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पद्मासन विधि,लाभ और सावधानियां। Padmāsana Vidhi,Lābha Aur Sāvadhāniyāan

 

पद्मासन पद्मासन विधि,लाभ और सावधानियां। Padmāsana vidhi,lābha aur sāvadhāniyāan केवल शारीरिक रूप से ही स्वस्थ रखने वाला आसन नहीं है। पद्मासन मानसिक,आध्यात्मिक रूप से भी स्वस्थ रखने वाला आसन है।

योग साहित्य में इस Padmāsana को समस्त रोगों का नाश करने वाला बताया गया है। सिद्धियॉ प्राप्त करने के लिए साधक इसी आसन का ही प्रयोग करते रहें है। यह आसन शरीर की 72000 नाड़ियों को शुद्धिकरण का कार्य करता है। आध्यात्मिक सिद्धियॉ प्राप्त करने, कुण्डिलिनी जागृत करने के लिए योगी इसी पद््मासन को अभ्यास में लेते है।
पद्मासन Padmāsana को करते समय दोनों पैर एक दूसरे के जांघ पर होते हैं जो की कमल के पुष्प की आकृति का आभाष दिलाती है। अतः उक्त स्थिति के कारण इस आसन को कमलासन(Lotus Pose ) कहा जाता है।

 Padmāsana vidhi,lābha aur sāvadhāniyāan
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  • विषय सूची
  • पद्मासन करने की विधि।
  • पद्मासन कितनी देर करना चाहिए।
  • पद्मासन करने के लाभ।
  • पद्मासन करते समय सावधानियां

1.पद्मासन करने की विधि। Padmāsana Vidhi,Lābha Aur Sāvadhāniyāan


1.1समतल जमीन पर योगामेट या कोई आसन बिछाकर बैठ जाएं।
1.2.दायां पैर घुटने से मोड़े औेर बायें पैर की जंघा के ऊपर रखें।
1.3.बायां पैर घुटने से मोड़े और दायें पैर की जंघा के ऊपर रखें।
1.4.अब दोनों पैरों की एड़ियों की स्थिति आपकी नाभि के पास है। ऐड़ियों का हल्का सा दबाव आपके पेट के निचले हिस्से में महसूस होना चाहिए।
1.5.दोनों घुटनें जमीन को स्पर्श करते होने चाहिए।
1.6.इस स्थिति में मेरूदण्ड सीधा और सीना तना हुआ होना चाहिए।
1.7.सांसों की गति सामान्य होनी चाहिए।
1.8.हाथों को भिन्न भिन्न स्थितियों में रखा जा सकता है।


(1)दोनों हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों पर रखा जा सकता है।
(2)बांयी हथेली को दोनों एड़ियों पर रख कर दांयी हथेली को बांयी हथेली में भी रखा जा सकता है।
(3)घेरण्ड संहिता में अलग स्थिति बताई गई है।


वामारूपरि दक्षिणं हि चरणं संस्थाप्यवामं तथा,
दक्षोरूपरिपश्चिमेन विधिना कृत्वा कराम्यां दृढ़म्।
अंगुष्ठे हृदये निधाय चिबुकं नासाग्रमालोकयेत्,
एतद्व्याधि विनाश कारणपरं पद्मासनं प्रोच्यते।8।
अर्थात- बायॉ चरण दाहिनी जॉघ पर तथा दाहिना पॉव बायीं जॉघ पर रख कर व्युत्क्रम रीति से हाथों को पीठ पर ले जाकर दाहिने हाथ से बायां अंगुठा और बायें हाथ से दाहिने पैर का अंगुठा पकड़ कर ठोडी को कण्ठकूप पर रखें। नाक के अग्र भाग पर दृष्टि स्थिर करें। इसके अभ्यास से सभी रोग नष्ट होते है। इसी का पद्मासन करते है।


2.पद्मासन कितनी देर करना चाहिए।


पद्मासन आप अपने सामर्थ्य और धर्य शक्ति के अनुसार कर सकते है। प्रारम्भ में 1 से 2 दो मिनट तक करना चाहिए। अभ्यास होने के उपरान्त इसे आप अपनी क्षमता और साधना की अवधि के अनुसार समय बढ़ा सकते है।
1.9.योगासन समापन करने के लिए आप धीरे धीरे अपनी प्रारम्भिक अवस्था में आ जाएं,इस स्थिति में आने के लिए अपने पैरों अथवा हाथों को झटके के साथ नहीं खोले धीरे धीरे खोलते हुए प्रारम्भिक अवस्था में आना चाहिए।

3-पद्मासन करने के लाभ। Padmāsana Vidhi,Lābha Aur Sāvadhāniyāan

हर आसन के अपने अपने लाभ होते है यहॉ चर्चा कर रहे है। पद्मासन के अभ्यास से होने वाले लाभ की ।


3.1.नाड़ि शुद्धि में उपयोगीः- पद्मासन का नियमित अभ्यास करने से शरीर की 72000 नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है।
3.2.सिद्धियॉ प्राप्त करने में उपयोगीः- आपने तस्वीरों में योगियों,महात्माओं को प्दमासन में बैठा देखा है। योग शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि यह आसन सिद्धि प्राप्त करने में उपयोगी होता है।
3.3.मानसिक शान्ति के लिए उपयोगीः- पद्मासन की मुद्रा में शान्त भाव से बैठने पर मानसिक शान्ति का अनुभव होता है। यह तो हर अभ्यासी को अनुभव होना चाहिए।
3.4.ध्यान के लिए उपयोगीः- पद्मासन में बैठ कर शान्त मन के साथ अगर ध्यान लगाया जाये तो अधिक सफलता मिलती है।


3.5.कुण्डलिनी जागरण में उपयोगीः- जिन साधकों को कुण्डलिनी जागरण करने की चाह होती है।वे हमेशा पद्मासन का अभ्यास करते है। जिससे उन्हे कुण्डलिनी जागरण में सफलता के अधिक सम्भावना रहती है।
3.6.स्नायुतन्त्र के लिए उपयोगीः- इस पद्मासन का अभ्यास करने वाले अभ्यासी के शरीर के सभी स्नायुतन्त्र खुल जाते है।
3.7.इस अभ्यास से कामवासन का नाश होकर जननअंगों को स्वस्थ एवं मजबूत रखता है।
3.8.अन्य लाभः-
3.8.1.शरीर के रोगों का नाश होता है।
3.8.2.चेहरे पर तेज एवं कान्ति आती है।


3.8.3.पेट के अंगों का स्वस्थ करता है जिससे मेटाबोलिजम .सिस्टम स्वस्थ बनता है। कब्ज एवं ऐसीडीटी की बिमारी से भी छुटकारा मिलता है।
3.8.5.मेरूदण्ड स्वस्थ एवं मजबूत बनता है।
3.8.6.पैरों की मांसपेशिया एवं जोड़ स्वस्थ बनते है।
3.8.7.पदमासन से याददाश्त तेज बनती है,एकाग्रता बढ़ती है।
3.8.8.शरीर में रक्त संचरण में सुधार होता है।
3.8.9.शरीर को लचीला बनाता है।
3.8.10.पद्मासन से महिलाओं में मासिक धर्म नियमित हो जाता है। प्रजनन शक्ति का भी विकास होता है।

4-पद्मासन करते समय सावधानियां Padmāsana Vidhi,Lābha Aur Sāvadhāniyāan

पद्मासन के करने कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी है।
4.1.इस आसन को जितना आसन माना जाता है,उतना आसन है नहीं । नये साधकों को इस आसन को करते समय पैरों को मोड़ने एवं एक दूसरे के उपर रखने में कठिनाई होने की सम्भावन रहती है। अतः इस आसन का अभ्यास करने से पूर्व तितली आसन,पवनमुक्तासन,सुखासन आदि आसन आसनों का पूर्व अभ्यास करना चाहिए ताकि शरीर योग के लिए अभ्यस्त हो सके,जिससे यह आसन करने में आसानी रहे।


4.2.जिन लोगों को किसी प्रकार की सर्जरी हुए हो उन्हे यह आसन नहीं करना चाहिए।
4.3.कमर दर्द से पीड़ितों को भी पद्मासन नहीं करना चाहिए।
4.4.जिन लोगों को जोड़ों का दर्द हो उन्हें भी पद्मासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
4.5.सायटिका के रोगियों को भी पद्मासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
4.6.घुटने की किसी प्रकार की बिमारी से पीड़ितों को भी पद्मासन नहीं करना चाहिए।
4.7.गर्भवती महिलाओं को पद्मासन नहीं करना चाहिए।


इस प्रकार हमने देखा कि प्दमासन देखने में ही आसान दिखता है। परन्तु इसके लाभ आश्चर्यजनक है। इस आसन का अभ्यास प्राचीनकाल से ऋषि मुनि करते आयें है और उन्होने अपने अनुभव से योग साहित्य में इस योगासन को समस्त पापों का नाश करने वाला तक बताया है। सिद्धियॉ प्राप्त करने वाले अभ्यासी हो या कुण्डलिनी जागरण करने वाले इस पद्मासन का प्रयोग करते है । इसका अभ्यास शरीर के साथ साथ मानसिक एवं अध्यात्मिक रूप से भी मानव जीवन को प्रभावित करता रहा है।

इस लेख को लिखने का उद्देश्य योग सम्बन्धी जानकारी देना मात्र है। स्वास्थ्य की दृष्टि से अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक या योग प्रशिक्षक से परामर्श किया जाना चाहिए।


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FAQ

padmasan

पद्मासन में पैरों की स्थिति तो सभी में समान रहती है। जैसे पैरों को क्रास में एक दूसरें पैर की जॉघ पर रखा जाता है। परन्तु हाथों की स्थिति कई प्रकार की बताई गई है। जैसे (1)दोनों हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों पर रखा जा सकता है। (2)बांयी हथेली को दोनों एड़ियों पर रख कर दांयी हथेली को बांयी हथेली में भी रखा जा सकता है। (3)बायॉ चरण दाहिनी जॉघ पर तथा दाहिना पॉव बायीं जॉघ पर रख कर व्युत्क्रम रीति से हाथों को पीठ पर ले जाकर दाहिने हाथ से बायां अंगुठा और बायें हाथ से दाहिने पैर का अंगुठा पकड़ कर ठोडी को कण्ठकूप पर रखें। नाक के अग्र भाग पर दृष्टि स्थिर करें।
पदम संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है कमल।पद्मासन को करते समय दोनों पैर एक दूसरे के जांघ पर होते हैं जो की कमल के पुष्प की आकृति का आभाष दिलाती है। अतः उक्त स्थिति के कारण इस आसन को कमलासन(Lotus Pose ) कहा जाता है।
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One response to “पद्मासन विधि,लाभ और सावधानियां। Padmāsana vidhi,lābha aur sāvadhāniyāan”

  1. थैंक्स गुरु देव
    योगिक क्रिया योगिक मुद्रा व योग के गुड्ड हरस्यो को सरल सहज और सरल भाषा में समझाने के लिए थक्स
    आपके प्रयासों से हमारे जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन हो रहा है रोगों से छुटकारा पा रहे है लाइफ में पाॅजिटीवीटी बढ़ रही है।
    Again thanks a lot

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