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चक्रासन के जबरदस्त असरकारी 9 लाभ । Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.

आज बात कर रहे है चक्रासन के जबरदस्त असरकारी 9 लाभ । Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh. लाभ की, योगाभ्यास कोई भी हो उसका अपना महत्व अपना असर होता है। योगाभ्यास न केवल शारीरिक अपितु मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभ भी देता है। योगाभ्यास का पूर्ण लाभ लेने के लिए हमें योगाभ्यास किसी योग्य योग प्रशिक्षक के सानिध्य में करना चाहिए। योगासन के जितने लाभ है,बिना जानकारी के किये गये योगासन लाभ के बजाय हानि भी पहुंचा सकते है। चक्रासन के अभ्यास में हम अपने शरीर को इतना मोड़ते है, कि हमारे शरीर की आकृति एक चक्र या पहिये के समान बन जाती है। इस योगाभ्यास में हमारे शरीर का एक एक जोड़ एव अंग सक्रिय होता है।
योगासनों में चक्रासन एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली आसन है। चक्रासन, जिसे ’व्हील पोज’ (Wheel Pose) के नाम से भी जाना जाता है, शरीर को लचीला और मजबूत बनाने के साथ-साथ ऊर्जा का संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होता है। आज हम चक्रासन करने की विधि,लाभ एवं सावधानियों पर चर्चा करेंगें।
Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.
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विषय सूची
1.चक्रासन का अर्थ
2.चक्रासन करने की विधि
3.चक्रासन अभ्यास के लाभ
4.चक्रासन करने में क्या सावधानी बरती जाए
5.चक्रासन को बेहतर बनाने के लिए कुछ सुझाव
6.निष्कर्ष

1.चक्रासन का अर्थ                                   Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.

‘चक्रासन’ शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना हैः “चक्र“ का अर्थ होता है पहिया और “आसन“ का अर्थ होता है मुद्रा या पोज़। चक्रासन में शरीर का आकार एक पहिये के समान हो जाता है, इसलिए इसे चक्रासन कहा जाता है। यह आसन सीना को फैलाता है, मेरूदण्ड को लचीला बनाता है। जिससे शरीर की लचक और शक्ति में सुधार होता है। इसके साथ ही, यह शरीर के ऊर्जा केंद्रों या चक्रों को सक्रिय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
चक्रासन को उर्ध्व धनुरासन (Upward Bow Pose)भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें शरीर धनुष के समान ऊपर की ओर उठता है। यह आसन विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो नियमित रूप से अपने शरीर की लचक और मानसिक शांति बनाए रखना चाहते हैं।

2.चक्रासन करने की विधि                                                                 Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.

2.1.सबसे पहले, सबसे पहले किसी साफ और हवादार जगह पर योगा मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
2.2.इसके बाद अपने घुटनों को मोड़ें और पैरों को फर्श पर मजबूती के साथ जमाएं।
2.3.अपनी दोनों एड़ियों को नितंबों के पास लाएं। आपके पैर लगभग कूल्हों की चौड़ाई के अंतर पर खुले होने चाहिए।
2.4आपके दोनों पैरों के बीच की एवं दोनों हाथों की बीच की दूरी लगभग समान होनी चाहिए।
  •  हाथों की स्थितिः
2.5.पीठ के बल लेटे लेटे ही अपने दोनों हाथों को कंधों के पास रखें और हथेलियों को जमीन पर टिकाएं। उंगलियां आपकी कंधों की ओर होनी चाहिए।
  •  शरीर को उठानाः
2.6.अब अपनी सांस को अंदर की ओर लेते हुए अपने शरीर का वजन अपने पैरों पर लेते हुए अपने नितम्बों को ऊपर उठायें।
2.7.अब धीरे-धीरे सांस लें और अपने हाथों और पैरों की सहायता से शरीर को धीरे धीरे ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करें।
2.8.अब आप अपनी पीठ को जमीन से उठाएं और धीरे-धीरे सिर और सीना को भी ऊपर की ओर उठाएं।
2.9.इसके बाद अपने दोनों हाथों पर वजन को डालते हुए अपने कधों को ऊपर उठायें और धीरे धीरे अपने हाथों की कोहनियों को सीधा करें।
2.10.शरीर को इस तरह से ऊपर उठाएं कि आपके सिर का हल्का सा हिस्सा जमीन से स्पर्श करता रहे और आपका सीना आकाश को देखता हुआ तना रहे।
  •  आसन में स्थिरताः
2.11.शरीर से पहिये (चक्र) के आकार बनाएं। इस मुद्रा में अपने हाथ और पैरों की स्थिरता बनाए रखने के लिए इन्हें मजबूती के साथ  जमीन पर अविचलित (स्थिर)रखें।
2.12. इस आसन के दौरान आपकी पीठ और शरीर एक धनुषाकार स्थिति में हो।
ऽ सामान्य श्वासः
2.13.इस मुद्रा में सामान्य रूप से श्वांस प्रश्वांस लेते रहेंं। प्रारम्भ में 15-30 सेकंड तक रुकें रहें। योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में धीरे-धीरे योगाभ्यास का समय को बढ़ाएं।
  •  वापस आने की प्रक्रियाः
2.14.सिर को धीरे धीरे से नीचे की तरफ लायें और गर्दन को आराम से जमीन पर रख देंं।
2.15.थोड़ी देर के लिए शवासन में आराम करें।
ध्यान-
योगाभ्यास के समय आपका ध्यान नाभि,हृदय,कपाल पर होना चाहिए।

3.चक्रासन अभ्यास के लाभ                                                                Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.

आज बात कर रहे है चक्रासन के जबरदस्त असरकारी 9 लाभ । Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh. लाभ की, जैसे की अब तक हम जान चुके है, कि इस योगाभ्यास में शरीर की आकृति चक्र के समान बनती है। इस मुद्रा में शरीर के लगभग हर जोड़ एवं भाग प्रभावित होता है,और इसका सकारात्मक प्रभाव शरीर पर पड़ता है, जो शरीर को लचीला एवं स्वस्थ रखने में बहुत ही लाभकारी होता है।
अगर हम इस योगाभ्यास का नियमित अभ्यास करते है,तो अनगिनत लाभ प्राप्त करतें है। कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार से हैं-
1. पाचन तन्त्र एवं पेट की समस्याओं में लाभदायक-                                Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.
आज हर व्यक्ति को पेट एवं पाचन सम्बन्धी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। जिसका मुख्य कारण है, खानपान,अपौष्टिक भोजन,असमय भोजन एवं शारीरिक श्रम का अभाव होना।
अगर नियमित रूप से योग्य मार्गदर्शन में चक्रासन का अभ्यास किया जाये,चक्रसान के अभ्यास में आप अनुभव करेंगें कि इसका बहुत कुछ असर हमारे पेट पर पड़ता है । जो हमें पेट पर पड़ने वाले खिंचाव से अनुभव भी होता है। इस योगाभ्यास का नियमित अभ्यास करने से पेट में होने वाले बदहजमी,कब्ज,गैस आदि समस्याओं से निपटा जा सकता है।
2. मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक-
चक्रासन के अभ्यास के समय हमारा सिर नीचे की और झुकता है। जिस कारण रक्त का प्रवाह हमारे सिर की ओर होने के कारण रक्त हमारे मस्तिष्क की हर नस एवं शिराओं तक पहूंचता है। जिस कारण हमारे मस्तिष्क का तन्त्रिका तन्त्र मजबूत एवं स्वस्थ बनता है।जिससे सिरदर्द,माईग्रेन,मानसिक तनाव जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
अतः चक्रासन का नियमित अभ्यास हमें अपनी आदतों में शामिल कर लेना चाहिए।
3.मेरूदण्ड एवं कमर के लिए लाभदायक –                                                  Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.
चक्रासन के नियमित अभ्यास से हमारे मेरूदण्ड  का काफी व्यायाम हो जाता है। इसी के लचीलेपन के कारण हमारे शरीर को हम चक्रासन के अभ्यास के समय चक्र के रूप मोड़ सकते है। यह भी हमें ज्ञात होना चाहिए कि अगर हमारा मेरूदण्ड स्वस्थ एवं लचीला है,तो हम भी स्वस्थ है। अगर हमारे शरीर में कहीं कड़ापन (जकड़न) नही ंतो यह माना जाना चाहिए कि हमारा शरीर लगभग स्वस्थ है।
चक्रासन के नियमित अभ्यास से हमारा मेरूदण्ड,कमर एवं हमारे हाथ,पैरों के जोड़ों में लचीलापन आता है, और हमारा शरीर लचीला बना रहता है। इस प्रकार चक्रासन का नियमित अभ्यास हमारे शरीर को लचीला बनाये रखने में सहयोगी बनता है।
5. फेफड़ों के लिए लाभदायक-
आज के समय में वायु प्रदूषण इतना बढ़ गया है, कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। वायु प्रदूषण ने लोगों को तरह तरह की बिमारियों से घेरना शुरू कर दिया है। प्रदूषण के बहुत से कारण है,जैसे धुम्रपान,वाहन का प्रदूषण,पेड़ों की कटाई,जंगलों का कम होना,धुंआ,धूल,शारीरिक श्रम की कमी आदि अनकों कारण है। जिनके कारण ,ऑक्सीजन की कमी होने से शरीर को स्वच्छ वायु की सांस नहीं मिल पाती। जिनके कारण हमारे फेफड़े कमजोर हो जाते है और अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य नहीं कर पाते है। जो फेफड़ों के रोग का कारण बनता है।
चक्रासन के अभ्यास के समय आप अनुभव करेंगें, कि जब हम चक्रासन की मुद्रा बनाते है,तब हमारे सीना,फेफड़ों पर काफी खिंचाव अनुभव होता हैं एवं इस स्थिति में कुम्भक होने के कारण हमारे फेफड़ों को श्वांस फेफड़ों में काफी गहराई तक पहुंचाना पड़ता है। जिस कारण हमारे फेफड़ों को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति मिलती है एवं उनकी कार्यक्षमता का विकास होता है।
अतः हमें चक्रासन को अपनी आदतों में शामिल कर लेना चाहिए।
6. लटकते पेट को कम करे–                                          Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.
चक्रासन का नियमित अभ्यास पेट, कमर के आसपास एवं जांघों पर जमा चर्बी(वसा) को पिघलाने में काफी लाभदायक होता है। जिससे आपका शारीरिक वजन कम होगा एव्ां कमर पर लटकती चर्बी हटने से आपका शरीर सुडौल एवं आकर्षक बनाने में सहयोगी बनेगा। पेट के आन्तरिक अंगों के लिए भी काफी लाभदायक सिद्ध होगा।
अतःचक्रासन का नियमित अभ्यास अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करना हितकर होगा।
7. सीना चौड़ा करने में लाभदायक-
हर किसी की चाहत होती है, कि उसका सीना चौड़ा एवं आकर्षक हो।सीना शारीरिक मजबूती की निशानी होती है। आप जानते ही है कि सेना हो या पुलिस इनमें भर्ती होने के लिए शारीरिक मापदण्डों में सीना की चौड़ाई बहुत महत्वपूर्ण होती है।  चक्रासन के नियमित अभ्यास से हमारा सीना विकसित होने में काफी मदद मिलती है।
अतः चक्रासन का नियमिति अभ्यास चाहे पुरूष,बच्चा या महिला सभी के लिए उपयोगी है । अतः इसका नियमित अभ्यास किया जाना चाहिए।
8.अंतःस़़्त्रावी ग्रन्थियों को क्रियाशील करता है-                                      Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.
चक्रासन का नियमित अभ्यास करने से यह हमारे शरीर के आन्तरिक अंगों को काफी प्रभावित करता है। हमारी अंतःस्त्रावी ग्रन्थियां जैसे एंडोक्राइन ग्रंथियों, जैसे थायरॉयड और पिट्यूटरी ग्रंथियों आदि पर योगाभ्यास के समय पड़ने वाले खिंचाव या प्रभाव को आप योगाभ्यास के समय अनुभव कर सकते है। यह प्रभाव ही इन ग्रन्थियों को सक्रिय होने में सहयोगी बनता है। जिससे हार्मोनल संतुलन बना रहता है।
9.मानसिक और आध्यात्मिक लाभ                                                      Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.
चक्रासन का शारीरिक लाभ तो स्पष्ट रूप से हमें एवं सभी को दिखाई देते है परन्तु इसका मानसिक और आध्यात्मिक प्रभाव भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। यह आसन हमारे कुण्डलिनी के ऊर्जा के चक्रों को जागृत करता है, विशेषकर हृदय चक्र (अनाहत चक्र) और आज्ञा चक्र (थर्ड आई चक्र) योगाभ्यास के समय हमें अपने इन चक्रों पर ध्यान केन्द्रित करना होता है। जिससे इन चक्रों के जागरण से आत्म-चेतना और अंतर्ज्ञान में वृद्धि होती है। इसके अलावा, चक्रासन मानसिक तनाव और अवसाद को कम करने में भी मददगार साबित होता है।
चक्रासन के अन्य लाभ-                                                            Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.
चक्रासन के नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के लाभ होते हैं। यहाँ कुछ मुख्य लाभ दिए गए हैंः
1.आंखों की रोशनी तेज करने में अहम भूमिका निभाता है।
2.शरीर के रक्त परिसंचरण में सुधार करने के साथ रक्त को शुद्ध करता है।
3. त्वचा में ग्लो लाता है।
4. चक्रासन का नियमित अभ्यास करने से  हमारे शरीर में रक्त का परिसंचरण सुधरता है जिस कारण हमारें शरीर में चुस्ती और स्फूर्ति का अनुभव होता है।
5.हृदय स्वास्थ्य में सुधारः चक्रासन हृदय को खोलता है और उसे बेहतर तरीके से कार्य करने में मदद करता है। इससे रक्त का संचार बढ़ता है और हृदय स्वस्थ रहता है।
6.चक्रासन का अभ्यास महिलाओं  के आन्तरिक रोगों से मुक्ति दिलाने में सहयोगी होता है।
4.चक्रासन के समय सावधानियाँ  –                                       Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.
चक्रासन के लाभ जानने की जितनी जिज्ञासा हमारे मन में होती है। उससे अधिक हमें इसके अभ्यास के समय अपनाई जाने वाली सावधानियों के प्रति भी जानकारी होना आवश्यक है। चक्रासन करते समय कुछ सावधानियों का पालन करना चाहिए-
4.1. कमर या पीठ दर्द से पीड़ीत को यह योगाभ्यास नहीं करना चाहिए। चक्रासन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी पर जोर पड़ता है, जो समस्या को बढ़ा सकता है।
4.2. हृदय रोग या उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों को अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और परामर्श के अनुसार ही योगाभ्यास करने या न करने का निर्णय लेना चाहिए।
4.3. आप किसी चोट से ग्रस्ति है , विशेषकर कंधों, घुटनों या कलाई की चोट, तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।
4.4. महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान चक्रासन नहीं चाहिए। इसका अभ्यास  गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है।
4.5. चक्रासन का अभ्यास प्रशिक्षक की निगरानी में करें। इससे आपको सही विधि और सावधानियों को समझने में मदद मिलेगी।
4.6.  योगाभ्यास के लिए सबसे उतम समय सुबह का होता है। जब हम अपनी शौचक्रिया निवृति के बाद ,मुख वाश एवं खाली पेट और प्रसन्नचित मुद्रा में होते है। इस समय किये गये योगाभ्यास के परिणाम बहुत ही फलदायी होते है।
 4.7.योगभ्यास हमेशा योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में अपनी शारीरिक क्षमता एवं सामर्थ्यता के अनुसार करने चाहिए। योगाभ्यास कभी  भी बलपूर्वक नहीं करने चाहिए अन्यथा हॉनी होने की सम्भावना होती है।
4.8. सिर में चक्कर आने,मन घबराने आदि की स्थिति में योगाभ्यास नहीं करना चाहिए।
4.9. पेट की किसी भी प्रकार की समस्या होने जैसे अल्सर,हार्नियॉ,ऑपरेशन,सूजन आदि हो तो यह योगाभ्यास नहीं करना चाहिए।
5.चक्रासन को बेहतर बनाने के लिए कुछ सुझाव-
5.1. चक्रासन का अभ्यास करने से पूर्व आपको अपने आप को कुछ एक्सरसाइज से वार्मअप कर लेना चाहिए। जिस बाबत आपका मार्गदर्शन आपके योगसे पहले शरीर को अच्छी तरह से वार्म-अप करना जरूरी है। इससे शरीर लचीला होता है और आसन को सही ढंग से करने में मदद मिलती है। सूर्य नमस्कार या अन्य स्ट्रेचिंग अभ्यास इसके लिए अच्छे हो सकते हैं।
5.2. पीछे झुकाव देने वाले आसनों में आप सेतुबंधासन, धनुरासन, भुजंगासन, सर्वांगासन, हलासन जैसे आसनों का समावेश कर सकते हैं। चक्रासन करने से पहले ये आसन करें
6.निष्कर्ष
चक्रासन एक अद्भुत योगासन है। चक्रासन का नियमित एवं योग्य योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में नियमित अभ्यास करने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते है। इसे सही विधि और सावधानी के साथ करने से आप अपने शरीर और मन को स्वस्थ रख सकते हैं। इसका नियमित अभ्यास से शरीर को लचीला,हृदय मजबूत और मन को शांति प्रदान करता है। इसलिए आपको चक्रासन का अभ्यास अपनी दिनचर्या में शामिल करना एक स्वस्थ जीवन के जीने के लिए लाभदायक सकता है।  Chakrasan ke Zabrdast Asarkari 9 Labh.
यह पोस्ट योगा सम्बन्धी सामान्य जानकारी देने के उद्ेश्य लिखी गई है। चिकित्सकीय उद्ेश्य से योगाभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक या योगा प्रशिक्षक से अवश्य परामर्श करना चाहिए।
FAQ

Chakrasan

हम इस योगाभ्यास का नियमित अभ्यास करते है,तो अनगिनत लाभ प्राप्त करतें है। कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार से हैं- 1. पाचन तन्त्र एवं पेट की समस्याओं में लाभदायक-                              2. मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक- 3.मेरूदण्ड एवं कमर के लिए लाभदायक –                                                  5. फेफड़ों के लिए लाभदायक- 6. लटकते पेट को कम करे-                                          7. सीना चौड़ा करने में लाभदायक- 8.अंतःस़़्त्रावी ग्रन्थियों को क्रियाशील करता है-                                    9.मानसिक और आध्यात्मिक लाभ                                        चक्रासन के अन्य लाभ-                                                            1.आंखों की रोशनी तेज करने में अहम भूमिका निभाता है। 2.शरीर के रक्त परिसंचरण में सुधार करने के साथ रक्त को शुद्ध करता है। 3. त्वचा में ग्लो लाता है। 4. चक्रासन का नियमित अभ्यास करने से  हमारे शरीर में रक्त का परिसंचरण सुधरता है जिस कारण हमारें शरीर में चुस्ती और स्फूर्ति का अनुभव होता है। 5.हृदय स्वास्थ्य में सुधारः 6.चक्रासन का अभ्यास महिलाओं  के आन्तरिक रोगों से मुक्ति दिलाने में सहयोगी होता है।
चक्रासन करने की विधि                                                      2.1.सबसे पहले, सबसे पहले किसी साफ और हवादार जगह पर योगा मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। 2.2.इसके बाद अपने घुटनों को मोड़ें और पैरों को फर्श पर मजबूती के साथ जमाएं। 2.3.अपनी दोनों एड़ियों को नितंबों के पास लाएं। आपके पैर लगभग कूल्हों की चौड़ाई के अंतर पर खुले होने चाहिए। 2.4आपके दोनों पैरों के बीच की एवं दोनों हाथों की बीच की दूरी लगभग समान होनी चाहिए।  हाथों की स्थितिः 2.5.पीठ के बल लेटे लेटे ही अपने दोनों हाथों को कंधों के पास रखें और हथेलियों को जमीन पर टिकाएं। उंगलियां आपकी कंधों की ओर होनी चाहिए।  शरीर को उठानाः 2.6.अब अपनी सांस को अंदर की ओर लेते हुए अपने शरीर का वजन अपने पैरों पर लेते हुए अपने नितम्बों को ऊपर उठायें। 2.7.अब धीरे-धीरे सांस लें और अपने हाथों और पैरों की सहायता से शरीर को धीरे धीरे ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करें। 2.8.अब आप अपनी पीठ को जमीन से उठाएं और धीरे-धीरे सिर और सीना को भी ऊपर की ओर उठाएं। 2.9.इसके बाद अपने दोनों हाथों पर वजन को डालते हुए अपने कधों को ऊपर उठायें और धीरे धीरे अपने हाथों की कोहनियों को सीधा करें। 2.10.शरीर को इस तरह से ऊपर उठाएं कि आपके सिर का हल्का सा हिस्सा जमीन से स्पर्श करता रहे और आपका सीना आकाश को देखता हुआ तना रहे।  आसन में स्थिरताः 2.11.शरीर से पहिये (चक्र) के आकार बनाएं। इस मुद्रा में अपने हाथ और पैरों की स्थिरता बनाए रखने के लिए इन्हें मजबूती के साथ  जमीन पर अविचलित (स्थिर)रखें। 2.12. इस आसन के दौरान आपकी पीठ और शरीर एक धनुषाकार स्थिति में हो। ऽ सामान्य श्वासः 2.13.इस मुद्रा में सामान्य रूप से श्वांस प्रश्वांस लेते रहेंं। प्रारम्भ में 15-30 सेकंड तक रुकें रहें। योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में धीरे-धीरे योगाभ्यास का समय को बढ़ाएं।  वापस आने की प्रक्रियाः 2.14.सिर को धीरे धीरे से नीचे की तरफ लायें और गर्दन को आराम से जमीन पर रख देंं। 2.15.थोड़ी देर के लिए शवासन में आराम करें। ध्यान- योगाभ्यास के समय आपका ध्यान नाभि,हृदय,कपाल पर होना चाहिए।
चक्रासन के लाभ जानने की जितनी जिज्ञासा हमारे मन में होती है। उससे अधिक हमें इसके अभ्यास के समय अपनाई जाने वाली सावधानियों के प्रति भी जानकारी होना आवश्यक है। चक्रासन करते समय कुछ सावधानियों का पालन करना चाहिए- 4.1. कमर या पीठ दर्द से पीड़ीत को यह योगाभ्यास नहीं करना चाहिए। चक्रासन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी पर जोर पड़ता है, जो समस्या को बढ़ा सकता है। 4.2. हृदय रोग या उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों को अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और परामर्श के अनुसार ही योगाभ्यास करने या न करने का निर्णय लेना चाहिए। 4.3. आप किसी चोट से ग्रस्ति है , विशेषकर कंधों, घुटनों या कलाई की चोट, तो इस आसन को नहीं करना चाहिए। 4.4. महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान चक्रासन नहीं चाहिए। इसका अभ्यास  गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। 4.5. चक्रासन का अभ्यास प्रशिक्षक की निगरानी में करें। इससे आपको सही विधि और सावधानियों को समझने में मदद मिलेगी। 4.6.  योगाभ्यास के लिए सबसे उतम समय सुबह का होता है। जब हम अपनी शौचक्रिया निवृति के बाद ,मुख वाश एवं खाली पेट और प्रसन्नचित मुद्रा में होते है। इस समय किये गये योगाभ्यास के परिणाम बहुत ही फलदायी होते है।  4.7.योगभ्यास हमेशा योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में अपनी शारीरिक क्षमता एवं सामर्थ्यता के अनुसार करने चाहिए। योगाभ्यास कभी  भी बलपूर्वक नहीं करने चाहिए अन्यथा हॉनी होने की सम्भावना होती है। 4.8. सिर में चक्कर आने,मन घबराने आदि की स्थिति में योगाभ्यास नहीं करना चाहिए। 4.9. पेट की किसी भी प्रकार की समस्या होने जैसे अल्सर,हार्नियॉ,ऑपरेशन,सूजन आदि हो तो यह योगाभ्यास नहीं करना चाहिए। 5.चक्रासन को बेहतर बनाने के लिए कुछ सुझाव- 5.1. चक्रासन का अभ्यास करने से पूर्व आपको अपने आप को कुछ एक्सरसाइज से वार्मअप कर लेना चाहिए। जिस बाबत आपका मार्गदर्शन आपके योगसे पहले शरीर को अच्छी तरह से वार्म-अप करना जरूरी है। इससे शरीर लचीला होता है और आसन को सही ढंग से करने में मदद मिलती है। सूर्य नमस्कार या अन्य स्ट्रेचिंग अभ्यास इसके लिए अच्छे हो सकते हैं। 5.2. पीछे झुकाव देने वाले आसनों में आप सेतुबंधासन, धनुरासन, भुजंगासन, सर्वांगासन, हलासन जैसे आसनों का समावेश कर सकते हैं। चक्रासन करने से पहले ये आसन करें
प्रारम्भ में 15-30 सेकंड तक रुकें रहें। योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में धीरे-धीरे योगाभ्यास का समय को बढ़ाएं।
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  1. Rajshree Bhati Avatar

    Good

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