धनुरासन के जबरदस्त चमत्कारिक लाभ-DhanurāsanaKe Jabaradasta Chamatkārika Lābha
DhanurāsanaKe Jabaradasta Chamatkārika Lābha धनुरासन जबदस्त चमत्कारिक लाभ देने वाला एक योग आसन है। इस आसन के नियमित अभ्यास से तनाव,चिन्ता से मुक्ति मिलती है। धनुरासन को हठयोग की एक मुद्रा माना जाता है। धनुरासन के अभ्यास के दौरान अभ्यासी की मुद्रा धनुष के समान बनने के कारण इसे धनुरासन या bow pose कहा जाता है।
मेरूदण्ड लचीला एवं स्वस्थ बनता है। इसके नियमित अभ्यास पेट,कन्धों,हाथ,कमर,पीठ एवं पैरों की मांसपेशियों को प्रभावित कर स्वस्थ एवं लचीला बनाता है।
वैसे तो योग भारतवर्ष की एक बहुत प्राचीन परम्परा रही है। जो आदिकाल से ही भारतवंशी के दैनिक जीवन का एक अति आवश्यक हिस्सा रही है। जिसके अभ्यास से अपने जीवन को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनाऐ रखते थे।
आज फिर विश्व मानव जीवन को स्वस्थ रखने के लिए योग की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है। भारत सरकार के प्रयासों से विश्वभर में आज 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है। जो कि योग के विश्वव्यापी मान्यता का ज्वलन्त प्रमाण है।
योग हमें शारीरिक रूप से ही नहीं अपने आप से जोड़ने के साथ साथ प्रकित से भी जोड़ने का कार्य करता है। प्रकृति का वास्तिविक आनन्द लेने के लिए हमें अपने आप एवं प्रकृति से जुड़ना आवश्क होता है और योग प्रकृति से जुड़ने में सफलता महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

- विषय सूची (धनुरासन के जबरदस्त चमत्कारिक लाभ-DhanurāsanaKe Jabaradasta Chamatkārika Lābha)
- 1.धनुरासन क्या है?
- 2.धनुरासन करने की विधि।
- 3.धनुरासन के लाभ।
- 4.धनुरासन कितने समय करना चाहिए।
- 5.धनुरासन किस समय करना चाहिए।
- 6.धनुरासन करते समय की सावधानियां।
- 7.धनुरासन का विपरीत आसन।
1.धनुरासन क्या है।
(धनुरासन के जबरदस्त चमत्कारिक लाभ-DhanurāsanaKe Jabaradasta Chamatkārika Lābha)
यह पेट के बल लेट कर किये जाने वाले आसनों की श्रेणी में आता हैं। इस आसन को करते समय अभ्यासी की आकृति धनुष के समान बन जाती है,जिस कारण इस आसन को धनुरासन Dhanurāsana या bow pose भी कहते है।
2.धनुरासन करने की विधि। DhanurāsanaKe Jabaradasta Chamatkārika Lābha
1.किसी स्वच्छ हवादार समतल जगह पर योगा मेट या आसन बिछा कर पेट के बल लेट जायें।
2.दोनों हाथ शरीर से सटे हुए जमीन का स्पर्श करते रहें एवं ठुडी भी जमीन को स्पर्श करती रहे।
3.अपने दोनों पैरों को घुटनों से मोड़े ओर अपने नितम्बों की और ले आऐं। दोनों पैरों को एक साथ जोड़े रखें।
4.श्वांस भरते हुए अपने दोनों हाथों को अपनी पीठ के ऊपर से ले जाकर पैरों को टखनों से पकड़ें।
5.सिर ऊपर की ओर रखें सीना बाहर की ओर ताने हुए रखें।
6.अपने हाथों की पकड़ से पैरों को सिर की ओर लाने का प्रयास करें।
7-अनुभव करें कि आपके शरीर का मात्र नाभि प्रदेश ही जमीन को स्पर्श करता रहे।
8.अपने कन्धों,जांघों,पेट एवं कमर पर खिचाव का अनुभव करें।
9.अब आपका शरीर नाभि पर टिका होने के कारण झुलने की स्थिति में आ गया है। इस पर कुछ समय झुलने का आनन्द लें।
10.अनुभव करें कि आपके शरीर की आकृति अब धनुष ले चुका है। इस कारण इस योगासन को धनुरासन कहा जाता है।
11.प्रारम्भ में 20- 30 सैकेण्ड तक इस स्थिति में रूकें। अभ्यास होने के बाद अपने शारीरिक सामर्थ्य के अनुरूप इस मुद्रा में रूकने का अभ्यास कर सकते है।
12.प्रारम्भिक स्थिति में आने के लिए धीरे धीरे आयें और मकरासन की स्थिति में कुछ समय आराम करें।
3.धनुरासन के लाभ।DhanurāsanaKe Jabaradasta Chamatkārika Lābha
1.यह आसन शरीर के साथ साथ मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से सामन्जस्य बनाने का कार्य करता है।
2.धनुरासन के अभ्यास से पीठ एवं कमर पर खिंचाव पैदा होता है। जिससे इसकी अच्छी तरह से मालिस हो जाती है।
3.मेरूदण्ड लचीला बनता है।
4.वजन कम करने में सहयोगी धनुरासन के अभ्यास में पेट पर काफी खिंचाव पड़ता है।जिससे पेट की अनावश्यक वसा पिघलने लगती है और शरीर का वजन कम करने में मदद मिलती है।
5.धनुरासन के नियमित एवं योग्य मार्गदर्शन में करने पर पीठ एवं कमर दर्द में राहत मिलती है।
6.धनुरासन के नियमित अभ्यास से पेट के साथ साथ नितम्बों एवं जंघाओं की अनावश्यक चर्बी को हटाने में सहायता मिलती है।
7.महिलाओं में प्रजनन तंत्र को स्वस्थ एवं मजबूत बनाता है एवं कई प्रकार की महिलाओं सम्बन्धी रोगों को ठीक करने में उपयोगी है।
8.धनुरासन के अभ्यास से पेट पर काफी प्रभाव/खि्ांचाव पड़ता है।जिससे पेट के अन्दरूनी अंगो एवं आन्तों की मालिस हो जाती है। जिससे पाचन तन्त्र स्वस्थ एवं मजबूत बनता है। जिससे स्वास्थ अच्छा बना रहता है।
9.धनुरासन के अभ्यास से पेट की गैस एवं कब्ज में राहत मिलती हैं
10.धनुरासन के अभ्यास में हाथ एवं पैरों में काफी खि्ांचाव पैदा होता है जिस कारण हाथ पैरों की मांसपेशिया एवं जोड़ स्वस्थ रहते है।
11.धनुरासन के अभ्यास में जब हम अपने पैरों को सिर की तरफ खिंचते है तो सीने पर भी हमें खिंचाव अनुभव होता है। एव ंहमे अधिक श्वांस एवं आक्सिजन की आवश्यकता महसूस होती है। इस स्थिति के कारण हमारे फेफड़े काफी मजबूत एवं स्वस्थ बनते है।
12.धनुरासन की स्थिति में हमारे हाथ एवं पैरों के साथ साथ कमर में भी खिंचाव पैदा होता है। जिस कारण कमर दर्द,सर्वाईकल एवं सायटिका के दर्द में भी काफी आराम मिलता है।
13.धनुरासन के नियमित अभ्यास से सीना चौड़ा बनता है।
14.धनुरासन पुरूषों के साथ साथ महिलाओं को भी सुन्दर और सुगठित आकर्षक शरीर बनाने में सहयोगी होता है।
15.धनुरासन के नियमित अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है।
4.धनुरासन कितने समय करना चाहिए।
(धनुरासन के जबरदस्त चमत्कारिक लाभ-DhanurāsanaKe Jabaradasta Chamatkārika Lābha)
धनुरासन प्रारम्भ में 15 से 30 सैकेण्ड के लिए ही करना चाहिए। पूर्ण अभ्यास होने पर इसकी अवधि 1 से 3 मिनट तक बढ़ाई जा सकती है।
5.धनुरासन किस समय करना चाहिए।
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वैसे तो कोई भी योगासन हो खाली पेट एवं सुबह के समय शौचादि से निवृत होकर करना चाहिए। परन्तु अगर सुबह धनुरासन किया जाना सम्भव न हो तो शाम के समय भी किया जा सकता है। परन्तु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भोजन योगासन प्रारम्भ करने से 3 से 4 घण्टे पूर्व कर लिया गया हों।
6.धनुरासन करते समय की सावधानियां।
(धनुरासन के जबरदस्त चमत्कारिक लाभ-DhanurāsanaKe Jabaradasta Chamatkārika Lābha)
धनुरासन करते समय कुछ सावधानियॉ भी रखी जानी चाहिए अन्यथा लाभ के बजाय हानी होने की सम्भावना भी बन जाती है।
1.आन्त,किडनी,अल्सन,हार्निया आदि के रोग से पीड़ित लोगों को धनुरासन नहीं करना चाहिए।
2.रक्तचाप अथवा हृदय रोग के पीड़ितो को भी इस धनुरासन को करने की मनाही की गई है।
कमर दर्द,मेरूदण्ड की समस्या से ग्रस्त लोगों को भी यह योगासन नहीं करना चाहिए।
4.जिन लोगों को किसी प्रकार की सर्जरी हो चुकी है उन्हें चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए।
5.गर्भवती एवं मासिक धर्म से गुजर रही महिलाओं को भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
7.धनुरासन का विपरीत आसन
(धनुरासन के जबरदस्त चमत्कारिक लाभ-DhanurāsanaKe Jabaradasta Chamatkārika Lābha)
धनुरासन करने के बाद इसका विपरीत आसन पश्चिमोतानासन करना चाहिए।
पश्चिमोत्तानासन योग करने की विधि

1.स्वच्छ और हवादार जगह पर योगा मेट या आसन बिछा कर सुखासन में बैठ जायें।
2.दोनों पैरों को एक दूसरे से चिपकाते हुए सामने सीधा फैला लें ।
3.श्वांस भरते हुए अपने हाथों को ऊपर सिर की ओर उठाए।
4.श्वांस छोड़ते हुए अपने हाथों को निचे की ओर लाएं अपने पैरों के पंजे को पकड़ने का प्रयास करें।
5.अब अपने नाक को घुटनों से स्पर्श करावें ।
6.घुटनें जमीन से ऊपर न उठे,जमीन को स्पर्श करते रहने चाहिए।
7.इस स्थिति में कमर, कुल्हों एवं जांघों में खिंचाव महसूस करें।
8.सामार्थ्य के अनुसार इस स्थिति में रूकें।
9.श्वांस लेते हुए सामान्य स्थिति में आयें। वापिस आते समय जल्दबाजी नहीं करें।
प्रारम्भ में पश्चिमोतानासन करने में कठिनाई होगी, पैरों तक हाथ पहुंचने में,नाक घुटनों पर लगानें में,कमर को सीधी रखने में परन्तु अभ्यास होने के उपरान्त आप पश्चिमोतानासन आसानी से कर सकेंगे।
इस प्रकार की 4 से 5 बार आवृति का दोहराव करें।
इस प्रकार हम देखते है कि इस सामान्य से दिखाई देने वाले धनुरासन के अनेको ऐसे लाभ है, जो शरीर के प्रत्येक अंग को लाभान्वित करते है।इसके लाभ किसी चमत्कार से कम प्रतीत नहीं होते।
(धनुरासन के जबरदस्त चमत्कारिक लाभ-DhanurāsanaKe Jabaradasta Chamatkārika Lābha)
इस लेख को लिखने का उद्देश्य योग सम्बन्धी जानकारी देना मात्र है। स्वास्थ्य की दृष्टि से अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक या योग प्रशिक्षक से परामर्श किया जाना चाहिए।
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योगश्चितवृतिनिरोधः
( चित्तवृत्तियों का निरोध योग है।)
FAQ
2 responses to “धनुरासन के जबरदस्त चमत्कारिक लाभ-DhanurāsanaKe Jabaradasta Chamatkārika Lābha”
आप योग स्मबंघी अच्छी जानकारी देते है
Thanks