google-site-verification=89yFvDtEE011DbUgp5e__BFErUl9DiCrqxtbv12Svtk

नौकासन विधि,लाभ और सावधानियां।Naukasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.

Naukasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.
1- https://pixabay.com/illustrations/yoga-girl-full-boat-pose-fitness-7121972/

आज हम बात कर रहे है ,नौकासन विधि,लाभ और सावधानियां।Naukasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan. की, भारतीय योग साहित्य में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अनेकों योगाभ्यासों का विवरण मिलता है । भिन्न-भिन्न योगाभ्यासों के द्वारा अनेकों बिमारियों का निदान प्राप्त करने का उल्लेख आपको योग साहित्य में मिल जायेगा।
यही कारण है कि आजकल योगाभ्यासों के बड़े बड़े और महंगी फीस वाले संस्थान आपको देश और देश के बाहर अनेकों स्थानों पर मिल जायेंगे। इसका कारण यही है कि योगाभ्यासों के नियमित एवं सही तरीके से किये गये अभ्यास से रोगों के निराकरण में सहायता मिलती है।

कई संस्थान उनके यहॉ अभ्यास उपरान्त लाभ प्राप्त किये लोगों के साक्षात्कार भी टी.वी.चैनलों पर प्रसारित करते है। जिनमें उन्हे योगाभ्यास से गम्भीर बिमारियों में लाभ मिला है ।
योगाभ्यास द्वारा केवल शरीर को लचीलापन ही नहीं कई अन्य बिमारियों से भी मुक्ति मिलती है,परन्तु योगासनों का अभ्यास सही मार्गदर्शन, नियमित रूप से धैर्य और विश्वास के साथ किया गया हो ।
नौकासन के अभ्यास से पेट ही नहीं हमारी कमर,मेरूदण्ड एवं पाचन तन्त्र भी प्रभावित होते है उन पर सकारात्मक प्रभाव आता है।
नौकासन या बोट पोज का अभ्यास पेट ,कमर और जॉघ की चर्बी कम करने और मेरूदण्ड की मांसपेशियों एवं शिराओं को मजबूत करने के लिए बहुत लाभदायक माना गया है।

शीर्षासन के लाभ जानने के लिए -क्लिक करें

विषय सूची
1. क्या है नौकासन?
2. नौकासन के अभ्यास की विधि-

3.नौकासन करने के लाभ।
4 नौकासन के अभ्यास में सावधानियां-
5. निष्कर्ष

1.क्या है नौकासन?

नौकासन संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है,नौका और आसन, जिसमें नौका का अर्थ होता है नाव और आसन का अर्थ है मुद्रा। इस योगासन के अभ्यास में हमारे शरीर की आकृति समुद्री नौका जैसी बन जाती है। अतः इसी कारण इस आसन को नौकासन कहा जाता है। नौकासन को अंग्रेजी में बोट पोज (ठवंज च्वेम) कहा जाता है।

2.नौकासन के अभ्यास की विधि-

आज हम बात कर रहे है ,नौकासन विधि,लाभ और सावधानियां।Naukasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan. की, नौकासन का अभ्यास शुरुआत में कठिन लग सकता है। योग्य मार्गदर्शन में नियमित रूप से नौकासन का अभ्यास करने पर आप इस आसन को करने के अभ्यस्त हो जायेगें और यह आसन आपको आसन,सरल और रूचीकर लगने लगेगा।
इस आसन के अभ्यास में शरीर की आकृति नाव (नौका) या अंग्रेजी के ’’ वी ’’ अक्षर की भॉती बन जाती है। अभ्यस्त होने पर यह आसन बहुत ही रूचीकर एवं आसान लगने लगता है।

नौकासन करने की विधि –                                          Naukasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.

1.नौकासन का अभ्यास करने के लिए आप समतल जगह पर योगा मैट या चटाई बिछा कर शान्त भाव के साथ बैठ जायें।
2. कुछ गहरे एवं लम्बे सांस ले और छोड़े।
3. अपने पैरों को सामने योगा मेट पर सीधे फैला कर बैठ जायें।
4. अपने हाथों को अपने सामने कन्धे के सामान्तर ले आयें।
5. अब धीरे धीरे अपने पैरों को आपस में जोड़े कर रखते हुए,घुटनों एवं अपने पैरों की अंगुलियों को मजबूती के साथ एकदम सीधा रखते हुए खिंचाव के साथ ऊपर की ओर उठाएं।

6. अपने पैरों एवं सिर सहित पूर्ण शरीर को 45 डिग्री तक इतना ऊॅचा उठाएं कि आपके पेट एवं नाभि पर खिंचाव महसूस होने लगे। आपके नितम्ब जमीन को स्पर्श करते रहेगें।
7. अपने पैरों और अपने शरीर के उपरी हिस्से को इतना ऊॅचा उठाएं कि आपका शरीर नौका की आकृति बना लें।
8. आपके नितम्ब जमीन पर टिके रहें, शेष शरीर नौका की आकृति के रूप में हवा में स्थापित रहेगा।
9. इस स्थिति में आपकी श्वांस की गति सामान्य बनी रहनी चाहिए।

10. आप इस स्थिति में 15 से 20 सेकेण्ड तक बने रहें, इसकी 3 से 5 आवृतियॉ दौहरानी चाहिए।अभ्यास होने पर योग
प्रशिक्षक के परामर्श से समय की अवधि को बढ़ा सकते है।
11. सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आसन को छोड़ दें।

मलासन कैसे करें,विधि और लाभ जानने के लिए -क्लिक करें

नौकासन की द्वितीय विधि-    Naukasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.
कुछ योग प्रशिक्षक इस विधि से भिन्न विधि से भी नौकासन का अभ्यास करवाते है। जैसे-
इस योगाभ्यास में पैरों एवं सिर को अधिक ऊॅचा नहीं उठाया जाता है। इसमें पैरा और सिर को एक फीट तक ऊठाया जाता है, एवं हाथों को लेटे हुए की स्थिति में अपने पेट के ऊपर से अपनी जॉघों की ओर अपने शरीर से कुछ दूरी बनाये हुए रखना होता है।ऽ
घ्यान- नौकासन के अभ्यास के दौरान आपका ध्यान स्वाधिष्ठान,मणिपुरम एवं अनाहत चक्र पर केन्द्रित करने का प्रयास करें। ऽ

3.नौकासन करने के लाभ।                            Naukasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.

आज हम बात कर रहे है ,नौकासन विधि,लाभ और सावधानियां।Naukasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan. की, नौकासन के अभ्यास में हमारे पैर,हाथ,पेट एवं मेरूदण्ड बहुत प्रभावित होते है। इस आसन के नियमित अभ्यास से इन अंगों में सक्रियता आती है एवं लचीलापन बढ़ता है।
3-1. पेट की मसल्स को मजबूत बनाए-
नौकासन के अभ्यास के दौरान पेट की बाह्य एवं आतरिक समस्त मांसपेशियों को टाइट होना होता है। जिस कारण पेट की समस्त मांसपेशियॉ मजबूत एवं सक्रिय बनती है।
3-2. कुल्हे मजबूत बनते है –
नौकासन के अभ्यास के दौरान शरीर का सम्पूर्ण भार एवं सन्तुलन नितम्बों पर होता है। जिस कारण नौकासन से हमारे नितम्ब की मांसापेशियां एवं हड्डियॉ मजबूत बनती है।

3-3. मेरूदण्ड मजबूत बनता है-
नौकासन के अभ्यास के दौरान हमारे मेरूदण्ड की काफी मालिश हो जाती है। जिस कारण हमारे मेरूदण्ड की हड्डी एवं मेरूदण्ड की मांसपेशियां मजबूत एवं लचीली बनती है।
3-4. नाभि को सही जगह पर रखने में सहायक-
नौकासन के अभ्यास के दौरान हमारे शरीर का समस्त खिंचाव हमें हमारी नाभि पर अनुभव होता है । नाभि हमारे शरीर की समस्त नस, नाड़ियों का केन्द्र बिन्दु होता है। जब हमारी नाभि पर खिंचाव होगा तो सभी नाड़ियां अपने स्थान पर स्थापित हो जाती है।
इसी प्रकार जिन लोगों को नाभि खिसकने (धरण गिरने) की समस्या बनी रहती है,उन्हे इस आसन के अभ्यास से राहत मिलने की सम्भावना बनती है। उन्हे यह आसन अवश्य करना चाहिए।

गरूड़ासन के जबरदस्त लाभ जानने के लिए -क्लिक करें

3-5. पैरों के लिए लाभदायक-
नौकासन के अभ्यास के समय हमारे जॉघ से लेकर पैर की अंगुलियों तक को तनाव,खिंचाव सहन करना होता है । इस तनाव,खिंचाव को हमारी जॉघ,घुटनों,पिण्डलियों,टखनों एवं पैर की अंगुलियों की मांसपेशियों एवं हड्डियों तक को सहन करना होता है । जिस कारण इनमें होने वाले विकारों को नष्ट करने में नौकासन महत्वपूर्ण भागीदारी निभा सकता है।
3-6. पाचन तन्त्र को स्वस्थ बनाने में सहयोगी।
नौकासन के अभ्यास का सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे पेट पर पड़ता है। जिस कारण हमारे पेट की ऑत,प्लीहा,यकृत,पिताशय पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। जो हमारे पाचन तन्त्र के साथ साथ हमारे अन्य आंतरिक अंगों को अधिक सक्रिय और क्रियाशील बनाने में सहायक सिद्ध होता है।

3-7. शरीर के कम्पन्न पर नियन्त्रण-
नौकासन के अभ्यास से हमारे पैरों पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है । एक उम्र के बाद जब मानव के शारीरिक अंग कमजोर पड़ने लगते है। हाथ पैरों में कम्पन्न आने लगती है, तो उस समय यह योगाभ्यास हमारे उस कम्पन्न को नियंत्रित करने में हमारे लिए सहायक होता है।

3-8. पीठ को मजबूत बनाता है।
नौकासन के अभ्यास में आप अनुभव करेंगे कि इस अभ्यास में जब आप अपने पैरों एवं सिर को ऊपर की ओर उठा लेते है। तब शरीर का समस्त भार एवं सन्तुलन को हमारी पीठ ही नियन्त्रित करती है । इसी अवस्था के कारण इस नौकासन अभ्यास से हमारी पीठ एवं मेरूदण्ड मजबूत बनता है। कमर दर्द,खिंचाव की समस्या पैदा ही नहीं हो पाती है। हॉ जिन्हे कमर दर्द पहले से ही हो उन्हें उचित परामर्श के उपरान्त यह योगाभ्यास करना चाहिए।

रहस्यमय कुण्डलिनी की शक्ति जानने के लिए -क्लिक करें

3-9. गर्दन दर्द में राहत देता है।
नौकासन का नियमित एवं उचित मार्गदर्शन में किये जाने वाले अभ्यास से हमारे गर्दन दर्द में राहत मिलती है।इसका सीधा सा कारण है। जब हम नौकासन का अभ्यास करते है, तो हमारे शरीर के साथ साथ हम अपनी गर्दन को भी ऊपर की ओर उठाते है,इस क्रिया में हमारी गर्दन की मांसपेशियों एवं शिराओं में तनाव पैदा होता है। जो इन अंगों की मालिश करता है। जिस कारण गर्दन की मांसपेशियां लचीली बन जाती है, और लचीलेपन के कारण गर्दन के हिस्से में दर्द पैदा नहीं होता है।

3-10. सीना एवं फेफड़ो के लिए लाभदायक-
जब हम नौकासन का अभ्यास करते है। तब हमारे सीने पर खिंचाव का अनुभव होता है,जो हमारा सीना को चौड़ा और मजबूत करने में सहायक होता है। जब सीना चौड़ा होता है,तो निश्चित ही हमारे फेफड़े पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हमारे फेफड़ों की कार्यशीलता बढ़ती है । हमारे शरीर को ऑक्सीजन की प्राप्ति में सुधार होता है।
3-11. नौकासन का नियमित अभ्यास करने से शरीर में रक्त परिसंचरण सुचारू बनता है।
3-12. पेट एवं कमर की चर्बी को पिघलाता है। अतः जो लोग पेट के मोटापा एवं लटकते पेट से परेशान है। उन्हें यह योगाभ्यास नियमित एवं सही मार्गदर्शन में करना चाहिए।

सम्मोहन की शक्ति जानने के लिए -क्लिक करें

4.नौकासन के अभ्यास में सावधानियां-                Naukasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.

आज हम बात कर रहे है ,नौकासन विधि,लाभ और सावधानियां।Naukasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan. की, योगाभ्यास कोई भी हो अगर खाली पेट किया जाये तो उसका परिणाम बहुत ही लाभदायक मिलता है। अतः नौकासन का अभ्यास भी सुबह के समय शौचादि से निवृत होने के उपरान्त करना चाहिए। अगर आपको सुबह का समय नहीं मिलता हो तो खाना खाना के कम से कम तीन घण्टे के बाद नौकासन का अभ्यास करना चाहिए।

सावधानियां                                                                Naukasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.

1.निम्न समस्याओं से ग्रस्त व्यक्ति को नौकासन नहीं करना चाहिए-
निम्न रक्तचाप,
माईग्रेन से ग्रस्त को,
अस्थमा से ग्रस्त को,
हृद्य रोग से ग्रस्त को,
कमर दर्द के रोगी को,
कन्धें,घुटने,कमर,कुल्हों एवं अन्य जोड़ो के समस्या से ग्रस्त को,
पेट की चोट या पेट के ऑपरेशन की स्थिति में,
गर्भवती या मासिक धर्म के समय महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।

गौमुखासन विधि और लाभ जानने के लिए -क्लिक करें

5-निष्कर्ष
यह कहावत तो आपने सुनी होगी स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है। या फिर जैसा खाये अन्न वैसा बने मन। यानी जैसी जीवनशैली या संगत होगी वैसा ही व्यक्ति का मन या विचार होगें । अतः अगर नियमित रूप से शुद्ध विचारों के साथ सुबह के समय योगाभ्यास किये जाये तो मन और तन दोनों स्वस्थ एवं शुद्व विचारों के साथ पवित्रता लिए होगें।

यह सब होता है सुबह के समय किये गये योगाभ्यास के परिणाम से यह हमें ज्ञान है कि योगाभ्यास से शरीर की बहुत सी बिमारियॉ ठीक होती है। यही हमने आज की चर्चा में जाना कि नौकासन के नियमित एवं सही मार्गदर्शन में किये गये अभ्यास से हमारा पेट,पाचनतन्त्र,कमर, कन्धे,गर्दन आदि अंगों को सकारात्मकता के साथ स्वस्थ्य प्राप्त होता है। जब शरीर स्वस्थ तो मन स्वस्थ।अतःहमें योग को अपने दैनिक जीवन में एक आवश्यक क्रिया मानते हुए शामिल कर लेना चाहिए।

इस पोस्ट का उद्देश्य योग सम्बन्धी जानकारी देना मात्र है। चिकित्सकीय उद्देश्य से योगाभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक से आवश्यक रूप से परामर्श करना चाहिए। योगाभ्यास प्रारम्भ में योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए।ताकि सही विधि,लाभ एवं सावधानियों से अवगत हुआ जा सके।

FAQ

Naukasan

नौकासन संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है,नौका और आसन, जिसमें नौका का अर्थ होता है नाव और आसन का अर्थ है मुद्रा। इस योगासन के अभ्यास में हमारे शरीर की आकृति समुद्री नौका जैसी बन जाती है। अतः इसी कारण इस आसन को नौकासन कहा जाता है। नौकासन को अंग्रेजी में बोट पोज (Boat Pose) कहा जाता है।
1.निम्न समस्याओं से ग्रस्त व्यक्ति को नौकासन नहीं करना चाहिए- निम्न रक्तचाप, माईग्रेन से ग्रस्त को, अस्थमा से ग्रस्त को, हृद्य रोग से ग्रस्त को, कमर दर्द के रोगी को, कन्धें,घुटने,कमर,कुल्हों एवं अन्य जोड़ो के समस्या से ग्रस्त को, पेट की चोट या पेट के ऑपरेशन की स्थिति में, गर्भवती या मासिक धर्म के समय महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
नौकासन का अभ्यास अभ्यस्त नहीं होने तक 15 से 20 सेकेण्ड तक करना चाहिए। अभ्यास होने पर योग प्रशिक्षक के परामर्श से समय की अवधि को बढ़ाई जा सकती है। इसकी 3 से 5 आवृतियॉ करनी चाहिए।
नौकासन करने की विधि -योग हमेशा योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में करना चाहिए- 1.नौकासन का अभ्यास करने के लिए आप समतल जगह पर योगा मैट या चटाई बिछा कर शान्त भाव के साथ बैठ जायें। 2. कुछ गहरे एवं लम्बे सांस ले और छोड़े। 3. अपने पैरों को सामने योगा मेट पर सीधे फैला कर बैठ जायें। 4. अपने हाथों को अपने सामने कन्धे के सामान्तर ले आयें। 5. अब धीरे धीरे अपने पैरों को आपस में जोड़े कर रखते हुए,घुटनों एवं अपने पैरों की अंगुलियों को मजबूती के साथ एकदम सीधा रखते हुए खिंचाव के साथ ऊपर की ओर उठाएं। 6. अपने पैरों एवं सिर सहित पूर्ण शरीर को 45 डिग्री तक इतना ऊॅचा उठाएं कि आपके पेट एवं नाभि पर खिंचाव महसूस होने लगे। आपके नितम्ब जमीन को स्पर्श करते रहेगें। 7. अपने पैरों और अपने शरीर के उपरी हिस्से को इतना ऊॅचा उठाएं कि आपका शरीर नौका की आकृति बना लें। 8. आपके नितम्ब जमीन पर टिके रहें, शेष शरीर नौका की आकृति के रूप में हवा में स्थापित रहेगा। 9. इस स्थिति में आपकी श्वांस की गति सामान्य बनी रहनी चाहिए। 10. आप इस स्थिति में 15 से 20 सेकेण्ड तक बने रहें,अभ्यास होने पर योग प्रशिक्षक के परामर्श से समय की अवधि को बढ़ा सकते है। 11. सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आसन को छोड़ दें। नौकासन की द्वितीय विधि- कुछ योग प्रशिक्षक इस विधि से भिन्न विधि से भी नौकासन का अभ्या करवाते है। जैसे- इस योगाभ्यास में पैरों एवं सिर को अधिक ऊॅचा नहीं उठाया जाता है। इसमें पैरा और सिर को एक फीट तक ऊठाया जाता है, एवं हाथों को लेटे हुए की स्थिति में अपने पेट के ऊपर से अपनी जॉघों की ओर अपने शरीर से कुछ दूरी बनाये हुए रखना होता है।ऽ
नौकासन के अभ्यास में हमारे पैर,हाथ,पेट एवं मेरूदण्ड बहुत प्रभावित होते है। इस आसन के नियमित अभ्यास से इन अंगों में सक्रियता आती है एवं लचीलापन बढ़ता है। नौकासन के नियमित से अभ्यास से होने वाले लाभ इस प्रकार से हैः- ऽ पेट की मसल्स को मजबूत बनाए- ऽ कुल्हे मजबूत बनते है – ऽ मेरूदण्ड मजबूत बनता है- ऽ नाभि को सही जगह पर रखने में सहायक- ऽ पैरों के लिए लाभदायक- ऽ पाचन तन्त्र को स्वस्थ बनाने में सहयोगी। ऽ शरीर के कम्पन्न पर नियन्त्रण- ऽ पीठ को मजबूत बनाता है। ऽ गर्दन दर्द में राहत देता है। ऽ सीना एवं फेफड़ो के लिए लाभदायक- ऽ नौकासन का नियमित अभ्यास करने से शरीर में रक्त परिसंचरण सुचारू बनता है। ऽ पेट एवं कमर की चर्बी को पिघलाता है। अतः जो लोग पेट के मोटापा एवं लटकते पेट से परेशान है। उन्हें यह योगाभ्यास नियमित एवं सही मार्गदर्शन में करना चाहिए।

 

, ,


One response to “नौकासन विधि,लाभ और सावधानियां।Naukasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.”

  1. Raghuvir singh Avatar

    Good

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Search

About

Lorem Ipsum has been the industrys standard dummy text ever since the 1500s, when an unknown prmontserrat took a galley of type and scrambled it to make a type specimen book.

Lorem Ipsum has been the industrys standard dummy text ever since the 1500s, when an unknown prmontserrat took a galley of type and scrambled it to make a type specimen book. It has survived not only five centuries, but also the leap into electronic typesetting, remaining essentially unchanged.

Gallery

Discover more from Yoga Health Corner

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading