सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।
सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare यह योगासन एक ऐसा आसन है जिसमें कई आसन समाहित है, तथा यह एक आसन करने मात्र से शरीर की सम्पूर्ण एक्सरसाइज हो जाती है अन्ययह योगासन एक ऐसा आसन है जिसमें कई आसन समाहित है।
यह एक आसन करने मात्र से शरीर की सम्पूर्ण एक्सरसाइज हो जाती है अन्य किसी और योग की जरूरत नहीं पड़ती।योगासन करने का सबसे सर्वोतम समय सुबह सूर्योदय से पहले अथवा सूर्योदय के समय का उतम माना गया है। अतः यह योगासन भी रोजाना सुबह के समय सूर्य के सामने करना चाहिए।
आज हम सूर्यनमस्कार योगासन के विभिन्न चरणों पर चर्चा करेंगे ताकि नये अभ्यासियों को सूर्यनमस्कार के चरणों की बारिकी से जानकारी हो सके और वे इसे आसानी से कर सकें।
प्रणामासन
सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।
1. खुले स्वच्छ वातावरण में आसन बिछा कर खड़े हो जाएं दोनों हाथ, पैरों के साथ सटे हुए होने चाहिए। सीना तना हुआ मूल बन्ध लगा हुआ हो,लंबी और गहरी सांस लेते हुए अपने हाथों को कन्धों की और सीधे करते हुए सिर पर लाकर आपस में प्रणाम की मुद्रा में मिला लें।
नजर ऊपर की और हाथों पर होनी चाहिए। अब सांसों को धीरे धीरे छोड़ते हुए अपने हाथों को धीरे धीरे मुंह के सामने से नीचे लाते हुए प्रणाम की मुद्रा में लाकर सीने पर आकर रोक देने चाहिए। आराम की अवस्था में खड़े हो जाएं।
2.हस्तउत्तनासन
सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।
surya namskar kaise kare यह योगासन एक ऐसा आसन है जिसमें कई आसन समाहित है, तथा यह एक आसन करने मात्र से शरीर की सम्पूर्ण एक्सरसाइज हो जाती है ।यह योगासन एक ऐसा आसन है, जिसमें कई आसन समाहित है, तथा यह एक आसन करने मात्र से शरीर की सम्पूर्ण एक्सरसाइज हो जाती है ,अन्य किसी और योग की जरूरत नहीं पड़ती।योगासन करने का सबसे सर्वोतम समय सुबह सूर्योदय से पहले अथवा सूर्योदय के समय का उतम माना गया है।
अतः यह योगासन भी रोजाना सुबह के समय सूर्य के सामने करना चाहिए। आज हम सूर्यनमस्कार योगासन के विभिन्न चरणों पर चर्चा करेंगे ताकि नये अभ्यासियों को सूर्यनमस्कार के चरणों की बारिकी से जानकारी हो सके और वे इसे आसानी से कर सकें।
प्रणामासन सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।
1. खुले स्वच्छ वातावरण में आसन बिछा कर खड़े हो जाएं दोनों हाथ, पैरों के साथ सटे हुए होने चाहिए। सीना तना हुआ मूल बन्ध लगा हुआ हो,लंबी और गहरी सांस लेते हुए अपने हाथों को कन्धों की और सीधे करते हुए सिर पर लाकर आपस में प्रणाम की मुद्रा में मिला लें। नजर ऊपर की और हाथों पर होनी चाहिए।
अब सांसों को धीरे धीरे छोड़ते हुए अपने हाथों को धीरे धीरे मुंह के सामने से नीचे लाते हुए प्रणाम की मुद्रा में लाकर सीने पर आकर रोक देने चाहिए। आराम की अवस्था में खड़े हो जाएं।
2.हस्तउत्तनासन
(सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।)
.पहली अवस्था में खड़े रहते हुए सांस लीजिए,सांस लेते हुए हम अपने हाथों को सामने की और सीधा करते हुए सामने से ही हाथों को सिर के ऊपर ले जायेगें। हमारी दृष्टि ऊपर की ओर होगी। अब अपनी सामर्थ्य के अनुसार हाथों एवं सिर को पीछे ले जाते हुए अपनी कमर को पीछे की ओर जितना हो सके झुकाएंगें।
3.पादहस्तासन
(सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।)
अभी हम हस्तोतानासन की मुद्रा में थे,अब हमें हस्त पादासन की मुद्रा में आना है। हस्तोतानासन की मुद्रा में हमारे हाथ ऊपर की ओर उठाऐ हुए थे,और सांस भरा हुआ था। अब हम सांस को छोड़ते हुए आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। ओर झुकते हुए हाथों से पैरों छुएं या जमीन का स्पर्श करें ।
4.अश्व संचालनासन
(सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।)
हस्त पादासन के लगातार में सीधे खड़े होते हुए सांस लें और खड़े हो जायें। अब दायें पैर को पीछे की ओर ले जाएं,घुटना जमीन से ऊपर रहेगा तथा पैर के पंजे को सीधा कर दें।
अगर आपको कोई असुविधा हो रही हो तो कुछ सामन्जस्य बनाते हुए पैर को पीछे सीधा रखें।बांये पैर को घुटने से मोड़ते हुए छाती के सामने रखें। हाथों के पंजों को पूरा फैलाकर खड़े पैर के दोनो तरफ जमीन पर रखें। दृष्टि एकदम सामने देखते हुए। इस दौरान हमारा सांस भरा हुआ होना चाहिए।
5.पर्वतासन
(सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।)
6.अष्टांग नमस्कार
(सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।)
पर्वतासन की निरन्तरता में गहरी सांस लेकर रोकते हुए अपने घुटनों को जमीन से स्पर्श करायेंगें। हथेली जमीन पर रहेगी, ठोड़ी, छाती, पेट जमीन को स्पर्श करेंगे,नितम्ब ऊपर की ओर उठाएं रखेेंगे।
7.भुजंगासन
(सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।)
अष्टांग नमस्कार की निरन्तरता में हाथ कन्धों के बराबर हथेलियॉ जमीन से चिपकती होनी चाहिए। हथेलियों पर दबाव देते हुए शरीर के आगे के हिस्से को धीरे धीरे उठाएं,आकाश की और देखते हुए नाभि तक के शरीर को उपर की और उठाएं।
यह आसन तीन प्रकार से किया जाता है। हथेलियों को शरीर से एक फिट,आधा फिट और सटा कर रखा जाकर भुजंगासन, सर्पासन किया जाता है। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि शरीर को ऊपर उठाते समय श्वास को अन्दर की और भरें,नीचे आते समय सांस को निकालें, पेट को खाली करें। सामार्थ्य अनुसार रूकें और वापिस सामान्य स्थिति में आ जायें।
8.पर्वतासन
(सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।)
भुजंगासन समाप्ति पर सामान्य स्थिति के बाद ऊपर उल्लेखित चरण पॉच के अनुसार पर्वतासन की मुद्रा बनायें।
9.अश्व संचालासन
(सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।)
पर्वतासन की स्थिति में रहते हुए ही स्मरण करेगें कि योगासन के पांचवें चरण में हमने हमारा दायां पैर पीछे की ओर रखा था, उसे अब सांस भरते हुए आगे की ओर करते हुए घुटनें को मोड़ कर खड़ा करेंगे तथा बायां पैर को पीछे की ओर सीधा कर देगें। नजर सामने रखेंगे।
10.पादहस्तासन
अश्व संचालासन की स्थिति में ही अपने हाथों की जमीन पर पकड़ रखते हुए, सांस छोड़ते हुए,हमारा जो पैर पीछे लम्बा फैला हुआ है उसके पंजे के जोर से आगे ले आयेगें। इस स्थिति में हमारे हाथ पैरों के पास जमीन पर रहेगें और दोनों पैर बराबर रखते हुए पादहस्तासन की मुद्रा बनायेगें।
11. हस्तउत्तनासन
पादहस्तासन की स्थिति में सांस भरते हुए अपने हाथों को सामने की ओर सीधा रखतें हुए धीरे धीरे उपर की ओर लाते हुए सिर के ऊपर होते हुए पीछे की ओर ले जायेगें कमर को अपनी सामर्थ्य के अनुसार पीछे की ओर झुकायें,दृष्टि ऊपर की और रहेगी। सांस छोड़ते हुए सीधे हो जायें हाथों को जंघाओं से सटा लें।
12. प्रणामासन.
(सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।)
अब सांस भरते हुए अपने हाथों को धीरे धीरे उठायें प्रणाम की मुद्रा बनायें और छाती पर प्रणाम की मुद्रा में स्थापित करें।
यह एक चक्र हुआ अब आपको यह ध्यान रखना है कि अभी इस चक्र में हमने किस पैर को आगे रखा था। अब दूसरे पैर को आगे रख कर दूसरा चक्र पूरा करना है ।
प्रारम्भ में यह योगासन धीरे धीरे करना चाहिए जब आप इसके अभ्यस्त हो जाये तो तीव्र गति से भी कर सकते है।
सूर्य नमस्कार एवं लाभ
(सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।)
सूर्य नमस्कार का महत्व एवं लाभ आप सूर्य नमस्कार के अभ्यास से होने वाले लाभ/परिणाम को जानकर आश्चर्यचकित हो जायेगें कि इस मात्र एक योगासन से इतने अधिक लाभ हो सकते है। सूर्य नमस्कार योगासन से मात्र शारीरिक ही लाभ नहीं मिलते अपितु इससे आध्यात्मिक और मानसिक लाभ भी प्राप्त होते है। जिनकी चर्चा हम यहॉ पर हम कर रहे है।
सूर्य नमस्कार केवल एक योगासन नही अपितु अनेक योगासनो का अभ्यास किया जाता हैं, जैसे उत्तानासन, अष्टांग नमस्कार, भुजंगासन, पर्वतासन आदि।
सूर्य नमस्कार का मानसिक लाभ
(सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।)
सूर्य नमस्कार योगासन के अभ्यास के दौरान प्रत्येक चरण में श्ंवास का पूरक,कुभक एवं रेचन क्रिया के साथ साथ शारीरिक की एक्सरसाईज भी होती है।
सूर्य नमस्कार के लाभ-
रक्त संचार में सुधार, मजबूत पाचन तंत्र होता है। शरीर में लचीलापन आता है। मानसिक शांति का अनुभव, बुद्धि का विकास होता है। शरीर के विभिन्न जोड़, तंत्रिका तंत्र एवं मेरूदण्ड मजबूत होते है। सकारात्मक विचारों का प्रवाह बनाता है।
अन्य लाभः-
1. सूर्य नमस्कार से वजन नियंत्रित होता है। शरीर में आक्सिजन का प्रवाह बढ़ता है।जिससे शरीर के हानिकारक व जहरीली पदार्थ शरीर से निकालने में मदद मिलती है। और शरीर स्वस्थ हो जाता है।
2. बच्चों के लिए फायदेमंद
(सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।)
आजकल बच्चों में पढ़ाई की इतनी प्रतिस्पर्धा हो गई हैं कि बच्चें इस दबाव में आत्महत्या जैसे कदम भी उठाने लगे है। अगर बच्चों को सूर्यनमस्कार योगासन नियमित रूप से अभ्यास करवाया जाये,तो बच्चों में सकारात्मकता बढ़्र्र्रेगी। बुद्वि और स्मरण शक्ति का विकास होगा । मन और चित शान्त रहेंगे तों धैर्य भी होगा जब धैर्य होगा तो अधिकांश समस्याओं का समाधान अपने आप निकल आता है।
इस प्रकार हम देखते है कि सूर्यनमस्कार योगासन एक सम्पूर्ण योगासन है जिसका हर उम्र और वर्ग महिला,पुरूष,बच्चे कर सकते है। इसका व्यापक सकारात्मक परिणाम भी हम देखते है। इसलिए यह हर किसी के लिए उपयोगी और लाभदायक है।
सुझावः-
योगासन,प्राणायाम करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आपने इसके सम्बन्ध में अपने चिकित्सक से परामर्श कर लिया है। (यदि आप किसी रोग से पीड़ीत है अथवा रहे है )
आपका प्रशिक्षक, प्रशि़क्षत योग शिक्षक है।
योगासन के लिए आपने सुविधाजनक आसन (मेट) का चयन किया है। आसन कपड़े,ऊन का हो सकता है आजकल बाजार में भी विभिन्न सामग्रियों से निर्मित आसन भी उपलब्ध है। आप उनका भी चयन कर सकते है। परन्तु ध्यान रह,ें आसन अधिक सख्त अथवा नरम भी नहीं होना चाहिए।
आसन ऐसा हो जिसमें आप आराम अनुभव करें,आपके लिए असुविधाजनक नहीं होना चाहिए। योगासन के समय साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। जहॉ तक हो सके सूती वस्त्र ही पहनने चाहिए। वस्त्र ऐसे होने चाहिए जिसमें आप अभ्यास के दौरान अपने आपको आराम की स्थिति में महसूस कर सकें, जो न तो अधिक टाईट हो और नहीं इतने ढ़ीले हो की अभ्यास के दौरान आपको उन्हे सम्भालने के लिए भी प्रयास करने पड़े ।
योगासन के समय आपके पास पानी की बोतल भी होनी चाहिए,बाजार में विभिन्न सामग्रियां से निर्मित बोतल उपलब्ध है परन्तु जहॉ तक हो सके प्लास्टिक की बोतल काम नहीं लेनी चाहिए। बोतल कॉच अथवा ताम्बा की हो अथवा थर्मस टाईप बोतल हो तो अच्छा है।
एक सूती तौलिया भी होना चाहिए, ताकि अभ्यास के दौरान पसीना आदि को साफ किया जा सके।
सूर्यनमस्कार योगासन में कितने आसनों का प्रयोग किया गया है एवं कितने चरणों में किया जाता है ?
सूर्यनमस्कार योगासन में प्रणामासन,हस्तउत्तनासन,पादहस्तासन,अश्व संचालनासन,पर्वतासन,अष्टांग नमस्कारऔर भुजंगासन का प्रयोग किया गया है। यह आसन 12 चरणों किया जाता है।
सूर्यनमस्कार के क्या लाभ है?
सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से रक्त संचार में सुधार,मजबूत पाचन तंत्र होता है। शरीर में लचीलापन आता है। मानसिक शांति का अनुभव,बुद्धि का विकास होता है। शरीर के विभिन्न जोड़, तंत्रिका तंत्र एवं मेरूदण्ड मजबूत होते है। सकारात्मक विचारों का प्रवाह बनाता है।
.पहली अवस्था में खड़े रहते हुए सांस लीजिए,सांस लेते हुए हम अपने हाथों को सामने की और सीधा करते हुए सामने से ही हाथों को सिर के ऊपर ले जायेगें। हमारी दृष्टि ऊपर की ओर होगी। अब अपनी सामर्थ्य के अनुसार हाथों एवं सिर को पीछे ले जाते हुए अपनी कमर को पीछे की ओर जितना हो सके झुकाएंगें।
3.पादहस्तासन
अभी हम हस्तोतानासन की मुद्रा में थे,अब हमें हस्त पादासन की मुद्रा में आना है। हस्तोतानासन की मुद्रा में हमारे हाथ ऊपर की ओर उठाऐ हुए थे,और सांस भरा हुआ था। अब हम सांस को छोड़ते हुए आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। ओर झुकते हुए हाथों से पैरों छुएं या जमीन का स्पर्श करें ।
4.अश्व संचालनासन
हस्त पादासन के लगातार में सीधे खड़े होते हुए सांस लें और खड़े हो जायें। अब दायें पैर को पीछे की ओर ले जाएं,घुटना जमीन से ऊपर रहेगा तथा पैर के पंजे को सीधा कर दें। अगर आपको कोई असुविधा हो रही हो तो कुछ सामन्जस्य बनाते हुए पैर को पीछे सीधा रखें।बांये पैर को घुटने से मोड़ते हुए छाती के सामने रखें। हाथों के पंजों को पूरा फैलाकर खड़े पैर के दोनो तरफ जमीन पर रखें। दृष्टि एकदम सामने देखते हुए। इस दौरान हमारा सांस भरा हुआ होना चाहिए।
5.पर्वतासन
6.अष्टांग नमस्कार
पर्वतासन की निरन्तरता में गहरी सांस लेकर रोकते हुए अपने घुटनों को जमीन से स्पर्श करायेंगें। हथेली जमीन पर रहेगी, ठोड़ी, छाती, पेट जमीन को स्पर्श करेंगे,नितम्ब ऊपर की ओर उठाएं रखेेंगे।
7.भुजंगासन
अष्टांग नमस्कार की निरन्तरता में हाथ कन्धों के बराबर हथेलियॉ जमीन से चिपकती होनी चाहिए। हथेलियों पर दबाव देते हुए शरीर के आगे के हिस्से को धीरे धीरे उठाएं,आकाश की और देखते हुए नाभि तक के शरीर को उपर की और उठाएं।
यह आसन तीन प्रकार से किया जाता है। हथेलियों को शरीर से एक फिट,आधा फिट और सटा कर रखा जाकर भुजंगासन, सर्पासन किया जाता है। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि शरीर को ऊपर उठाते समय श्वास को अन्दर की और भरें,नीचे आते समय सांस को निकालें, पेट को खाली करें। सामार्थ्य अनुसार रूकें और वापिस सामान्य स्थिति में आ जायें।
8.पर्वतासन
भुजंगासन समाप्ति पर सामान्य स्थिति के बाद ऊपर उल्लेखित चरण पॉच के अनुसार पर्वतासन की मुद्रा बनायें।
9.अश्व संचालासन
पर्वतासन की स्थिति में रहते हुए ही स्मरण करेगें कि योगासन के पांचवें चरण में हमने हमारा दायां पैर पीछे की ओर रखा था, उसे अब सांस भरते हुए आगे की ओर करते हुए घुटनें को मोड़ कर खड़ा करेंगे तथा बायां पैर को पीछे की ओर सीधा कर देगें। नजर सामने रखेंगे।
अश्व संचालासन की स्थिति में ही अपने हाथों की जमीन पर पकड़ रखते हुए, सांस छोड़ते हुए,हमारा जो पैर पीछे लम्बा फैला हुआ है उसके पंजे के जोर से आगे ले आयेगें। इस स्थिति में हमारे हाथ पैरों के पास जमीन पर रहेगें और दोनों पैर बराबर रखते हुए पादहस्तासन की मुद्रा बनायेगें।
11. हस्तउत्तनासन
पादहस्तासन की स्थिति में सांस भरते हुए अपने हाथों को सामने की ओर सीधा रखतें हुए धीरे धीरे उपर की ओर लाते हुए सिर के ऊपर होते हुए पीछे की ओर ले जायेगें कमर को अपनी सामर्थ्य के अनुसार पीछे की ओर झुकायें,दृष्टि ऊपर की और रहेगी। सांस छोड़ते हुए सीधे हो जायें हाथों को जंघाओं से सटा लें।
12. प्रणामासन.
अब सांस भरते हुए अपने हाथों को धीरे धीरे उठायें प्रणाम की मुद्रा बनायें और छाती पर प्रणाम की मुद्रा में स्थापित करें।
यह एक चक्र हुआ अब आपको यह ध्यान रखना है कि अभी इस चक्र में हमने किस पैर को आगे रखा था। अब दूसरे पैर को आगे रख कर दूसरा चक्र पूरा करना है ।
प्रारम्भ में यह योगासन धीरे धीरे करना चाहिए जब आप इसके अभ्यस्त हो जाये तो तीव्र गति से भी कर सकते है।
सूर्य नमस्कार एवं लाभ
सूर्य नमस्कार का महत्व एवं लाभ आप सूर्य नमस्कार के अभ्यास से होने वाले लाभ/परिणाम को जानकर आश्चर्यचकित हो जायेगें कि इस मात्र एक योगासन से इतने अधिक लाभ हो सकते है। सूर्य नमस्कार योगासन से मात्र शारीरिक ही लाभ नहीं मिलते अपितु इससे आध्यात्मिक और मानसिक लाभ भी प्राप्त होते है। जिनकी चर्चा हम यहॉ पर हम कर रहे है।
सूर्य नमस्कार केवल एक योगासन नही अपितु अनेक योगासनो का अभ्यास किया जाता हैं, जैसे उत्तानासन, अष्टांग नमस्कार, भुजंगासन, पर्वतासन आदि।
सूर्य नमस्कार का मानसिक लाभ
सूर्य नमस्कार योगासन के अभ्यास के दौरान प्रत्येक चरण में श्ंवास का पूरक,कुभक एवं रेचन क्रिया के साथ साथ शारीरिक की एक्सरसाईज भी होती है।
सूर्य नमस्कार के लाभ-
रक्त संचार में सुधार, मजबूत पाचन तंत्र होता है। शरीर में लचीलापन आता है। मानसिक शांति का अनुभव, बुद्धि का विकास होता है। शरीर के विभिन्न जोड़, तंत्रिका तंत्र एवं मेरूदण्ड मजबूत होते है। सकारात्मक विचारों का प्रवाह बनाता है।
अन्य लाभः-
1. सूर्य नमस्कार से वजन नियंत्रित होता है। शरीर में आक्सिजन का प्रवाह बढ़ता है।जिससे शरीर के हानिकारक व जहरीली पदार्थ शरीर से निकालने में मदद मिलती है। और शरीर स्वस्थ हो जाता है।
2. बच्चों के लिए फायदेमंद
आजकल बच्चों में पढ़ाई की इतनी प्रतिस्पर्धा हो गई हैं कि बच्चें इस दबाव में आत्महत्या जैसे कदम भी उठाने लगे है। अगर बच्चों को सूर्यनमस्कार योगासन नियमित रूप से अभ्यास करवाया जाये ंतो बच्चों में सकारात्मकता बढ़्र्र्रेगी। बुद्वि और स्मरण शक्ति का विकास होगा । मन और चित शान्त रहेंगे तों धैर्य भी होगा जब धैर्य होगा तो अधिकांश समस्याओं का समाधान अपने आप निकल आता है।
इस प्रकार हम देखते है कि सूर्यनमस्कार योगासन एक सम्पूर्ण योगासन है जिसका हर उम्र और वर्ग महिला,पुरूष,बच्चे कर सकते है। इसका व्यापक सकारात्मक परिणाम भी हम देखते है। इसलिए यह हर किसी के लिए उपयोगी और लाभदायक है।
सुझावः-
योगासन,प्राणायाम करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आपने इसके सम्बन्ध में अपने चिकित्सक से परामर्श कर लिया है। (यदि आप किसी रोग से पीड़ीत है अथवा रहे है )
आपका प्रशिक्षक, प्रशि़क्षत योग शिक्षक है।
योगासन के लिए आपने सुविधाजनक आसन (मेट) का चयन किया है। आसन कपड़े,ऊन का हो सकता है आजकल बाजार में भी विभिन्न सामग्रियों से निर्मित आसन भी उपलब्ध है। आप उनका भी चयन कर सकते है। परन्तु ध्यान रह,ें आसन अधिक सख्त अथवा नरम भी नहीं होना चाहिए। आसन ऐसा हो जिसमें आप आराम अनुभव करें,आपके लिए असुविधाजनक नहीं होना चाहिए। योगासन के समय साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। जहॉ तक हो सके सूती वस्त्र ही पहनने चाहिए। वस्त्र ऐसे होने चाहिए जिसमें आप अभ्यास के दौरान अपने आपको आराम की स्थिति में महसूस कर सकें, जो न तो अधिक टाईट हो और नहीं इतने ढ़ीले हो की अभ्यास के दौरान आपको उन्हे सम्भालने के लिए भी प्रयास करने पड़े । योगासन के समय आपके पास पानी की बोतल भी होनी चाहिए,बाजार में विभिन्न सामग्रियां से निर्मित बोतल उपलब्ध है परन्तु जहॉ तक हो सके प्लास्टिक की बोतल काम नहीं लेनी चाहिए। बोतल कॉच अथवा ताम्बा की हो अथवा थर्मस टाईप बोतल हो तो अच्छा है। एक सूती तौलिया भी होना चाहिए, ताकि अभ्यास के दौरान पसीना आदि को साफ किया जा सके।
सूर्यनमस्कार योगासन में कितने आसनों का प्रयोग किया गया है एवं कितने चरणों में किया जाता है ?
सूर्यनमस्कार योगासन में प्रणामासन,हस्तउत्तनासन,पादहस्तासन,अश्व संचालनासन,पर्वतासन,अष्टांग नमस्कारऔर भुजंगासन का प्रयोग किया गया है। यह आसन 12 चरणों किया जाता है।
सूर्यनमस्कार के क्या लाभ है?
सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से रक्त संचार में सुधार,मजबूत पाचन तंत्र होता है। शरीर में लचीलापन आता है। मानसिक शांति का अनुभव,बुद्धि का विकास होता है। शरीर के विभिन्न जोड़, तंत्रिका तंत्र एवं मेरूदण्ड मजबूत होते है। सकारात्मक विचारों का प्रवाह बनाता है।
5 responses to “सूर्यनमस्कार कैसे करें। surya namskar kaise kare।”
[…] Read More Suryanamaskar […]
Sampuran yogabhyas
साधारण भाषा में अच्छी जानकारी देने का धन्यवाद
Thanks
very good sampurn sharir ke liye yah yoga ek hi kafi he