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प्राण वायु क्या है?लाभ और लक्षण। Pran Vayu Kya he?Labh Aur Lakshan.

प्राण वायु क्या है?लाभ और लक्षण। Pran Vayu Kya he?Labh Aur Lakshan. आज हम इस विषय में बात करेंगे। आयुर्वेद एवं योग में, शरीर पाँच तत्वों, अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश से निर्मित माना गया है।
प्राण वायु, हमारी सांस के रूप में ली जाने वाली वायु है। प्राण वायु, श्वसन, निगलने, और ऊपर की ओर गति का कार्य करती है। प्राण वायु ( प्राण वायु,अपान वायु, समान वायु, उदान वायु, व्यान वायु)पांच प्राण वायुओं में से एक है।

प्राण वायु क्या है?लाभ और लक्षण। Pran Vayu Kya he?Labh Aur Lakshan.
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photo– Pixabay

1-प्राण वायु का क्या अर्थ है?     ( Pran Vayu Kya he?Labh Aur Lakshan. )

प्राण वायु शब्द संस्कृत के “प्रण“ और “वायु“ शब्दों से मिलकर बना है। “प्रण“ का अर्थ है “जीवन शक्ति“ और “वायु“ का अर्थ है “हवा“ या “प्रवाह“। इसलिए, प्राण वायु का अर्थ होता है वह जीवनदायिनी ऊर्जा जो हमारे शरीर के प्रत्येक कोशिका में प्रवाहित होती है।
योग और आयुर्वेद में, यह माना जाता है कि यह ऊर्जा हमारे श्वास के माध्यम से शरीर में प्रवेश करती है और विभिन्न प्रकार के शारीरिक और मानसिक प्रक्रियाओं को संतुलित करती है।

2-प्राणवायु की क्या पहचान है?

हम बात कर रहे हैं, प्राण वायु क्या है?लाभ और लक्षण। Pran Vayu Kya he?Labh Aur Lakshan. की,हमारा शरीर प्राण वायु से ही संचालित और स्वस्थ रहता है। प्राण वायु की उपस्थिति से हमारे मन में उत्साह,रचनात्मकता,प्रेम आदि की बहुलता रहती है।
इसके विपरीत जब हमारा शरीर मेंकमजोरी, थकान महसूस होने लगती हो, शरीर में आलस्य का प्रभाव अधिक आने लगता हो, कार्य के प्रति मन में उत्साह खत्म हो जाता हो,जीवन में निरसता का प्रभाव आने लगे तो यह माना जाना चाहिए कि शरीर में प्राण वायु का प्रवाह कम होने लगा है।

4-प्राण वायुः- प्राकृतिक श्वास का महत्व और इसके लाभ

हम बात कर रहे हैं, प्राण वायु क्या है?लाभ और लक्षण। Pran Vayu Kya he?Labh Aur Lakshan. की,प्राण वायु, जिसे श्वास का प्राथमिक स्रोत भी कहा जाता है, योग और प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह वह जीवनदायिनी शक्ति है जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी संतुलित करती है।

4-1-प्राण वायु का महत्व

हम बात कर रहे हैं, प्राण वायु क्या है?लाभ और लक्षण। Pran Vayu Kya he?Labh Aur Lakshan. की,प्राण वायु हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह न केवल हमारे शरीर को ऑक्सीजन प्रदान करती है, बल्कि हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। जब हम गहरे और धीमे श्वास लेते हैं, तो हमारे शरीर में प्राण वायु का प्रवाह बढ़ जाता है, जिससे हमारा तनाव कम होता है, हमारी एकाग्रता बढ़ती है, और हमारा मन शांत होता है। दूसरी ओर, उथले और तेज़ श्वास लेने से हमारे शरीर में तनाव और चिंता का स्तर बढ़ सकता है।

5-प्राण वायु और योग

हम बात कर रहे हैं, प्राण वायु क्या है?लाभ और लक्षण। Pran Vayu Kya he?Labh Aur Lakshan. की,योग में प्राण वायु का महत्व विशेष रूप से देखा जाता है। योग के विभिन्न आसनों और प्राणायाम अभ्यासों के माध्यम से, हम अपने शरीर में प्राण वायु के प्रवाह को नियंत्रित और संतुलित कर सकते हैं। प्राणायाम, जो कि श्वास के नियंत्रित अभ्यास होते हैं, प्राण वायु को सशक्त बनाने और इसे शरीर के विभिन्न भागों में समान रूप से वितरित करने में मदद करते हैं। यह न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि हमारे मानसिक और भावनात्मक संतुलन को भी बनाए रखता है।

6-प्राण वायु के लाभ

हम बात कर रहे हैं, प्राण वायु क्या है?लाभ और लक्षण। Pran Vayu Kya he?Labh Aur Lakshan. की,

1. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधारः- प्राण वायु का सही संतुलन हमारे शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों के समुचित कार्य के लिए आवश्यक है। यह हमारी श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है, रक्त परिसंचरण में सुधार करता है, और हमारे पाचन तंत्र को सशक्त बनाता है।
2. मानसिक शांति और एकाग्रताः- जब प्राण वायु का प्रवाह सही तरीके से होता है, तो हमारा मन शांत और स्थिर रहता है। यह हमें ध्यान और एकाग्रता में मदद करता है, जिससे हम अपने कार्यों को अधिक प्रभावी ढंग से कर सकते हैं।

3. तनाव और चिंता का प्रबंधनः- गहरे और नियंत्रित श्वास के माध्यम से, हम अपने शरीर में तनाव और चिंता को कम कर सकते हैं। यह हमारे नर्वस सिस्टम को संतुलित करता है, जिससे हमारा मन और शरीर दोनों ही शांत और स्थिर रहते हैं।
4. आध्यात्मिक उन्नतिः- प्राण वायु का सही संतुलन हमें आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी अग्रसर करता है। योग और ध्यान के माध्यम से, हम अपनी आत्मा के साथ गहरा संबंध स्थापित कर सकते हैं, जिससे हमें जीवन के उच्चतर उद्देश्य का अनुभव होता है।

7-प्राण वायु को  संतुलित करने के तरीके

हम बात कर रहे हैं, प्राण वायु क्या है?लाभ और लक्षण। Pran Vayu Kya he?Labh Aur Lakshan. की,आजकल की अव्यवस्थित जीवन शैली जिसमें सोने, उठने का कोई समय नहीं हो,खाना खाने अथवा कार्य करने का कोई निश्चित समय एवं गुणवता नहीं हो तो हमारे शरीर के भौतिक और आध्यात्मिक शरीर पर बहुत ही विपरीत प्रभाव पड़ता है। जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है।

स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है, कि हमें अपनी दैनिक दिनचर्या में बदलाव करने चाहिए। हर कार्य को चाहे वो खाना हो,सोना,अध्ययन करना या फिर कार्य करने को समय हो समय पर एवं गुणवतापुर्ण करने की आदत डालनी चाहिए।
हम अपनी दिनचर्या में कुछ परिर्वतन कर शरीर की वायु व्यान, समान, अपान  , उदान और प्राण को सन्तुलित कर सकते है।
ऊपर हमने शरीर में प्राण वायु के असन्तुलित होने के लक्षणों के बारे में चर्चा की है। अगर आपको इस प्रकार के लक्षण अनुभव हो रहे है, तो आपको निश्चित रूप से अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करने की आवश्यकता है।

अपनी दिनचर्या में निम्न गतिविधियों को शामिल कर आप प्राण वायु के प्रवाह की वृद्धि अपने शरीर में कर सकते है।

1.प्राणायाम अभ्यासः- प्राणायाम प्राण वायु के संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कुछ प्रमुख प्राणायाम अभ्यास जैसेः-

  • अनुलोम-विलोम,प्रतिदिन सुबह 10 से 15 मिनट के लिए अनुलोम-विलोम का अभ्यास करना चाहिए। इससे पूरे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह सही से होता है।
  • कपालभाति, कपालभाति करने के लिए पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों से चित्त मुद्रा बना लें। गहरी सांस अंदर की ओर लेते हुए झटके से सांस छोड़ें। इस दौरान पेट को अंदर की ओर खींचें। अगर आप कपालभाति करने की शुरुआत कर रहे हैं तो 5-10 मिनट ही अभ्यास करें और समय के साथ अभ्यास को बढ़ाएं।
  • भ्रामरी, भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास का तरीका इस योगासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले किसी शांत और हवादार जगह पर बैठ जाएं और अपनी आंखें बंद कर लें।
  • अब अपनी तर्जनी उंगलियों को दोनों कानों पर रख लें।
  • मुंह को बंद रखते हुए नाक से ही सांस लें और बाहर छोड़ें।
  • ध्य़ान रखें कि सांस छोड़ने के दौरान ऊँ का उच्चारण भी करें।
  • इस प्रक्रिया को 5-7 बार दोहराएं।
  • भस्त्रिका प्राणायाम,शरीर में प्राण वायु को संतुलित करने के लिए रोजाना कम से कम 10 से 15 मिनट के लिए भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करें। इससे शरीर की सभी वायु संतुलित होती हैं ।

ये प्राणायाम नियमित रूप से करना चाहिए। ये अभ्यास हमारे श्वास को गहरा और नियंत्रित करते हैं, जिससे प्राण वायु का प्रवाह संतुलित रहता है।

2. ध्यानः- ध्यान प्राण वायु को संतुलित करने का एक और प्रभावी तरीका है। नियमित ध्यान अभ्यास से हमारे मन की चंचलता कम होती है और हम आंतरिक शांति का अनुभव करते हैं। इससे प्राण वायु का प्रवाह भी समुचित रहता है।
3. योगासनः- विभिन्न योगासन, जैसे सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, और वृक्षासन, हमारे शरीर में प्राण वायु के प्रवाह को बढ़ाते हैं। ये आसन न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं, बल्कि हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी संतुलित करते हैं।
4.जल नेतिः- शरीर की प्राण वायु को संतुलित करने के लिए सही मार्गदर्शन में हफ्ते में कम से कम एक बार जल नेति क्रिया जरूर करनी चाहिए।

5. संतुलित आहारः- संतुलित आहार भी प्राण वायु के प्रवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ताजे फल, सब्जियां, और प्राकृतिक आहार प्राण वायु को सशक्त बनाते हैं, जबकि अधिक तला-भुना और संसाधित आहार इसे बाधित कर सकता है।
6. प्राकृतिक वातावरण में समय बितानाः- प्राकृतिक वातावरण में समय बिताना, जैसे कि जंगल में सैर करना या समुद्र के किनारे बैठना, प्राण वायु के प्रवाह को बढ़ाता है। प्राकृतिक वातावरण में श्वास लेने से हमारे शरीर को शुद्ध और ताजा हवा मिलती है, जिससे प्राण वायु का प्रवाह सुचारू होता है।

8-प्राण वायु असन्तुलित होने के लक्षण –

हम बात कर रहे हैं, प्राण वायु क्या है?लाभ और लक्षण। Pran Vayu Kya he?Labh Aur Lakshan. की,प्राण वायु हमारे हृदय, फेफड़े, गले और सिर सहित शरीर के ऊपरी हिस्से को पोषण देती है। अगर हमारे इन अंगों में किसी प्रकार की विकृति आती है या कोई कष्टदायक कारण बनता है तो इसका कारण प्राण वायु का शरीर में असन्तुलन हो सकता है।

1. गुस्सा या बैचनी होना :-
प्राण वायु के असन्तुलित होने पर आदमी को बात-बात पर गुस्सा आने लगता है। इसके साथ ही बिना किसी स्पष्ट कारण के व्यक्ति बैचेनी और असमंजस का अनुभव करने लगता है।
2. नाक,कान और सिर की समस्या होना :-
चुकि प्राण वायु व्यक्ति के सिर को भी प्रभावित करती है इसलिए अगर किसी व्यक्ति को बार बार सिरदर्द या इससे सम्बन्धित समस्या होने लगती हो,नाक ,कान,गला की समस्या आने लगे तो समझना चाहिए कि शरीर में प्राण वायु का सन्तुलन बिगड़ रहा है।

निष्कर्ष
प्राण वायु हमारे जीवन की एक अनमोल धरोहर है, जिसे हमें सहेज कर रखना चाहिए। इसके सही संतुलन से न केवल हमारा शारीरिक स्वास्थ्य सुधारता है, बल्कि हम मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी अग्रसर होते हैं। योग, प्राणायाम, ध्यान, और संतुलित आहार के माध्यम से हम अपने जीवन में प्राण वायु का प्रवाह संतुलित कर सकते हैं, जिससे हम एक स्वस्थ, खुशहाल, और समृद्ध जीवन जी सकते हैं।

इस ब्लॉग के माध्यम से, हमने प्राण वायु के महत्व और इसके लाभों को समझा। इसे अपने जीवन में शामिल करने से हम न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं, बल्कि मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन, और आध्यात्मिक उन्नति भी प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार, प्राण वायु को अपनाना एक ऐसा कदम है जो हमें संपूर्ण स्वास्थ्य और समृद्धि की ओर ले जाता है।

इस ब्लॉग पोस्ट का उद्देश्य योग,स्वास्थ्य सम्बंधी जानकारी देना मात्र है। किसी चिकित्सकीय उद्देश्य से इनका प्रयोग या अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक या योगा प्रशिक्षक से अवश्य परामर्श करना चाहिए।

FAQ

pranvayu

योग एवं आयुर्वेद के अनुसार प्राण वायु का स्थान हमारे शरीर में हृद्य और इससे ऊपर के भाग को माना गया है।
योग एवं आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में पॉच प्रकार ( प्राण वायु,अपान वायु, समान वायु, उदान वायु, व्यान वायु) की प्राण वायु होती है। जिस वायु को हम नासिका द्वारा सांस के रूप में ग्रहण करते है। उसे प्राण वायु कहा गया है।
योग एवं आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में पॉच प्रकार ( प्राण वायु,अपान वायु, समान वायु, उदान वायु, व्यान वायु) की प्राण वायु होती है। जिनकी शरीर में भिन्न कार्य होती है।
योग एवं आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में पॉच प्रकार ( प्राण वायु,अपान वायु, समान वायु, उदान वायु, व्यान वायु) की प्राण वायु होती है।

 

 

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3 responses to “प्राण वायु क्या है?लाभ और लक्षण। Pran Vayu Kya he?Labh Aur Lakshan.”

  1. सरोज Avatar

    Shandar

  2. Manju Shekhawat Avatar

    uttam jankari

  3. Subhash Bhati Avatar

    Good

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