गरूड़ासन कैसे करें,लाभ,सावधानियॉ। Garudasan kaise kere,labh,savdhaniya.
गरूड़ासन कैसे करें,लाभ,सावधानियॉ। Garudasan kaise kere,labh,savdhaniya.गरुड़ासन, जिसे ईगल पोज़ के रूप में भी जाना जाता है, योग में खड़े होकर संतुलन बनाने की एक मुद्रा है। जो कई शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम गरुड़ासन की गहराई में उतरेंगे। इसके इतिहास, प्रभावी ढंग से अभ्यास और लाभों और सावधानियों पर चर्चा करेंगे।
1.गरूड़ासन क्यों कहते है?
हिंदू पौराणिक कथाओं में, गरुड़ अपनी ताकत, साहस और ज्ञान के लिए जाने जाते हैं। उन्हें अक्सर साहस और शक्ति के प्रतीक के रूप में चित्रित किया जाता है, और कहा जाता है कि उनके पास मन और शरीर को शुद्ध करने की शक्ति है। इस मुद्रा का नाम गरुड़ के नाम पर रखा गया है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यह उनकी शक्ति, संतुलन और ध्यान केंद्रित करने के गुणों का प्रतीक है।
2.गरुड़ासन करने की विधि :- (गरूड़ासन कैसे करें,लाभ,सावधानियॉ। Garudasan kaise kere,labh,savdhaniya.)
*समतल स्थान पर योगा मैट बिछाकर सीधे खड़े हो जाये।
* अपने घुटनों को थोड़ा सा मोड़े(झुकाएं) और बाएं पैर को उठाकर अपनी दांयी जांघ के उपर रखें। बाएं पैर का पंजा नीचे की ओर झुका होना चाहिए।
* शरीर का संतुलन बनाए रखें।
* बाएं पैर की पिंडली को दायें पैर की पिंडली पर लपेटने का प्रयास करें।
* अब आपके शरीर का सम्पूर्ण संतुलन दांये पैर पर होना चाहिए।
* अपने दोनों हाथों को सामने लायें। दायें हाथ को बायें हाथ के ऊपर रखें, कोहनियों को मोडें,़ कोहनियों से आगे के हाथ को आकाश तरफ खडे़ कर दें।
* बायें हाथ को दाहिनें हाथ के निचे से लेकर दोंनों हाथ की हथेलियों को आपस में एक दूसरे से स्पर्श करावें।
* दोनों हथेलियों पर आपस में दबाव बनायें। अंगुलियों को ऊपर की ओर तानें(खींचे) ।
* सीना सामने की ओर तना हुआ। दृष्टि एकदम सामने की ओर ईगल की तरह किसी निशाने पर गड़ी हुई होनी चाहिए।
* अब आप देखें कि आपका बांयां पैर दाहिने पैर से एवं बायां हाथ दाहिने हाथ से लिपटा हुआ है।
* आपकी कोहनियॉ सीने के सामने एवं हाथ चोंच की आकृति बनाते हुए आपके सिर के पास है।
* अनुभव करें आपकी आकृति में गरूड़ (ईगल) का आभास हो रहा है।
* यह एक चक्र का अभ्यास सम्पन हुआ।
* इस तरह के तीन चक्रों का अभ्यास एक पैर से करना चाहिए।
* इसी तरह से दूसरे पैर एवं हाथ से भी गरूड़ासन का अभ्यास करना चाहिए।
* अभ्यास पूर्ण होने पर धीरे धीरे पैर और के हाथों के लपेटे को खोलें और सामान्य स्थिति में आ जायें।
* गरूड़ासन के अभ्यास के दौरान श्वांस की गति सामान्य रखें ।
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3.गरूड़ासन के लाभः-
(गरूड़ासन कैसे करें,लाभ,सावधानियॉ। Garudasan kaise kere,labh,savdhaniya.)
गरुड़ासन एक चुनौतीपूर्ण मुद्रा है, लेकिन इस मुद्रा का नियमित अभ्यास हाथ, जोड़ों, और शरीर के संतुलन में मदद करता है। मानसिक शांति और आराम का अनुभव करने में मदद करता है। आत्मबल और साहस को बढ़ाता है।
3.1.शारीरिक लाभ
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गरुड़ासन, या ईगल पोज़, योग में एक मूलभूत स्थायी संतुलन आसन है जो कई शारीरिक लाभ प्रदान करता है। गरुड़ासन को अपने योग अभ्यास में शामिल करके, आप यह कर सकते हैंः
* संतुलन में सुधार करेंः- गरुड़ासन के लिए एकाग्रता की आवश्यकता होती है, जो आपके संतुलन और समन्वय कौशल को निखारने में मदद करता है।
*टखनों और पिंडलियों को मजबूत बनाने में सहयोगी :- यह मुद्रा टखने और पिंडलियों की मांसपेशियों को सक्रिय करती है, जिससे वे मजबूत और अधिक लचीली बनती हैं।
* कूल्हों, जांघों और घुटनों के लिए उपयोगी :- गरुड़ासन से कूल्हे और घुटने के जोड़ों को फैलाव मिलता है। जिससे लचीलापन और गति की सीमा बढ़ती है।
* कंधे और सीने को चौड़ा करे :- यह आसन कंधों और सीने को चौड़ा करता है। जिससे लचीलेपन में सुधार करता है।
* मांसपेशियों को मजबूत करेंः- गरुड़ासन पेट और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों को सक्रिय करता है। जिससे स्थिरता और ताकत को बढ़ावा मिलता है।
ऽ मेरूदण्ड को स्वस्थ रखने में सहयोगी :- गरुड़ासन का नियमित अभ्यास रीढ़ को सहारा देने वाली मांसपेशियों को मजबूत करके अच्छी मुद्रा बनाए रखने में मदद करता है।
* एथलेटिक्स अभ्यास में सहयोगी :- गरुड़ासन से प्राप्त ताकत, संतुलन और लचीलापन विभिन्न खेलों और शारीरिक गतिविधियों में लाभ पहुंचा सकता है।
* रक्त परिसंचरण में सुधारः पैरों और कूल्हों पर मुद्रा का हल्का दबाव रक्त परिसंचरण में सुधार में सहायता कर सकता है।
* समग्र शारीरिक फिटनेस को बढ़ावाः- गरुड़ासन का नियमित अभ्यास समग्र शारीरिक फिटनेस और कल्याण में योगदान देता है।
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3.2.मानसिक और आध्यात्मिक लाभ :-
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गरुड़ासन, या ईगल पोज़, शारीरिक लाभों के अतिरिक्त गहरा मानसिक और आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करता है। गरुड़ासन को अपने योग अभ्यास के नियमित भाग के रूप में अपनाकर, हम यह लाभ प्राप्त कर सकते हैंः-
* तनाव कम करने में सहायक :- गरुड़ासन में आवश्यक सन्तुलन और एकाग्रता मन को शांत करने और तनाव को कम करने में मदद करती है।
* एकाग्रता विकसित करने मेंं सहायक :- गरुड़ासन के अभ्यास में शरीरिक सन्तुलन बनाने में संतुलन, दिमाग को ध्यान केंद्रित करने और ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रशिक्षित करता है।
* आत्म-विश्वास का निर्माण करने मेंं सहायक :- गरुड़ासन के अभ्यास में पारंगत होने पर सफलता की भावना बढ़ती है। आत्मविश्वास बढ़ता है और मानव क्षमताओं पर विश्वास बढ़ता है।
* तनाव और चिंता को कम करेंः- गरूड़ासन का अभ्यास तंत्रिका तंत्र पर शांत प्रभाव डालता है जिससे तनाव और चिंता को कम होती है।
* आत्म-चिंतन और आत्मनिरीक्षण को प्रोत्साहित करेंः- गरुड़ासन में आवश्यक शांत ध्यान आत्मनिरीक्षण के लिए प्रेरित करता है। जिससे आपको अपने विचारों, भावनाओं और आंतरिक ज्ञान को समायोजित करने में मदद मिलती है।
* व्यक्त्वि विकास करने में सहायक :- गरुड़ासन की चुनौतियों स्वीकार एवं उस पर विजय प्राप्त करके, आप एक विकसित मानसिकता प्राप्त करते हैं। जो व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देता है।
* वर्तमान में जीने की कला को बढ़ाएंः- गरूड़ासन में वर्तमान क्षण की जागरूकता के लिए मुद्रा तैयार एवं अनुभवी भावना पैदा करती है। जिससे आपको वर्तमान क्षण में लगे रहने में मदद मिलती है।
* दिव्य और आंतरिक आत्मा से जुड़ाव में सहयोगी :- मुद्रा की उत्थानकारी ऊर्जा और विस्तृत भाव दिव्यता से जुड़ाव की भावना पैदा करते हैं, आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति को बढ़ावा देते हैं।
* ध्यान और आंतरिक शांति का अनुभव कराती है :- गरुड़ासन में प्राप्त शांत ध्यान और संतुलन ध्यान और आंतरिक शांति का अनुभव कराती है।
इस प्रकार हम देखते है कि गरुड़ासन के नियमित अभ्यास से हम निम्नाकित शारीरिक,मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकते है।
1. संतुलन और समन्वयः- गरुड़ासन संतुलन और समन्वय को बढ़ाता है।
2. ताकत और लचीलापनः- गरुड़ासन हाथ, जोड़ों और शरीर की ताकत और लचीलेपन को बढ़ाता है।
3. मानसिक शांति और आरामः- गरुड़ासन मानसिक शांति और आराम का अनुभव करने में मदद करता है।
4. आत्मबल और सहनशीलताः- गरुड़ासन आत्मबल और सहनशीलता को बढ़ाता है।
6. मानसिक स्थिरता और धैर्यः- गरुड़ासन मानसिक स्थिरता और धैर्य को बढ़ाता है।
7. आत्मिक शांति और आनंदः- गरुड़ासन आत्मिक शांति और आनंद का अनुभव करने में मदद करता है।
8. शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्यः- गरुड़ासन शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
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गरूड़ासन के समय सावधानियॉ :-
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1. घुटनों के लिए सावधानः- अगर आपको घुटनों की समस्या है। तो आपको गरुड़ासन में घुटनों को ज्यादा ना मोड़ें और वजन को बराबर दोनों पैरों में रखें।
3. कमर दर्द में सावधानः- अगर आपके कमर दर्द की समस्या है, तो आपको गरुड़ासन में सावधान रहने की जरूरत है। अभ्यास के समय पीठ को सीधा रखें।
4. गर्दन दर्द में सावधानः- अगर आपके गर्दन दर्द की समस्या है, तो आपको गरुड़ासन में सावधान रहना जरूरी है। गर्दन को तनाव न दें और निगाहों को आगे की ओर करें।
5. गर्भावस्था में सावधानः- अगर आप गर्भवती हैं तो आपको गरुड़ासन में सावधान रहना जरूरी है। इस स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
6. हाई ब्लड प्रेशर में सावधान, चक्कर आना अथवा शरीर के किसी भाग में चोट होने पर गरूड़ासन का अभ्यास बिना किसी प्रशिक्षक के परामर्श के नहीं करना चाहिए।
गरुड़ासन एक चुनौतीपूर्ण मुद्रा है, लेकिन यह मुद्रा हाथ, जोड़ी, और शरीर के संतुलन में मदद करता है, मानसिक शांति और आराम का अनुभव करने में मदद करता है, और आत्मबल और साहस को बढ़ाता है।
निष्कर्ष
(गरूड़ासन कैसे करें,लाभ,सावधानियॉ। Garudasan kaise kere,labh,savdhaniya.)
गरुड़ासन एक शक्तिशाली और परिवर्तनकारी योग मुद्रा है जो कई शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। नियमित रूप से गरुड़ासन का अभ्यास करके, आप अपने संतुलन, शक्ति और फोकस में सुधार कर सकते हैं, साथ ही अपने आंतरिक स्व और उच्च चेतना से भी जुड़ सकते हैं। सुरक्षित और प्रभावी ढंग से अभ्यास करना याद रखें, और हमेशा अपने शरीर की सीमाओं और जरूरतों को सुनें। अभ्यास करने में आनंद! गरुड़ासन को एक समग्र अभ्यास के रूप में अपनाने से, आप गहन मानसिक और आध्यात्मिक विकास का अनुभव कर सकते हैं, जिससे आप अधिक संतुलित, दयालु और पूर्ण जीवन जी सकते हैं।
इस ब्लॉग का उद्देश्य योग सम्बन्धी जानकारी उपलब्ध करवाना है। चिकित्सकीय उपयोग हेतु चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
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