कब्ज से छुटकारा पाने के उपाय,kabaj se chutkara pane ke upay
kabaj se chutkara pane ke upay कब्ज से है परेशान तो ये आसन करें।समय पर शौच से निवृत नहीं होना को कब्ज कहते है। हमने अपने जीवन में भी कब्ज की असुविधा का अनुभव किया है जो कब्ज काफी परेशान करने वाली स्थिति होती है। जिसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है जैसे मलबन्ध,कोष्ठबद्धता ,कॉन्स्टीपेशन आदि। कब्ज होने पर व्यक्ति को शौच से निवृत होने के लिए काफी परेशानियों से सामना करना पड़ता है इससे कई अन्य गम्भीर बिमारियॉ भी पैदा हो जाती है,जैसे बवासीर,फिसर,मानसिक रोग,ऑते कमजोर होना,अवसार सिरदर्द एवं अम्लपित आदि।

1-कब्ज के कारण (kabaj se chutkara pane ke upay)
कब्ज का मुख्य कारण अनियमित आधुनिक जीवनशैली है। जिसमें न चाहते हुए भी व्यक्ति को न तो रात को सोने का समय नियत कर पाता है और न ही सुबह उठने का इस प्रकार अनियमित जीवनशैली के कारण कब्ज का प्रमुख कारण है।
1- फास्ट फूड के नाम पर ब्रेड,पिज्जा,बर्गर,केक, मैदा,पैक्ड फूड का अधिक सेवन करना।
2- आवश्यकता से अधिक चाय,कॉफी,कोल्ड ड्रिंक,शराब,धुम्रपान का सेवन ।
3- आपाधापी के जीवन में दवाओं के सेवन का आदी होना।
4. भागादौड़ी की जिन्दगी में आदमी भोजन भी सही ढ़ंग से पूर्ण चबाकर नहीं करना।
5. भोजन में रेशेदार सब्जी या अनाज का अभाव होना।
6-जल का भी शरीर की पूर्ति अनुसार सेवन नहीं करना।
7. भूख से अधिक बार बार भोजन करना।
8.- रात को देर तक जागना और सुबह देर तक सोना।
9. शौच की इच्छा होने पर उसे रोके रखना।
10- अगर आपका पेट सुबह पूरी तरह से साफ नहीं होता हैं, तो दिनभर आप आलस्य से मुक्त नहीं हो सकते और मन में एक बैचेनी की स्थिति बन रहती है। किसी भी कार्य को आप जूनन के साथ करने में अपने आपको असमर्थ महसूस करते हैं। इस स्थिति में अन्य उपायों के साथ साथ योग हमारी पाचन क्रिया या पाचन दौर्बल्य को सही करने में उपयोगी हो सकता है।
आज हम इसी सन्दर्भ में kabaj se chutkara pane ke कुछ उपयोगी योग आसन की चर्चा करेंगे।
1.शंख प्रक्षालन
(कब्ज से छुटकारा पाने के उपाय,kabaj se chutkara pane ke upay)
शंख प्रक्षालन दो शब्दों का बना हुआ है-शंख शब्द का प्रयोग आंतों के लिए किया गया है और‘प्रक्षालन’ का अर्थ होता है साफ करना, इस प्रकार शंख प्रक्षालन का शाब्दिक अर्थ हुआ आतों की सफाई करना।
इस योगासन में सिर्फ आंतों की ही सफाई नहीं होती इस योगासन के दौरान भरपूर मात्रा में पानी का सेवन किया जाता है। अतः पानी सिर्फ मलद्वार से ही बाहर नहीं आयेगा वह मू़त्र और पसीने के रूप में भी बाहर आयेगा इस प्रकार इस आसन में मूत्र मार्ग की सफाई के साथ साथ पसीने निकलने के कारण शरीर के रोम रोम की भी सफाई हो जाती है। इस प्रकार यह योग सम्पूर्ण शरीर का ही प्रक्षालन अर्थात सफाई के लिए बहुत उपयोगी है।
1.1-शंख प्रक्षालन करने की विधि :-
(कब्ज से छुटकारा पाने के उपाय,kabaj se chutkara pane ke upay)
इस योगासन को करने से पूर्व कुछ सामग्री की तैयार करनी पड़ती है। इसके लिए इतना पानी जिसे आप अपने गला भरने तक पी सकें पीने लायक गर्म करना है। उसमें इतना सैंद्धा नमक डाले जिससे वह नमकीन हो जाये। एक निम्बू भी इस पानी में निचौड़ कर पानी तैयार कर रख लें। इस तैयारी के उपरान्तः-
किसी हवादार वातावरण में योगा मेट या आसन बिछाकर आराम से बैठ जायें। चार – पांच गहरे और लम्बे सांस लेने के बाद सामान्य स्थिति में आने के बाद कम से कम दो या अपनी क्षमता के अनुसार पूर्व तैयार किया गया पानी पीयें।
पानी पीने के तुरन्त उपरान्त निम्नाकिंत योगाभ्यास प्रारम्भ करें
1.1.ताड़ासनः-
ताड़ासन यह पूरे शरीर को लचीला बनाता है। इस आसन से शरीर की मांसपेशियां बहुत हद तक लचीली बनाती है।

ताड़ासन कैसे करें (कब्ज से छुटकारा पाने के उपाय,kabaj se chutkara pane ke upay)
ताड़ासन करने के लिए सबसे पहले हम अपनी कमर एवं गर्दन को सीधा रखते हुए सीधे खड़े हो जाएगें।
उसके बाद अपने हाथों को धीरे धीरे सिर के ऊपर सीधे खड़े करेंगें और सांस लेते हुए पूरे शरीर को धीरे धीरे उपर की और खींचतें हुए अपने पैरों के पंजे पर खड़ा होने का प्रयास करेंगे। तथा हाथों को पूरे जोर से खिंचते हुए आकाश की और बढ़ायेगें। ऐसा तब तक करेंगे जब तक पूरे शरीर में खिंचाव महसूस न होने लग जावे।
इस अवस्था को अपनी सामर्थ्य के अनुसार बनाये रखेंगे,
फिर धीरे धीरे सांस छोड़ते हुए अपने हाथ एवं शरीर को पहली अवस्था में लेकर आयें।
इस अभ्यास को तीन से चार बार दोहरावें।
1.2.कटिचक्रासन
(कब्ज से छुटकारा पाने के उपाय,kabaj se chutkara pane ke upay)
कटिचक्रासन करने का तरीका
- हवादार वातावरण में योगामैट या आसन पर खड़े हो जायें । हाथ पैरों के साथ लगे हुए होने चाहिए।
- पैरों को दो फिट के करीब खोल लें।
- अब सांसों को भरते हुए दोनों हाथों को सामने की ओर उठाते हुए कन्धों के समानान्तर ले आएें। हाथों की हथलियां आमने सामने होंगी।
- अब सांसों को छोड़ते हुए कमर,गर्दन सहीत दोनों हाथों को दायीं और समानान्तर घुमायें,पैर अपने स्थान पर स्थिर रखें। कमर को इतना घुमाए की कमर में ऐठन महसूस होनी चाहिए,और बांयां हाथ दाहिने कन्धें को स्पर्श करें।
- कुछ समय के लिए इसी स्थिति में रूकें।
- गहरी सांस लेते हुए वापिस सामान्य स्थिति में आ जायें ।
- अब इसी क्रिया को बायीं तरफ दोहरावें। इस दोहराव के साथ एक चक्र पूर्ण हुआ ।
1.3. भुजंगासन/सर्पासन (कोबरा पोज)ः
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इस आसन में सर्प के फन उठाने की आकृति बनती है इस लिए इसको भुजंगासन, सर्पासन या कोबरा पोज भी कहते है। सर्दी के मौसम में अक्सर कमर दर्द,गर्दन दर्द की समस्या बनी रहती है। इनसे बचाव के लिए भुजंगासन, सर्पासन योगासन का अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए।

1.4-भुजंगासन, सर्पासन करने की विधिः-
भुजंगासन, सर्पासन करने लिए किसी नरम आसन को जमीन पर बिछाकर पेट के बल लेट जाएं। ऐड़ियॉ ऊपर आकाश की तरफ होनी चाहिए। हाथ कन्धों के नीचे हथेलियॉ जमीन से चिपकती होनी चाहिए। हथेलियों पर दबाव देते हुए शरीर के आगे के हिस्से को धीरे धीरे उठाएं,आकाश की और देखते हुए नाभि तक के शरीर को उपर की और उठाएं।
यह आसन तीन प्रकार से किया जात है। हथेलियों को शरीर से एक फिट,आधा फिट और सटा कर रखा जाकर भुजंगासन, सर्पासन किया जाता है। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि शरीर को ऊपर उठाते समय श्वास को अन्दर की और भरें तथा मुंह की स्थिति ऊपर की और होने पर श्वास को सर्प की भांति फुफकारते हुए बाहर की और निकालें पेट को खाली करें। सामार्थ्य अनुसार रूकें और वापिस सामान्य स्थिति में आ जायें।
1.5-उदराकर्षणासन :-
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उदराकर्षासन का अभ्यास करने से पूर्व स्वच्छ और शान्त वातावरण में जमीन पर योगा मैट या आसन बिछा लें और शान्त स्वभाव से बैठ जायें।
1.6-उदराकर्षासन योग करने के विधि :-
1. सबसे पहले समतल जमीन पर दरी बिछाकर बैठ जाएं।
2.पैरों पर बैठ जायें (उकड़ू स्थिति ) जैसे शौच करते समय बैठा जाता है।
3.अब दाएं घुटनें को मोड़ कर बायें पैर की ऐड़ी के पास लगायें बांया घुटना खड़ा रखें, दोनों हाथ दोनों घुटनों पर रहेंगें। बांयी और जितना सम्भव हो गर्दन को घुमायें।
4.स्थिति में कुछ समय रहें और फिर यही आसन बांयी तरफ दोहरावें।
इस प्रकार इन आसनों को चार-चार बार दोहरावें और हर बार आसन शुरू करने से पूर्व दो गिलास या अपनी सामर्थ्य अनुसार पानी पीयें।
आसनों के दौरान या आसन के बाद में जैसे ही शौच की इच्छा हो तुरन्त शौच को जाना चाहिए।
1.7-शंख प्रक्षालन अभ्यास की सावधानियाः-ं
(कब्ज से छुटकारा पाने के उपाय,kabaj se chutkara pane ke upay)
1. शंख प्रक्षालन अभ्यास किसी योग्य योग प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में करना चाहिए।
2. शंख प्रक्षालन अभ्यास के तुरन्त बाद स्नान नहीं करें,कुछ समय के अन्तराल पर गर्म पानी से स्नान करना चाहिए।
3. शंख प्रक्षालन अभ्यास के बाद कुछ समय बाद भोजन कर लेना चाहिए।
4. भोजन गरिष्ठ अथवा भारी नहीं होना चाहिए,हल्का भोजन होना चाहिए सबसे उतम होगा मूंग दाल की खिचड़ी को शुद्ध देशी घी के साथ सेवन किया जाये।24 घण्टे तक दूध,छाछ का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
5. बी0 पी0, बवासीर, हृदय रोग एवं मिर्गी के रोगीयों को इस अभ्यास से बचना चाहिए।
2.बद्ध कोणासन (कब्ज से छुटकारा पाने के उपाय,kabaj se chutkara pane ke upay)
kabaj se chutkara pane ke upay में कब्ज को खत्म करने एवं पेट साफ करने के लिए बद्ध कोणासन एक उपयोगी योगाभ्यास है। बद्ध कोणासन का अभ्यास करना बहुत ही क्रिया आसान हैं। बद्ध कोणासन अभ्यास क्रिया की विधि पर चर्चा करते है।
2.1अभ्यास क्रिया की विधिः-
1. स्वच्छ और हवादार वातावरण में योगा मेंट या आसन बिछा कर सुखासन में बैठ जायें।
2. चार पॉच गहरे और लम्बे श्वांस ले सामान्य स्थिति में आने के बाद अपने पैरों को सीधा करें और अपनी तरफ मोड़ कर दोनों पैरों के पंजों आपस में मिलाऐं।
3. अब अपने हाथों की सहायता से दोनों पैरों की पगथलियों को आपसे में मिलाए।
4. अब अपने दोनों हाथों को अपने घुटनें पर रख कर धीरे धीरे दबा%