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महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.

महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga. योग, भारत से शुरू हुई एक प्राचीन पद्धति है, जिसमें समस्त महिला,पुरूष एवं बच्चों के स्वास्थ्य के लिए लाभों को व्यापक रूप से मान्यता दी गई है। महिलाओं में मासिक धर्म,गर्भधारण एवं प्रजनन सम्बन्धी स्वास्थ्य से लेकर रजोनिवृत्ति तक, सामने आने वाली विभिन्न शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक चुनौतियों के समाधान के लिए योग एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है।
इस लेख में, हम महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए योग के लाभों पर चर्चा करेंगे। प्रजनन स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन, अस्थि घनत्व और समग्र कल्याण पर इसके प्रभाव पर चर्चा करेंगे।

 

महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.

                                                                                                   Photo- pixabay
महिलाओं की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं में सर्वागासन,भुजंगासन, वज्रासन,शशांकासन, योग मुद्रा,जानुशीर्षासन, पश्चितोतासन, पवनमुक्तासन,गरूड़ासन, प्राणायाम,योगनिन्द्रा,मूलबन्ध,उड्डियान बन्ध,योनिमुद्रा कपालभाति प्राणायाम आदि लाभप्रद होते है।

1-प्रजनन स्वास्थ्यः               (महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

1.1- मासिक धर्म की नियमितताः- योग मासिक धर्म चक्र को नियमित करने, कष्टार्तव के लक्षणों को कम करने में सर्वागासन,भुजंगासन, वज्रासन,शशांकासन, योग मुद्रा प्राणायाम,योगनिन्द्रा, मूलबन्ध,उड्डियान बन्ध,योनि मुद्रा मदद करता है। अगर इन योगासान एवं प्राणायामों का योग्य मार्गदर्शन एवं परामर्श से नियमित रूप से अभ्यास किया जाये तो समस्याओं का निदान करने में काफी मद्द मिल सकती है।

 

1.1.1-शशांकासनः-               (  महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

शशांकासन का अभ्यास तनाव को कम करके, हार्मोनल संतुलन को बढ़ावा देकर और समग्र प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ाकर प्रजनन क्षमता में सुधार करता है। सर्वागासन,हलासन, पद्मासन,गरूड़ासन, कपालभाति प्राणायाम, योनि मुद्रा आदि लाभप्रद होती है।

शशांकासन करने की विधि।

i-सर्व प्रथम शांत भाव के साथ वज्रासन में बैठें।-अपने दोनों हाथों को अपनी जंघाओं पर रखें।
iii-कमर सीधी एवं नजर सामने रहनी चाहिए।
iv-श्वांस पूरक करते हुए दोनों बाजुओं को सिर से ऊपर उठायें।
v-श्वांस को रेचन करते हुए, सामने की ओर धीरे धीरे झुकने का प्रयास करें।

vi-तब तक झुकते जाये जब तक आपकी दोनों भुजाएं कोहनीयों तक एवं मस्तिष्क जमीन को स्पर्श न कर ले।
vii-इस स्थिति में आपके नितम्ब आपकी एड़ियो पर टिके रहने चाहिए, ध्यान रखें नितम्ब ऊपर की ओर न उठे।
viii-श्वांस की गति सामान्य रखें । 15 से 20 सेकेण्ड इस स्थिति को बनाए रखें और सचेत रहते हुए रीढ़ पर श्वास की गति अनुभव करें।
ix-अब धीरे धीरे सामान्य स्थिति में आ जायें।
x-इस आसन की 3 से 5 बार आवृति दोहरावें।

1.1.2-शशांकासन के लाभ :

(  महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

i-शशांकासन के अभ्यास से श्रोणि क्षेत्र पद दबाव पड़ता है जिससे प्रजनन अंगों की मालिश होती जिससे उन्हें सक्रिय होने में मदद मिलती है।शशांकासन प्रजनन सम्बन्धी समस्याओं के निवारण के साथ साथ अन्य लाभ भी देता है। जैसे
ii-शशांकासन सिर की रक्तापूर्ति में सुधार करता है जिससे आंखों व मस्तिष्क एवं बुद्धि को स्वस्थ करता है।
iii-शशांकासन के अभ्यास से मानसिक शान्ति प्राप्त होती है,उदासीनता से छुटकारा मिलता है।
iv-शशांकासन के अभ्यास से सम्पूर्ण रीढ़ एवं पीठ की मांसपेशियों को आराम मिलता है।
v-शशांकासन से पेट तक जाने वाला श्वास सहजता से पाचक अंगों की मालिश करता है।

vi-शशांकासन का अभ्यास स्नायु तंत्र को शांत एवं संतुलित करने में सहायक हो सकता है।
vii-शशांकासन का अभ्यास एकाग्रचित्तता को बढ़ाना एवं अवसाद को समाप्त करने के लिए सहयोगी हो सकता है।

1.1.3-शशांकासन के अभ्यास में सावधानी :

यदि उच्च रक्तचाप, का रोग हो तो शशांकासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

 

  • हलासनः-
  • पदमासनः-
  • गरूड़ासनः-
  • कपालभातिः-

1.2-योनि मुद्राः-

                                         (  महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

योनि मुद्रा किसी भी महिला को स्वस्थ रहने के लिए बहुत ही लाभकारी मुद्रा मानी गई है। योग विशेषज्ञों का मानना हैं कि योनि मुद्रा का अधिकतम लाभ पाने के लिए सही मार्गदर्शन एवं नियमित रूप से किया जाना चाहिए है।
योनि मुद्रा का अभ्यास महिला प्रजनन अंग या गर्भाशय को स्वस्थ रखने में सहायक माना जाता है।
यह मन और शरीर के बीच संतुलन साधता है। योग में आसन एवं मुद्राएं हमारे ख़ास अंगों पर ख़ास प्रभाव डालती हैं। यह हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित करती है। योनी मुद्रा का अभ्यास महिलाओं के लिए एक बेहतरीन व्यायाम माना गया है।

1.2.1-योनी मुद्रा की विधिः-

i-समतल स्थान पर योगा मैट बिछा कर सुखासन में ध्यान की मुद्रा बना कर बैठ जायें।
ii-आपकी दृष्टि सामने मेरूदण्ड एवं गर्दन सीधा रखें।
iii-अपनी हथेलियों को अपनी गोद में ऐड़ियों पर रखें।
iii-दोनो अंगुठों एवं साथ वाली तर्जनी अंगुलियों को आपस में मिला ले, बाकि सभी अंगुलियों को मोड़ कर हथेलियों में समेट लें। अंगुलियों को आपस में फसाएं नहीं।
iv-आपके हाथों की अंगुलियों एवं अंगुठे से जो आकृति बनी है एक हीरे,या स्त्री के प्रजनन अंग की आकृति की बनती है। हाथों की स्थिति ऐसी रहे कि यह मुद्रा आपके गर्भ क्षेत्र पर बनी रही ।
v-श्वांसों पर पूरा ध्यान रहना चाहिए।

vi-श्वांस का आना जाना नासिका,फेफड़ों,पेट तक अनुभव करें।
vii-योनी मुद्रा पर भी ध्यान बनाए रखना चाहिए।
viii-मुद्रा का अभ्यास खत्म करने के लिए सबसे पहले अपनी अंगुलियों को सीधा करते हुए मुद्रा का समापन करना चाहिए।
ix-इसका अभ्यास15 से 20 मिनट तक नियमित रूप से करना चाहिए।
xi-योनि मुद्रा का लाभ पाने के लिए प्रातःकाल का समय उत्तम होता है समय अभाव के कारण सांय को भी किया जा सकता है।

1.2.2-योनि मुद्रा के अभ्यास के लाभ :-

(  महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

i- गर्भाशय की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करती है

ii- हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करती है

iii- यह पीरियड फ्लो को सुचारू कर सकता है।

 

1.2.3-योनि मुद्रा करने के समय सावधानियॉः-

i-योनी मुद्रा का अभ्यास किसी योग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
ii-मानसिक रूप से अस्वथ को योनी मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
iii-योनी मुद्रा का अभ्यास हमेशा शांत वातावरण में करना चाहिए। स्वास्थ्य की दृष्टि से योनी मुद्रा का अभ्यास सभी महिलाओं को करना चाहिए।

2-गर्भावस्था और प्रसव –

(  महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

योग शरीर को गर्भावस्था के लिए तैयार करता है, प्रसव पीड़ा को कम करता है और प्रसवोत्तर स्वास्थ्य लाभ में सहायता करता है।

उचित मार्गदर्शन में योगाभ्यास किया जाने पर गर्भधारण से लेकर गर्भावस्था, बच्चे के स्वास्थ्य एवं प्रसव तक लाभदायक हो सकते है।

3-तनाव प्रबंधनः

तनाव हार्मोन को कम करता हैः- योग कोर्टिसोल के स्तर को कम करता है, चिंता और अवसाद को कम करता है।
पश्चिमोतासन,उत्तानासन,योगमुद्रा,पादहस्तासन,भस्त्रिका प्राणायाम एवं योगनिन्द्रा, तनाव प्रबन्धन में सहायक हो सकते है,अगर इनका नियमित एवं विधिवत

रूप से अभ्यास किया जाये।

महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.

 

  •                                                                                              Photo Pixabay
  • पश्चिमोतासनः
3.1-उत्तानासन                                                  महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

उत्तानासन संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ खिंचाव/ स्ट्रेचिंग करने वाला आसन है। इस आसन के अभ्यास से शरीर के प्रत्येक अंग में खिंचाव पैदा होता है। जिससे समस्त शरीर को लाभ मिलता है।
उत्तानासन के अभ्यास के दौरान सिर नीचे होता है जिस कारण शरीर के रक्त का प्रवाह पैरों में होने की बजाय सिर की तरफ होने लगता है। जिससे रक्त और ऑक्सीजन की अच्छी खासी मात्रा दिमाग में पहुंचने लगती है। इस आसन को करने के लिए 15-30 सेकंड के बीच की अवधि होनी चाहिए।

3.2–उत्तानासन के अभ्यास की विधिः-                                                                 (महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

i-योग मैट पर सीधे खड़े होकर दोनों हाथों को हिप्स पर रखें।
ii-अब सांस अंदर खींचते हुए कमर को मोड़ते हुए आगे की ओर झुकें।
iii-सिर नीचे की ओर होने पर आपका सीना पैरो को स्पर्श करता रहेगा।
iii-सिर को नीचे की तरफ झुकाएं और टांगों के बीच से झांककर देखें।
iv-हाथों से टखने को पीछे की ओर पकड़ते हुए घुटनों को मुड़ने नहीं दें।
v-इस मुद्रा में 15-20 सेकेंड तक रहें ।
iv-आसन से बाहर आने के लिए धीरे धीरे सांस को भीतर की ओर खींचते हुए हाथों को हिप्स पर रखें।
vi-धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठें और सामान्य होकर खड़े हो जाएं।
vii-इस आसन की 3 से 5 बार आवृति का दोहराव करें।

3.3–उत्तानासन के लाभः-                                                                                                                    (महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

i-उत्तानासन के नियमित अभ्यास से मस्तिष्क को शक्ति मिलती है, दिमाग शांत रहता है और तनाव से दूर रह सकते हैं।
ii-उत्तानासन के नियमित अभ्यास से सिर दर्द और अनिद्रा की समस्या में भी राहत मिलती है।
iii-उत्तानासन के अभ्यास से पिंडली, जांघ, पीठ, कमर और कूल्हे मजबूत होते हैं। मांसपेशियों में होने वाले दर्द और अन्य समस्याएं कम हो सकती हैं।
iv-उत्तानासन के नियमित अभ्यास से पाचन संबंधी समस्याओं और पेट की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
v-इस योग के अभ्यास से हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा, साइनोसाइटिस और हड्यिं की कमजोरी जैसी समस्या में राहत मिलती है।

3.4-उत्तानासन के अभ्यास के दौरान सावधानियां                                                                          (  महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

i-अगर पीठ के निचले हिस्से में चोट लगी हो तो यह अभ्यास न करें।
ii-शरीर की मांसपेशियों में दर्द होने पर भी इस अभ्यास को न करें।
iii-साइटिका की समस्या में इस आसन से दर्द बढ़ सकता है
iv-रीढ़ की हड्डी में दर्द होने पर उत्तानासन के अभ्यास से बचें।

  • योगमुद्राः-
  • पादहस्तासनः-
  • भस्त्रिका प्राणायामः
  • 4. रक्त अल्पता :-अक्सर देखा गया है एवं अनुभव किया गया है कि महिलाओं में रक्त की अल्पता रहती है। अगर महिलाएं नियमित रूप से इन आसनों का विधि पूर्वक अभ्यास करती है तो रक्त की कमी सम्बन्धी समस्याओं से राहत पा सकती है।
    सर्वागासन, पश्चिमोतासन, सूर्यनमस्कार उज्जायी प्राणायाम कपालभाति आदि लाभप्रद होते है।
  • सर्वागासनः-
  • पश्चिमोतासनः-
  • सूर्यनमस्कारः-

 

4-उज्जायी प्राणायामः-                                                                                                               (महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

अगर जनसामान्य की भाषा में कहा जाये तो,योग में श्वांस के प्रयोग को ‘प्राणयाम’ कहा जाता है। उज्जायी प्राणायाम, प्राणायाम का ही एक प्रकार है।
उज्जायी प्राणायाम करते समय सांस को बाहर निकालते समय महसूस किया जाता है।

4.1-उज्जायी प्राणायाम करने की विधिः-

i-एक शांत जगह पर सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
ii-अपनी आंखें बंद कर लें। जीभ को तालु से सटा लें।
iii-धीरे धीरे श्वांस को पूरक करें, तब तक पूरक करें जब तक फेफड़े एवं नाभि तक पेट श्वांस से भर नहीं जायें।
iv-कुछ समय के लिए कुम्भक करें।
v-धीरे धीरे प्रश्वांस करें,प्रश्वांस में वायु कण्ठ नली को स्पर्श करती हुएं निकलती अनुभव होनी चाहिए।
vi-प्रश्वांस में आ………..की ध्वनी भी निकलनी चाहिए।
vii-इसी तरह श्वांस-प्रश्वांस की आवृति 3 मिनट से 15 मिनट तक करते रहें। आपका पूरा ध्यान श्वांस-प्रश्वांस एवं ध्वनी पर रहना चाहिए।

4.2-उज्जायी प्राणायाम अभ्यास के लाभ                                (महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

 

  • i-उज्जायी प्राणायाम बंद धमनियों को खोलने और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने,रक्त अल्पता को समाप्त करनें में उपयोगी माना जाता है।
    इसके अन्य लाभ भी माने गये हैः-
    ii-ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है।
    iii-इससे शरीर स्वस्थ और मजबूत होता है।
    iv-आंतरिक ऊर्जा को बढ़ाता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है।
    v-इसके अभ्यास से साइनस और माइग्रेन की समस्या को दूर किया जा सकता है।
    vi-हृदय रोगों और हार्टअटैक जैसी समस्या की संभावनाओं को कम करता है।
    vii-आवाज को सुरीला बनाने के साथ-साथ यह प्राणायाम थाइरॉइड जैसी बीमारी से भी दूर रखता है ।

 

  (महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.)

2. बेहतर मुद्राः- योग मुद्रा को बढ़ाता है, जिससे पीठ दर्द और रीढ़ की हड्डी में विकृति का खतरा कम हो जाता है।

i. वजन प्रबंधनः- उज्जायी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से वजन प्रबंधन, चयापचय और शरीर की संरचना में सुधार का होता है।
ii. प्रतिरक्षा प्रणालीः- उज्जायी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा मिलता है एवं संक्रमण और बीमारियों से शरीर की रक्षा होती है।
iii. मानसिक स्पष्टताः- उज्जायी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से कार्य के प्रति फोकस, एकाग्रता बढ़ती है और स्मरण शक्ति में सुधार करता है।
iv. आत्म-सम्मानः- योग आत्म-जागरूकता, आत्म-स्वीकृति और आत्म-प्रेम को बढ़ावा देता है, सकारात्मक शारीरिक छवि और आत्म-सम्मान को बढ़ावा देता है।

अंत में, योग महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक पहलुओं को संबोधित करता है। योग को अपनी जीवनशैली में शामिल करके, महिलाएं गहन लाभ का अनुभव कर सकती हैं, जिससे वे अधिक संतुलित, स्वस्थ और जीवंत पूर्ण जीवन जी सकती हैं। महिलाआें को अपनी अन्य शारीरिक समस्यों एवं गर्भावस्था के दौरान योगासन करने से पूर्व अपने चिकित्सक एवं योग प्रशिक्षक से परामर्श के अनुसार ही योगाभ्यास करना चाहिए।

 यह एक सामान्य लेख है, इस पोस्ट उद्देश्य योग सम्बन्धी सामान्य जानकारी देना मात्र है,कोई चिकित्सीय सलाह नहीं। यदि आपको कोई विशिष्ट स्वास्थ्य संबंधी चिंता है, तो कृपया किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श लें।

FAQ

mahilao ke yoga

योग मासिक धर्म चक्र को नियमित करने, कष्टार्तव के लक्षणों को कम करने में सर्वागासन,भुजंगासन, वज्रासन,शशांकासन, योग मुद्रा प्राणायाम,योगनिन्द्रा, मूलबन्ध,उड्डियान बन्ध,योनि मुद्रा मदद करता है। अगर इन योगासान एवं प्राणायामों का योग्य मार्गदर्शन एवं परामर्श से नियमित रूप से अभ्यास किया जाये तो समस्याओं का निदान करने में काफी मद्द मिल सकती है।
योनी मुद्रा की विधिः- i-समतल स्थान पर योगा मैट बिछा कर सुखासन में ध्यान की मुद्रा बना कर बैठ जायें। ii-आपकी दृष्टि सामने मेरूदण्ड एवं गर्दन सीधा रखें। iii-अपनी हथेलियों को अपनी गोद में ऐड़ियों पर रखें। iii-दोनो अंगुठों एवं साथ वाली तर्जनी अंगुलियों को आपस में मिला ले, बाकि सभी अंगुलियों को मोड़ कर हथेलियों में समेट लें। अंगुलियों को आपस में फसाएं नहीं। iv-आपके हाथों की अंगुलियों एवं अंगुठे से जो आकृति बनी है एक हीरे,या स्त्री के प्रजनन अंग की आकृति की बनती है। हाथों की स्थिति ऐसी रहे कि यह मुद्रा आपके गर्भ क्षेत्र पर बनी रही । v-श्वांसों पर पूरा ध्यान रहना चाहिए। vi-श्वांस का आना जाना नासिका,फेफड़ों,पेट तक अनुभव करें। vii-योनी मुद्रा पर भी ध्यान बनाए रखना चाहिए। viii-मुद्रा का अभ्यास खत्म करने के लिए सबसे पहले अपनी अंगुलियों को सीधा करते हुए मुद्रा का समापन करना चाहिए। ix-इसका अभ्यास15 से 20 मिनट तक नियमित रूप से करना चाहिए। xi-योनि मुद्रा का लाभ पाने के लिए प्रातःकाल का समय उत्तम होता है समय अभाव के कारण सांय को भी किया जा सकता है।
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One response to “महिलाओं के लिए योग। Mahilao Ke Liye Yoga.”

  1. Saroj Avatar

    महिलाओं के लिए अच्छी जानकारी

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