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सुप्तवज्रासन विधि,लाभ एवं सावधानियां,Supat Vajrasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.

आज हम चर्चा करेंगे सुप्तवज्रासन विधि,लाभ एवं सावधानियां,Supat Vajrasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan. पर, सुप्त वज्रासन योग में एक प्रमुख आसन है। जो सुप्त यानी लेट कर और वज्र यानी हीरा शब्द से मिल कर बना है। यानी की इस आसन को करने से शरीर हीरा की भॅाती मजबूत बन जाता है। इस आसन को वज्रासन के पोज में पीठ के बल लेट कर किया जाता है। जिसके कारण इसको सुप्त वज्रासन कहा गया है। किसी भी आसन को सही मार्ग दशर्न में किया जाए इनके बहुत ही लाभ है। जिसका हम अपने जीवन में लाभ उठा सकते हैं। यह कमर दर्द, कब्ज,रक्त संचार, पेट की चर्बी, इत्यादि के लिए बहुत लाभदायक योगाभ्यास है।

इस आसन को भोजन करने के बाद भी किया जा सकता है। सुप्त वज्रासन पाचन तंत्र के सुधार के लिए बहुत ही जबरदस्त उपयोगी आसन है।Supat Vajrasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.

                                                                                    Photo -Pixabay

सुप्त वज्रासन क्या हैं,    What is Supta Vajrasana in Hindi

,Supat Vajrasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.सुप्त वज्रसन, वज्रासन का ही एक रूप है । सुप्त वज्रासन एक संस्कृत का शब्द हैं जो कि दो शब्दों से मिलके बना हैं जिसमे पहला शब्द “सुप्त” का अर्थ होता है सोना, और दूसरा शब्द “वज्र” का अर्थ हीरा हैं। यह आसन वज्रासन की स्थिति में आने के बाद पीठ के बल लेटकर किया जाता है।

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अगर हम सुप्त वज्रासन का अभ्यास करने से पहले इन आसनों का अभ्यास कर लेते है, तो वज्रासन करने में हमे अधिक कठिनाई नहीं होगी क्योंकि हमारा शरीर वज्रासन के लिए मुड़ने एवं झुकने के लिए अभ्यस्त हो चुका होगा । अतः इन सरल से योगासनों का हमें अभ्यस्त हो जाना चाहिए।

1.वज्रासन
2.बालासन

सुप्त वज्रासन करने की विधि –       How to do Supta Vajrasana in Hindi

सुप्त वज्रासन करने की विधि :-

  • आज हम चर्चा रहे है, सुप्तवज्रासन विधि,लाभ एवं सावधानियां ,Supat Vajrasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.पर सुप्त वज्रासन करने के लिए आप सबसे पहले किसी शुद्ध और हवादार एवं समतल स्थान पर योगा मेट या चटाई बिछा कर शान्तभाव के साथ बैठ जायें।
  • कुछ लम्बे एवं गहरे श्वांस-प्रश्वांस लें।
  • अब आरामदायक सामान्य स्थिति का अनुभव होने पर आप वज्रासन में बैठ जायें।
  • अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और अपने शरीर को सुप्तवज्रासन के अभ्यास के लिए तैयार करें । अपनी साँस को सामान्य रखें।
  • अब दोनों हाथों को आराम से धीरे धीरे पीछे की ओर ले जाएं (इसमें जल्दबाजी नहीं करें अन्यथा चोट लगने की सम्भावना हो सकती है।) और कोहनी को जमीन पर रख लेंहाथों की कोहनी पर शरीर का थोड़ा थोड़ा भार डालते हुए अपने ऊपर के शरीर को धीरे धीरे पीछे की ओर झुकाते जायें। तब तक झुकाते जाये,जब तक आपके कन्धें एवं सिर जमीन को स्पर्श नहीं कर लें।
  • ध्यान करें आपकी पीठ जमीन को स्पर्श नहीं कर रही हो।
  • अब अपने दोनों हाथों को सीधा करके अपनी दोनों जांघों पर रख लें।
  • सुप्त वज्रासन करने की अवधि को योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में आप धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं।
  • आप इसके 3 से 5 चक्र कर सकते हैं।

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सुप्त वज्रासन के लाभ :-

आज हम चर्चा रहे है, सुप्तवज्रासन विधि,लाभ एवं सावधानियां ,Supat Vajrasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.पर तो सुप्तवज्रासन बहुत ही लाभदायक योगाभ्यास है इसका नियमित अभ्यास हमारे स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण लाभ देता है। जिसमें से कुछ की चर्चा हम कर रहे है।
1.सुप्त वज्रासन पैर और घुटनों को मजबूत बनाता हैः- सुप्तवज्रासन के अभ्यास से आपके पैरों को काफी सक्रिय होना पड़ता है। जिस कारण इनकी मालिश हो जाती है। इनकी जकड़न खत्म हो जाती है। पैरों के जोड़ों में लचीलापन आने के कारण, यह योगाभ्यास पैरों और घुटनों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

2.पाचन तन्त्र के लिए लाभदायकः- जबकि हमको सभी योगाभ्यास के लिए कहा जाता है कि योगाभ्यास हमेशा खाली पेट किये जाने चाहिए परन्तु यह एक ऐसा योगाभ्यास है जिसे हम भोजन करने के उपरान्त भी कर सकते हैं। इस के नियमित अभ्यास से हमारा पाचनतन्त्र स्वस्थ एवं मजबूत बनता है। हमारी आन्तें आदि सभी अंग भली भॉति कार्य कर हमारे शरीर को स्वस्थ एवं मजबूत बनाने में सहयोगी हो सकते है।

3.सुप्त वज्रासन योग रक्त परिसंचरण में सहयोगी : इस आसन का नियमित अभ्यास हमारे शरीर के रक्त संचार को नियमित एवं प्रवाहित बनाने में सहायोगी हो सकता है।जिससे हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में सहयोगी बनता हैं।

4.कब्ज की समस्या में राहत के लिएः- सुप्त वज्रासन योग के नियमित अभ्यास से हमारे शरीर के पाचनतन्त्र पर बहुत ही प्रभावी असर होता है। जिस कारण हमारी कब्ज सम्बन्धी समस्याओं का समापन करने में सुप्तवज्रासन महत्वपूर्ण रूप से सहयोगी होता है।

5.मेरूदण्ड के लिए लाभदायक :-सुप्त वज्रासन के नियमित अभ्यास से हमारे मेरूदण्ड पर काफी असर आता है। यह आपने सुप्तवज्रासन के अभ्यास के दौरान भी अनुभव किया होगा। यह अनुभव ही मेरूदण्ड को स्वस्थ एवं मजबूत बनता है। मेरूदण्ड का महत्व हम सभी जानते है मेरूदण्ड स्वस्थ होने पर शरीर की पीठ दर्द, कमर दर्द जैसी काफी समस्याएं अपने आप सही हो जाती है। अतः यह आसन मेरूदण्ड के लिए काफी लाभदायक है अतः इसे हमे अपनी दैनिक चर्या में शामिल करना चाहिए।

6.फेफड़ों के लिए लाभदायकः- सुप्तवज्रासन के अभ्यास में हमने अनुभव किया है कि इसके अभ्यास के दौरान हमारी पसलियॉ एवं फेफड़ों पर काफी खिंचाव आता है। जिससे इनमें फैलाव होता है। जिससे हमारे इन अंगों की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है। शरीर को आक्सीजन की आपूर्ति में सुधार होता है।

7.ढ़ीले पेट के लिएः- इस सुप्तवज्रासन के अभ्यास से हमारे पेट पर काफी खिंचाव महसूस होता ह। जिस कारण हमारे पेट की मांसपेशिया स्वस्थ बनती है और हमारे पेट की ढ़ीली एवं लटकती चमड़ी स्वस्थ होकर हमारे पेट को सुड़ोल बनाने में सहयोगी बन सकती है।
8.पेट एवं कमर के मोटापा को कम करने में सहयोगीः-चुंकि सुप्तवज्रासान के अभ्यास का सबसे अधिक प्रभाव हमारे पेट पर ही पड़ता है।अतः इसका नियमित एवं उचित मार्गदर्शन में किये गये अभ्यास से हमारे पेट, कमर एवं जांघ,कुल्हों के आसपास की चर्बी,वसा को पिघला कर इन भागों को सुड़ौल बनाने मे सहयोगी हो सकता है।

9.स्वभाव में सकारात्कता को बढ़ावाः- सुप्तवज्रासन के अभ्यास में हमारा सिर निचे की ओर झुका हुआ होता है। जिस कारण रक्त का प्रवाह हमारे सिर में पर्याप्त मात्रा में पहुंचता है । जिससे मस्तिष्क स्वस्थ बनता है और स्वस्थ मस्तिष्क हमेशा सकारात्मक विचारों से भरा होता है। जिस कारण नकारात्मक विचारों का नाश होकर सकारात्कता का विकास होने में सहायक बन सकता है। मानसिक तनाव को कम करने में भी सहयोगी हो सकता है।

10.प्रजनन क्षमता में लाभदायक – सुप्त वज्रासन के अभ्यास से हमारे श्रोणी क्षेत्र पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस अभ्यास से हमारे श्रोणी क्षेत्र में स्थित हमारे जननांगों पर खिंचाव आता है, जिससे उनकी अच्छी मालिश हो जाती है और वे अधिक सक्रिय एवं स्वस्थ बन जाते है। परन्तु इसके लिए हमें सुप्तवज्रासन का नियमित एवं विधिपूर्वक अभ्यास करना चाहिए।
11.सुप्तवज्रासन का नियमित अभ्यास हमारे शरीर को लचीला बनाता है।
12.सुप्तवज्रासन का नियमित अभ्यास हमारे शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
13.सुप्तवज्रासन का नियमित अभ्यास करने से हम अपने आप को हल्का एवं स्वस्थ महसूस करते है।

 

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सुप्त वज्रासन योग सावधानी :-

आज हम चर्चा रहे है, सुप्तवज्रासन विधि,लाभ एवं सावधानियां ,Supat Vajrasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.पर तो:-

1.किसी प्रकार की पेट की समस्या होने पर सुप्तवज्रासन नहीं करना चाहिए।
2.कमर दर्द में भी इसका अभ्यास न करें।

3.उच्च रक्तचाप के रोगी इस आसन को ना करें।
4.घुटनों के दर्द से परेशान व्यक्ति इस आसन को करने से बचें।
5.यदि आपकी गर्दन में दर्द हैं तो आप इस अभ्यास को ना करें।
6.यदि आपको पीठ के दर्द की समस्या हैं तो आपको इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
7.गर्भवती या मासिक धर्म के समय महिलाओं को सुप्तवज्रासन नहीं करना चाहिए।
8.किसी प्रकार की शारीरिक समस्या होने पर अपने चिकित्सक या योग प्रशिक्षक से परामर्श करना चाहिए।

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निष्कर्ष
सुप्त वज्रासन एक ऐसा आसन है जो शरीर और मन दोनों को स्वस्थ बनाने में सहयोग करता हैं। इसके अनेकों लाभ है इसका नियमित एवं सही मार्गदर्शन में किया गया अभ्यास आपके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।

इस लेख का उद्ेश्य योग सम्बन्धी जानकारी देना है। चिकित्सा के दृष्टिकोण से अपने चिकित्सक एवं योग प्रशिक्षक से परामर्श करने के उपरान्त ही योगाभ्यास का करना चाहिए।

FAQ

supta vajrasan

हॉ , महिलाओं को सुप्तवज्रासन करना चाहिए,अगर योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में इसके नियमित अभ्यास से पुरूष हो या महिला सभी के प्रजनन अंगों पर समारात्मक प्रभाव पड़ता है। यौन दुर्बलताएं समाप्त होती है। सन्तान प्राप्ति के लिए भी यह आसन सहयोगी हो सकता है। गर्भावस्था एवं मासिकधर्म के समय महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
सुप्त वज्रासन करने के लिए आप सबसे पहले किसी शुद्ध और हवादार एवं समतल स्थान पर योगा मेट या चटाई बिछा कर शान्तभाव के साथ बैठ जायें। कुछ लम्बे एवं गहरे श्वांस-प्रश्वांस लें। अब आरामदायक सामान्य स्थिति का अनुभव होने पर आप वज्रासन में बैठ जायें। अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और अपने शरीर को सुप्तवज्रासन के अभ्यास के लिए तैयार करें । अपनी साँस को सामान्य रखें। अब दोनों हाथों को आराम से धीरे धीरे पीछे की ओर ले जाएं (इसमें जल्दबाजी नहीं करें अन्यथा चोट लगने की सम्भावना हो सकती है।) और कोहनी को जमीन पर रख लेंहाथों की कोहनी पर शरीर का थोड़ा थोड़ा भार डालते हुए अपने ऊपर के शरीर को धीरे धीरे पीछे की ओर झुकाते जायें। तब तक झुकाते जाये,जब तक आपके कन्धें एवं सिर जमीन को स्पर्श नहीं कर लें। ध्यान करें आपकी पीठ जमीन को स्पर्श नहीं कर रही हो। अब अपने दोनों हाथों को सीधा करके अपनी दोनों जांघों पर रख लें। सुप्त वज्रासन करने की अवधि को योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में आप धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं। आप इसके 3 से 5 चक्र कर सकते हैं।
सुप्तवज्रासन बहुत ही लाभदायक योगाभ्यास है इसका नियमित अभ्यास हमारे स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण लाभ देता है। जिसमें से कुछ की चर्चा हम कर रहे है। 1.सुप्त वज्रासन पैर और घुटनों को मजबूत बनाता हैः- 2.पाचन तन्त्र के लिए लाभदायकः- 3.सुप्त वज्रासन योग रक्त परिसंचरण में सहयोगी : 4.कब्ज की समस्या में राहत के लिएः- 5.मेरूदण्ड के लिए लाभदायक :- 6.फेफड़ों के लिए लाभदायकः 7.ढ़ीले पेट के लिएः- 9.स्वभाव में सकारात्कता को बढ़ावाः- 10.प्रजनन क्षमता में लाभदायक 11.सुप्तवज्रासन का नियमित अभ्यास हमारे शरीर को लचीला बनाता है। 12.सुप्तवज्रासन का नियमित अभ्यास हमारे शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। 13.सुप्तवज्रासन का नियमित अभ्यास करने से हम अपने आप को हल्का एवं स्वस्थ महसूस करते है।
हॉ, योग में यही एक ऐसा योगाभ्यास है, जो भोजन करने के बाद किया जा सकता है। भोजन के बाद करने से इस आसन के पाचनतन्त्र सभ्बन्धी अनेकों लाभ मिलते है। भोजन के बाद इस योगाभ्यास को अवश्य करना चाहिए।

 

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