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 योगा की शुरुआत के लिए उपयोगी सुझाव। yoga ki shuruaat ke upayogi sujhaava

स्वस्थ और खुश रहना किस की चाहत नहीं होती। हर इन्सान स्वस्थ और खुश रहना चाहता है, और इसके लिए प्रयास भी करता रहता है। स्वस्थ रहने के उपायों में एक उपाय योगासन भी है। जिसका प्रचलन भारतीय संस्कृति में सदियों से होता आया है। योग से मानसिक,शारीरिक एवं आत्मिक शुद्वि होती है।वर्तमान समय में योग के लिए विभिन्न स्तर पर शैक्षणिक संस्थाएं भी खुल चुकी है तथा योगा के अभ्यास के लिए सेन्टर भी अस्तित्व में आ चुके है जहॉ नियत शुल्क का भुगतान कर योगाभ्यास करवाया जाता है।

योगाभ्यास अपनी शारीरिक क्षमता के अनुरूप किया जाना चाहिए अन्यथा लाभ के बजाय शरीर को नुकसान हो सकता है।

अगर किसी व्यक्ति ने पहले कभी योगासन नहीं किया हो तो उसे निम्न बातों का भी ध्यान रखना चाहिए।

yoga ki shuruaat ke upayogi sujhaava

  •      योगासन,प्राणायाम करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आपने इसके सम्बन्ध में अपने चिकित्सक से परामर्श कर लिया है। (यदि आप किसी रोग से पीड़ीत है अथवा रहें है )
  •    आपका प्रशिक्षक, प्रशि़क्षत योग शिक्षक है।
  •     सदैव साफ स्वच्छ वातावरण में आसन करने चाहिए।
  •   योगासन के लिए आपने सुविधाजनक आसन (मेट) का चयन किया है। आसन कपड़े अथवा ऊन का हो सकता है। आजकल बाजार में भी विभिन्न सामग्रियों से निर्मित आसन भी उपलब्ध है। आप उनमे से किसी का चयन कर सकते है। परन्तु ध्यान रह,ें आसन अधिक सख्त अथवा नरम भी नहीं होना चाहिए। आसन ऐसा हो जिसमें आप आराम अनुभव करें,आपके लिए असुविधाजनक नहीं होना चाहिए। योगासन के समय साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। जहॉ तक हो सके सूती वस्त्र ही पहनने चाहिए। वस्त्र ऐसे होने चाहिए जिसमें आप अभ्यास के दौरान अपने आपको  आराम की स्थिति में महसूस कर सकें, जो न तो अधिक टाईट हो और नहीं इतने ढ़ीले हो की अभ्यास के दौरान आपको उन्हे सम्भालने के लिए भी प्रयास करने पड़े । कमर दर्द रोगी, सर्वाइकल रोगी को आगे झुकने वाले आसन नहीं करने चाहिए। आपरेशन आदि की स्थिति में आसन नहीं करना चाहिए।

योगासन के समय आपके पास पानी की बोतल भी होनी चाहिए,बाजार में विभिन्न सामग्रियां से निर्मित बोतल उपलब्ध है, परन्तु जहॉ तक हो सके प्लास्टिक की बोतल काम नहीं लेनी चाहिए। बोतल कॉच अथवा ताम्बा की हो अथवा थर्मस टाईप बोतल हो तो अच्छा है। एक सूती तौलिया भी होना चाहिए, ताकि अभ्यास के दौरान पसीना आदि को साफ किया जा सके।

अब बात करतें है शुरूआत में किये जाने वाले योगासन की बात हम व्यवहारिक जीवन में देखें तो भी आसान से कठिनता की और बढ़ कर ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। उसी प्रकार योगासन शुरू करतें समय हमें आसान आसनों से अभ्यास प्रारम्भ करना चाहिए। क्योंकि प्रारम्भ में हल्के आसन,प्राणायाम करके हम अपने शरीर को लचीला और मन को हल्का बनाने का प्रयास करेंगे। ताकि शरीर और मन पर अनावश्यक जोर और तनाव पैदा नहीं हो,किसी प्रकार की शरीरिक हानी से बच सकें।

आरंभ में निम्नांकित आसनों का अभ्यास करना चाहिएः-

वार्म अप : योगाभ्यास प्रारम्भ करने से पहले शरीर को वार्म अप करना आवश्यक होता।  जब हम योगाभ्यास अथवा शारीरिक एक्सरसाइज करते है तो हमारी शारीरिक मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ता है । अगर हमारा शरीर इस खिचाव को सहन करने के लिए तैयार नहीं होगा तो हमारे अंगों में चोट और मोच आने की संभावना बन जाती हैं। इसीलिए शरीर को इस खिचाव/शारीरिक मेहनत के लिए तैयार करने के लिए वार्मअप किया जाता है।वैसे भी आपने महसूस किया होगा कि जब आप कोई मेहनत का काम करने के लिए तैयार होते हे तो अंगड़ाई अथवा हाथों की अंगुलियों को चटखाने,पैरों को झटकनें की क्रिया स्वतः होती है। इसका मतलब शरीर अपने आपको उस कार्य को करने के लिए तैयार कर रहा है।

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शरीर को वार्म अप करने के कई तरीके होते है हम यहॉ कुछ तरीकों की जानकारी प्राप्त करेंगे।

वार्म अप, एक्सरसाइज से पहले की जाने वाली एक प्रकार की क्रिया है जो हमारे शरीर को व्यायाम से पहले गर्म करती और उसे एक्सरसाइज के लिए तैयार करती है। वार्म अप किसी भी एक्सरसाइज को करना आसान बनाने के लिए किया जाता है। वार्म अप से आपके शरीर को लचीला बनाया जाता है यह मांसपेशियों को जोरदार क्रियाओं के लिए तैयार करता है। एथलीट, गायक, अभिनेता और अन्य लोग अपनी मांसपेशियों को तनाव देने से पहले गर्म करते हैं। आइये वार्मअप करने के तरीके और इसके लाभों को विस्तार से जानते हैं।

अगर आप योगाभ्यास किसी भवन में कर रहें है और वहॉ पर अधिक खुली जगह नहीं हो तो आपको वार्म अप करने के लिए एक ही जगह पर अपने पैरो पर आराम से धीरे धीरे कुदना अथवा रस्सी कूदना की क्रिया करनी चाहिए।

वार्म अप करने के लिए कुदने के लिए लाभदायक और सुविधाजनक और लयबद्व तरीका है कि हम एक जगह पर सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों को एक साथ उछालते हुए एक से डेढ़ फीटं की चौड़ाई में खोलें, अपने दोनों हाथों को ऊपर सिर के उपर से आकाश की ओर सीधा करें। इस क्रिया में पैरों को खोलना  और हाथों को उपर की उठाना एक साथ लय में होना चाहिए। बिना रूके पुनः उछलतें हुए अपने पैरों को पास-पास लाएं और हाथों को नीचे ले आयें।  सावधान की मुद्रा बनाए। यह क्रिया बिना रूके अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार  10-15 बार दोहरावे ।

योग निद्रा विधि,लाभ एवं सावधानियां। Yoga nidrā vidhi,lābha evan sāvadhāniyāan।

1.ताड़ासनः-

ताड़ासन यह पूरे शरीर को लचीला बनाता है। इस आसन से शरीर की  मांसपेशियां बहुत हद तक लचीली बनाती है।

ताड़ासन कैसे करें  दृताड़ासन करने के लिए सबसे पहले हम अपनी कमर एवं गर्दन को सीधा रखते हुए सीधे खड़े हो जाएगें।

उसके बाद अपने हाथों को धीरे धीरे सिर के ऊपर सीधे खड़े करेंगें और सांस लेते हुए पुरे शरीर को धीरे धीरे  उपर की और खींचतें हुए अपने पैरों के पंजे पर खड़ा होने का प्रयास करेंगे। तथा हाथों को पूरे जोर से खिंचते हुए आकाश की और बढ़ायेगें। ऐसा तब तक करेंगे जब तक पूरे शरीर में खिंचाव महसूस न होने लग जावे। 

इस अवस्था को अपनी सामर्थ्य के अनुसार बनाये रखेंगे,

फिर धीरे धीरे सांस छोड़ते हुए अपने हाथ एवं शरीर को पहली अवस्था में लेकर आयें।

इस अभ्यास को तीन से चार बार दोहरावें।

 ताड़ासन के फायदे 

इस आसन से शरीर की नसों,पैरों,कन्धों एवं मांसपेशियों, की मालिस हो जाती है जिस कारण इन में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।

मेरूदण्ड को मजबूती मिलने में बहुत लाभकारी है। ताड़ासन करने से बालकों की लम्बाई बढ़नें में सहायता होती है।

इस आसन में सम्पूर्ण शरीर के साथ साथ पेट एवं कमर पर खिचाव होने के कारण पेट एवं कमर में जमा वसा को हटाने में मदद मिल सकती है।

ताड़ासन की सावधानियां 

यह आसन गर्ववती महिलाओं एवं रक्तचाप पीड़ितों को यह आसन अपने चिकित्सक के परामर्श से करनाचाहिए।

2.गर्दन का अभ्यास

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इस अभ्यास को करने के लिए अपने मेरूदण्ड को सीधा रखते हुए सीधे खड़े हो जावें।

श्वास को धीरे से अन्दर भरें,गर्दन को पीछे की और झुकाते हुए आकाश की देखें।श्वास को छोड़ते हुए अपनी ठोड़ी को कण्ठ की और सीने पर लगाऐं। धीरे से वापिस सीधे खडे़ हो जावे।

अब श्वास भरते हुए गर्दन को सामर्थ्य के अनुसार आराम की स्थिती तक दांयी और घुमाएं। कुछ समय रूकें और पूर्वतः स्थिति में आ जायें। अब इस क्रिया को बायीं और दोहरायें।

 पूर्वतः मुद्रा में खड़े हो जावें। श्वास भरते हुए ठोडी को सीने से सटाये फिर दायीं तरफ घुमाते हुए दायें कान को दाहिनें कन्धे से स्पर्श कराते हुए पीछे से घुमाते हुए बायें कान को बायें कान को बायें कन्धें से सटाते हुए ठोड़ी को वापिस सीने से लगायें। इन क्रियाओं को तीन से चार बार दोहरावें।

इस क्रिया से गर्दन का दर्द ठीक होता है। थाइरायड ग्रन्थि के लिए लाभदायक है।

हॉट योगा करने की विधि,लाभ एवं सावधानियां।Hot Yoga Karane Ki Vidhi,Labha aur Savadhaniyan।

3. सिद्धासन 

 

सिद्धासन करने के लिए जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जायें।

बाएं पैर की एड़ी को गुदा एवं अंडकोष के बीच की जगह पर दबाव के साथ स्थापित करें। अब दायें पैर को घुटने से मोड़े और बायें पैर की ऐड़ी से सटाते हुए उसके ऊपर स्थापित करें । पैरों की स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि दोनों पैरों की उंगलियां विपरीत पैर की जंधा  एवं पिंडलियों के बीच फंसी हुई हों। दोनों हाथों की हथेलियां खुली हुई स्थिति में आपकी गोद में एक दुसरें के ऊपर रखी हुई होनी चाहिए।

इस स्थिति में मेरूदण्ड एकदम सीधा तना हुआ होना चाहिए।

शुरूआत में इसे अपनी सामर्थ्य के अनुसार करें,अभ्यस्त होने के उपरान्त इसका समय बढ़ा देना चाहिए।

 सिद्धासन के लाभ :-

ब्रह्मचर्य संरक्षण,कुंडलिनी जागरण, और ध्यान के लिए, यह आसन अत्यंत उपयोगी है।

अगर घुटने और कमर दर्द की शिकायत हो तो इस आसन को नहीं करनी चाहिए।

4. भुजंगासन/सर्पासन :

 
 
     

इस आसन में सर्प के फन उठाने की आकृति बनती है। इस लिए इसको भुजंगासन, सर्पासन भी कहते है। सर्दी के मौसम में अक्सर कमर दर्द,गर्दन दर्द की समस्या बनी रहती है। इनसे बचाव के लिए भुजंगासन, सर्पासन योगासन का अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए।

 

भुजंगासन, सर्पासन करने की विधिः-

भुजंगासन, सर्पासन करने लिए किसी नरम आसन को जमीन पर बिछाकर पेट के बल लेट जाएं। ऐड़ियॉ ऊपर आकाश की तरफ होनी चाहिए। हाथ कन्धों के नीचे हथेलियॉ जमीन से चिपकती होनी चाहिए। हथेलियों पर दबाव देते हुए शरीर के आगे के हिस्से को धीरे धीरे उठाएं,आकाश की और देखते हुए नाभि तक के शरीर को ऊपर की और उठाएं।

यह आसन तीन प्रकार से किया जाता है। हथेलियों को शरीर से एक फिट,आधा फिट और सटा कर रखा जाकर   भुजंगासन, सर्पासन किया जाता है। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि शरीर को ऊपर उठाते समय श्वास को अन्दर की और भरें तथा मुंह की स्थिति ऊपर की और होने पर श्वास को  सर्प की भांति फुफकारते हुए बाहर की और  निकालें पेट को खाली करें। सामार्थ्य अनुसार रूकें और वापिस सामान्य स्थिति में आ जायें।

भुजंगासन, सर्पासन करने के फायदे-

  •      इस योगासन को करने से सीना चौड़ा और मजबूत होता है।
  •      मेरूदण्ड लचीला और स्वस्थ बनता है।
  •      पीठ और गर्दन के दर्द ठीक होते है।
  •      इस योगासन से पेट,छाती,कमर,मेरूदण्ड,एवं गले,गर्दन की पर्याप्त मालिश हो जाती है।
  •      मोटापा कम करने में भी सहयोगी होता

योगासन करके व्यक्ति स्वस्थ और निरोगी जीवन जीने की और अग्रसर हो सकता है। आवश्यकता इस बात की है कि वह  योगा को किस भावना से प्रारम्भ करता है, नियमित और विधिवत करता है तो ऐसी कोई बाधा नहीं है कि उसका तन और मन स्वस्थ और प्रसन्न नहीं बने। इसके लिय यह भी आवश्यक है कि योगासन,प्राणायाम करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आपने इसके सम्बन्ध में अपने चिकित्सक से परामर्श कर लिया है। (यदि आप किसी रोग से पीड़ीत है अथवा रहें है ) 

    आपका प्रशिक्षक, प्रशि़क्षत योग शिक्षक है।

योगश्चितवृतिनिरोधः

(चित्तवृत्तियों का निरोध योग है।)

FAQ

वार्म अप क्या होता है?

वार्मअप का हिन्दी में मतलब होता है गर्म होना ।लेकिन योगा में वार्मअप का मतलब है शरीर को योगा या एक्सरसाईज के लिए तैयार करना।

वार्मअप कैसे और क्यों किया जाता है?

वार्मअप कई तरह से किया जाता है जैसे तेज चलना,खडे़ खड़े कुदना,रस्सी कुदना,शरीर को दायें बाये आगे पीछे घुमाना आदि जिससे शरीर में लचीनापन पैदा होकर कार्य करने के लिए तैयार हो सके।

योगा की शुरूआत कैसे करें?

योगा की शुरूआत वार्मअप के बाद हल्के आसान आसनों से करनी चाहिए हल्के आसनों के बाद क्रमशः कठिन आसनों का अभ्यास करना चाहिए। योगाभ्यास किसी योग्य प्रशिक्षित प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में करना चाहिए।

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