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योनि मुद्रा की विधि,लाभ और सावधानियों, Yoni Mudra Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.

आज हम महिलाओं द्वारा की जाने वाली योग मुद्राओं में सबसे आसान एवं प्रभावकारी योनि मुद्रा की विधि,लाभ और सावधानियों, Yoni Mudra Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon. पर चर्चा करेंगें। । माना जाता है कि महिलाओं द्वारा सबसे अधिक इसी योग मुद्रा Yoni Mudra  का अभ्यास किया जाता है। क्योकि इस मुद्रा में किसी प्रकार की शारीरिक असुविधा नहीं होती आराम से की जाने वाली मुद्रा है । महिलाओं सम्बन्धी और प्रजनन संबंधी विकारों को ठीक करने एवं कुण्डलिनी जागरण के लिए लाभ भी इस मुद्रा में अधिक मिलते है।

हिन्दू धर्म में हम सभी महिला को देवी शक्ति के रूप में जानते है। यह भी माना जाता है, कि दैवीय शक्ति से ऊपर कोई शक्ति नहीं होती है। इस सृष्टि में स्त्री को रचनात्मक शक्ति या ऊर्जा का नाम दे सकते है। प्रत्येक मनुष्य में पुरूष और स्त्री शक्ति का अस्तित्व होता है,यह भगवान अर्द्धनारीश्वर के रूप में हर हिन्दू धर्मावलम्बी जानता है।
हिंदू धर्म में तो कामख्यां मॉ के रूप में योनि की पूजा भी की जाती है। इसी शक्ति को मानते हुए योनि मुद्रा Yoni Mudra  का महत्व योग ग्रन्थों में बताया गया है।

योनि मुद्रा का परिचय-                                              (Yoni Mudra Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.)

संस्कृत में योनि का अर्थ है ’गर्भाशय’ और ’योनि ’। इस मुद्रा के अभ्यास से महिलाओं में प्रजनन सम्बन्धी एवं महिलाओं सम्बन्धी अन्य समस्याओं के समाधान होने की सम्भावना बनती है। हालॉकि योनि मुद्रा पुरूष एवं महिला दोनों के लिए लाभदायक मानी गई है । योनि मुद्रा Yoni Mudra  स्वाधिष्ठान चक्र एवं मूलाधार चक्र की ऊर्जा को भी सकारात्मक रूप ये प्रभावित करती है।
किसी भी कार्य को करने के लिए अनुशासन अतिआवश्यक को होता है। उसी प्रकार योग में भी अनुशासन समय एवं विधि का भी पालन किया जाना आवश्यक होता है,तभी सुखद परिणाम प्राप्त होने की सम्भावना बनती है।

Yoni Mudra Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.
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योनि मुद्रा Yoni Mudra  के अभ्यास की विधि-                                   (Yoni Mudra Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.)

योनि मुद्रा Yoni Mudra  का अभ्यास महिलाओं के स्वास्थ्य के दृष्टिगत अत्यन्त लाभदायक माना जाता है। इसके अभ्यास से गर्भाशय,जननांग,एवं नाभि के नीचे का सम्पूर्ण श्रोणि क्षेत्र प्रभावित होकर स्वस्थ बनने में सहायक होता है।

1.किसी स्वच्छ और हवादार शुद्ध वातावरण में योगामेट या चटाई बिछा कर आराम से किसी सुखासन में शान्त भाव के साथ बैठ जाये। सांसों की गति सामान्य बनी रहे।
2.योनि मुद्रा Yoni Mudra  के अभ्यास के दौरान विचारों में शुन्यता का भाव लाने का प्रयास करें ।
3. अपने दोनों हाथों को अपने सीने पर नमस्कार की मुद्रा में लायें।

4. अब अपने दोनों हाथों के अंगुठे एवं तर्जनी अंगुली से त्रिभुज बनावें,अन्य सभी अंगुलियों को अपनी हथेली की तरफ मोड़ लें। अंगुठे एवं अंगुली के सिरों को जमीन की तरफ नीचे की ओर करते हुए, अपने हाथों को इसी मुद्रा में अपने नाभि से नीचे श्रोणि क्षेत्र में गर्भाशय के सामने की स्थिति में स्थापित करें ।
5. इसी मुद्रा की स्थिति में अपना ध्यान अपने श्रोणि प्रदेश पर केन्द्रित करने का प्रयास करें।
6. श्वांस पूरी गहराई के साथ लें,श्ंवास फेफड़ों से होते हुए नाभि तक प्रवेश का अनुभव करें।
7.अपने शरीर में श्रोणि क्षेत्र में ऊर्जा के प्रवाह का अनुभव करें।
8. अपने सामर्थ्य के अनुसार मुद्रा में रूकें।

9. योनि मुद्रा Yoni Mudra  से बाहर आने के लिए श्ंवास को सामान्य होने दें,अपने हाथों को प्रणाम की स्थिति में अपने सीने पर स्थापित करें। धीरे से दोनों हाथों को अलग अलग कर अपने घुटनों पर स्थापित करें ।
10. ऊॅ के उच्चारण के साथ धीरे धीरे आंखों को खोलते हुए सामान्य स्थिति में आ जायें।

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योनि मुद्रा Yoni Mudra  का अभ्यास कितनी देर करें-                (Yoni Mudra Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.)

प्रारम्भ में योनि मुद्रा Yoni Mudra  का अभ्यास 5 से 10 मिनट तक किया जा सकता है। अभ्यासी होने के उपरान्त अपने योगा टीचर या योगा गुरू के मार्गदर्शन अनुसार इसकी अवधी को बढ़ाना चाहिए।

योनि मुद्रा Yoni Mudra  के अभ्यास का समय क्या होना चाहिए-   (Yoni Mudra Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.)

अगर आप की रूची योगाभ्यास में है,तो आप यह जानते ही होगें के सभी प्रकार के योगाभ्यास के लिए सर्वोतम समय सूर्यादय का माना गया है। अतः योनि मुद्रा Yoni Mudra  का अभ्यास भी सुबह के समय खाली पेट किया जाता है,तो सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने की अधिक सम्भावना बनती है।
इस मुद्रा का अभ्यास सुबह के समय करना चाहिए।

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योनि मुद्रा Yoni Mudra  के अभ्यास से प्राप्त लाभ-                            (Yoni Mudra Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.)

1.मानवीय ऊर्जा का सन्तुलन बनाने में सहायक-
जैसे ऊपर चर्चा की गई है कि पुरूष में पुरूष एवं नारी दोनों का स्वरूप होता है। जब हम योनि मुद्रा Yoni Mudra  का अभ्यास करते है तो इस मुद्रा से हमारी कुण्डलिनी जागरण में सहायता मिलती है। कुण्डलिनी जागरण के लिए हमारी इड़ा और पिंगला नाड़ी की ऊर्जा का सन्तुलन आवश्यक होता है। इस प्रकार यह हमारे शरीर की पुरूष और नारी शक्ति का सन्तुलन बनाने में सहायक होती है।

2. महिलाओं की प्रजनन शक्ति का संवर्धन में सहायक-
जब हम योनि मुद्रा का अभ्यास करते है तो अंगुठे और तर्जनी अंगुली की ऊर्जाओं का स्पर्श करवाते है । अंगुठा हमारे शरीर के पंच तत्वों में अग्नि का और तर्जनी वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करते है। जब अग्नि और वायु का मिलन होगा तो अग्नि अधिक उग्र होगी, जो कि हमारी ऊर्जा को अधिक गति देने का कार्य करेगी। जब शरीर में ऊर्जा की गति किसी बिन्दु विशेष को प्रभावित करती है,तो वह अंग स्वस्थ एवं क्रियाशील बना रहता है।

इस मुद्रा Yoni Mudra  में श्रोणि क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। इसलिए इस क्षेत्र के अमाश्य,गर्भाश्य,जननांग प्रणाली अधिक सक्रिय होने की सम्भावना बनती है। जिससे महिला एवं पुरूष दोनों को ही लाभ मिलता है।3. योनि मुद्रा Yoni Mudra  के नियमित एवं विधिपूर्वक किये गये अभ्यास से महिलाओं को मासिक धर्म सम्बन्धी विभिन्न समस्याओं में राहत मिलती है।
4.योनि मुद्राYoni Mudra  का अभ्यास से महिलाओं को प्रजनन सम्बन्धी समस्याओं के निस्तारण में सहयोग मिलता है। यह मुद्रा गर्भाशय के स्वास्थ्य के लिए अति लाभदायक मानी जाती है।
5.योनि मुद्रा Yoni Mudra  का नियमित अभ्यास मन को एकाग्र करने एवं जिन लोगों को ध्यान लगाने में रूची होती है,उन लोगों को इस मुद्रा से काफी लाभ मिलता है।

6. योनि मुद्रा Yoni Mudra  के अभ्यास से ध्यान लगाने के साथ साथ आत्मबल एवं अर्न्तज्ञान प्राप्ति की सम्भावना बनती है।

7.स्वाधिष्ठान चक्र सक्रिय करने में सहायक-
योनि मद्रा का नियमित अभ्यास करने से हमारा स्वाधिष्ठान चक्र सक्रिय होने कारण हमारी काम वासन की भावना शान्त होकर हमारी यौन ऊर्जा का सकारात्मक के साथ रचनात्मकता में उपयोग होने लगती है।
8.प्रजनन क्षमता का विकास-
अगर किसी व्यक्ति को प्रजनन क्षमता सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो तो, उसे योनि मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से पुरूष एवं महिला दोनों में प्रजनन क्षमता का विकास होता है। सन्तान प्राप्ति का सुख प्राप्त होने की सम्भावनाओ ंको बल मिलता है।

9. मानसिक शान्ति प्रदान करने वाला-
योनि मुद्रा Yoni Mudra  का अभ्यास करने से मानसिक एवं शारीरिक रूप से तनाव मुक्ति मिलती है। मन प्रसन्न बना रहता है,मन में उल्लास पूर्ण भावनाएं विकसित होती है।

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योनि मुद्रा Yoni Mudra  के अभ्यास में सावधानियां- 

(Yoni Mudra Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.)
योनि मुद्रा Yoni Mudra  के अभ्यास मे भी कुछ सावधानियों की आवश्यता होती है ।
1. जिन लोगों को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो उन लोगों को योनि मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
2. अन्य किसी प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं हो एवं उपचार ले रहे हो तो अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करना चाहिए।

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निष्कर्षः- योनि मुद्रा Yoni Mudra  का अभ्यास करना बहुत ही आसन है । परन्तु प्रजनन अंगों एवं श्रोणि क्षेत्र के अंगों के लिए यह बहुत ही प्रभावी मुद्रा मानी जाती है। पुरूष एव्ां महिलाओं दोनों को इसका Yoni Mudra  अभ्यास करना चाहिए। इसका अभ्यास महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी है ऐसा माना जाता है। परन्तु पुरूषों को भी इसका अभ्यास करने में कोई हानि नहीं हे।
अतः समान रूप से दोनों को इस मुद्रा Yoni Mudra  का अभ्यास अपनी दैनिक चर्या में शामिल करना चाहिए।

इस पोस्ट का उद्देश्य योग सम्बन्धी जानकारी देना मात्र है,इसका अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक एवं योग प्रशिक्षक से पूर्ण रूप से परामर्श करना चाहिए।

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योगा और वार्म अप, वार्म अप क्या है

FAQ

 

yoni mudra

1.मानवीय ऊर्जा का सन्तुलन बनाने में सहायक- यह हमारे शरीर की पुरूष और नारी शक्ति का सन्तुलन बनाने में सहायक होती है। 2. महिलाओं की प्रजनन शक्ति का संवर्धन में सहायक- इस मुद्रा में श्रोणि क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। इसलिए इस क्षेत्र के अमाश्य,गर्भाश्य,जननांग प्रणाली अधिक सक्रिय होने की सम्भावना बनती है। जिससे महिला एवं पुरूष दोनों को ही लाभ मिलता है। 3. महिलाओं को मासिक धर्म सम्बन्धी विभिन्न समस्याओं में राहत मिलती है। 4 महिलाओं को प्रजनन सम्बन्धी समस्याओं के निस्तारण में सहयोग मिलता है। यह मुद्रा गर्भाशय के स्वास्थ्य के लिए अति लाभदायक मानी जाती है। 5 मन को एकाग्र करने एवं जिन लोगों को ध्यान लगाने में रूची होती है,उन लोगों को इस मुद्रा से काफी लाभ मिलता है। 6. ध्यान लगाने के साथ साथ आत्मबल एवं अर्न्तज्ञान प्राप्ति की सम्भावना बनती है। 7.स्वाधिष्ठान चक्र सक्रिय करने में सहायक- 8.प्रजनन क्षमता का विकास- पुरूष एवं महिला दोनों में प्रजनन क्षमता का विकास होता है। सन्तान प्राप्ति का सुख प्राप्त होने की सम्भावनाओ ंको बल मिलता है। 9. मानसिक शान्ति प्रदान करने वाला- मानसिक एवं शारीरिक रूप से तनाव मुक्ति मिलती है। मन प्रसन्न बना रहता है,मन में उल्लास पूर्ण भावनाएं विकसित होती है।
योनि मुद्रा का अभ्यास महिलाओं के स्वास्थ्य के दृष्टिगत अत्यन्त लाभदायक माना जाता है। इसके अभ्यास से गर्भाशय,जननांग,एवं नाभि के नीचे का सम्पूर्ण श्रोणि क्षेत्र प्रभावित होकर स्वस्थ बनने में सहायक होता है। 1.किसी स्वच्छ और हवादार शुद्ध वातावरण में योगामेट या चटाई बिछा कर आराम से किसी सुखासन में शान्त भाव के साथ बैठ जाये। सांसों की गति सामान्य बनी रहे। 2.योनि मुद्रा के अभ्यास के दौरान विचारों में शुन्यता का भाव लाने का प्रयास करें । 3. अपने दोनों हाथों को अपने सीने पर नमस्कार की मुद्रा में लायें। 4. अब अपने दोनों हाथों के अंगुठे एवं तर्जनी अंगुली से त्रिभुज बनावें,अन्य सभी अंगुलियों को अपनी हथेली की तरफ मोड़ लें। अंगुठे एवं अंगुली के सिरों को जमीन की तरफ नीचे की ओर करते हुए, अपने हाथों को इसी मुद्रा में अपने नाभि से नीचे श्रोणि क्षेत्र में गर्भाशय के सामने की स्थिति में स्थापित करें । 5. इसी मुद्रा की स्थिति में अपना ध्यान अपने श्रोणि प्रदेश पर केन्द्रित करने का प्रयास करें। 6. श्वांस पूरी गहराई के साथ लें,श्ंवास फेफड़ों से होते हुए नाभि तक प्रवेश का अनुभव करें। 7.अपने शरीर में श्रोणि क्षेत्र में ऊर्जा के प्रवाह का अनुभव करें। 8. अपने सामर्थ्य के अनुसार मुद्रा में रूकें। 9. योनि मुद्रा से बाहर आने के लिए श्ंवास को सामान्य होने दें,अपने हाथों को प्रणाम की स्थिति में अपने सीने पर स्थापित करें। धीरे से दोनों हाथों को अलग अलग कर अपने घुटनों पर स्थापित करें । 10. ऊॅ के उच्चारण के साथ धीरे धीरे आंखों को खोलते हुए सामान्य स्थिति में आ जायें।
1.जिन लोगों को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो उन लोगों को योनि मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए। 2.किसी प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं हो एवं उपचार ले रहे हो तो अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करना चाहिए।
प्रारम्भ में योनि मुद्रा का अभ्यास 5 से 10 मिनट तक किया जा सकता है। अभ्यासी होने के उपरान्त अपने योगा टीचर या योगा गुरू के मार्गदर्शन अनुसार इसकी अवधी को बढ़ाना चाहिए।

 

 

 

 

 

 

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One response to “योनि मुद्रा की विधि,लाभ और सावधानियों, Yoni Mudra Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon. 24”

  1. Saroj Avatar

    Good

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