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शरीर और मन को डिटॉक्स करें 1 उपाय।Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.

 

1.उपवास क्या है 

Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.शरीर और मन को डिटॉक्स करने का 1 उपाय है उपवास,उपवास एक निश्चित अवधि के लिए भोजन और पेय से स्वैच्छिक परहेज़ है। यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक प्राचीन अभ्यास है। उपवास के कई प्रकार हैं, जिनमें भोजन और पानी से पूर्ण परहेज़ से लेकर विशिष्ट खाद्य पदार्थों या कैलोरी सेवन को सीमित करना शामिल है।

उपवास शरीर को विश्राम देने की क्रिया भी कही जा सकती है। क्योंकि हम हमेशा जब चाहा जैसा चाहा भोजन या भोज्य पदार्थो का सेवन करते रहते है। जिसका कोई समय अथवा मात्रा नहीं होती है। हमारे शरीर को एक भण्डार गृह की भॉति हम भरते रहते है। जिससे उसकी सेहत बिगड़ती भी रहती है,परन्तु हम अपने स्वाद के चक्कर में इसकी कोई परवाह नहीं करते है।उपवास वास्तव में शरीर की आवश्यक क्रिया है,जिसे हर मावन को करना चाहिए।

यहॉ तक की पशु भी उपवास की महिमा को जानते है। आपने घर पर पालतु कुतों को देखा होगा, कई कुते सप्ताह में एक दिवस भोजन का त्याग रखते है। अन्य पालतू पशुओं को भी देखा होगा,जब वे बिमार होते है तो भोजन का त्याग कर देते हैं।इस प्रकार उपवास का अर्थ हुआ,पूर्णतः ईन्द्रियों के वश मे नहीं रह कर कम से कम हम अपने भोजन पर नियन्त्रण करना सीखतें है। भोजन पर नियन्त्रण करने से आदमी मरता तो नहीं है। बल्कि उसके शरीर के विजातिय तत्वों को शरीर भोजन के रूप में खा कर अथवा शरीर से बाहन निकाल कर शरीर को शुद्ध अवश्य करता है।

उपवास की परम्परा सदियों से विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में निभाई जाती रही है। हालॉकि उपवास के नाम धर्म के अनुसार भिन्न भिन्न हो सकते है। जैसे :-

जैसे, इस्लाम में रमज़ान, यहूदी धर्म में योम किप्पुर आदि आदि

  • आध्यात्मिक उपवास (जैसे, बौद्ध धर्म, ईसाई धर्म)
  • स्वास्थ्य और कल्याण उपवास (जैसे, रुक-रुक कर उपवास, जूस उपवास)
  • सांस्कृतिक उपवास (जैसे, हिंदू धर्म में नवरात्रि)

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2.उपवास क्यों करना चाहिए ?  (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)

 


उपवास को कुछ लोग एक धार्मिक क्रिया मानते है। परन्तु यह पूर्णतः सत्य नहीं है। उपवास हमें धार्मिक विश्वास के साथ साथ शारीरिक स्वास्थ्य भी देता है।जब हम बिमार पड़ते हैं तो हमारी आन्तरिक शक्ति हमारे शरीर को स्वस्थ करने पर अपनी समस्त ताकत लगा देती है। समस्त शरीर सक्रिय हो जाता है। जब हम उपवास करते है,तो हमारे शरीर को दैनिक रूप से मिलने वाला भौजन नहीं मिलता तब वह भोजन के रूप में शरीर की अतिरिक्त वसा,अन्य विषैले तत्वों का भक्षण करने लगता है। जिससे शरीर के विषैले तत्वों का अन्त होकर शरीर स्वास्थ्य को प्राप्त होता है।


कुछ लोग तंज के रूप में उपवास को मरने का कारण बताने लगते है। जबकि वास्तविकता है कि शरीर अपने पौषण की आवश्यकताएं शरीर में पहले से जमा अतिरिक्त वसा,जल आदि से प्राप्त करता रहता है। जिससे शरीर दुबला हो सकता है परन्तु मानव मर नहीं सकता है। जब शरीर अपना पौषण शरीर के आवश्यक अगों से करने लगता है। तब शरीर के मरने की स्थिति पैदा होती है।
परन्तु उपवास रखने वाले साधकों को ज्ञान होता है कि कब उपवास खत्म करना होता है।

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3.उपवास के लाभ क्या हैं?  (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)

 


उपवास के लाभ अनगिनत हैं! उपवास को अपनी जीवनशैली में शामिल करने के कुछ लाभ इस प्रकार हैंः
माना जाता है कि उपवास से कई लाभ मिलते हैं, जिनमें शामिल हैंः

3.1.उपवास और शारीरिक स्वास्थ्यः-  (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)

 

उपवास और शारीरिक स्वास्थ्य का आपस में गहरा संबंध है। उपवास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कुछ समय के लिए भोजन और पेय से परहेज किया जाता है, जिसका शरीर पर कई तरह के प्रभाव हो सकते हैं।


3.1.1.शारीरिक स्वास्थ्य पर उपवास के लाभः- (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)


3.1.2 डिटॉक्स करना :- उपवास पाचन तंत्र को आराम देता है, जिससे शरीर विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने पर ध्यान केंद्रित कर पाता है।
3.1.2.वजन घटानाः- उपवास से वजन घट सकता है, क्योंकि शरीर ऊर्जा के लिए जमा वसा को जलाता है।
3.1.3. इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधारः उपवास से इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार देखा गया है, जिससे टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम कम होता है।


3.1.4. मृत कौशिकाओं को हटाना : उपवास ऑटोफैगी को उत्तेजित करता है, एक प्राकृतिक प्रक्रिया जिसमें शरीर क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और प्रोटीन को रीसाइकिल करता है और हटाता है।
3.1.5. मानसिक स्पष्टता और ध्यान में वृद्धिः उपवास मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक कारक नामक प्रोटीन के उत्पादन में वृद्धि के कारण मानसिक स्पष्टता और ध्यान में सुधार कर सकता है।

  1. उपवास और मानसिक स्वास्थ्य :-  (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)

     

4.1उपवास और मानसिक स्वास्थ्य पर उपवास के लाभः-

उपवास और मानसिक का आपस में गहरा संबंध है। उपवास से मानसिक और ध्यान को कई तरीकों से बेहतर बनाने में मदद मिलती हैः
4.1.2. मस्तिष्क के न्यूरोट्रॉफ़िक कारक को उत्तेजित करता :- उपवास मस्तिष्क न्यूरोट्रॉफ़िक कारक के उत्पादन को उत्तेजित करता है, जो एक प्रोटीन है। जो स्वस्थ न्यूरॉन्स के विकास और रखरखाव को बढ़ावा देता है, जिससे संज्ञानात्मक कार्य और मानसिक स्पष्टता में सुधार होता है।

4.1.3. मस्तिष्क सूजन कम होनाः उपवास में सूजन-रोधी प्रभाव होते हैं, जो मस्तिष्क में सूजन को कम कर सकते हैं, जिससे मानसिक स्पष्टता में सुधार होता है।जिससे मस्तिष्क सम्बन्धी बीमारियों का जोखिम कम होता है।

4.1.4. ऑक्सीडेटिव तनाव में कमीः उपवास ऑक्सीडेटिव तनाव जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है को कम करता है।
4.1.5. मानसिक अनुशासन में सुधार : उपवास के लिए मानसिक अनुशासन की आवश्यकता होती है। जिससे अधिक आत्म-नियंत्रण और इच्छाशक्ति के विकास के माध्यम से मानसिक स्पष्टता और ध्यान में सुधार हो सकता है।

5.उपवास और आध्यात्मिक विकासः- (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.

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5.1.उपवास और आध्यात्मिक विकास पर उपवास के लाभः- (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)

 

उपवास और आध्यात्मिक विकास का आपस में गहरा संबंध है। आध्यात्मिक विकास, आत्म-जागरूकता और आंतरिक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए सदियों से विभिन्न आध्यात्मिक परंपराओं में उपवास का अभ्यास किया जाता रहा है। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे उपवास आध्यात्मिक विकास का समर्थन करता हैः


5.1.2. आंतरिक शुद्धिः- उपवास शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करने में मदद करता है, उन्हें आध्यात्मिक विकास के लिए तैयार करता है।
5.1.3. आत्म-जागरूकता में वृद्धिः- उपवास आत्म-जागरूकता को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को बेहतर ढंग से समझ पाता है।

5.1.4. माइंडफुलनेस और मेडिटेशनः- उपवास माइंडफुलनेस और मेडिटेशन को प्रोत्साहित करता है, आध्यात्मिक अभ्यास को गहरा करता है और आंतरिक आत्म के साथ जुड़ाव को बढ़ाता है।


5.1.5. वैराग्य और समर्पणः- उपवास सांसारिक आसक्तियों से वैराग्य और उच्च शक्ति के प्रति समर्पण को बढ़ावा देता है, जिससे आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा मिलता है।

5.1.6. ईश्वर से जुड़ावः- उपवास व्यक्तियों को ईश्वर से जुड़ने में मदद करता है, एकता और एकता की भावना को बढ़ावा देता है।

5.1.7. आध्यात्मिक अनुशासनः- उपवास के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है, जो आध्यात्मिक विकास के लिए इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।


5.1.8. आंतरिक मौन और आत्मनिरीक्षणः- उपवास आंतरिक मौन और आत्मनिरीक्षण के लिए जगह बनाता है, जिससे व्यक्ति अपनी आंतरिक दुनिया का पता लगा सकता है और अपनी आध्यात्मिक समझ को गहरा कर सकता है।


5.1.9. करुणा और सहानुभूतिः उपवास करुणा और सहानुभूति को बढ़ाता है, दूसरों और हमारे आस-पास की दुनिया के साथ एक गहरा संबंध विकसित करता है।
5.1.10.आध्यात्मिक नवीनीकरणः- उपवास आध्यात्मिक नवीनीकरण का अवसर प्रदान करता है, शरीर, मन और आत्मा को फिर से जीवंत करता है।
5.1.11. चेतना की उच्च अवस्थाएँः-उपवास चेतना की उच्च अवस्थाओं को सुगम बना सकता है, नई अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण प्रकट कर सकता है।
5.1.12.अपने आध्यात्मिक अभ्यास में उपवास को शामिल करके, व्यक्ति गहन आध्यात्मिक विकास, आंतरिक परिवर्तन और खुद के साथ और अपने आस-पास की दुनिया के साथ एक गहरे संबंध का अनुभव कर सकते हैं।

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6.उपवास और विजातीय तत्वों (डिटोक्स)को निकालनाः- (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)

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6.1.उपवास और विजातीय तत्वों (डिटोक्स) को निकालने का आपस में गहरा संबंध है। उपवास शरीर की प्राकृतिक विजातीय तत्वों (डिटोक्स)को निकालना प्रक्रियाओं को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे उपवास विजातीय तत्वों (डिटोक्स)को निकालना में मदद करता हैः

6.1.1. ऑटोफैगीः- उपवास ऑटोफैगी को उत्तेजित करता है, जो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और प्रोटीन को रीसाइकिल करता है और हटाता है, जिसमें वे भी शामिल हैं जिनमें विषाक्त पदार्थ हो सकते हैं।
6.1.2. लिवर सक्रियणः- उपवास लिवर को सक्रिय करता है, जो विजातीय तत्वों (डिटोक्स)को निकालना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, ताकि शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकाला जा सके।

6.1.3. किडनी का कार्यः- उपवास किडनी के कार्य को बेहतर बनाने में मदद करता है, जिससे शरीर की मूत्र के माध्यम से अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने की क्षमता बढ़ जाती है।
6.1.4.रक्त के परिसंचरण में सुधार :- उपवास रक्त परिसंचरण में सुधार करता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने में मदद करता है।

6.1.5. बढ़ा हुआ उत्सर्जनः- उपवास शरीर की प्राकृतिक उत्सर्जन प्रक्रियाओं को बढ़ाता है, जिसमें पसीना आना, पेशाब करना और मल त्याग करना शामिल है।
6.1.6. सूजन कम करनाः- उपवास में सूजनरोधी प्रभाव होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम कर सकते हैं, जो विषाक्तता का एक सामान्य लक्षण है।
6.1.7. बेहतर पाचनः- उपवास पाचन तंत्र को आराम देता है, जिससे उसे आराम और मरम्मत करने का मौका मिलता है, जिससे पाचन में सुधार हो सकता है और विषाक्त पदार्थों का संचय कम हो सकता है।

6.1.8. एंटीऑक्सीडेंट उत्पादनः- उपवास एंटीऑक्सीडेंट के उत्पादन को उत्तेजित करता है, जो मुक्त कणों को बेअसर करने और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करता है।
6.1.9. प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन :- उपवास प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करता है, जो शरीर से रोगजनक कारकों और विषाक्त पदार्थों को हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उपवास को अपनी दिनचर्या में शामिल करके, व्यक्ति अपने शरीर को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स कर सकते हैं। जिससे समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा मिलता है।

7.उपवास के प्रकारः-  (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)

 


सदियों से विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में उपवास एक अभिन्न अंग रहा है। उपवास के कई प्रकार हैं। जिनमें शामिल हैं :-
7.1.साप्ताहिक उपवास :-इस प्रकार के उपवास सप्ताह में एक बार किये जाते है।
7.2.लघु उपवास :-इस प्रकार के उपवास कम अवधि के लिए किये जाते है,जैसे नवरात्रि में किये जाने वाले उपवास यानि के 3 से 10 दिन तक किये जाने वाले उपवास।

7.3. दीर्घ उपवास :-इस प्रकार के उपवास की कोई निर्धारित अवधि नहीं होती। इस प्रकार के उपवास करने वाले इस व्रत को तब तक निभाते है। जब तक शरीर के विजातीय तत्व शरीर से बाहर नहीं निकल जाते। इस प्रकार का उपवास बिना ज्ञान के अथवा बिना उचित मार्ग दर्शन नहीं करना चाहिए अन्यथा शरीर को हानि हो सकती है।
7.4. निर्जल उपवास :- भोजन और पानी दोनों से परहेज़ किया जाता है।
7.5. जल उपवास :- इस तरह के उपवास में केवल पानी का सेवन किया जाता है।


7.5.आंतरायिक उपवासः-इस प्रकार के उपवास में एक दिन भोजन करना एवं एक दिन बिना खाये उपवास रखना उपवास बारी-बारी से करना।
7.6.आंशिक उपवास :- इस प्रकार के उपवास में विशिष्ट खाद्य समूहों या कैलोरी सेवन को सीमित करना।
7.7. जूस उपवास -ः उपवास के दौरान केवल ताजे फलों और सब्जियों से बने जूस का सेवन करना।Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.

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7.8. आध्यात्मिक उपवास :- इस प्रकार के उपवास के दौरान व्यक्ति का सारा ध्यान धार्मिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों में रहता है जिससे आध्यात्मिक विकास, प्रतिबिंब और उच्च शक्ति के साथ संबंध दृढ़ होते है।

7.9. लम्बे उपवास :- लंबे समय तक उपवास करना, अक्सर चिकित्सकीय देखरेख में।
7.10. प्रातःकालिक उपवासः-इस प्रकार के उपवास में सुबह का नाश्ता नहीं किया जाता है। केवल सुबह और शाम का हल्का भोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य किसी भी प्रकार का भोज्य पदार्थ ग्रहण नहीं किया जाता है।
7.11. सांय कालिक उपवास :- इस प्रकार के उपवास में केवल सांय काल में भोजन बन्द कर दिया जाता है। दिन में केवल एक बार सुपाच्य और हल्का भोजन किया जाता है।

7.12. फल-शाक उपवास :- इस प्रकार के उपवास में केवल फल और शाक का खाने में प्रयोग किया जाता है। अन्न के भोजन का पूर्णतः निषेध होता है।
7.13. दुग्धापवासः- इस प्रकार के उपवास दिनभर में केवल गाय के दूध का सेवन किया जाता है। अन्य किसी भी प्रकार के फल,शाक अथवा अन्न का भोजन या अन्न का सेवन नहीं किया जाता है।
7.14.मठोपवास :- इस प्रकार के उपवास दिनभर में केवल गाय के दूध से बने मठे का सेवन किया जाता है। अन्य किसी भी प्रकार के फल,शाक अथवा अन्न का भोजन या अन्न का सेवन नहीं किया जाता है। यह मठा खट्टा नहीं होना चाहिए,प्राकृतिक रूप से मिठा होना चाहिए न कि अतिक्ति रूप चीनी मिली हुइ हो।

किसी भी प्रकार का उपवास प्रारम्भ करने से पहले और खत्म करने पर आहार ग्रहण करने से पहले एक स्वास्थ्य देखभाल के पेशेवर से परामर्श करना चाहिए, यह उस समय अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जब आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो या आप दवाएँ ले रहें हांं।

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8.उपवास कितनी अवधि के लिए करना चाहिएः-     (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)

उपवास की अवधि का निर्धारण विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें शामिल हैंः

8.1. स्वास्थ्य लक्ष्यः- वजन कम करना, इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार।

8.2. स्वास्थ्य स्थितिः- मधुमेह, निम्न रक्तचाप, या अन्य स्वास्थ्य स्थितियाँ।

8.3. आयु और स्वास्थ्यः- वृद्ध वयस्कों या पुरानी बीमारियों वाले लोगों को कम उपवास की आवश्यकता हो सकती है।

8.4. जीवनशैली और कार्यक्रमः- व्यस्त कार्यक्रम या अनियमित खाने की आदतें।

8.5. व्यक्तिगत आरामः- अपने शरीर की सुनें और उसके अनुसार उपवास की अवधि को समायोजित करें।

9.सामान्य उपवास अवधिः-  (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)

9.1. 12-14 घंटे का उपवास :- बुनियादी उपवास, अधिकांश वयस्कों के लिए उपयुक्त।

9.2. 16-18 घंटे का उपवासः- मध्यम उपवास, उन लोगों के लिए जो छोटे उपवासों के साथ सहज हैं।

9.3. 24 घंटे का उपवास :- विस्तारित उपवास, उन लोगों के लिए जो अधिक लाभ चाहते हैं।

9.4. 48 घंटे का उपवास :- लंबे समय तक उपवास, अनुभवी व्यक्तियों के लिए जो गहन लाभ चाहते हैं।

याद रखें, छोटे उपवास से शुरू करें और धीरे-धीरे अवधि बढ़ाएँ क्योंकि आपका शरीर अनुकूल हो जाता है। अपने शरीर की बात सुनना और उसके अनुसार अपने उपवास के कार्यक्रम को समायोजित करना ज़रूरी है। अगर आप उपवास करने के लिए नए हैं, तो मार्गदर्शन के लिए किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से सलाह लें।


10.उपवास में क्या खाना चाहिए।   (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)

 


उपवास के दौरान, पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना ज़रूरी है जो ऊर्जा प्रदान करते हैं, समग्र स्वास्थ्य का समर्थन करते हैं और वापसी के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। यहाँ कुछ खाद्य पदार्थ और पेय दिए गए हैं जो आमतौर पर उपवास के दौरान खाए जाते हैंः

10.1. पानीः- उपवास के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी पीना ज़रूरी है। पूरे दिन खूब पानी पिएँ।
10.2. ताजे फलः- संतरे, अंगूर और तरबूज जैसे ताजे, रसीले फल ऊर्जा और पोषक तत्वों के बेहतरीन स्रोत हैं।
10.3. सब्जियों का जूसः- खीरे, गाजर, चुकंदर और पालक से बने ताजे सब्जियों के जूस पौष्टिक और ताज़गी देने वाले होते हैं।

10.4. हर्बल चायः- पुदीना और अदरक जैसी हर्बल चाय शरीर को आराम और शांति प्रदान करने में मदद कर सकती है।

10.5. पोषक तत्वों से भरपूर सूप :- सब्जियों से बने साफ़ सूप ज़रूरी इलेक्ट्रोलाइट्स और पोषक तत्व प्रदान कर सकते हैं।

10़.6. नारियल पानीः- नारियल पानी इलेक्ट्रोलाइट्स का एक प्राकृतिक स्रोत है और तरल पदार्थों की पूर्ति करने में मदद कर सकता है।
10.7. स्वस्थ वसाः- नट्स, बीज, एवोकाडो और जैतून का तेल स्वस्थ वसा से भरपूर होते हैं जो ऊर्जा और समग्र स्वास्थ्य का बनाए रखने में सहायक होते हैं।

10.8. प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थः- टोफू और फलियाँ जैसे प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ मांसपेशियों और ऊर्जा को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।

10.9. इलेक्ट्रोलाइट युक्त खाद्य पदार्थः- केले (पोटेशियम), खजूर (पोटेशियम) और नारियल पानी (पोटेशियम, मैग्नीशियम) जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर खाद्य पदार्थ खोए हुए इलेक्ट्रोलाइट्स को फिर से भरने में मदद कर सकते हैं।

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11.किन व्यक्तियों को उपवास नहीं करना चाहिए।   (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)

 

कुछ व्यक्तियों को उपवास से बचना चाहिए या सावधानी से इसे अपनाना चाहिएः

11.1. बच्चे और किशोरः-उपवास के दौरान पोषण की कमी हो सकती है जिस कारण बच्चों एवं किशोरों का शारीरिक एवं मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है।

11.2. गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएँः-उपवास के दौरान पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।जिस कारण गर्भवती महिलाओं के भ्रूण या स्तनपान करानेवाली महिलाओं के शिशु को आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित करना पड़ सकता है।

11.3. बुजुर्ग व्यक्तिः-बुजुर्ग व्यक्तियों को उपवास से कुपोषण, निर्जलीकरण और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है।

11.4. पुरानी बीमारियों वाले लोग :-
मधुमेह (विशेष रूप से टाइप 1),निम्न रक्तचाप,हृदय रोग,
गुर्दे की बीमारी,लिवर रोग,खाने के विकार,कुपोषण,अंग प्रत्यारोपण के व्यक्ति।
11.5. कुछ दवाएँ लेने वाले व्यक्ति :-
इंसुलिन या मौखिक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट,रक्त पतला करने वाली दवाएँ,रक्तचाप, हृदय रोग या गुर्दे की बीमारी के लिए दवाएँ।
11.6. कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग :-
एचआईवी/एड्स,कैंसर, इम्यूनोसप्रेसिव दवाएँ लेना

11.7. हाल ही में सर्जरी करवाने वाले लोग।
11.8. मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति वाले व्यक्तिः
गंभीर अवसाद,चिंता विकार,मनोवैज्ञानिक विकार

उपवास शुरू करने से पहले, यह निर्धारित करने के लिए किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से सलाह लें कि क्या उपवास आपके लिए सुरक्षित है। वे आपको लाभ और जोखिम का मूल्यांकन करने और एक व्यक्तिगत योजना बनाने में मदद कर सकते हैं।

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12.उपवास के कारण होने वाली सम्भावित हानियॉ/या उपवास के समय रखनें वाली सावधानियांः-                                                      (Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.)

12.1. निर्जलीकरणः- अपर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन निर्जलीकरण का कारण बन सकता है, खासकर लंबे उपवास के दौरान। अतः उपवास के दौरान पर्याप्त मात्रा में जल/रसों का सेवन करना चाहिए।

12.2. पोषक तत्वों की कमीः- उपवास के दौरान पर्याप्त मात्रा शरी में पोषक तत्वों का सेवन बन्द हो जाता है। अतः शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने संभावना बन जाती है खासकर अगर आहार अच्छी तरह से योजनाबद्ध से नहीं किया जाये है।

12.3. निम्न रक्त शर्करा :- उपवास से रक्त शर्करा का स्तर गिर सकता है, जिससे संभावित रूप से हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है।

12.4. हाइपोटेंशन (निम्न रक्तचाप)ः- उपवास से रक्तचाप में गिरावट हो सकती है, जिससे संभावित रूप से चक्कर आना और बेहोशी हो सकती है।

12.5. थकान और कमजोरीः- उपवास से शारीरिक और मानसिक थकान हो सकती है, खासकर शुरुआती चरणों में।
12.6. सिरदर्द और चक्कर आनाः- उपवास से रक्त शर्करा और इलेक्ट्रोलाइट के स्तर में बदलाव के कारण सिरदर्द और चक्कर आ सकते हैं।
12.7. मतली और उल्टीः- कुछ व्यक्तियों को उपवास के दौरान मतली और उल्टी का अनुभव हो सकता है।

12.8. मांसपेशियों का नुकसानः- उपवास के दौरान अपर्याप्त प्रोटीन का सेवन मांसपेशियों के नुकसान का कारण बन सकता है।
12.9. हार्मोनल परिवर्तनः- उपवास हार्मोन के स्तर को प्रभावित कर सकता है, जिससे संभावित रूप से मूड, ऊर्जा और कामेच्छा में बदलाव हो सकता है।

12.10. कुछ स्वास्थ्य स्थितियों पर प्रतिकूल प्रभावः- मधुमेह, निम्न रक्तचाप या खाने के विकारों के इतिहास जैसी कुछ स्वास्थ्य स्थितियों वाले व्यक्तियों के लिए उपवास उपयुक्त नहीं हो सकता है।

12.11. सामाजिक और भावनात्मक चुनौतियाँः- उपवास सामाजिक और भावनात्मक चुनौतियों का कारण बन सकता है, खासकर अगर यह रिश्तों या दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करता है।

12.12. श्रमसाध्य गतिविधियों से बचेंः- उपवास के दौरान आराम करें और शारीरिक परिश्रम से बचें।

12.12. अपने स्वास्थ्य की निगरानी करेंः- ज़रूरत के हिसाब से अपने ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और अन्य महत्वपूर्ण संकेतों पर नज़र रखें।

12.13. इलेक्ट्रोलाइट्स का ध्यान रखेंः- असंतुलन को रोकने के लिए खाद्य पदार्थों या सप्लीमेंट्स के ज़रिए इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति करें।

12.14. अत्यधिक मौसम के दौरान उपवास से बचेंः- अत्यधिक गर्मी या ठंड में उपवास करना खतरनाक हो सकता है,इससे बचना चाहिए।

12.15. दवाओं के बारे में जागरूक रहेंः- अपनी दवाइयों के शेड्यूल को आवश्यकतानुसार समायोजित करें, और अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करते रहना चाहिए।

12.16. पर्याप्त नींद लेंः- आराम को प्राथमिकता दें और उपवास के दौरान 7-8 घंटे की नींद का लक्ष्य रखें।

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इस प्रकार हम देखते है कि अगर उपवास को पूर्ण जानकारी एवं परामर्श के साथ किया जाये तो यह शरीर के साथ साथ मानव का आध्यात्मिक विकास भी सुधार देता है। अगर लापरवाही या अज्ञानता से उपवास किया जाये तो शरीर को नुकसान भी पहॅुचा सकता है। इसलिए उपवास हमेशा जानकारी एवं परामर्श के अनुसार करना चाहिए।

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इस पोस्ट का उद्देश्य उपवास सम्बन्धी जानकारी देना है। उपवास करने से पूर्व किसी पेशेवर से इस सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।
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upwas

उपवास हमें धार्मिक विश्वास के साथ साथ शारीरिक स्वास्थ्य भी देता है। जब हम बिमार पड़ते हैं तो हमारी आन्तरिक शक्ति हमारे शरीर को स्वस्थ करने पर अपनी समस्त ताकत लगा देती है। समस्त शरीर सक्रिय हो जाता है। जब हम उपवास करते है,तो हमारे शरीर को दैनिक रूप से मिलने वाला भौजन नहीं मिलता तब वह भोजन के रूप में शरीर की अतिरिक्त वसा,अन्य विषैले तत्वों का भक्षण करने लगता है। जिससे शरीर के विषैले तत्वों का अन्त होकर शरीर स्वास्थ्य को प्राप्त होता है।
उपवास के लाभ अनगिनत हैं! उपवास को अपनी जीवनशैली में शामिल करने के कुछ लाभ इस प्रकार हैंः माना जाता है कि उपवास से कई लाभ मिलते हैं, जिनमें शामिल हैंः 1. डिटॉक्स करना :- 2.वजन घटानाः 3. इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधारः 4. मृत कौशिकाओं को हटाना : 5. मानसिक स्पष्टता और ध्यान में वृद्धिः 6. मस्तिष्क के न्यूरोट्रॉफ़िक कारक को उत्तेजित करता :- 7. ऑक्सीडेटिव तनाव में कमीः 8. मानसिक अनुशासन में सुधार : 9. आंतरिक शुद्धिः- 10. आत्म-जागरूकता में वृद्धिः- 11. वैराग्य और समर्पणः- 12. ईश्वर से जुड़ावः- 13. आध्यात्मिक अनुशासनः- 14.आध्यात्मिक नवीनीकरणः- 15.अपने आध्यात्मिक अभ्यास में उपवास को शामिल करके, व्यक्ति गहन आध्यात्मिक विकास, आंतरिक परिवर्तन और खुद के साथ और अपने आस-पास की दुनिया के साथ एक गहरे संबंध का अनुभव कर सकते हैं। 16.रक्त के परिसंचरण में सुधार :- 17. बेहतर पाचनः- 18. प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन :-
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One response to “शरीर और मन को डिटॉक्स करें 1 उपाय।Shareer aur man ko ditox karen 1 upaay.”

  1. Saroj Avatar

    Good

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