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मयूरासन, विधि,लाभ एवं सावधानियां। Mayurasan, Vidhi,Labh,Savdhaniya

मयूरासन, विधि,लाभ एवं सावधानियां। Mayurasan, Vidhi,Labh,Savdhaniyaमयूरासन एक प्राचीन योग आसन है, जो शरीर के लिए लाभकारी है। इस आसन में, व्यक्ति अपने हाथों की हथेलियों को ज़मीन पर रखकर हथेलियों के बल पर शरीर को हवा में खडा रखते हैं। जिससे शरीर के सन्तुलन और लचक में वृद्धि होती है। इस स्थिति में अभ्यासकर्ता के शरीर की आकृति मयूर के समान बनी होने का अहसास होने के कारण इस आसन का नाम मयूर पक्षी से लिया गया है, इस आसन में व्यक्ति मयूर की तरह खड़ा रहता है।

Mayurasan, Vidhi,Labh,Savdhaniya

Photo-Pixabay

1.मयूरासन कैसे करें ?

1.किसी समतल स्थल पर योगा मेट या आसन बिछाकर घुटनों एवं पंजों के बल आराम से बैठ जायें।
2-अब अपने दोनों हाथों की हथेलियों को इस प्रकार जमीन पर रखें कि अगुलियां पैरों की ओर घुम जाये।
3-अपनी दोनों कोहनियों को अपनी नाभि से लगाएं।
4-अपने दोनों पैरों को श्वांस पूरक करते हुए एक साथ धीरे धीरे ऊपर की ओर उठाऐं।
5-आपकी दृष्टि सामने रहनी चाहिए।

6-अब आपके शरीर का सन्तुलन दोनों कोहनियों एवं हाथ की हथेलियों पर होना चाहिए। इस स्थिति में श्वास कुम्भक की स्थिति में होना चाहिए।
7-आपकी गर्दन एवं पैर समानान्तर स्थिति में होने चाहिए।
8-15 से 20 सैकेण्ड अथवा अपनी सामर्थ्य के अनुसार रूकें।
9-श्वांस को रेचन करते हुए धीरे धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं।

10-मयूरासन के अन्य प्रकारः-
कुछ साधक मयूरासन के अभ्यास के दौरान अपने पैरों को समान्तर करने के उपरान्त मयूरासन की मुद्रा में ही अपने पैरों से पदमासन लगाते है।

गरूड़ासन के लाभ क्लिक करें

2-मयूरासन के अभ्यास में लाभ :-

मयूरासन एक महत्वपूर्ण योग आसन है जो शरीर के लिए लाभकारी है। आसन के कुछ मुख्य लाभ हैं :-
1. मयूरासन का नियमित अभ्यास शरीर में लचक एवं मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।
2. इसका नियमित अभ्यास मोटापा की वृद्धि को रोकता है।
3. यह हाथ की मांसपेशियों को मजबूती देता है।

4. मयूरासन का नियमित अभ्यास पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
5. इसका नियमित अभ्यास पाचन तन्त्र को स्वस्थ एवं सक्रिय रखता है। जिससे कब्ज नहीं रहती एवं भोजन का पूर्ण रस शरीर को प्राप्त होता है।
6.मयूरासन का नियमित अभ्यास रक्त परिसंचरण को बढ़ता है । जिससे शरीर के समस्त अंगों को स्वास्थ्य प्राप्त होता है,और वे सक्रिय बने रहते है।
7. इससे अभ्यास से शरीर को संतुलन प्राप्त होता है।

8.यह योगाभ्यास सांसों पर नियन्त्रण रखना भी सिखाता है।
9.मयूरासन के नियमित अभ्यास से रक्त का परिसंचरण सुचारू होने के कारण रक्तचाप नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
10. मयूरासन के नियमित अभ्यास से शरीर में लचिलापन आता है। जिसका असर शरीर के नाडी़ तन्त्र पर भी पड़ता है। जिससे नाड़ीयों में लचीलापन होने के कारण रक्त का प्रवाह सुचारू रहता है। हृद्य को प्रयाप्त मात्रा में रक्त एवं ऑक्सिजन की आपूर्ति मिलती रहती है। अतः हृद्य सम्बन्धी रोगों की रोकथाम में सहायता मिलती है।

11. जब शरीर के सभी अंग स्वस्थ एवं मजबूत होंगे तो शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा।
12. मयूरासन करने से आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है, जिसकी व्यक्ति को अपने मानसिक अवस्था में विश्वास और आत्मनिर्भरता मिलती है।

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प्रकार मयूरासन के अभ्यास से शारीरिक,मानसिक शांति और संतुलन को कुछ हद तक प्रभावित किया जाता है। जिसकी व्यक्ति को अपनी मानसिक स्थिति में शांति, संतुलन और सफलता मिल सकती है।

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मयूरासन के अभ्यास में सावधानियां :-

मयूरासन एक कठिन आसन है, इसलिए इसके लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिएः
1.गर्भवती महिलाओं को मयूरासन नहीं करना चाहिए।
2.हृद्य रोग से पीड़ीत व्यक्तियों को यह योगासन नहीं करना चाहिए।
3. इस आसन का अभ्यास उच्च रक्तचाप से पीड़ीत व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए।
4. योगाभ्यास करते समय अपने शरीर की भी सुननी चाहिए,क्षमता से बाहर जाकर योगाभ्यास नहीं करना चाहिए।
5. योगाभ्यास धीरे धीरे करना चाहिए,योगाभ्यास करते समय जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
6. योगाभ्यास हमेशा योग्य प्रशिक्षक के मार्गदर्शन एवं परामर्श के अनुसार करना चाहिए।
निश्चित रूप से, मयूरासन एक प्राचीन योग आसन है जो शरीर और मन दोनों के लिए लाभकर है।

इस ब्लॉक पोस्ट का उद्देश्य मात्र योग सम्बन्धी जानकारी जन सामान्य तक पहुंचाना है। किसी चिकित्सीय उद्देश्य से योगासन प्रारम्भ करने से पूर्व अपने चिकित्सक एवं योग प्रशिक्षक से उचित परामर्श प्राप्त कर लेना चाहिए।

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FAQ

Mayurasan

मयूरासन एक प्राचीन योग आसन है, जो शरीर के लिए लाभकारी है। इस आसन में, व्यक्ति अपने हाथों की हथेलियों को ज़मीन पर रखकर हथेलियों के बल पर शरीर को हवा में खडा रखते हैं। जिससे शरीर के सन्तुलन और लचक में वृद्धि होती है। इस स्थिति में अभ्यासकर्ता के शरीर की आकृति मयूर के समान बनी होने का अहसास होने के कारण इस आसन का नाम मयूर पक्षी से लिया गया है, इस आसन में व्यक्ति मयूर की तरह खड़ा रहता है।
1.किसी समतल स्थल पर योगा मेट या आसन बिछाकर घुटनों एवं पंजों के बल आराम से बैठ जायें। 2-अब अपने दोनों हाथों की हथेलियों को इस प्रकार जमीन पर रखें कि अगुलियां पैरों की ओर घुम जाये। 3-अपनी दोनों कोहनियों को अपनी नाभि से लगाएं। 4-अपने दोनों पैरों को श्वांस पूरक करते हुए एक साथ धीरे धीरे ऊपर की ओर उठाऐं। 5-आपकी दृष्टि सामने रहनी चाहिए। 6-अब आपके शरीर का सन्तुलन दोनों कोहनियों एवं हाथ की हथेलियों पर होना चाहिए। इस स्थिति में श्वास कुम्भक की स्थिति में होना चाहिए। 7-आपकी गर्दन एवं पैर समानान्तर स्थिति में होने चाहिए। 8-15 से 20 सैकेण्ड अथवा अपनी सामर्थ्य के अनुसार रूकें। 9-श्वांस को रेचन करते हुए धीरे धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं। 10-मयूरासन के अन्य प्रकारः- कुछ साधक मयूरासन के अभ्यास के दौरान अपने पैरों को समान्तर करने के उपरान्त मयूरासन की मुद्रा में ही अपने पैरों से पदमासन लगाते है।
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