खुशहाल दाम्पत्य जीवन के जबरदस्त 7 योगासन-khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan
आज बात करेंगेkhushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan की आज हम किसी भी बिमारी के बारे में खुलकर बात करते है, परन्तु यौन समस्यों के बारे में बात करने में शर्मिंदगी महसूस करते है। इस समस्या को किसी के सामने नहीं लाते और जिन्दगीभर भुगतते रहते है। इसकी समस्या की ना तो कोई जॉच करवाते है और नहीं कोई चिकित्सा। जिस परिणाम होता है। गृहस्थ जीवन का समाप्त हो जाना या कलेश युक्त जीवन भोगना।
यह समस्या केवल किसी एक देश,समाज या व्यक्ति की नहीं होती। यह समस्या किसी के साथ भी हो सकती है। अन्य बिमारियों की तरह यह भी एक बिमारी होती है जिसका समय पर इलाज लिया जाये, तो ठीक हो जाती है।

आज जिस समस्या की बात कर रहे है, वह है नंपुसकता या स्तंभन दोष और यह कामोत्तेजना से जुड़ा गूढ़ रहस्य है। कामोतेजना किसी एक अंग द्वारा संचालित नहीं है।इस प्रक्रिया में शरीर के अनेक अंग हार्मोन्स,मनोभाव,रक्त का प्रवाह,तन्त्रिका तन्त्र,मस्तिष्क आदि अपनी अपनी हिस्सेदारी निभाते है तब जाकर यह प्रक्रिया सम्पन होती है। इनमें से किसी एक की भागीदारी असन्तुलित हो जाये तो कामोतेेेजना की प्रक्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
नंपुसकता दो प्रकार की मानी गई है।(khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan)
- स्तंभन नहीं होना।
- स्तंभन का बना नहीं रहना।
इस समस्या के कई कारण माने गये है।
जैसेः- जन्मजात नंपुसकता।
आयु का प्रभाव।
शारीरिक दौर्बल्यता।
चोट लगना।
भ्र्रम का होना।
मोटापा।
मधुमेह ।
शीध्रपतन।
शुक्राणुओं की कमी होना या शुक्राणुओ का न होना। आदि
प्रभावित व्यक्ति को समस्या होने पर किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। वे ही इसका वास्तविक कारण ज्ञात करने के उपरान्त उपचार की परामर्श दे सकते है।
इन समस्यों के निराकरण में सहायक होने वाले कुछkhushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasanपर आज हम चर्चा करेंगे।शरीर और मन को डिटॉक्स करें 1 उपाय
1.शीर्षासन
शीर्षासन करने की विधि(खुशहाल दाम्पत्य जीवन के जबरदस्त 7 योगासन-khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan)
1.खुले एवं शान्तवातारण में योगा मेट या आसन बिछाकर वज्रासन में बैठ जायें।
2.हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर लॉक कर लें।
3.अब इन अंगुलियों से घेरा बना कर अपने सामने मेट पर रख लें।
4.अपने सिर को आगे की तरफ लाकर अंगुलियों के घेरे में इस प्रकार स्थिर करें कि वह उस घेरे में फिट हो जाये इधर-उधर फिसले नहीं।
5.इस स्थिति में आने के लिए सिर को आगे लाते समय दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए एक साथ ऊपर एकदम आकाश की तरफ सीधा उठाएं। (यहॉ इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि सिर का आगे झुकना एवं पैरों का ऊपर उठना एक साथ होना चाहिए।) 6.अगर आप शीर्षासन प्रथम बार कर रहे है तो आपके पास एक सहयोगी होना चाहिए जो आपका सन्तुलन बिगड़ने पर आपको सम्भाल सके अथवा आप किसी दिवार का भी सहारा ले सकते है। लापरवाही से आपको चोट भी लग सकती है।
थोड़े से अभ्यास के बाद आप अपने पैरों को एकदम आकाश की तरफ सीधा खड़ा करने में सक्षम हो सकेंगे। अपना सन्तुलन भी बिना किसी सहारे के बना सकेगें।
7.इस शीर्षसान की स्थिति में आप अपनी क्षमता के अनुरूप रूके ।
8.वापिस सामान्य स्थिति में आने के लिए पैरों को घुटनों से मोड़े,सीने की तरफ लायें और धीरे से फर्श पर ले आयें।
9.इस आसन में श्वांसों की गति सामान्य रहेगी।
10.इस मुद्रा में आने के बाद 15 से 20 सेकेंड तक गहरी सांस लें और कुछ देर तक इसी मुद्रा में बने रहें।
11.इस आसन की तीन से चार बार आवृति की जा सकती है।
2.हनुमानासन
khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan मे से एक है हनुमानासन हम जानेगें हनुमानासन करने की विधि जो इस प्रकार है।
हनुमानासन विधिः-

1.समतल जमीन पर योगा मेट अथवा आसन बिछा कर शान्त भाव के साथ बैठ जायें।
2.अपने दोनों पैरों को सामने की तरफ लम्बे फैला कर रखें।
3.अपने गर्दन, सिर और मेरूदण्ड को सीधा रखें।
4.आपके दोनों हाथ जमीन पर स्पर्श करते रहें।
5.अब एक पैर को सामने की तरफ फैलाए एवं दूसरे को पीछे की ओर फैलाए। इतना फैलाएं कि आपके पैर,जॉघ,नितम्ब जमीन को स्पर्श करते रहें। (इस स्थिति में पैर फैलाने में काफी कष्टदायक स्थिति पैदा होती है परन्तु कुछ समय के अभ्यास से यह आसन होने लगता है )
6.दौनों पैर जमीन को स्पर्श करते रहें यह ध्यान रखा जाना चाहिए।
7.गहरा श्वांस लें और दोनों हाथों को सामने सीने पर लाकर प्रणाम की मुद्रा में जोड़े।
कुछ साधक हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर प्रणाम की मुद्रा भी बनाते है।
8.इस मुद्रा में 15-30 सेकेंड सुविधाजनक अवधि तक रूकें। 9.इसके बाद अपने दोनों हाथों को जमीन पर रखें और पहले की अवस्था में आ जाएं।
10.इस आसन का अभ्यास दायें एवं बायें पैर से बारी-बारी से आगे पीछे रखकर करें।
11.इस आसन की 2 से 3 बार आवृति करें।
3.सेतुबंधासन
khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan मे से एक है सेतुबंधासन हम जानेगें हनुमानासन करने की विधि जो इस प्रकार है।
सेतु बंधासन की विधिः-
1.स्वच्छ एवं समतल जमीन पर योगा मेट या चटाई बिछा कर शान्त भाव के साथ पीठ के बल लेट जायें।
2.पैरों को घुटनों से मोड़े और दोनों पैरों के बीच दूरी रखते हुए नितम्बों से लगभग 12 इंच की दूरी बनाते हुए स्थापित करें।
3.दोनों हाथों की हथेलियों को अपनी कमर के नीचे ले आयें और पैरों एवं हाथ की हथेलियों की सहायता से कमर के हिस्सें को ऊपर की ओर जितना उठा सके अधिक से अधिक उठाएं।
4.इस स्थिति में आपके शरीर का समस्त वजन आपके कन्धों एवं पैरों पर होना चाहिए। शरीर को इतना अधिक उठाये कि आपकी ठोड़ी आपके सीने को छू ले।
आपके शरीर की स्थिति सेतु(पुल) की बन गई है इसी कारण इस आसन को सेतुबन्ध आसन कहा जाता है।
5.श्वांसों गति सामान्य बनी रहेगी।
6.प्रारम्भ में अपनी सामर्थ्य के अनुसार इस मुद्रा में बने रहें।
7.अभ्यस्त होने के बाद धीरे धीरे इस मुद्रा में बने रहने का
समय बढ़ा सकते है।
8.श्वांस छोड़ते हुए धीरे धीरे शरीर को नीचे लायें और जमीन पर स्थापित कर दें।
- विश्राम की मुद्रा में कुछ समय लेटे रहें ।
4.पश्चिमोत्तानासन
khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan मे से एक है पश्चिमोत्तानासन हम जानेगें हनुमानासन करने की विधि जो इस प्रकार है।
पश्चिमोत्तानासन की विधिः-
1.समतल जमीन पर योगा मेट या चटाई बिछाकर शान्त भाव के साथ बैठ जायें।
2.जमीन पर दोनों पैरों को एकदम सीधे फैलाकर बैठ जाएं।
3.आपकी गर्दन, सिर और मेरूदण्ड को सीधा रखें।
4.दोनों पैर एक साथ चिपके हुए होने चाहिए।
5.अपने दोनों हाथों से अपने पैरों की अंगुलियों को पकड़ने का प्रयास करें।
- अपनी नाक को अपने घुटनों से छुने का प्रयास करें ।(हो सकता है प्रथम प्रयास में आप इस आसन को नहीं कर पायें परन्तु कुछ दिनों के अभ्यास के उपरान्त आप इस आसन को बिना किसी कठिनाई के आराम से कर पायेंगेंं।)
7.पूर्ण आभ्यास होने के उपरान्त आप अपनी कोहनियों को भी जमीन स्पर्श करा पायेंगे ओर माथे को घुटनों से स्पर्श करा सकेगें।
8.अपने सामर्थ्य के अनुसार इस मुद्रा में रूके और वापिस सामान्य स्थिति में आ जायें।
9.इस आसन की 3 से 5 बार आवृति करें।
5.बद्ध कोणासन
khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasanमे से एक है बद्ध कोणासन हम जानेगें हनुमानासन करने की विधि जो इस प्रकार है।
बद्ध कोणासन की विधिः-
1.किसी शान्त और शुद्ध वातावरण के स्थान पर योगा मेट या चटाई बिछा कर शान्त भाव के साथ बैठ जायें।
2.अपने पैरों को सामने की तरफ फैला लें।
3.एक पैर को घुटने से मोड़े और पैर के जोड़ से चिपकाते हुए जांघ के पास लगाएं।
4.दूसरे पैर को भी घुटने से मोड़े और पैर के जोड़ से चिपकाते हुए जांघ के पास लगाएं।
5.दोनों पैरों की पगथलियों को आपस में चिपका कर अपने हाथों की सहायता से अपने शरीर से चिपकाने की कौशिश करें।
6.इस स्थिति में आपकी गर्दन,कमर एवं मेरूदण्ड सीधा रहना चाहिए।
7.घुटनों को जमीन से स्पर्श कराने की कोशिश करें, हालॉकि प्रारम्भ में यह करना थोड़ा कठिन होगा परन्तु अभ्यास से आप ऐसा कर पायेगे।
8.प्रारम्भ में इस मुद्रा में कुछ सैकेण्डों के लिए रूका जा सकेगा । परन्तु अभ्यास के उपरान्त आप इस मुद्रा में 1 से 3 मिनट तक रूक सकते है।
9.इसके बाद आप धीरे से अपने पैरों को सामान्य स्थिति में ला सकते है।
10.इस योगासन की आप 3 से 5 बार आवृति कर सकते है।
6.उत्तानपादासन
khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan मे से एक है उत्तानपादासन हम जानेगें हनुमानासन करने की विधि जो इस प्रकार है।
उत्तानपादासन की विधि –
1.किसी समतल और हवादार स्वच्छ वातावरण में योगा मेट या चटाई पर पीठ के बल लेट जाये।
2.दोंनों पैरों को चिपकाते हुए बराबर रखे। एड़ियां जमीन को स्पर्श करती रहे।
3.हाथ शरीर के बराबर जमीन पर रहें।
4.श्वांस भरते हुए दोनों पैरों को एक साथ ऊपर की ओर 45 डिग्री तक उठाए। कुछ प्रकरणों में 60 डिग्री तक भी पैरों को ऊपर उठाया जाता है। पैरों को उपर उठाते समय पैर मुड़ने नहीं चाहिए। घुटनों से सीधे रहने चाहिए।
- 45 डिग्री पर पैरों को रोक कर कुछ सैकेण्डो के लिए रूकें। अभ्यस्त होने पर अधिक समय के लिए रूका जा सकता है। रूकने की अवधि को धीरे धीरे अपने सामर्थ्य के अनुरूप बढ़ाना का प्रयास करना चाहिए।
6.श्वांस को छोड़ते हुए पैरों को नीचे लायें और विश्राम की मुद्रा में आ जायें। ध्यान रहे वापिस आने समय पैरों को धीरे धीरे ही वापिस लायें,झटके के साथ नहीं लाये अन्यथा हानी होने की सम्भावना बन सकती है।
7.इसकी तीन से पॉच बार आवृति दोहरावे।
7.इन योगाभ्यास के साथ साथ निम्न प्राणायाम भी करने चाहिए।
1.भ्रामरी प्राणायाम
खुशहाल दाम्पत्य जीवन के जबरदस्त 7 योगासन-khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan के साथ भ्रामरी प्राणायाम भी किया जाना चाहिए यह भी इन योगासनों की भॉति ही प्रभावकारी प्राणायाम है। हम जानेगें भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि जो इस प्रकार है।
2.अनुलोम विलोम प्राणायाम
खुशहाल दाम्पत्य जीवन के जबरदस्त 7 योगासन-khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasanके साथ अनुलोम विलोम प्राणायाम भी किया जाना चाहिए यह भी इन योगासनों की भॉति ही प्रभावकारी प्राणायाम है। हम जानेगें अनुलोम विलोम प्राणायाम करने की विधि जो इस प्रकार है।
आपने इनkhushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan के अभ्यास के दौरान महसूस किया होगा कि योगाभ्यास के दौरान आपके श्रोणि क्षेत्र पर दबाव या खिंचाव पड़ता है। श्रोणि क्षेत्र नाभि के नीचे का भाग होता है। जहॉ पर आन्त, मूत्राशय,प्रजनन अंग जैसे गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, योनि और गर्भाशय ग्रीवा लिंग,वृषण होते है। योगासन से जब इस क्षेत्र पर दबाव पड़ता है तो इन अंगों की मसाज हो जाती है । जब इन अंगों की नियमित मसाज होगी तो शरीर स्वस्थ बनेगा। स्वस्थ शरीर के स्वस्थ अंग जब सक्रिय होगे तो हर शारीरिक समस्या का समाधान होगा।
सुझावः-
khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan के साथ साथ अपने भोजन में पौष्टिकता बढ़ाने के साथ साथ अपनी दिनचर्या को भी बदलने की आवश्यकता होगी।
- इन योगाभ्यासों के साथ पौष्टिक और सन्तुलित भोजन का सेवन भी किया जाना चाहिए।
- संयमित जीवन शैली अपनानी चाहिए।
- नशा आदि का परित्याग करना चाहिए।
- तनाव से मुक्त होने का प्रयास करना चाहिए।
- परिवार के साथ समय बिताना चाहिए।
योगाभ्यासों के लाभः-
khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan करने से शरीर के अंग तक रक्त का सुचारू प्रवाह बना रहता है। जिससे काम विकार शान्त होते है एवं प्रजनन अगों को स्वस्थ एवं सक्रिय होने में मदद मिलती है।
योगासनों का नियमित अभ्यास करने से श्रोणी स्थान में रक्त का संचरण सुचारू बनता है। जिससे पुरूषों में नंपुसकता की समस्यों का निराकरण करने में सहायता मिलती है। पुरूषों की यौन शक्ति बढ़ती है।
महिलाओं में बांझपन,मासिकधर्म सम्बन्धी समस्यों का निराकरण होता है।
इस प्रकार लाभ प्राप्त होने पर हर दम्पती अपना दाम्पत्य जीवन आनन्दपूर्वक निर्वहन करता है।
योगासन में सावधानियां
(खुशहाल दाम्पत्य जीवन के जबरदस्त 7 योगासन-khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan)
योगासन का अभ्यास खाली पेट किया जाना चाहिए। योगासन अभ्यास करने का सही समय प्रातःकाल का उचित होता है, परन्तु परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए शाम को भी योगाभ्यास किया जा सकता है।
गर्भवती एवं मासिक धर्म के समय महिलाओं को योगासन नहीं करना चाहिए।
किसी प्रकार के जोड़ों के दर्द,साईटिका,मेरूदण्ड,कमर दर्द, रक्तचाप, हृदय रोग में आसनों को नहीं करना चाहिए।
किसी प्रकार का ऑपरेशन हुआ हो तो भी योगासन नहीं करना चाहिए।
अगर आप किसी विशेष रोग से ग्रस्त हैं तो किसी भी अभ्यास को करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
इस लेख को लिखने का उद्देश्य योग सम्बन्धी जानकारी देना मात्र है। स्वास्थ्य की दृष्टि से अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक या योग प्रशिक्षक से परामर्श किया जाना चाहिए।
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FAQ
9 responses to “खुशहाल दाम्पत्य जीवन के जबरदस्त 7 योगासन-khushahaal dampatya jeevan ke jabaradast 7 yogaasan”
Good for health
Health is wealth
Good for fitness
Thanks
kisi anya vishya par jankari chahiye to likhe
बेहतरीन जानकारी
Jabrdast
उत्तम
Thanks
good