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योग निद्रा विधि,लाभ एवं सावधानियां। Yoga Nidrā Vidhi,Lābha Evan Sāvadhāniyāan।

योग निन्द्रा Yoga nidrā को योगियों की नींद भी कह सकते हैं।आज हम बात कर रहे है योग निद्रा विधि,लाभ एवं सावधानियां। Yoga nidrā vidhi,lābha evan sāvadhāniyāan।के बारे में । इसमें स्वनिर्देशन द्वारा या अन्य किसी के निर्देशन में सचेत रहते हुए शरीर को शिथिल करने का अभ्यास है। यह नींद लेने एवं जागृत अवस्था के बीच की अवस्था होती है। जिसमें व्यक्ति कुछ चेतन होता है परन्तु उसका शरीर पूर्ण शिथिल होता है। योग निद्रा के 30 मिनट के अभ्यास से 3 से 4 घण्टें की नींद का लाभ ले सकते है। योग निन्द्रा तनाव को कम करने में एक प्रभावकारी अभ्यास है। हर व्यक्ति को दिन में एक बार योग निन्द्रा का अभ्यास कर लेना चाहिए।

योग निद्रा विधि,लाभ एवं सावधानियां। Yoga nidrā vidhi,lābha evan sāvadhāniyāan।
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    • योग निन्द्रा क्या है ?
    • योग निन्द्रा क्यों ?
    • योग निद्रा करने की विधि।
    • योग निद्रा के लाभ।
    • योग निन्द्रा के अभ्यास में सावधानियां।

योग निन्द्रा क्यों ?

योग निद्रा विधि,लाभ एवं सावधानियां। Yoga nidrā vidhi,lābha evan sāvadhāniyāan।


वर्तमान समय में हर व्यक्ति मानसिक,शारीरिक और भावनात्मक में से किसी एक में या तीनों तनावों से पीड़ित है। चिकित्सा विज्ञान ने मानव स्वास्थ्य के लिए अनेकों बिमारियों के ईलाज खोज लिए परन्तु इन दबावों को समाप्त करने का कोई स्थायी समाधान नहीं खोज पाया है। इस बाबत् प्रयोग की जाने वाली दवाओं के अनेको साईड इफेक्ट हो सकते है।
तनावों का कारण आध्यात्म के अनुसार राग और द्वेष है। व्यक्ति को मन चाही वस्तु न मिले या कोई व्यक्ति उसके कहे अनुसार कार्य नहीं करें अथवा उसे अपनी की गई मेहनत के अनुसार सफलता नहीं मिले तो तनाव। इस स्थिति में उसे मानसिक तनाव महसूस होता है।


कभी कभी तो व्यक्ति तनाव भी अपनी अज्ञानावश धारण कर लेता है। जैसे कहा जाता है व्यक्ति अपने दुःख से दुखी नहीं है वह दूसरों के सुख से दुःखी है। समझदार व्यक्ति इसमें भी रास्ता निकाल लेता है। वह हर बात को सकारात्मकता के दृष्टिकोण से देखता है,हर पल में खुशी ढ़ूंढ़ता है। वह अपना तथा अन्य व्यक्तियों को भी तनावरहित जीवन जीने में सहयोग करने का प्रयास करता है।


अपनी आजिविका चलाने हेतु हर व्यक्ति को कोई न कोई व्यवसाय अपनाना होता है। उसमें दिन भर शारीरिक मेहनत करनी होती है। चाहे वो खेती हो,मजदूरी का कार्य हो,कारखाना हो ,अथवा कार्यालय का कार्य हो कार्य की श्रेणी के अनुसार शारीरिक और मानसिक मेहनत करनी होती है। जिसमें उसे शारीरिक और मानसिक तनाव महसूस होती है।


आपने अपने दैनिक जीवन में अपने आस पास देखा होगा। जब कोई व्यक्ति अपने परिवार का सही ढ़ग से पालन पोषण नहीं कर पाता या उसके परिवार के सदस्यों में आपसी सामन्जस्य नहीं होने के कारण या किसी प्रिय व्यक्ति का देहान्त होने के कारण वह मन से आहत होता है। तो वह अपने आपको भावनात्मक रूप से तनाव में पाता है। प्रतिशोध की भावना अथवा समाज से छिप कर किया गया कार्य व्यक्ति को तनावग्रस्त जीवन जीने को मजबूर कर देता है।


इन स्थितियों के सन्दर्भ में कहा जा सकता है कि व्यक्ति का दिन का चैन और रात की नींद उड़ जाती है। जब नींद का क्रम टुटता है तो मात्र नींद की बाधित नहीं होती मानव का दैनिक जीवन पर वितरित प्रभाव पड़ता है । तनाव के कारण मांसपेशियों में सिकुड़न आने लगती है। शरीर की नाड़ियों में कड़कपन आने लगता है। नाड़ियों में कड़कपन आने के कारण उनमें वसा आदि का जमाव होने लगता है। जिससे रक्त के प्रवाह में बाधा आने लगती है। पाचन शक्ति क्षीण होने लगती है।


व्यक्ति को मेहनत के बाद अच्छी और राहतभरी नींद की आवश्यता होती है। जिससे उसके शरीर की सारी थकान ताजगी में बदल जाये । ताकि वह सुबह अपने कार्य को एक नई ऊर्जा के सम्पन करने के लिए तैयार हो सके। अगर किसी व्यक्ति को रात को अगर उसे अच्छी को सुकुन वाली गहरी नींद प्रतिदिन आती हो तो उसे मानसिक,शारीरिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ माना जा सकता है।
नींद की कमी के कारण लोगों में तनाव,चिड़चिड़पन,गुस्सा,भुख की कमी आदि बिमारियों के पनपते देखा जा सकता है।
अध्यात्म योग शास्त्र में नींद की पूर्ति के लिए योग निंद्रा Yoga nidrā का प्रावधान है। जिसकी चर्चा आज हम यहॉ करेगें।

योग निद्रा करने की विधिः- Yoga Nidrā Vidhi,Lābha Evan Sāvadhāniyāan।


योग निंद्रा Yoga nidrā शरीर को शिथिल करने की यौगिक क्रिया है। जिसमें स्वयं द्वारा निर्देशित निर्देशों की पालना करना होती है।
इसको अपने दैनिक जीवन में शामिल करने से रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता की प्राप्ति होती है।
योग निंद्रा Yoga nidrā अभ्यास को करने के लिए शांत वातावरण की आवश्यकता होती है।
1-आनन्दायक शान्त जगह पर योगा मेट या चटाई बिछा कर शान्त भाव के साथ पीठ के बल लेट जायें।
2-श्वांस को चित पर केन्द्रित करें। 3-दोनों पावों के मध्य कुछ दूरी रखें।
4-दोनों हाथों की हथलेलियां शरीर के साथ आसमान को देखते हुए रखें।


5-आंखों को कोमलता के साथ बन्द करें। 6-अब धीरे धीरे कोमल स्वर में निर्देश दें कि अब मेरा शरीर बहुत ही हल्का है,रूई के समान हल्का है, आसमान में तैर रहा है। अब आसमान के आनन्द देने वाले वातावरण का आनन्द लेते हुए खुले और नीले आसमान को अनुभव करते हुए उसमें तैरते रहे।
7-अनुभव करें कि आपका शरीर बहुत भारी हो गया है। इस प्रकार अपने आपको निर्देश देते हुए उनका अक्षरशः पालन करते रहें।
8-यह भी अनुभव करते रहें कि आपका शरीर बहुत हल्का एवं शिथिल हो गया है।
9-अब अपने आप को निर्देश दें कि मेरे दायें पैर का अंगुठा शिथिलललल…………… हो रहा है। मेरे पैर का अंगुठा शिथिलललल……………….हो गया है।


10-इसी प्रकार दांयें पैर की प्रत्येक अंगुली को शिथिल होने के निर्देश दें और शिथिल होना अनुभव करें।

11-इसी प्रकार पगथली,एड़ी,टखना,पिण्डली,घुटना,जंघा,कुल्हा को शिथिल होने के निर्देश देते रहें।
12-इसके बाद बायें पैर के समस्त अंगो को शिथिल होने के निर्देश दें और शिथिलता का अनुभव करें।
13-फिर पेट का निचला भाग,नाभि, पेट,पेट के आन्तरिक अंग जैसे छोटी आन्त,बड़ी आन्त,गुर्दे,तिल्ली, फेफड़े आदि अंगों को शिथिल होने के निर्देश दें एवं शिथिल होना अनुभव करें।


14-जैसे पैरों के अंगों को शिथिल होने के निर्देश दिये उसी तरह दोनों हाथों एवं हाथों के अंगों को कन्धें तक 15-शिथिल होने का निर्देश दे एवं शिथिल होना अनुभव करें।
16-अब गर्दन, ठुडी,होठ,एवं मुंह के आन्तरिक अंग जैसे जीभ,तालु गला आदि, दोनों कान,दोनों ऑखें,नाक,खोपड़ी को शिथिलिन होने का निर्देश दें एवं शिथिल होना भी अनुभव करें।
17-अब अनुभव करें आपका समस्त शरीर शिथिल हो चुका है। मात्र श्वांस प्रश्वांस ही चल रहा है। शेष शरीर मृत शरीर के समान पृथ्वी पर पड़ा है। और आप स्वयं अपने शरीर को छोड़ कर बाहर खड़े है और अपने शरीर को देख रहे है।

18-अनुभव करें वातावरण में मनमोहक खुशुबु फैली रही है। चमकदार दिव्य रोशनी चारों ओर वातावरण में प्रकाशित हो रही है। वातावरण में दिव्य कण तैर रहे है जो आपको स्पर्श करते हुए अलौकिक अनुभव का अहसास करा रहै। आप मन्त्रमुग्ध होकर इस वातावरण में आत्मसात होते जा रहे है।


19-अनुभव करें, वातावरण में एक बहुत आनन्दायक खुशबु तैर रही है। जो आपको बहुत प्रभावित एवं को सुकुन देने वाली है। वातावरण में चल रही मन्द मन्द वायु को अनुभव करेंं कि वह आपके शरीर को स्पर्श करती हुई बह रही है ।
20-आप हवा में तैरते हुए अपने शरीर के प्रत्येक अंग को निहार रहे है समस्त अंग शिथिल हो चुके है। मात्र श्वांस चल रही है।


21-इस प्रक्रिया को सम्पन्न होने में 40 से 45 मिनट का समय लगाना चाहिए। उसके उपरान्त अपने हाथों की हथेलियों को आपस में रगड़ कर गर्म करें और अपनी आंखों एवं चेहरे पर मलते हुए बांयी करवट से बैठ जायें।
अगर आप किसी अन्य को योग निन्द्रा Yoga nidrā का अभ्यास करवा रहें है। उस व्यक्ति को अभ्यास के दौरान नींद आ जाये तो उसे सीधा न जगायें। वरन हल्के स्पर्श से उसके पैर के अंगुठे या माथे छुएं और उसे नींद से जगायें।


इसी अभ्यास को करने के अन्य कई तरीके भी है जैसे कि अपने आपकों शव मानते हुए पानी में तैरेत हुए देखना । समुद्र के किनारे पानी को छुते हुए लेटे रहना समुद्र की लहरों का अनुभव करना आदि।
प्रारम्भ में योग निन्द्रा Yoga nidrāअभ्यास किसी योग्य गुरू के मार्गदर्शन में करें। अभ्यस्त होने के उपरान्त आप स्वयं भी अपने पर इसका प्रयोग कर सकते है।


योग निन्द्रा के अभ्यास में निर्देश देने वाले व्यक्ति के बोलने का लहजा शान्त,धैर्य वाला,कोमल एवं प्रभावी होना चाहिए।जिससे अभ्यास करने वाला निर्देशक के निर्देशों एवं आवाज से प्रभावित होकर योग निद्रा की गहराई तक जा सकता है। प्रत्येक निर्देश कर्णप्रिय सम्मोहित करने वाली आवाज के 2से 3 बार दोहरावे जिससे साधक आपके साथ आन्तरिक्त रूप से जुड़ाव महसूस कर सके।

Yoga Nidrā Vidhi,Lābha Evan Sāvadhāniyāan।

योग निन्द्रा के अभ्यास में सावधानियां। Yoga Nidrā Vidhi,Lābha Evan Sāvadhāniyāan।


1-योग निन्द्र Yoga nidrā के अभ्यास के दौरान आपको नींद आयेगी परन्तु आपको सजगता रखते हुए नींद में नहीं जाना है। पूर्ण सजग रहते हुए अपने आपको एवं अंगों को शिथिल होते हुए देखना है।
2- किसी योग्य/प्रशिक्षित व्यक्ति के मार्गदर्शन में Yoga nidrā करना चाहिए।

  1. इस लेख को लिखने का उद्देश्य योग सम्बन्धी जानकारी देना मात्र है। स्वास्थ्य की दृष्टि से अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक या योग प्रशिक्षक से परामर्श किया जाना चाहिए।
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FAQ

yoga nindra

योग निन्द्रा को योगियों की नींद भी कह सकते हैं। इसमें स्वनिर्देशन द्वारा या अन्य किसी के निर्देशन में सचेत रहते हुए शरीर को शिथिल करने का अभ्यास है। यह नींद लेने एवं जागृत अवस्था के बीच की अवस्था होती है। जिसमें व्यक्ति कुछ चेतन होता है परन्तु उसका शरीर पूर्ण शिथिल होता है। योग निद्रा के 30 मिनट के अभ्यास से 3 से 4 घण्टें की नींद का लाभ ले सकते है। योग निन्द्रा तनाव को कम करने में एक प्रभावकारी अभ्यास है। हर व्यक्ति को दिन में एक बार योग निन्द्रा का अभ्यास कर लेना चाहिए।
योग निद्रा करने के अनेक लाभ हैं। योग निद्रा के नियमित एवं विधि पूर्वक किये गये अभ्यास से मानसिक,शारीरिक एंव भावनात्मक तनाव को कम करने में सहायता मिलती है। योग निन्द्रा के नियमित अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होती है। योग निंद्रा का नियमित अभ्यास ध्यान लगाने में सहायता करता है। 45 मिनट के योग निंद्रा अभ्यास से तीन से चार घण्टे की निद्रा का लाभ मिलता है। योग निन्द्रा से शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। मानसिक क्षमता एवं स्मरण शक्ति का विकास होता है। मनुष्य की कमजोरी राग द्वेष का अन्त होने में सहायता मिलती है। मन को शान्ति मिलती है। शरीर की थकान मिटती है। योगाभ्यास करने के उपरान्त नियमित रूप से योग निंद्रा का अभ्यास करना चाहिए।
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6 responses to “योग निद्रा विधि,लाभ एवं सावधानियां। Yoga nidrā vidhi,lābha evan sāvadhāniyāan।”

  1. Raghuvir singh Avatar

    Mansik Shanti ke liya prbhavshali

  2. Rajshree Avatar

    Bahut badhiya anubhav rha

  3. Helpfull in life

  4. Manju Shekhawat Avatar

    mene iska anubhav kiya he bhut hi shaktishali abhyas

  5. Devender kumar Avatar

    ये बहुत अच्छा है जीवन के लिए

  6. Saroj Avatar

    मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी

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