सर्वांगासन की विधि,लाभ एवं सावधानियों। Sarwangasan Ki Vidhi,Labh Evm Savdhaniyan.
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सर्वांगासन की विधि,लाभ एवं सावधानियों। Sarwangasan Ki Vidhi,Labh Evm Savdhaniyan.
आज हम बात कर रहे है सर्वांगासन की विधि,लाभ एवं सावधानियों। Sarwangasan Ki Vidhi,Labh Evm Savdhaniyan.की,वैसे आप सभी योग की शक्ति से भली भॉति परिचित है। योग को अगर हम अपनी दैनिक जीवनचर्या में शामिल करते है तो एक तरह से हम अपने शरीर को दैनिक रूप से चार्ज करने की शक्ति प्राप्त करते रहते है। जिससे हमारे शरीर में चुस्ती स्फूर्ति बनी रहती है। हम स्वस्थ बने रहते है।
TABLE
क्र.स.
विषय वस्तु
1
सर्वांगासन Sarwangasan का परिचय-
2
सर्वांगासन Sarwangasan करने की विधि
3
सर्वांगासन Sarwangasan के लाभ
4
सर्वांगासन Sarwangasan के अभ्यास में ध्यान योग्य बातें-
आज हम बात कर रहे है सर्वांगासन की विधि,लाभ एवं सावधानियों। Sarwangasan Ki Vidhi,Labh Evm Savdhaniyan.की ,सर्वांगासन संस्कृत शब्द सर्व + अंग+ आसन से बना है जिसका अर्थ है शरीर के सम्पूर्ण अंगों की मुद्रा। अर्थात इस आसन के अभ्यास से शरीर के सम्पूर्ण अंग प्रभावित होते है।
इस योगासन के अभ्यास से शरीर के सम्पूर्ण अंगों को स्वस्थ एवं सक्रिय रखा जा सकता है। नियमित एवं विधिपूर्वक किये गये अभ्यास से ही हम इस योगासन के प्रभावी लाभ प्राप्त कर सकते है।
सर्वांगासन Sarwangasan के नियमित अभ्यास से हमारी रक्त परिसंचरण सुधारता है। कन्धे,कमर,मेरूदण्ड,पेट एवं पैरों आदि को बहुत ही लाभ मिलता है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर आम और खास सभी आदमी न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी परेशान रहता है,सर्वांगासन इन सभी शारीरिक एवं मानसिक परेशानियों से छुटकारा दिलाने में सहायक सिद्ध हो सकता है, तब, जब इसे उचित मार्गदर्शन में योग्य गुरू के सानिध्य में किया जाये।
आज हम बात कर रहे है सर्वांगासन की विधि,लाभ एवं सावधानियों। Sarwangasan Ki Vidhi,Labh Evm Savdhaniyan.की
1.किसी शान्त एवं शोरगुल से मुक्त शान्त वातावरण में समतल स्थान पर योगा मेट या चटाई बिछा कर शान्त भाव के साथ पीठ के बल लेट जायें।
2. अपने दोनों हाथों को अपने शरीर के साथ जमीन पर टिकाए रखें।
3.श्वांस-प्रश्वांस सामान्य गति से प्रवाहित होने दें।
4.अपने दोनों पैरों को जांघों से लेकर अपनी ऐड़ियों तक आपस में सटाकर रखते हुए,बिना घुटनों को मोड़े सीधे ऊपर की ओर उठाऐ।
5. अपने शरीर का इतना ऊपर की ओर उठाएं कि आपके शरीर का समस्त भार आपके कन्धों पर आ जाये।
6. इस स्थिति में आपके पैर,कमर एकदम सीधी एवं कन्धों की सीध में होनी चाहिए।
7. अगर आपको प्रारम्भ में कोई कठिनाई अनुभव हो रही हो तो आप अपने हाथों से अपनी कमर को सहारा दे सकते है। पूर्ण अभ्यास होने पर इस स्थिति में आप बिना किसी सहारे के भी इस सर्वांगासन का अभ्यास कर पायेगें।
8. इस स्थिति में आप आधा मिनट से 2 मिनट तक रह सकते है।
9. आसन के अभ्यास के दौरान अपने पैरों को ऊपर ले जाते समय एवं नीचे उतारते समय अंतःकुम्भक करना चाहिए।
10.आसन की समाप्ति करने के लिए अपने पैरों को धीरे धीरे नीचे लाये,झटके के साथ नहीं।( अन्यथा हानी होने की सम्भावना बन सकती है।)
योगासन कोई भी उसी सही तरीके एवं लय से किया जाये तभी उसे आशानुरूप लाभ प्राप्त किये जा सकते है। आज हम बात कर रहे है सर्वांगासन की विधि,लाभ एवं सावधानियों। Sarwangasan Ki Vidhi,Labh Evm Savdhaniyan.की जो इस प्रकार है-
1.कन्धे , गर्दन मजबूत बनते है।
सर्वांगासन Sarwangasan के अभ्यास के समय हमारे शरीर का समस्त वजन हमारे कन्धों एवं गर्दन पर आ जाता है। जिससे हमारे कन्धों एवं गर्दन की एक्सरसाईज हो जाती है ,जो हमारे कन्धे एवं गर्दन को मजबूती देने में सहायक होती है। जिससे कन्धों एवं गर्दन की जकड़,अकड़न की समस्या में समाधान होने में सहायता मिलती है।
2.फूली हुई नसों (वेरिकोज वेन्स)में राहत।
कई लोगों के पैरों की नसों में खून के प्रवाह की कमी के कारण नसों में सूजन आने पर वे उभर कर बाहर भी दिखाई देने लगती है। जो कि इन लोगों के लिए कष्टदायक होता है।
अगर सर्वांगासन Sarwangasan का नियमित अभ्यास किया जाये तो इस समस्या में भी राहत मिलती है।
3.पीठ एवं मेरूदण्ड को मजबूत बनाता है-
जब हम सर्वांगासन Sarwangasan का अभ्यास करते है तो हमारी पीठ एवं मेरूदण्ड को ऊपर की ओर उठाने के समय एवं योगाभ्यास के दौरान शरीर का बैलेंस बनाने में हमारी पीठ एवं मेरूदण्ड का काफी अभ्यास हो जाता है,जो पीठ एवं मेरूदण्ड को मजबूत एव्ां स्वस्थ रखने का कारण बनता है।
4.महिलाओं में गर्भाश्य के लिए लाभदायक-
वैसे तो यह Sarwangasan योगाभ्यास महिलाओं को अपने चिकित्सक के परामर्श से करना चाहिए।
इस योगाभ्यास से हमारे श्रोणि क्षेत्र काफी प्रभावित रहते है। इस अभ्यास से हमारे श्रोणि क्षेत्र में रक्त का प्रवाह निर्बाध होने से यह इस क्षे़त्र में स्थिति हमारे अगों विशेषकर गर्भाशय,प्रजनन प्रणाली एवं पाचन तन्त्र के लिए लाभदायक होता है।
सर्वांगासन Sarwangasan के अभ्यास में हमारा पूरा शरीर एक तरह से उल्टी स्थिति में होता है। जिस कारण हमारे सम्पूर्ण शरीर का रक्त हमारे फेफड़ों एवं हृद्य की ओर प्रवाहित होने लगता है। रक्त की निर्बाध आपूर्ति हमारे हृद्य को होने के कारण हृद्य स्वस्थ एवं सक्रिय बनाने में यह योगाभ्यास सहायक सिद्ध होता है।
6.स्मरण शक्ति बढ़ाने वाला-
सर्वांगासन Sarwangasan के अभ्यास से हमारे शरीर के रक्त का प्रवाह हमारे मस्तिष्क की ओर होने के कारण मस्तिष्क को रक्त की पर्याप्त आपूर्ति मिलती है। जिससे मस्तिष्क के स्वस्थ होने के कारण स्मरण शक्ति तेज होती है। हमारे सिर के बाल असमय सफेद नहीं होते आदि, मस्तिष्क सम्बन्धी अनेकों लाभ मिलते है।
7.हार्मोंस को सन्तुलन में सहायक-
सर्वांगासन Sarwangasan के अभ्यास से हमारी थायरायड ग्रन्थी प्रभाव पड़ता है। जिससे वह सक्रिय होकर हार्मोन्स के स्त्राव का सन्तुलन बनाकर रखती है।
8.मानसिक तनाव का दूर करने में सहायक-
सर्वांगासन Sarwangasan के अभ्यास से हमारे मस्तिष्क को रक्त एवं ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति मिलती है। जिससे मानसिक स्वास्थ्य को बल मिलता है। मानसिक आलस्य एवं थकान को खत्म करने में सहायक होता है। हमारे मस्तिष्क में आने वाले नकारात्मक विचारों को हटाने में मद्द करता है। मन शान्ति एवं मस्तिष्क को तनाव मुक्त रखने में सहायक होता है।
9.वजन कम करने में सहायक-
सर्वांगासन Sarwangasan के नियमित अभ्यास के दौरान आपने अनुभव किया होगा कि इसका अभ्यास हमारे पेट,नितम्बों,सीने,एवं पैरों का प्रभावित करता है। इस प्रभाव के कारण हमारे इन अंगों पर जमा अतिरिक्त चर्बी सर्वांगासन Sarwangasan के नियमित अभ्यास से हटाने में मदद मिलती है। जिससे यह अंग सुडोल एवं पुष्ट बनते है।
10.आंखों के लिए लाभदायक-
इस Sarwangasan योगाभ्यास के नियमित अभ्यास का सर्वाधिक प्रभाव हमारे सिर पर पड़ता है,जिस कारण हमारे आंखें स्वस्थ एवं रोशनी तेज बनती है।
4-सर्वांगासन Sarwangasan के अभ्यास में ध्यान योग्य बातें-
आज हम बात कर रहे है सर्वांगासन की विधि,लाभ एवं सावधानियों। Sarwangasan Ki Vidhi,Labh Evm Savdhaniyan.की सर्वांगासन हमेशा किसी योगा प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए। ताकि वे इसके लाभ,सावधानियों,विधियों आदि के बारे में बारीकी से अवगत करवा सकें।
1.सर्वांगासन Sarwangasan का अभ्यास करते समय अपने साथ कोई सहायक अवश्य रखें ताकि पैरों को ऊंचा करते समय वह आपके शारीरिक सन्तुलन को संभालने में आपकी सहायता कर सके ,तथा प्रारम्भिक दिनों में इस आसन का अभ्यास किसी दिवार के सहारे करना चाहिए।
2.इस Sarwangasan योगाभ्यास में किसी प्रकार की असुविधा होने पर इस अभ्यास को बन्द कर देना चाहिए। शारीरिक क्षमता से अधिक अपने शरीर को तनाव नहीं देना चाहिए।
3. सर्वांगासन Sarwangasan का अभ्यास सुबह के समय खाली पेट करने पर अधिक लाभ मिलने की सम्भावना बनती है।
4.अगर सुबह के अतिरिक्त अन्य समय में Sarwangasan योगाभ्यास किया जाना हो तो भोजन 4 से 6 घण्टे पहले कर लिया जाना चाहिए।
5-सर्वांगासन Sarwangasan कब नहीं करना चाहिए-
आज हम बात कर रहे है सर्वांगासन की विधि,लाभ एवं सावधानियों। Sarwangasan Ki Vidhi,Labh Evm Savdhaniyan.की
1.जिन लोगों को चक्कर आने,मिर्गी,उच्च रक्तचाप की शिकायत हो उन्हें सर्वांगासन Sarwangasan का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
2. जिन लोगों को कमर,मेरूदण्ड,गर्दन में दर्द या अन्य कोई समस्या हो उन्हे भी सर्वांगासन Sarwangasan नहीं करना चाहिए।
3. गम्भीर बिमारी से ग्रस्त एवं उपचाराधीन लोगों को अपने चिकित्सक से परामर्श के अनुसार ही इस Sarwangasan योगाभ्यास को करना चाहिए।
4.महिलाओं को चिकित्सक या योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन के अनुसार ही Sarwangasan योगाभ्यास करना चाहिए।
6- सर्वांगासन Sarwangasan में सहायक अन्य योगाभ्यास-
सर्वांगासन का अभ्यास करने से पूर्व हलासन,सेतुबन्धासन एवं सर्वांगासन के अभ्यास के बाद ऊर्ध्व धनुरासन,शवासन का अभ्यास करना लाभदायक होता है।
निष्कर्ष-
सर्वांगासन Sarwangasan एक बहुत ही लाभदायक योगाभ्यास है । प्रारम्भ में इस Sarwangasan योगाभ्यास को किसी योग प्रशिक्षक के सानिध्य में करना चाहिए एवं अपने साथ एक सहायक को भी रखना चाहिए। ताकि वह आपके सन्तुलन को बनाए रखने में आपकी सहायता कर सके।
इसका Sarwangasan अभ्यास हमारे पाचन तन्त्र को स्वस्थ रखता है। मानसिक स्वास्थ्य को बनाऐ रखने एवं मानसिक तनाव को खत्म करने में सहायक होता है। मस्तिष्क,सीने,कन्धे,गर्दन को मजबूती देता है। हार्मोंस का स्त्राव नियन्त्रित करने में मदद करता है।
इस प्रकार हम देखते है कि साधारण सा दिखने वाला यह Sarwangasan योगाभ्यास हमारे शरीर एवं जीवन को अनेकों लाभ देकर स्वस्थ एवं पुष्ट रखने में लाभप्रद होता है।
इस लेख का उद्देश्य योग सम्बन्धी जानकारी देना मात्र है किसी चिकित्सकीय उद्देश्य से इसका अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक एवं योग प्रशिक्षक से अवश्य परामर्श करना चाहिए।
1.किसी शान्त एवं शोरगुल से मुक्त शान्त वातावरण में समतल स्थान पर योगा मेट या चटाई बिछा कर शान्त भाव के साथ पीठ के बल लेट जायें।
2. अपने दोनों हाथों को अपने शरीर के साथ जमीन पर टिकाए रखें।
3.श्वांस-प्रश्वांस सामान्य गति से प्रवाहित होने दें।
4.अपने दोनों पैरों को जांघों से लेकर अपनी ऐड़ियों तक आपस में सटाकर रखते हुए,बिना घुटनों को मोड़े सीधे ऊपर की ओर उठाऐ।
5. अपने शरीर का इतना ऊपर की ओर उठाएं कि आपके शरीर का समस्त भार आपके कन्धों पर आ जाये।
6. इस स्थिति में आपके पैर,कमर एकदम सीधी एवं कन्धों की सीध में होनी चाहिए।
7. अगर आपको प्रारम्भ में कोई कठिनाई अनुभव हो रही हो तो आप अपने हाथों से अपनी कमर को सहारा दे सकते है। पूर्ण अभ्यास होने पर इस स्थिति में आप बिना किसी सहारे की भी इस सर्वांगासन का अभ्यास कर पायेगें।
8. इस स्थिति में आप आधा मिनट से 2 मिनट तक रह सकते है।
9. आसन के अभ्यास के दौरान अपने पैरों को ऊपर ले जाते समय एवं नीचे उतारते समय अंतःकुम्भक करना चाहिए।
10.आसन की समाप्ति करने के लिए अपने पैरों को धीरे धीरे नीचे लाये,झटके के साथ नहीं।( अन्यथा हानी होने की सम्भावना बन सकती है।)
11.कुछ समय के लिए आराम से शवासन में लेटें रहे।
12. इस आसन की 3 से 5 आवृति दौहरानी चाहिए।
सर्वांगासन के फायदे
योगासन कोई भी उसी सही तरीके एवं लय से किया जाये तभी उसे आशानुरूप लाभ प्राप्त किये जा सकते है। आज हम बात कर रहे है सर्वांगासन के प्राप्त होने वाले लाभों की जो इस प्रकार है-
1.कन्धे , गर्दन को मजबूत बनते है।
2.फूली हुई नसों (वेरिकोज वेन्स)में राहत।
3.पीठ एवं मेरूदण्ड को मजबूत बनाता है-
4.महिलाओं में गर्भाश्य के लिए लाभदायक-
5.हृद्य के लिए लाभदायक-
6.स्मरण शक्ति बढ़ाने वाला-
7.हार्मोंस को सन्तुलन में सहायक-
8.मानसिक तनाव का दूर करने में सहायक-
9.वजन कम करने में सहायक-
10-आंखों के लिए लाभदायक-
1.जिन लोगों को चक्कर आने,मिर्गी,उच्च रक्तचाप की शिकायत हो उन्हें सर्वांगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
2. जिन लोगों को कमर,मेरूदण्ड,गर्दन में दर्द या अन्य कोई समस्या हो उन्हे भी सर्वांगासन नहीं करना चाहिए।
3. गम्भीर बिमारी से ग्रस्त एवं उपचाराधीन लोगों को अपने चिकित्सक से परामर्श के अनुसार ही इस योगाभ्यास को करना चाहिए।
4.महिलाओं को चिकित्सक या योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन के अनुसार ही योगाभ्यास करना चाहिए।
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