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गोमुखासन,विधि,लाभ एवं सावधानियॉ। Gomukhasan Vidhi Labh Aur savdhaniyan

Gomukhasan-Vidhi-Labh-Aur-savdhaniyan  गोमुखासन,विधि,लाभ एवं सावधानियॉ।  गोमुखासन हाथों,पैरों के जोड़ों, पेट,कमर एवं मेरूदण्ड के लिए लाभदायक होता है। गोमुखासन के अभ्यास में अभ्यासी की आकृति गो (गाय) मुख ( मुंह ) का आभास देने के कारण इसको गोमुखासन कहा जाता है।

हम सभी इस तथ्य से भली भॉति परिचित है कि कोई भी कार्य हो, अगर उसको विधि सम्मत तरीके से किया जाये तो उसके सुखद परिणाम प्राप्त होते है। यही नियम इस योगासन पर भी प्रभावी होता है। अतः आज हम इस पोस्ट में गोमुखासन की विधि,लाभ एवं सावधानियों  पर चर्चा करेंगें।

गोमुखासन,विधि,लाभ एवं सावधानियॉ

 योगश्चितवृतिनिरोधः
                                                                                                                        (चित्तवृत्तियों का निरोध योग है।)
                                                                         

गोमुखासन करने की विधि Gomukhasan Vidhi Labh Aur savdhaniyan

 1. हवादार एवं खुले वातावरण में योगा मेट या आसन बिछाकर शान्त भाव के साथ बैठ जायें।

2. अपने एक पैर को मोड़ कर अपने नितम्ब के निचे लगाने का प्रयास करें।

इस स्थिति में बैठने में असुविधा हो तो मोटे कम्बल या कोई सुविधाजनक मोटे आसन का भी उपयोग कर सकते है।

3. दूसरे पैर को मोड़ कर पहले पैर के घुटने के ऊपर से लेते हुए एड़ी को अधिक से अधिक अपने नितम्ब के करीब लाने का प्रयास करें।

4. जो पैर आपका ऊपर है उसी हाथ को कन्धें के उपर से लेकर पीठ के पीछे ले जायें।

5.दुसरे हाथ को नीचे की तरफ से मोड़ते हुए पेट की तरफ से पीठ पर ले जायें।

6. दोनों हाथों की अंगुलियों को एक दुसरे में फंसाने का प्रयास करें, हो सकता है, प्रारम्भ में आपको अंगुलियां पकड़ने में सफलता नहीं मिले परन्तु अभ्यास से आप इस योगासन को सफलता से कर सकेंगे।

7. इस गोमुखासन में सीना बाहर की ओर, मेरूदण्ड सीधा रखना चाहिए।

8. अपनी शारीरिक क्षमतानुरूप इसी मुद्रा में बने रहें,लम्बे और गहरे सांस लें।

9. जब आप इस मुद्रा में असहज महसूस करने लगें तो मुद्रा को खोल दें और सामान्य स्थिति में आ जायें ।

गोमुखासन के अभ्यास के दौरान सावधानियां। Gomukhasan Vidhi Labh Aur savdhaniyan

  • अगर किसी अभ्यासी के शरीर के किसी भी भाग में दर्द या चोट हो तो उसे यह योगासन नहीं करना चाहिए। चुंकि गोमुखासन के अभ्यास में शरीर के लगभग सभी अंगों पर खिचाव महसूस होता है। अतः प्रारम्भ में  इसका अभ्यास करने के लिए जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए अन्यथा किसी भी भाग में चोट या खिचाव पैदा होकर शरीरिक रूप से कष्ट की स्थिति पैदा को सकती है।
  • गर्भवती महिलाओं को गोमुखासन नहीं करना चाहिए।
  • जिन लोगों को खूनी बवासीर हो उन्हे भी गोमुखासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

पालथी/चौकड़ी नहीं लगती तो यह आपके लिए है।Palathi/Chaukadi nahin lagati।

गोमुखासन करने के लाभः-

गोमुखासन हाथ,पैरों,कमर के जोड़ों एवं पेट,कन्धों पीठ की मांसपेशियों को मजबूती देता है एवं दर्द में राहत देता है।

2.़श्वसन क्रिया को स्वस्थ करता है। इस आसन के अभ्यास से फेफड़ों की सफाई होती है।

3. गुर्दो को स्वस्थ रखता है

4. मधुमेह की सम्भावना को कम करता है।

5.शारीरिक ऐंठन एवं आलस्य को दूर करता है।

6.सीना चौड़ा बनता है।

7. इस योगाभ्यास से शरीर को लचीला बनाता है।

8. इस योगाभ्यास से मेरूदण्ड मजबूत बनता है।

इस प्रकार हम देखतें है कि यह आसन संक्षिप्त विधि का होने के बावजूद शरीर के लगभग हर भाग को प्रभावित करता है। हमने यह भी देखा कि इसके लाभ व्यापक है। अतः हर जनसामान्य को गोमुखासन का विधिपूर्वक अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए।

इस लेख Gomukhasan Vidhi Labh Aur savdhaniyan का उद्देश्य योग सम्बन्धी जानकारी प्रदान करना है। स्वास्थ्य की दृष्टि से अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक या योग प्रशिक्षक से परामर्श आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए।

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FAQ

गोमुखासन के क्या लाभ है ?

गोमुखासन हाथों,पैरों के जोड़ों, पेट,कमर एवं मेरूदण्ड के लिए लाभदायक होता है।

गोमुखासन करने की विधि क्या है ?

गोमुखासन करने की विधि
1. हवादार एवं खुले वातावरण में योगा मेट या आसन बिछाकर शान्त भाव के साथ बैठ जायें।
2. अपने एक पैर को मोड़ कर अपने नितम्ब के निचे लगाने का प्रयास करें।
इस स्थिति में बैठने में असुविधा हो तो मोटे कम्बल या कोई सुविधाजनक मोटे आसन का भी उपयोग कर सकते है।
3. दूसरे पैर को मोड़ कर पहले पैर के घुटने के ऊपर से लेते हुए एड़ी को अधिक से अधिक अपने नितम्ब के करीब लाने का प्रयास करें।
4. जो पैर आपका ऊपर है उसी हाथ को कन्धें के उपर से लेकर पीठ के पीछे ले जायें।
5.दुसरे हाथ को नीचे की तरफ से मोड़ते हुए पेट की तरफ से पीठ पर ले जायें।
6. दोनों हाथों की अंगुलियों को एक दुसरे में फंसाने का प्रयास करें, हो सकता है, प्रारम्भ में आपको अंगुलियां पकड़ने में सफलता नहीं मिले परन्तु अभ्यास से आप इस योगासन को सफलता से कर सकेंगे।
7. इस गोमुखासन में सीना बाहर की ओर, मेरूदण्ड सीधा रखना चाहिए।
8. अपनी शारीरिक क्षमतानुरूप इसी मुद्रा में बने रहें,लम्बे और गहरे सांस लें।
9. जब आप इस मुद्रा में असहज महसूस करने लगें तो मुद्रा को खोल दें और सामान्य स्थिति में आ जायें ।

गोमुखासन किन को नहीं करना चाहिए ?

अगर किसी अभ्यासी के शरीर के किसी भी भाग में दर्द या चोट हो तो उसे यह योगासन नहीं करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को गोमुखासन नहीं करना चाहिए।
जिन लोगों को खूनी बवासीर हो उन्हे भी गोमुखासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

Gomukhasan Vidhi Labh Aur savdhaniyan



One response to “गोमुखासन विधि,लाभ एवं सावधानियॉ।Gomukhasan Vidhi Labh Aur savdhaniyan”

  1. Krishan Avatar

    Very helpful blog

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