वज्रासन की विधि, लाभ एवं सावधानियां-Vajrāsana ki vidhi, lābha aur sāvadhāniyan
आज हम बात करेंगें Vajrāsana ki vidhi, lābha aur sāvadhāniyan वज्रासन की विधि,लाभ और सावधानियों के बारे में। वज्रासन दो शब्दों से मिलकर बना है, वज्र और आसन। वज्र का अर्थ होता है कठोर। वज्रासन करने से हमारा शरीर वज्र के समान कठोर ओर मजबूत बन जाता है।
स्वस्थ और रोग रहीत जीवन जीने की लालसा हर किसी में होती है। इसी चाह में आजकल हर कोई योग,प्राणायाम या फिर जिम में जाकर अपने आपको स्वस्थ और तन्दरूत रखने का प्रयास कर रहा है।

आज हम बात करेंगें Vajrāsana ki vidhi, lābha aur sāvadhāniyan वज्रासन की विधि,लाभ और सावधानियों के बारे में।
वज्रासन का महत्व घेरण्ड सहिता के इस वर्णन से भी ज्ञात होता है।
जंघाभ्यां वज्रवत् कृत्वा गुदपार्श्वे दपावुभौ।
वज्रासनं भवेदेतत् योगिनां सि़द्धदायकम्ं11
घेरण्ड सहिता
अर्थात- दोनों जांधों को वज्र के समान कठोर करके दोनों पैरों को गुदा के दोनों ओर लगाने से वज्रासन सिद्ध होता है। इससे योगियों को सिद्धि प्राप्त होती है।
- विषय सूची
- 1-वज्रासन क्या है।
- 2-वज्रासन करने की विधि।
- 3-वज्रासन करने के लाभ।
- 4-वज्रासन करने में सावधानियां।
- 5-वज्रासन क्या है?
वज्रासन घुटनों के बल बैठ कर किया जाने वाला योगासन है। माना जाता है कि इस आसन को करने से शरीर वज्र के समान मजबूत और कठोर बन जाता है। वज्रासन की मुद्रा में अन्य कई प्राणायाम या योगासन भी किये जा सकते है।
वज्रासन करने की विधिः- Vajrāsana ki vidhi, lābha aur sāvadhāniyan
किसी शान्त स्वच्छ और हवादार स्थान पर योगा मैट या आसन बिछा कर शान्त भाव के साथ बैठ जायें।
अपने दोनों घुटनों को ऐसे मोड़े कि पैरों के अंगुठे आपस में मिले हों और ऐड़िया खुली हुई,आपके नितम्ब दोनों पैरों की ऐड़ियों में मघ्य में स्थापित हो जायें। घुटने जमीन पर टिके रहने चाहिए।
घुटने आपस में मिले हुए होने चाहिए। दोनों हाथों की हथेलियॉ घुटनों पर रखें।
आपकी दृष्टि सामने एवं मेरूदण्ड सीधा होना चाहिए। श्वांस के प्रति सजग रहें,आते जाते श्वांस को देखते रहें।
इस आसन को प्रारम्भ में सहजता की स्थिति तक करें।
इस योगासन का पूर्ण अभ्यास होने के बार 20 से 25 मिनट तक किया जा सकता है।
वज्रासन कब और कितने समय तक करना चाहिए।
वैसे तो कोई भी योगासन हो सुबह के समय खाली पेट करना चाहिए। एक मात्र वज्रासन ही एक ऐसा योगासन है जो खाना खाने के बाद किया जा सकता है, और उसका पाचन तन्त्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वज्रासन के बाबत कहा जाता है कि खाना खाने के बाद इस योगासन को अवष्य करना चाहिए।
वज्रासन के लाभः-
योगासन चाहे कोई भी अगर उनका अभ्यास विधिपूर्वक एवं सही मार्गदर्षन में किया जाये तो निष्चित रूप से इनका लाभ लिया जा सकता है। यहॉ बात कर रहे है वज्रासन के लाभ की।
1-वज्रासन का अभ्यास करना बहुत ही आसान है इसे हर कोई कर सकता है।
2.-डायबटिज के मरीजों के लिए लाभदायक।
3-पैरो के जोड़,एवं मांसपेषियों की मजबूती में लाभदायक।
4-पैरो के जोड़,एवं मांसपेषियों के दर्द निवारण में लाभदायक।
5-पाचन तन्त्र के लिए लाभदायक,वज्रासन मात्र एक ऐसा योगासन है जो भोजन के उपरान्त किया जा सकता है। और उससे पाचन सम्बन्धी समस्यों का निवारण भी होता
6-वज्रासन से मानव शरीर के रक्त संचार में सुधार होता है।
7-पेट में बनने वाली गैस और एसिडिटी की समस्या को दूर करता है।
8.वज्रासन के अभ्यास से मेरूदण्ड स्वस्थ बनता है।
9.वज्रासन के नियमित अभ्यास से मोटापा कम लाभदायक है।
10.वज्रासन का नियमित एवं उचित मार्गदर्षन में अभ्यास करने पर यह जननांगों को स्वस्थ बनाता है।
Vajrāsana ki vidhi, lābha aur sāvadhāniyan
वज्रासन में सावधानीः-
1.पैरों,कमर,मेरूदण्ड,घुटनों या किसी जोड़ में दर्द हो तो वज्रासन नहीं करना चाहिए।
2.प्रारम्भ में वज्रासन की मुद्रा में बैठने में असुविधा हो तो लम्बे समय तक नहीं बैठना चाहिए। बैठने का समय धीरे धीरे बढ़ाना चाहिए।
3.रक्तचाप के पीड़ीतों को भी वज्रासन का अभ्यास बिना मार्गदर्षन के नहीं करना चाहिए।
गर्भवती एवं मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को वज्रासन नहीं करना चाहिए।
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