देखें इस योगासन के चमत्कार Dekhen is yogaasan ke chamatkaar
‘‘अध्यास्य शेते कर युग्मं वक्षे
भूमिमवष्टभ्यकरयोस्तलाभ्याम्।
पादौ च शून्ये च वितस्तिचार्ध्यं
वदन्ति पीठंशलभं मुनीन्द्राः।34।
घेरण्ड संहिता
अर्थात :-नीचे मुख करके लेट जाय,दोनों हाथों को वक्षःस्थल के नीचे रखकर हथेली को पृथ्वी पर टेके और दोनों पॉवों को बालिस्त भर ऊपर उठा हुआ रखें इसे शलभासन कहते है।
देखें इस योगासन के चमत्कार Dekhen is yogaasan ke chamatkaar यह आसन पेट के बल किया जाने वाला आसन है। इस आसन में अभ्यासी की आकृति शलभ के समान प्रतीत होती है। शलभ कहते ह,ै टिड्डा को,टिड्डा अपनी पूंछ को उपर उठाए रखता है। इसलिए इस आसन को शलभासन कहा जाता है। इस आसन को करने में प्रारम्भ में कुछ कठिनाई हो सकती है,जो कि स्वाभाविक है। परन्तु कुछ अभ्यास होने के बाद शलभासन करना आसान हो जाता है।
शलभासन करने की विधिः- (देखें इस योगासन के चमत्कार Dekhen is yogaasan ke chamatkaar)

1.स्वच्छ हवादार एवं शान्त वातावरण में आसन/मेट बिछा कर पेट के बल लेट जायें।
2.दोनों हाथ शरीर के साथ चिपके हुए जमीन पर रखें।
3.ठोड़ी को जमीन से स्पर्श कराते हुए रखें।
4.दोनों पैरों को मिलाते हुए पंजों को बाहर की और खि्चाव देते हुए सीधे रखें।
5.श्वांस भीतर खिंचते हुए दोनों पैरों को एक साथ तनी हुई स्थिति में ऊपर की और उठाएं। प्रारम्भ में पैरों को उपर ऊठाने में कठिनाई होगी,इसलिए अपने हाथों से अपनी जंघाओं को सहारा देकर पैरों का ऊपर उठाने का प्रयास करें।
6.प्रारम्भ में पैरों को उतना ही उठाएं जिसमें परेशानी नहीं हो,आराम से पैर उठ सकें।
7.धीर धीरे अभ्यास होने पर पैरों को 45 डिग्री तक ऊपर उठाऐ।
8.अपनी सामर्थ्य के अनुसार जब तक आप असहज महसूस नहीं करें, पैरों को उपर रखें। कुछ योग प्रशिक्षक इस स्थिति में पैरों को सिर के ऊपर भी रखवाते है, तथा कुछ योग प्रशिक्षक सीने तक के शरीर के भाग को ऊपर उठा कर पैरों को सिर के ऊपर से बिना मोड़े सामने की ओर रखवाते है। ( इस स्थिति को पूर्ण शलभासन कहते है)
9.अब धीरे धीरे श्वांस को छोड़ते हुए अपने पैरों को जमीन पर लायें।
10.ध्यान रखें न तो झटके के साथ पैरों को उठाएं और न ही झटके के साथ जमीन पर रखें।
11.प्रारम्भ में आप शलभासन को एक एक पैर से बारी बारी से भी कर सकते है। अभ्यासी होने के बाद दोंनों पैरों से कर सकते है।

12.इस आसन की 5 आवृतियॉ नियमित रूप से करनी चाहिए।
शलभासन के लाभः-
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1.शलभासन करने से स्लिप डिस्क के रोगीयों को आराम मिलता है।
2.इसके अभ्यास से मेरूदण्ड स्वस्थ बनता है।
3.आमाशय क्रियाशील बनता है जिससे हमारे शरीर से कब्ज एवं गैस ऐसीडिटी की समस्याओं का अन्त होता है।
4.पेट एवं आतें स्वस्थ बनते है तथा पेट एवं कमर की अतिरिक्त चर्बी हटाने में प्रभावी है।
5.जंघाएं एवं पैर की मांसपेशियां मजबूत बनती है।
6.फेफड़े स्वस्थ एवं अधिक क्रियाशील बनते है जिससे अधिक आक्सीजन को ग्रहण करने की क्षमता विकसित होती है। जिससें हमारे शरीर में रक्त शुद्वि होकर शरीर स्वस्थ बनता है।
7.पीठ दर्द में चमत्कारिक रूप से असरकारक है।
शलभासन में सावधानियॉः-
(देखें इस योगासन के चमत्कार Dekhen is yogaasan ke chamatkaar)
यह आसन हृद्य रोगीयों,उच्च रक्तचाप, हार्निया एवं जिनके पेट का ऑपरेशन हो चुका हो, को शलभासन नहीं करना चाहिए।
जिनको पीठ दर्द की गम्भीर समस्या हो उन्हे भी यह आसन नहीं करना चाहिए। आसन धैर्य एवं सहनशीलता के साथ किया जाना चाहिए।
यह आसन सुबह के समय खाली पेट करना चाहिए।
अगर आप सुबह के समय किसी कारण नहीं कर सकते है, तो खाना खाने के 3 से 4 घण्टे बाद किसी भी समय कर सकते है। क्योंकि ऐसी स्थिति में खाना हजम हो चुका होता है । अतः किसी प्रकार की समस्या की सम्भावना नहीं रहती है।
इस प्रकार हम देखते है कि पेट के बल लेट कर किये जाने वाले योगासनों में सामान्य सा दिखने वाला यह शलभासन शरीर के समस्त अंगों को लाभान्वित करता है। विशेषकर पेट, कमर,एवं कमर के निचले हिस्से ,पैरों को अधिक पुष्ट एवं स्वस्थ रखने में लाभकारी है ।
(देखें इस योगासन के चमत्कार Dekhen is yogaasan ke chamatkaar)
इस पोस्ट का उद्देश्य आपको जानकारी देना मात्र है। इसका किसी चिकित्सकीय रूप में प्रयोग करने से पहले किसी चिकित्सक या योग प्रशिक्षक से परामर्श करना चाहिए। किसी रोग से पीड़ीत होने पर अपने चिकित्सक से परामर्श के उपरान्त ही योगाभ्यास करना चाहिए एवं योग की शुरुआत हमेशा किसी प्रशिक्षित योग्य प्रशिक्षक के मार्गदशन में ही करनी चाहिए।
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योगश्चितवृतिनिरोधः
(चित्तवृत्तियों का निरोध योग है।)
2 responses to “देखें इस योगासन के चमत्कार Dekhen is yogaasan ke chamatkaar”
Good for health
good jankari