखते हुए । हमें इसका अभ्यास अपने जीवन में आत्मसात कर दैनिक रूप से सही विधि एवं ज्ञान के साथ करना चाहिए।
इस पोस्ट का उद्देश्य योग सम्बन्धी जानकारी देना मात्र है किसी उद्देश्य से इसका अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक एवं किसी योग्य योग प्रशिक्षक से इस बारे में आवश्यक रूप से परामर्श करना चाहिए।
FAQ
One response to “इड़ा नाड़ी क्या है, विशेषताएं और पहचान। Ida Nadi Kya he,Visheshtayen Aur Pahachan.”
अच्छी जानकारी दी है