चंद्र नमस्कार कैसे करें ? फायदे ।Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.
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चंद्र नमस्कार कैसे करें ? फायदे ।Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.
आज हम बात करेंगें,चंद्र नमस्कार कैसे करें ? फायदे ।Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.की इस प्राचीन योगासन के द्वारा हम अपनी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों को संतुलित और क्रियाशील बना सकते है। ष्योग शास्त्रों में उल्लेखित चंद्र नमस्कार महत्वपर्ण योगाभ्यास हैं। जिसका योग्य मार्गदर्शन में नियमित विधिपूर्वक अभ्यास किया जाये तो हम अपने शरीर की ऊर्जा को संतुलित और नियन्त्रित कर सकते हैं। चंद्र नमस्कार का योगाभ्यास हमें शरीर में शीतलता एवं शांति का अनुभव कराता है।
‘चंद्र नमस्कार’ दो शब्दों से मिलकर बना है। चन्द्र और नमस्कार यहॉ “चंद्र“ का अर्थ है, चंद्रमा और “नमस्कार“ का अर्थ है, प्रणाम । चंद्रमा को शीतलता और शांत प्रकृति वाला माना जाता है।
चन्द्र नमस्कार का योगाभ्यास मानसिक तनाव से मुक्ति चाहने वालों को प्राथमिकता से करना चाहिए। क्योंकि जब शरीर में शान्ति एवं शीतलता का प्रभाव होगा तो तनाव,चिन्ता स्वतः दूर हो जाती है।
2.चंद्र नमस्कार करने की विधि- Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.
आज हम बात करेंगें,चंद्र नमस्कार कैसे करें ? फायदे ।Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.की चंद्र नमस्कार का अभ्यास सूर्य नमस्कार से मिलता जुलता है। इसमें कुल 14 आसनों का तो कहीं कही 12 आसनों का क्रम भी बताया गया है। आज हम इन क्रम की जानकारी एवं अभ्यास करेंगें ।
निम्नलिखित चंद्र नमस्कार के आसनों का क्रम हैः
2.1. प्रणामासन – नमस्कार मुद्राः Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.
चन्द्र नमस्कार का प्रथम योगासन है प्रणामासन, प्रणामासन, जिसे नमस्कार मुद्रा भी कहा जाता है, यह आसन बिलकुल आसान आसन हैं। इस आसन का अभ्यास हम दिनभर में कई बार करते है। यानी की जब भी हम प्रणाम या नमस्कार करते है तो इस आसन का अभ्यास स्वतः हो जाता है।
प्रणामासन करने की विधि – Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.
1. सबसे पहले सामान्य स्थिति में खड़े हो जाएं। आपके दोनों पैर एक-दूसरे से थोड़े दूर होने चाहिए और मेरूदण्ड एकदम सीधा और तना हुआ चाहिए। श्वास को सामान्य रखें।
2.अब धीरे-धीरे दोनों हाथों को अपने हृदय के सामने लाएं एवं प्रणाम की मुद्रा बनाएं। आपकी अंगुलियां एक-दूसरे को छूनी चाहिए और हथेलियां पूरी तरह से आपस में मिलनी चाहिए। यानी की प्रणाम की मुद्रा बनाएं।
3. अपनी आंखों को बंद करें,कुछ गहरे श्वांस प्रश्वांस लें। आपका ध्यान आते जाते श्वांस पर केन्द्रित होना चाहिए। मस्तिष्क विचार शुन्य बनाने का प्रयास करें ।
4.इस मुद्रा में 15 से 20 सेकंड तक रूके रहें। इस समय आपका मन और शरीर शांत एवं तनाव रहित एकदम विचार शुन्य होना चाहिए। मन और शरीर में किसी प्रकार का तनाव या विचारों का प्रवाह नहीं होना चाहिए।
5.जब आप इस स्थिति में पूरी तरह से सन्तुष्ठ हो तब धीरे धीरे अपने हाथों को प्रणाम मुद्रा से खोलते हुए सामान्य स्थित में आ जायें।
उर्ध्व हस्तासन, जिसे अंग्रेज़ी में Upward Salute Raised Hands Pose कहा जाता है, योग के महत्वपूर्ण आसनों में से एक है। यह आसन शरीर को लचीला और संतुलित बनाता है, साथ ही शारीरिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाता है।
1. प्रणामासन के लगाता में, आपके दोनों पैर एक-दूसरे से थोड़े दूर होने रखते हुए और मेरूदण्ड एकदम सीधा और तना हुआ चाहिए। श्वास को सामान्य रखें।
2. अब अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर आसमान की ओर उठाएं। अपने दोंनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसा कर हथेलियों को आकाश ओर तानते हुए पीछे की ओर हल्का सा झुकें । सिर,गर्दन एवं पीठ को भी हाथ के साथ हल्का से पीछे की ओर झुकाएं।
3. इस स्थिति में रहते हुए अपने शरीर को ऊपर की ओर खींचने की कोशिश करें। शरीर के पूरे ऊपरी हिस्से कमर से गर्दन,तक में तनाव का अनुभव करें।
4. इस स्थिति में 15 से 20 सेकंड तक रूके रहें। लम्बे और गहरे श्वांस लें। अपने ध्यान एवं शरीर के प्रति सचेत रहे ,मन में अन्य विचारों को न पनपने दें ।
5. सामान्य स्थिति में आने के लिए धीरे-धीरे श्वास सामान्य करते हुए सामान्य मुद्रा में आ जायें।
उत्तानासन जिसेStanding Forward Bend के नाम से भी जाना जाता है, योग का एक महत्वपूर्ण आसन है। यह आसन शरीर के पिछले हिस्से खासकर मेरूदण्ड एवं पीठ के निचले हिस्से खिंचाव,तनाव पैदा करता है।
उत्तानासन करने की विधि – Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.
1. उर्ध्व हस्तासन के लगातार में दोनों पैर एक-दूसरे से थोड़े दूर रखते हुए, मेरूदण्ड एकदम सीधा और तना हुआ की स्थिति में लाएं। श्वास को सामान्य रखें।
2. खडे़ खड़े ही अब धीरे-धीरे अपनी कमर से झुकते हुए, अपने माथे को अपने घुटनों का लगाने का प्रयास करें।
3. इसी स्थिति में साथ साथ ही अपने हाथों को अपने पैरों के पास जमीन पर रखने का प्रयास करें या अपने टखने का पकड़ने का प्रयास करें। प्रारम्भ में इस िर्स्थति को बनाने में कठिनाई आती है अतः जहॉ तक झुक सकें झुक जायें ओर अपनी पिण्डलियों को भी स्पर्श कर सकते है।
4. इस स्थिति में आपके पैर सीधे होने चाहिए,ध्यान रहे आपके घुटने मुड़ने नही चाहिए। इस स्थिति में आपके पिण्डलियों में खिंचाव अनुभव होगा। जिसे सहन करते हुए आपको योगाभ्यास जारी रखना होगा।
5. इस स्थिति में 20-30 सेकंड तक बने रहें और श्वास को सामान्य रखें। फिर धीरे-धीरे श्वास लेते हुए अपनी पीठ को आराम के साथ सीधा करते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं।
अश्व संचलनासन, जिसे Horse Riding Pose के नाम से भी जाना जाता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर में लचीलापन, संतुलन, और शक्ति विकसित होती है।यह आसन पैरों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के साथ-साथ छाती और फेफड़ों को खोलने में मदद करता है।
अश्व संचलनासन करने की विधि Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.
1. उत्तानासन के लगातार में आप अपने शरीर को सीधा और संतुलित रखें।
2. अब अपने बांये पैर को घुटने से मोड़ते हुए लगभग एक फीट तक आगे लायें और अपने पंजें को जमीन पर पूरी तरह से टिकाएं।
3. अपने दायें पैर को पीछे की ओर सीधा लम्बाई में फैला दें।
4. आपके दोनों हाथ आपके आगे वाले पैर के बराबर जमीन पर रहेगे।
5. आपकी गर्दन एकदम सीधी एवं आपकी दृष्टि सामने होनी चाहिए।
2.5. अर्ध चंद्रासन
अर्ध चंद्रासन, जिसे Half Moon Pose के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन शरीर के संतुलन, लचीलेपन, और शक्ति को बढ़ाने में अत्यधिक सहायक है।
अधोमुख श्वानासन, जिसे Downward&Facing Dog Pose के नाम से भी जाना जाता है। अधोमुख श्वानासन शरीर को लचीला बनाता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है और रक्त संचार को बढ़ाता है।
अधोमुख श्वानासन करने की विधि – Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.
1. सबसे पहले, सावधान की मुद्रा में आने के बाद धीरे -धीरे झुकते हुए अपने दोनों हाथों को अपने मुख के सामने जमीन टिका देवें।
2. अपने हथेलियों को पूरे दबाव के साथ जमीन पर स्थापित करें। अपनी ऐड़ियों को ऊपर की ओर करते हुए अपने पैरों के पंजों पर अपना वजन आनें दें,पैरों के सीधा तनाव की स्थिति में रखें। इसके बाद अपनी ऐड़ियों को जमीन पर टिका लें।
3. अब अपनी पीठ को अधिकतम ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करें। कमर एवं नितम्बों को अधिक से अधिक उपर की ओर उठाने का प्रयास करें।
4. आपका सिर और गर्दन नीचे की ओर झुके हुए बनें रहें। सिर ,गर्दन को नीचे रखने के लिए अनावश्क रूप से दबाव बनाने से बचना चाहिए।
5.इस मुद्रा में 15 से 20 सेकंड तक रूके रहें, फिर धीरे-धीरे अपने शरीर को वापस सामान्य मुद्रा में लौट आएं।
1.अष्टांग नमस्कार, जिसे Eight Limbed Salutation के रूप में भी जाना जाता है, अष्टांग नमस्कार में शरीर के आठ हिस्सों (दो पैर, दो घुटने, दो हाथ, छाती और ठोड़ी) को जमीन पर टच कराते हुए नमस्कार किया जाता है। यह आसन शरीर में शक्ति, लचीलापन और समर्पण का प्रतीक है।
अष्टांग नमस्कार करने की विधि- Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.
1. फलकासन (Plank Pose) की मुद्रा धारण करें।
2. अपने धुटनों को धीरे-धीरे जमीन पर रखें। इस स्थिति में आपके पैरों की अंगुलियां जमीन को स्पर्श करती रहें,ओर घुटनों में थोड़ी दूरी बनाते हुए रखें।
3. अब अपने सीने और चेहरे को जमीन की ओर नीचे की ओर लायें,अब धीरे-धीरे अपने सीने और ठोड़ी को जमीन की ओर लाएं। इस दौरान आपके घुटने,सीना एवं ठोड़ी जमीन को स्पर्श करेंगें। नितम्बों का भाग ऊपर की ओर उठा हुआ होना चाहिए।
4.इस मुद्रा में श्वांस सामान्य गति से प्रवाहित होता रहेगा। शरीर शान्त एवं निश्चल बना रहेगा।
5. इस मुद्रा में 15 से 20 सेकेण्ड रूकें और धीरे धीरे बाल आसन की मुद्रा में आने के बाद सामान्य स्थिति में लौट आएं।
भुजंगासन, जिसे Cobra Pose के नाम से भी जाना जाता है। इसे करने से शरीर में लचीलापन, शक्ति, और ऊर्जा का संचार होता है। भुजंगासन मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी, पीठ, और छाती को लाभ पहुंचाता है।
भुजंगासन करने की विधि Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.
1.योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं। आपके पैर सीधे और तलवे ऊपर की ओर हों। अपने पैरों को एक साथ रखते हुए आरामदायक स्थिति में लेट जाएं।
2.अपने दोनों हाथों की हथेलियों को कंधों के नीचे रखें, और अपनी कोहनियां शरीर के नजदीक जमीन पर रखते हुए शरीर के पास रखें।
3. श्वास भरते हुए धीरे-धीरे अपने सिर और सीना को नाभि तक ऊपर उठाएं। इस स्थिति में आपकों अपने मेरूदण्ड में खिंचाव का अनुभव होना चाहिए। आपके कन्धे एवं सीना सामने की ओर तने हुए होने चाहिए।
4. इस स्थिति में आपका सिर तना हुआ,दृष्टि सामने होनी चाहिए।
6.इस मुद्रा में 15 से 20 सेकंड तक रूकें। श्वासों की गति सामान्य होनी चाहिए। आराम के साथ बालासन करते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं।
इस आसन में आपको अपने हाथों को सामने की ओर जमीन पर रखते हुए आगे की ओर झुकना होता है। इसका अभ्यास आप द्वारा इसी लेख में ऊपर चन्द्र नमस्कार के छठे चरण में कर चुके है।
इस अभ्यास में आपका बांया पैर घुटनें से मोड़ कर आपके सीने के सामने स्थापित करें। दांया पैर बिना मोड़े पीछे की ओर सीधा रखना होता है। दोनों हाथ अपने सिर के ऊपर से लेकर आसमान की ओर सीधे खड़े किये जाते है।
इसका अभ्यास आप द्वारा इसी पोस्ट में ऊपर पॉचवें चरण में किया गया है।
इस आसन की स्थिति अर्द्ध चन्द्रासन से मिलती जुलती होती है। इसमेंं आपका आपका बांया पैर घुटने से मोड़ कर सामने रखा जाता है। एवं बांया पैर पीछे की ओर सीधा फैला दिया जाता है।
इस आसन का अभ्यास आपने इसी पोस्ट के चतुर्थ में किया है।
इस आसन में अपनी कमर को सामने की ओर झुकाते हुए अपने सिर को अपने घुटने या जंघाओं पर लगाया जाता है,एवं हाथों को जमीन या अपनी पिण्डलियों पर स्पर्श कराया जाता है।
इस आसन का आपने इसी पोस्ट के तृतीय चरण में अभ्यास किया है।
3.चंद्र नमस्कार के फायदे Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.
आज हम बात कर रहे है,चंद्र नमस्कार कैसे करें ? फायदे ।Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.की चंद्र नमस्कार के नियमित योगाभ्यास से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक आदि अनेक लाभ होते हैं। इसके नियमित अभ्यास से मन को भी शान्ति देता है। चन्द्र नमस्कार के कुछ लाभ इस प्रकार से है।
3.1. शरीर को शान्ति एवं शीतलता – चंद्र नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर में शान्ति एवं शीतलता का संचार करता है। यह मानसिक शांति प्रदान करता है।
3.2.शरीर में लचीलापन एवं मांसपेशियों को मजबूती देता है – यह आसन शरीर में लचीलापन एवं मांसपेशियों को मजबूती देता है । मेरूदण्ड को लचीला एवं स्वस्थ बनाता है।
3.3. महिलाओं की समस्याओं में लाभकारी- चंद्र नमस्कार का अभ्यास महिलाओं की समस्याओं जैसे मासिक धर्म या इससे जुड़ी अन्य समस्याओं में राहत देता है।
3.4. हार्मोन्स नियन्त्रण में सहयोगी- चंद्र नमस्कार के अभ्यास से शरीर का प्रत्येक अंग सक्रिय हो जाता है। जिससें अन्तः स्त्रावी ग्रन्थियां भी सक्रिय होकर अपने हार्मोन्स का स्त्राव करने लगती है। जिससे शरीर में हार्मोन्स का सन्तुलन बना रहता है।
3.5.नींद में सुधार – चन्द्र नमस्कार का अभ्यास शरीर को शीतलता एवं शांति देता है। जिस कारण मानसिक शांन्ति मिलती है। जो हमारी नींद सम्बन्धी समस्याओं को निराकरण करने में हमारी मददगार साबित होती है।
3.6.शरीर सुडौल एवं बलिष्ठ बनता है।
3.7.पेट सम्बन्धी विकार जैसे कब्ज,गैस, अजीर्णता, आदि दूर होते है।
3.8.शरीर आभामय एवं कांति पूर्ण बनता है।
3.9.आलस्य एवं दुर्बलता को भगाता है। चुस्ती एवं स्फूर्ति का संचार होता है।
3.10.चंद्र नमस्कार का मानसिक प्रभाव
चंद्र नमस्कार का नियमित योगाभ्यास हमारे भावनात्मक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने में भी सहायक है। जो लोग मानसिक तनाव,अवसाद,या चिन्ता ग्रस्त रहते है। उन्हें इस आसन का अभ्यास योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में अवश्य करना चाहिए।
3.11.चंद्र नमस्कार का मानसिक और आध्यात्मिक प्रभाव-
यह योगाभ्यास चंद्रमा की शांति और शीतलता प्रदान करने एवं रात के समय या चंद्रमा के प्रभाव में किए जाने वाले योग अभ्यास के रूप में प्रसिद्ध है। चंद्र नमस्कार में बहुत सारे ऐसे आसन शामिल होते हैं जो मानसिक शांति, ऊर्जा के संतुलन और आंतरिक शांति के लिए अत्यधिक लाभकारी होते हैं।
3.12. आत्म-जागरूकता में वृद्धि
इस योगाभ्यास को नियमित एवं योग्य मार्गदर्शन में किया जाये तो, आत्म-जागरूकता,शरीर, श्वास और विचारों के प्रति जागरूकता को बढ़ाता है।
3.13. ध्यान और मानसिक स्पष्टता
चंद्र नमस्कार का योगाभ्यास हमारी गहरी और ध्यानपूर्वक श्वास लेना, मानसिक शांति और मानसिक स्पष्टता की स्थिति को बढ़ता है। जब हम अपने शरीर और श्वास पर ध्यान केंद्रित करते हैं,तो यह योगाभ्यास हमारे भीतर की मानसिक और आत्मिक आवाज को सुनने के लिए प्रेरित करता है।
3.14. आध्यात्मिक प्रगति और शांति
चंद्र नमस्कार का योगभ्यास हमारी आध्यात्मिकता को प्रभावित करता है। इस योगाभ्यास को चन्द्रमा से प्रभावित माना गया है। इस प्रकार इस योगाभ्यास के कारण यह हमारे मन को अत्यधिक प्रभावित करती है। यह हमें चन्द्रमा की ऊर्जा से जोड़ने का कार्य करता है। जो हमारे आध्यात्मिकता के लिए बहुत उपयोगी होता है।
4.चन्द्र नमस्कार के समय रखी जाने वाली सावधानियाँ Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.
आज हम बात कर रहे है,चंद्र नमस्कार कैसे करें ? फायदे ।Chandra Namaskar Kaise Kare?Fayade.की हमें किसी भी योगासन के समय लाभ के साथ साथ उसके अभ्यास में रखी जाने वाली सावधानियों के प्रति भी जागरूक होना चाहिए।
कुछ सावधानियॉ इस प्रकार हैः-
1. गर्भवती महिलाओं को चंद्र नमस्कार नहीं करना चाहिए।
2. उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों को चन्द्र नमस्कार योगाभ्यास नहीं करना चाहिए या योग प्रशिक्षक में मार्ग दर्शन में इसका अभ्यास करना चाहिए।
3. यदि किसी व्यक्ति का कोई ऑपरेशन हुआ हो, घुटनों, कूल्हों या मेरूदण्ड में कोई चोट या दर्द हो तो उसे बिना उचित मार्गदर्शन के चंद्र नमस्कार नहीं करना चाहिए।
4. योगाभ्यास हमेशा खाली पेट या भोजन के 4 से 6 घंटे बाद करना चाहिए।
चंद्र नमस्कार का नियमित अभ्यास न केवल शारीरिक अपितु मानसिक और आध्यात्मिक प्रभाव भी हमारे जीवन में पड़ता है । जिससे हमें शांति,शीतलता प्राप्त होती है। चन्द्रमा की प्रकृति से जुड़ने का अवसर भी यह योगाभ्यास हमें देता है। इसके अभ्यास से मानसिक तनाव में कमी, आत्म-जागरूकता में वृद्धि, ऊर्जा का संतुलन, और आध्यात्मिक प्रगति होती है। यह शरीर और मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति की मानसिक स्थिति और आध्यात्मिक दृष्टिकोण में सुधार होता है।
अगर आप भी शांति और शीतलता अपने जीवन में खोज रहे है, तो आपको भी चन्द्र नमस्कार को अपनी दैनिक चर्या में शामिल कर लेना चाहिए।
इस पोस्ट का उदे्श्य योग सम्बन्धी जानकारी देना है किसी भी प्रकार की चिकित्सा के उद्ेश्य से इनका अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक या योग प्रशिक्षक से परामर्श अवश्य करें। बिना जानकारी किये गये योग हानी भी पहुंचा सकते है।
चन्द नमस्कार योगा मुख्यतः दो प्रकार से किया जाता है। कई योगाचार्य इसकों भिन्न प्रकार से से भी करवाते है। इस बाबत आप किसी योग प्रशिक्षक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है।
अतः भ्रमित नहीं होकर अपने योग गुरू से इस बारे मे चर्चा कर सकते है।
चंद्र नमस्कार के नियमित योगाभ्यास से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक आदि अनेक लाभ होते हैं। इसके नियमित अभ्यास से मन को भी शान्ति देता है। चन्द्र नमस्कार के कुछ लाभ इस प्रकार से है।
3.1. शरीर को शान्ति एवं शीतलता –
3.2.शरीर में लचीलापन एवं मांसपेशियों को मजबूती देता है –
3.3. महिलाओं की समस्याओं में लाभकारी-
3.4. हार्मोन्स नियन्त्रण में सहयोगी-
3.5.नींद में सुधार –
3.6.शरीर सुडौल एवं बलिष्ठ बनता है।
3.7.पेट सम्बन्धी विकार जैसे कब्ज,गैस, अजीर्णता, आदि दूर होते है।
3.8.शरीर आभामय एवं कांति पूर्ण बनता है।
3.9.आलस्य एवं दुर्बलता को भगाता है। चुस्ती एवं स्फूर्ति का संचार होता है।
3.10.चंद्र नमस्कार का मानसिक प्रभाव
3.11.चंद्र नमस्कार का मानसिक और आध्यात्मिक प्रभाव-
3.12. आत्म-जागरूकता में वृद्धि
3.13. ध्यान और मानसिक स्पष्टता
3.14. आध्यात्मिक प्रगति और शांति
चंद्र नमस्कार का अभ्यास सूर्य नमस्कार से मिलता जुलता है। इसमें कुल 14 आसनों का तो कहीं कही 12 आसनों का क्रम भी बताया गया है।
निम्नलिखित चंद्र नमस्कार के आसनों का क्रम हैः
2.1. प्रणामासन – नमस्कार मुद्राः
चन्द्र नमस्कार का प्रथम योगासन है प्रणामासन, प्रणामासन, जिसे नमस्कार मुद्रा भी कहा जाता है, यह आसन बिलकुल आसान आसन हैं। इस आसन का अभ्यास हम दिनभर में कई बार करते है। यानी की जब भी हम प्रणाम या नमस्कार करते है तो इस आसन का अभ्यास स्वतः हो जाता है।
2.2. उर्ध्व हस्तासन
उर्ध्व हस्तासन, जिसे अंग्रेज़ी में Upward Salute Raised Hands Pose कहा जाता है, योग के महत्वपूर्ण आसनों में से एक है। यह आसन शरीर को लचीला और संतुलित बनाता है, साथ ही शारीरिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाता है।
2.3. उत्तानासन –
उत्तानासन जिसेStanding Forward Bend के नाम से भी जाना जाता है, योग का एक महत्वपूर्ण आसन है। यह आसन शरीर के पिछले हिस्से खासकर मेरूदण्ड एवं पीठ के निचले हिस्से खिंचाव,तनाव पैदा करता है।
2.4.अश्व संचलनासन
अश्व संचलनासन, जिसे Horse Riding Pose के नाम से भी जाना जाता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर में लचीलापन, संतुलन, और शक्ति विकसित होती है।यह आसन पैरों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के साथ-साथ छाती और फेफड़ों को खोलने में मदद करता है।
2.5. अर्ध चंद्रासन
अर्ध चंद्रासन, जिसे Half Moon Pose के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन शरीर के संतुलन, लचीलेपन, और शक्ति को बढ़ाने में अत्यधिक सहायक है।
2.6. अधोमुख श्वानासन-
अधोमुख श्वानासन, जिसे Downward&Facing Dog Pose के नाम से भी जाना जाता है। अधोमुख श्वानासन शरीर को लचीला बनाता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है और रक्त संचार को बढ़ाता है।
2.7.अष्टांग नमस्कार –
1.अष्टांग नमस्कार, जिसे Eight Limbed Salutation के रूप में भी जाना जाता है, अष्टांग नमस्कार में शरीर के आठ हिस्सों (दो पैर, दो घुटने, दो हाथ, छाती और ठोड़ी) को जमीन पर टच कराते हुए नमस्कार किया जाता है। यह आसन शरीर में शक्ति, लचीलापन और समर्पण का प्रतीक है।
2.8. भुजंगासन –
भुजंगासन, जिसे Cobra Pose के नाम से भी जाना जाता है। इसे करने से शरीर में लचीलापन, शक्ति, और ऊर्जा का संचार होता है। भुजंगासन मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी, पीठ, और छाती को लाभ पहुंचाता है।
2.9. अधोमुख श्वानासन-
इस आसन में आपको अपने हाथों को सामने की ओर जमीन पर रखते हुए आगे की ओर झुकना होता है।
2.10. अर्ध चंद्रासन
इस अभ्यास में आपका बांया पैर घुटनें से मोड़ कर आपके सीने के सामने स्थापित करें। दांया पैर बिना मोड़े पीछे की ओर सीधा रखना होता है। दोनों हाथ अपने सिर के ऊपर से लेकर आसमान की ओर सीधे खड़े किये जाते है।
2.11.अश्व संचलनासन
इस आसन की स्थिति अर्द्ध चन्द्रासन से मिलती जुलती होती है। इसमेंं आपका आपका बांया पैर घुटने से मोड़ कर सामने रखा जाता है। एवं बांया पैर पीछे की ओर सीधा फैला दिया जाता है।
2.12. उत्तानासन
इस आसन में अपनी कमर को सामने की ओर झुकाते हुए अपने सिर को अपने घुटने या जंघाओं पर लगाया जाता है,एवं हाथों को जमीन या अपनी पिण्डलियों पर स्पर्श कराया जाता है।
2.13. उर्ध्व हस्तासन
इस आसन में अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाकर हल्के से पीछे की ओर ले जाना चाहिए।
2.14. प्रणामासन
इस आसन में अपने हाथों को अपने सीने के सामने लाकर प्रणाम की मुद्रा बनाई जाती है।
चन्द्र नमस्कार आसन की 3 से 5 आवृतियों का दोहराव करना चाहिए।
समय- इस आसन का अभ्यास सांय के समय चन्द्रमा की उपस्थिति में किया जाये तो अधिक लाभ मिलने की सम्भावना बनती है।
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