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जानुशीर्षासन के लाभ और तरीका,Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,

आज हम बात कर रहें है जानुशीर्षासन के लाभ और तरीका,Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,,जानुशीर्षासन योग में एक प्रमुख आसन है, जिसे “जानु“ यानी “घुटना“ और “शीर्ष“ यानी “सिर“ से मिलकर बना है। यह आसन  सिर को घुटने पर रखकर किया जाता है।
जानुशीर्षासन एक प्रमुख योग आसन है जो शरीर और मन को स्वस्थ बनाने में मदद करता है। इस योगासन के नियमित अभ्यास से कंधे, पैरों और पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह पैरों के दर्द में भी राहत दिलाता है। नियमित रूप से इस आसन को करने से आंतें स्वस्थ रहती हैं। नियमित रूप से इस आसन को करने से मानसिक तनाव भी दूर होता है।Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,

Photo–Pixabay

यह आसन पैरों और घुटनों को मजबूत बनाता है, पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है, और मानसिक तनाव को कम करता है। इस ब्लॉग में, हम जानुशीर्षासन के फायदों, करने की विधि, और सावधानियों के बारे में जानेंगे।

1.जानुशीर्षासन करने की विधि                              ( Janushirshasan Ke Labh aur Tarika, )

हम बात कर रहें है जानुशीर्षासन के लाभ और तरीका,Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,किसी भी आसन या कार्य करने का फायदा तभी मिलता है, जब उसे विधिवत रूप से किया जाए। इसी प्रकार जब हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आसनों का अभ्यास करते हैं,तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि हमे उस आसन को करने की सही विधि का ज्ञात होना चाहिए। अब हम जानते है, जानुशीर्षासन को करने की सही विधि –

  •  सबसे पहले आप किसी शांतिपूर्ण,स्वच्छ और हवादार वातावरण में समतल स्थान पर योगा मेट या योगा चटाई को बिछा कर शान्त भाव के साथ बैठ जायें।
  •  अपने दोनों पैरों को सामने की और सीधे बिछा कर बैठ जायें।
  •  अपने दोनों हाथ अपने कमर की सीध में योगा मेट पर रख लें ।
  •  अपनी श्वासं प्रश्वांस पर कोई ध्यान नहीं दें, इन्हें सामान्य गति से आने जाने दें ।
  •  इस स्थिति में आपका मेरूदण्ड सीधा, कमर तनी हुई एवं दृष्टि एकदम सामने होनी चाहिए।
  •  अपने दोनों पैरों की अंगुलियों पर खिंचाव दें।
  •  अब अपने दांया पैर घुटने से मोड़ कर पैर की एंड़ी अपने मुलाधार पर स्पर्श करावें।
  •  दांयां पैर का तलवा बायें पैर की जांघ के नीचे लगायें।
  •  श्वांस भरते हुए अपने दोंनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं, श्वांस छोड़ते हुए कमर को झुकाते हुए दोनों हाथों से अपने दायें पैर के तलवे को पकड़ने का प्रयास करें।
  •  आपके सामने सीधे रखें हुए अपने बायें पैर के घुटने पर आपके माथे को स्पर्श करावें।
  • कुछ योग प्रशिक्षक सिर को घुटने पर स्पर्श करवाने के बाद घुटने के बांयी तथा दांयी और जमीन पर स्पर्श करवाते है।
  •  इस स्थिति में ध्यान रखें आपका बायां पैर जमीन से ऊपर नहीं उठे, बराबर जमीन को स्पर्श करता रहें।
  •  प्रारम्भ में इस स्थिति को 15 से 20 सेकेण्ड तक बनाएं,अभ्यास के उपरान्त अपनी क्षमता के अनुसार इस अवधि को योग प्रशिक्षक के निर्देशानुसार बढ़ाते रहें।
  • अब सामान्य स्थिति में आ जायें, कुछ सेकेण्ड के लिए बैठें।
  • अब अपने बायें पैर से इसी क्रिया को दोहरावें।
  •  इस जानुशीर्षासन के अभ्यास में आप अपने पेट,जांघ,पिण्डलियों पर पड़ने वाले खिंचाव एवं घुटने पर मस्तिष्क लगाते समय होने वाली अनुभूति का अनुभव करें।
  • होट योगा के रहस्य जानने के लिए पढ़े

2.जानु शीर्षासन के लाभ                                                   (Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,)

हम बात कर रहें है जानुशीर्षासन के लाभ और तरीका,Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,नियमित एवं विधि विधान सहीत अगर जानुशीर्षासन किया जाए तो इसके शरीर को अनेकों लाभ मिलते है। इसका नियमित अभ्यास रूप से और सही तरीके से करने पर आप इसके फायदों का लाभ उठा सकते हैं। विस्तार से जानें जानुशीर्षासन करने के फायदे-

जानुशीर्षासन के लाभः

2.1.शारीरिक लाभ- जब हम अपने हाथों से अपने पैर के तलवों को पकड़ कर अपने मस्तिष्क को अपने घुटने से या जमीन से स्पर्श करवाते है,तो हमारे शरीर के लगभग प्रत्येक अंग को क्रियाशील करवाते है, जिसके फलस्वरूप हमारे शरीर को अनेकों निम्न लाभ मिलते है।
1. पैरों और घुटनों को मजबूत बनाता है।
2. पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।
3. मानसिक तनाव को कम करता है।

4. रक्त संचार को बेहतर बनाता है।
5. शरीर को लचीला और मजबूत बनाता है।
6. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
7. कब्ज की समस्या को दूर करता है।
8. शरीर को स्वच्छ और हल्का महसूस कराता है।
9.मूत्र प्रणाली स्वस्थ एवं मजबूत बनाने मे सहयोगी होता है।
10. कंधों की मजबूत बनाता है।

2.2.मानसिक लाभः       (Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,)

जानुशीर्षासन के समय जब हम हमारे मस्तिष्क हो अपने घुटनें या जमीन पर लगाते है, तो हमने अनुभव किया है कि इससे हमारा मस्तिष्क प्रभावित होता है। जिस कारण हमारा मानसिक विकास होता है एवं मानसिक सन्तुलन,तनाव दूर करने ,एकाग्रता एवं याददास्त को मजबूत बनाने में सहायक होता है।जिस कारण हमे निम्न लाभ प्राप्त हो सकते है।
1. मानसिक तनाव को कम करता है।
2. चिंता और डिप्रेशन को दूर करता है।
3. एकाग्रता और ध्यान को बढ़ाता है।
4. मन को शांत और स्थिर रखता है।
5. आत्मविश्वास को बढ़ाता है।

मानसिक स्पष्टता के लिए योगा के लिए पढ़े

2.3.न्यूरोलॉजिकल लाभः                                                                             (Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,)

1. मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है।
2. न्यूरॉन्स को मजबूत बनाता है।
3. याददाश्त को बेहतर बनाता है।
4. स्नायुतंत्र को स्वस्थ रखता है।

2.4.हार्मोनल लाभः                                                                               (Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,)
जानुशीर्षासन का अभ्यास करते समय हमारी थायरायड एव इसुलिन रस प्रवाहित करने वाली ग्रंथियों पर दबाव पड़ता है जिस कारण ये ग्रन्थियां अपने स्त्राव का सही रूप से प्रवाह करती है जिससे हमारे शरीर को स्वस्थ बना रहने में सहायता मिलती है।

1. थायराइड ग्रंथि को स्वस्थ रखता है।
2. इंसुलिन की उत्पत्ति को नियंत्रित करता है।
3. हार्मोनल संतुलन को बनाए रखता है।

2.5.प्राणिक लाभः                                                       (Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,)

1. प्राण ऊर्जा को बढ़ाता है।
2. श्वास को गहरा और स्थिर बनाता है।
3. शरीर को ऊर्जावान बनाता है।
यह आसन शरीर, मन, और आत्मा को संतुलित और स्वस्थ बनाने में मदद करता है।

2.6.पैरों और पेट की मांसपेशियां बनाए मजबूतः-                                         (Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,)
जब हम जानुशीर्षासन का अभ्यास करते है तो हमारे पैरों और पेट की मांसपेशियों की अच्छी तरह से मालिश, एक्सरसाईज हो जाती है। जिस कारण उन अंगों का कड़ापन खत्म होकर से अंग मजबूत एव्ां लचीले बन जाते है । जिस कारण इनकी सक्रियता बढ़ जाती है। यह पेट के रोग जैसे गैस, कब्ज, एसिडिटी और अपच की समस्या को ठीक करने में भी लाभदायक हो सकता है। अतः इसे अपने नियमित अभ्यास में शामिल करना चाहिए।

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2.7.थायरॉइड की समस्या में फायदेमंद :-                                               (Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,)
जिन लोगों में थायरॉइड की समस्या है, उन्हे इस आसन के नियमित अभ्यास से इस समस्या से राहत मिलने की एवं जो स्वस्थ है, उन लोगों को भविष्य में थायरॉयड की समस्या नहीं होने सम्भावना बनती है। इस प्रकार थायरॉयड से आराम लेने के लिए हमे जानुशीर्षासन का अभ्यास अपनी जीवनचर्या में शामिल कर लेना चाहिए।

2.8.मानसिक तनाव कम करने में सहायकः-                                         (Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,)
आजकल हर व्यक्ति चाहे वे बच्चे हों,नौकरीपेशा हों,व्यवसायी हो,या फिर गृहणी हर किसी को मानसिक तनाव ने घेर रखा है। मानव को स्वस्थ रहने के लिए इस समस्या से छुटकार पाना आवश्यक होता है। अन्यथा यह समस्या गम्भीर रूप धारण करने के उपरान्त मानव जीवन के सभी क्षेत्रों को चाहे वे सामाजिक हों,पारिवारिक हों या व्यवसायिक सभी को तहस नहस कर देती है।
अतः किसी को भी ऐसा आभास होने लगे कि उन्हे मानसिक तनाव ने घेरना शुरू कर दिया है तो उन्हे तुरन्त चिकित्सक के परामर्श करना चाहिए एवं उचित परामर्श उपरान्त जानुशीर्षासन का नियमित अभ्यास शुरू कर देना चाहिए।

2.9.शरीर का मोटापा कम करने में सहायकः–                                       (Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,)
अगर कोई व्यक्ति अपने शारीरिक मोटापा से परेशान है, तो उन्हे अपनी दिनचर्या में जानुशीर्षासन के अभ्यास को आवश्यक रूप से शामिल करना चाहिए और यह आसन रोज सुबह खाली पेट करना चाहिए। इस आसन के अभ्यास से आप अनुभव करेंगें की पेट,जांघं एवं पैरों की चर्बी आश्चर्यजनक रूप से पिघल कर आपके शरीर को सुडोल बनाने में सहायक सिद्ध हो रहा है। इस के अतिरिक्त इस आसन के नियमित अभ्यास से यह शरीर का वजन भी नहीं बढ़ने देता है।

 

2.10.प्रजनन प्रणाली को सुधारने में सहायकः-                                     (Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,)
इस आसन के अभ्यास के दौरान आपने अनुभव किया होगा कि इसके अभ्यास से आपके श्रोणी क्षेत्र पर काफी दबाव आता है। श्रोणी क्षेत्र वह है, जहॉ से हमारे चाहे महिला हो या पुरूष उसके प्रजनन अंग प्रभावित होते है। इस प्रकार इस योगासन के अभ्यास से प्रजनन अंगों को सक्रिय करने में मदद मिलती है। जिससे बांझपन एवं यौन समस्याओं को खत्म करने में सहायता मिलती है।

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जानुशीर्षासन एवं सावधानियां                                                                   (Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,)

जानुशीर्षासन करते हुए रखने वाली सावधानियां-      जानुशीर्षासन के लाभ और तरीका,Janushirshasan Ke Labh aur Tarika,

  •  अगर किसी व्यक्ति के मेरूदण्ड या कमर दर्द के समस्या हो तो उन्हे अपने चिकित्सक की सलाह से जानुशीर्षासन करना चाहिए अन्यथा यह आसन नहीं करना चाहिए।
  • किसी प्रकार के जोड़ों के दर्द की समस्या हो तो उन्हे भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
  • पेट सम्बन्धी समस्या होने पर भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को जानुशीर्षासन नहीं करना चाहिए।
  • जानुशीर्षासन करते समय अपने शरीर को स्थिर और आरामदायक रखें।
  • जानुशीर्षासन को धीरे-धीरे और सावधानी से करें।
  • जानुशीर्षासन के बाद आराम करें और अपने शरीर को स्थिर करें।
  • जानुशीर्षासन के साथ कुछ अन्य योग आसन किये जाये तो लाभ अधिक मिलने की सम्भावना अधिक हो जाती है :-
    जैसे
    1. भुजंगासन
    2. शलभासन
    3. धनुरासन
    4. हलासन
    5. पवनमुक्तासन

निष्कर्षः

इस प्रकार हम देखते है कि जानुशीर्षासन का नियमित अभ्यास हम हमारे जीवन में शामिल कर लेते है,तो शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक, न्यूरोलॉजिकल, हार्मोनल, प्राणिक लाभ प्राप्त कर अपने शरीर को रोग मुक्त एवं स्वस्थ बना कर अपने जीवन को खुशहाल बना सकते है। यह एक आसन हमारे शरीर को अनेको लाभ दे सकता है। अतः इसे हमें नियमित रूप से इस का अभ्यास करना चाहिए।

इस पोस्ट का उद्ेश्य मात्र योगासनों की जानकारी देना मात्र है किसी भी योगासन का अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक या योगाचार्य से विचार विमर्श अवश्य करना चाहिए।

FAQ

janu shirshasan

जानुशीर्षासन योग में एक प्रमुख आसन है, जिसे “जानु“ यानी “घुटना“ और “शीर्ष“ यानी “सिर“ से मिलकर बना है। यह आसन सिर को घुटने पर रखकर किया जाता है। जानुशीर्षासन एक प्रमुख योग आसन है जो शरीर और मन को स्वस्थ बनाने में मदद करता है।
जानुशीर्षासन के लाभः जब हम अपने हाथों से अपने पैर के तलवों को पकड़ कर अपने मस्तिष्क को अपने घुटने से या जमीन से स्पर्श करवाते है,तो हमारे शरीर के लगभग प्रत्येक अंग को क्रियाशील करवाते है, जिसके फलस्वरूप हमारे शरीर को अनेकों निम्न लाभ मिलते है। 1. पैरों और घुटनों को मजबूत बनाता है। 2. पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है। 3. मानसिक तनाव को कम करता है। 4. रक्त संचार को बेहतर बनाता है। 5. शरीर को लचीला और मजबूत बनाता है। 6. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। 7. कब्ज की समस्या को दूर करता है। 8. शरीर को स्वच्छ और हल्का महसूस कराता है। 9.मूत्र प्रणाली स्वस्थ एवं मजबूत बनाने मे सहयोगी होता है। 10. कंधों की मजबूत बनाता है।
जानुशीर्षासन को करने की सही विधि –  सबसे पहले आप किसी शांतिपूर्ण,स्वच्छ और हवादार वातावरण में समतल स्थान पर योगा मेट या योगा चटाई को बिछा कर शान्त भाव के साथ बैठ जायें।  अपने दोनों पैरों को सामने की और सीधे बिछा कर बैठ जायें।  अपने दोनों हाथ अपने कमर की सीध में योगा मेट पर रख लें ।  अपनी श्वासं प्रश्वांस पर कोई ध्यान नहीं दें, इन्हें सामान्य गति से आने जाने दें ।  इस स्थिति में आपका मेरूदण्ड सीधा, कमर तनी हुई एवं दृष्टि एकदम सामने होनी चाहिए।  अपने दोनों पैरों की अंगुलियों पर खिंचाव दें।  अब अपने दांया पैर घुटने से मोड़ कर पैर की एंड़ी अपने मुलाधार पर स्पर्श करावें।  दांयां पैर का तलवा बायें पैर की जांघ के नीचे लगायें।  श्वांस भरते हुए अपने दोंनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं, श्वांस छोड़ते हुए कमर को झुकाते हुए दोनों हाथों से अपने दायें पैर के तलवे को पकड़ने का प्रयास करें।  आपके सामने सीधे रखें हुए अपने बायें पैर के घुटने पर आपके माथे को स्पर्श करावें। कुछ योग प्रशिक्षक सिर को घुटने पर स्पर्श करवाने के बाद घुटने के बांयी तथा दांयी और जमीन पर स्पर्श करवाते है।  इस स्थिति में ध्यान रखें आपका बायां पैर जमीन से ऊपर नहीं उठे, बराबर जमीन को स्पर्श करता रहें।  प्रारम्भ में इस स्थिति को 15 से 20 सेकेण्ड तक बनाएं,अभ्यास के उपरान्त अपनी क्षमता के अनुसार इस अवधि को योग प्रशिक्षक के निर्देशानुसार बढ़ाते रहें। अब सामान्य स्थिति में आ जायें, कुछ सेकेण्ड के लिए बैठें। अब अपने बायें पैर से इसी क्रिया को दोहरावें।  इस जानुशीर्षासन के अभ्यास में आप अपने पेट,जांघ,पिण्डलियों पर पड़ने वाले खिंचाव एवं घुटने पर मस्तिष्क लगाते समय होने वाली अनुभूति का अनुभव करें।

 



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