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मण्डूकासन विधि,लाभ और सावधानियॉ। Mandukaasan-Vidhi-Labh Aur Savdhaniya.

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मण्डूकासन विधि,लाभ और सावधानियॉ। Mandukaasan-Vidhi-Labh Aur Savdhaniya.

 

मण्डूकासन विधि,लाभ और सावधानियॉ। Mandukaasan-Vidhi-Labh Aur Savdhaniya. मंडूकासन एक आसान योगासन है। इस आसन को करते समय बॉडी की पोजीशन एक मेंढक के जैसी होती है, इसलिए इसे मंडूकासन कहते हैं। इस आसन के अनेकों लाभ हैं, जो इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास कर प्राप्त किये जा सकते है। लेकिन ये लाभ व्यक्तिशः निर्भर करते हैं। जो व्यकित की शारीरिक प्रकृति एवं उनके द्वारा किये गये अभ्यास पर निर्भर करता है। मण्डूकासन के अभ्यास से पेट के अंगों को सही तरह से मालिश प्राप्त होती है। यह आसान पेट से एक्स्ट्रा फैट को बर्न कर शरीर को सुन्दर एवं सुगठित बनाता है। मण्डूकासन करने के तीन प्रकार है जिन पर यहॉ चर्चा करेंगे।

1-मंडूकासन करने की विधि।

(मण्डूकासन विधि,लाभ और सावधानियॉ। Mandukaasan-Vidhi-Labh Aur Savdhaniya.)

मण्डूकासन बहुत ही आसन आसन होता है, जिसे हर कोई कर सकता है। आज हम इस लेख में मंडूकासन या (Frog Pose) के बारे में जानेंगे- इसे कैसे किया जा सकता है और इसके क्या-क्या लाभ आपको मिल सकते हैं।

  •  सबसे पहले समतल स्थान पर योगा मैट या आरामदायक चटाई पर आराम से बैठ जाएं।
  •  कुछ गहरी-गहरी सांसे भरें ताकि आपका शरीर आरामदायक स्थिति में आ जाये।
  •  इसके बाद आप व्रजासन मुद्रा में बैठें।
  • अपने दोनां हाथों की मुठ्ठियों को बंद करें, ओर अपने अंगूठों को बाहर की तरफ रखें।
  •  अब दोनां हाथों की मुठ्ठियों को नाभि पास रखें और ऐसे दबाव बनाएं कि मुठ्ठी खड़ी हो और अंगूठे अंदर की तरफ हों।
  •  एक लम्बी और गहरी सांस अंदर की ओर खींचे।
  •  सांस छोड़ते समय आगे की ओर झुकें और नाभि पर दबाव बनाऐं।
  • अपनी वक्ष का दबाव अपनी जांघों पर अनुभव करें।
  • अपना सिर और गर्दन ऊंची रखें जिससे आपकी द्ष्टि सामने होने चाहिए।
  • इस मुद्रा में आप 1 से 2 मिनट रहें।
  •  इस मुद्रा से बाहर आने की तैयारी में एक लम्बी सांस छोड़ें।
  • अब एक गहरी सांस लें और वज्रासन की मुद्रा में आ जाएं।
  •  इस प्रक्रिया को 3 से 5 बार दोहराएं।
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  • 2-मंडूकासन  के लाभ –

  • मण्डूकासन विधि,लाभ और सावधानियॉ। Mandukaasan-Vidhi-Labh Aur Savdhaniya.

     

  • मंडूकासन के बहुत से लाभ मिलते हैं इस योग के द्वारा मुख्य रूप से आपके पेट को लाभ मिलता है। आपको सुबह उठकर यह आसन जरूर करना चाहिए।
  •  इस आसन से पेट के सभी अंगों की अच्छी मालिश होती है। जिससे अंग अच्छे से काम करते हैं।
  •  मंडूकासन पैनक्रियाज को उत्तेजक कर डायबिटीज को कंट्रोल करने में बहुत मदद करता है।
  •  मंडूकासन, हमारे शरीर की नाभि जो अपनी जगह से हट गई हो उन्हें पुनः अपनी जगह लाने में मदद करता है।
  •  मंडूकासन हृदय के लिए बहुत लाभदायक योगाभ्यास है।
  •  मंडूकासन का नियमित अभ्यास पेट एवं कमर की चर्बी को कम करने में लाभदायक होता है।
  •  मंडूकासन का अभ्यास कमर, नितम्ब एवं घुटनों को मजबूत बनाता है।
  • इस आसन के द्वारा पाचन शक्ति भी बेहतर बनती है।कब्ज और अपच की स्थिति में यह आसन बहुत लाभदायक है।ऽ
  • मंडूकासन हमें स्ट्रेस व चिंता से राहत दिलाता है।
  • मंडूकासन पेट से गैस (एसीडिटी)को खत्म करने में सहायता करता है।
  • यह पेट की मसल्स को मजबूत बनाता है।
  • महिलाओं में मासिक धर्म समय होने वाले दर्द को कम करने के लाभदायक होता है।
  • मंडूकासन का नियमित अभ्यास अवसाद, चिंता और तनाव को दूर करने में लाभदायक हो सकता है।
  • सूर्यनमस्कार कैसे करें।

द्वितीय विधिः-

मण्डूकासन विधि,लाभ और सावधानियॉ। Mandukaasan-Vidhi-Labh Aur Savdhaniya.

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3-उत्तान मंडूकासनः-

उत्तान मंडूकासन तीन शब्दों (उत्तान, मंडूक और आसन) के मेल से बना है।इसमें उत्तान का मतलब ऊपर की तरफ तना हुआ, मंडूक का अर्थ मेंढक और आसन का मतलब मुद्रा है।

4-उत्तान मंडूकासन विधिः-

मण्डूकासन विधि,लाभ और सावधानियॉ। Mandukaasan-Vidhi-Labh Aur Savdhaniya.

सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठें। इसे दौरान आपके दोनों पैरों के अंगूठे आपस में सटे हों और घुटने के मध्य कुछ दूरी बनाते हुए खोल कर जमीन पर रखने चाहिए । अब धीरे-धीरे श्वांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर सिर की ओर उठाकर पीठे की ओर ले जाएं और अपनी दोनों हाथों की हथेलियों को बांयी हथेली को दांये कन्धें पर एवं दांयी हथेली को बांये कन्धे पर रखें। इस स्थिति में आपकी मेरूदण्ड और गर्दन सीधी होनी चाहिए। कुछ देर इसी मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।

  • 5-उत्तान मंडूकासन की द्वितीय विधिः-

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  • त्तान मण्डूकासन का अभ्यास सुप्त वज्रासन के समान ही है। वज्रासन लगाकर पीछे लेट जायें, सिर जमीन से स्पर्श करता रहेगा ।दोनों जाँघे एक साथ चिपकी हुई रहनी चाहिए। पैरों की अंगुलियां जुड़ी हुई एवं ऐड़ियां खुली हुई होनी चाहिए। यह सुप्त वज्रासन है। इस मुद्रा में आपके नितम्ब एड़ी के ऊपर रहने चाहिए। उत्तान मण्डूकासन में कमर को जमीन से ऊपर उठा लिया जाता है। इस स्थिति में शरीर का समस्त भार घुटनों एवं सिर पर रहता है

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  • उत्तान मण्डूकासन के लाभ :-                                       (Mandukaasan-Vidhi-Labh Aur Savdhaniya.)
  •  खिंचाव, मजबूती, लंबाई :-इसके अभ्यास से शरीर के समस्त आन्तरिक एवं बाहरी अंगों पर खिंचाव आता है जिससे प्रभावित समस्त अंगों को मजबूत मिलती है। शरीर की लम्बाई बढ़ाने में सहायक हो सकता है।
  •  लचीलापन और स्फूर्ति :- इस आसन के अभ्यास से शरीर में लचीलापन आता है। जिससे शरीर में चुस्ती स्फूर्ती बनी रहती है।
  •  सीना एवं फेफड़े स्वस्थ :- इस आसन के अभ्यास से सीना एवं फेफड़े बहुत ज्यादा प्रभावित होते है। इसके अभ्यास से श्वांस-प्रश्वांस का सम्पूर्ण लाभ मिलता है। ऑक्सीजन की पर्याप्त में शरीर को आपूर्ति प्राप्त होती है।
  • मेरूदण्ड एवं कमर के लिए लाभदायक :- इस आसन में मेरूदण्ड एवं कमर की मांसपेशियों की काफी मालिश हो जाती है। जिस कारण इन अंगों के दर्द आदि में लाभ मिलता है। लचीलापन आता है।
  •  कुण्डलिनी जागरण में सहायकः- इस आसन में मूलाधार चक्र पर दबाव पड़ता है जिस कारण मूलाधार चक्र को जागृत करने में सहायता मिलती है।
  •  पेट सम्बन्धी समस्याओं के निराकरण में सहयोगीः- इस आसन से पेट एवं पेट के आन्तरिक पाचन तन्त्र एवं अन्य अंग प्रभावित होते है । जिससे पाचन तन्त्र के सक्रिय होने से भोजन का सम्पूर्ण रस शरीर को प्राप्त होता है। जिससे शरीर पुष्ट एवं स्वस्थ बनता है।
  • जोड़ों के दर्द में लाभकारीः- इस आसन को करने पर शरीर के समस्त जोड़ प्रभावित होते है,जिस कारण उनके विकारों को नष्ट करने में यह आसन लाभकारी सिद्व हो सकता है।

यह आसन उन लोगों के लिए भी लाभकारी है। जो लम्बें समय तक एक ही स्थान पर बैठ कर कार्य करते है। अगर समय निकाल कर वे इस आसन का अभ्यास दिन में एक बार भी कर ले तो उनके लिए अतिलाभदायक सिद्व हो सकता है,तथा कमर एवं जोड़ों की समस्याओं के आने से पूर्व ही उनसे बचाव करने में सहायक हो सकता है।

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6-मंडूकासन करते समय बरतें सावधानी-

मण्डूकासन विधि,लाभ और सावधानियॉ। Mandukaasan-Vidhi-Labh Aur Savdhaniya.

 

  •  पीठ अथवा जोड़ों के दर्द की समस्या होने पर इस आसन को नहीं करना चाहिए।
  •  पेट की सर्जरी हुई है, तो भी इस आसन को करने से बचें।
  •  अन्य किसी प्रकार की शारीरिक समस्या होने पर अपने चिकित्सक की परामर्श के अनुसार योगाभ्यास करने अथवा नहीं करने का निर्णय लेना चाहिए।
    इस प्रकार हम देखते है कि यह एक आसन मात्र सम्पूर्ण शरीर के लिए अतिलाभदाय सिद्व हो सकता है। यदि इसे पूर्ण मार्गदर्शन में योग्य प्रशिक्षक के सानिध्य में किया जाये। जो लोग अधिक कठिन आसनों को करने से बचना चाहते है उनके लिए तो यह आसन एक स्वर्णिम अवसन है । इसे करना बेहद ही आसान है । अतः इसे समस्त व्यक्तियों को अवश्य करना चाहिए।  (Mandukaasan-Vidhi-Labh Aur Savdhaniya.)

इस पोस्ट को लिखने का उद्देश्य योग की जानकारी जनसामान्य को उपलब्ध करवाना है । किसी भी योगाभ्यास को प्रारम्भ करने से पूर्व अपने चिकित्सक एवं योग प्रशिक्षक से अवश्य परामर्श करना चाहिए।

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FAQ

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मंडूकासन एक आसान योगासन है। इस आसन को करते समय बॉडी की पोजीशन एक मेंढक के जैसी होती है, इसलिए इसे मंडूकासन कहते हैं। इस आसन के अनेकों लाभ हैं, जो इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास कर प्राप्त किये जा सकते है। लेकिन ये लाभ व्यक्तिशः निर्भर करते हैं। जो व्यकित की शारीरिक प्रकृति एवं उनके द्वारा किये गये अभ्यास पर निर्भर करता है। मण्डूकासन के अभ्यास से पेट के अंगों को सही तरह से मालिश प्राप्त होती है। यह आसान पेट से एक्स्ट्रा फैट को बर्न कर शरीर को सुन्दर एवं सुगठित बनाता है।
मंडूकासन के बहुत से लाभ मिलते हैं इस योग के द्वारा मुख्य रूप से आपके पेट को लाभ मिलता है। आपको सुबह उठकर यह आसन जरूर करना चाहिए।  इस आसन से पेट के सभी अंगों की अच्छी मालिश होती है। जिससे अंग अच्छे से काम करते हैं।  मंडूकासन पैनक्रियाज को उत्तेजक कर डायबिटीज को कंट्रोल करने में बहुत मदद करता है।  मंडूकासन, हमारे शरीर की नाभि जो अपनी जगह से हट गई हो उन्हें पुनः अपनी जगह लाने में मदद करता है।  मंडूकासन हृदय के लिए बहुत लाभदायक योगाभ्यास है।  मंडूकासन का नियमित अभ्यास पेट एवं कमर की चर्बी को कम करने में लाभदायक होता है।  मंडूकासन का अभ्यास कमर, नितम्ब एवं घुटनों को मजबूत बनाता है। इस आसन के द्वारा पाचन शक्ति भी बेहतर बनती है।कब्ज और अपच की स्थिति में यह आसन बहुत लाभदायक है।ऽ मंडूकासन हमें स्ट्रेस व चिंता से राहत दिलाता है। मंडूकासन पेट से गैस (एसीडिटी)को खत्म करने में सहायता करता है। यह पेट की मसल्स को मजबूत बनाता है। महिलाओं में मासिक धर्म समय होने वाले दर्द को कम करने के लाभदायक होता है। मंडूकासन का नियमित अभ्यास अवसाद, चिंता और तनाव को दूर करने में लाभदायक हो सकता है।
मण्डूकासन करने की तीन विधी है जो निम्न प्रकार है 1-मंडूकासन करने की विधि। मण्डूकासन बहुत ही आसन आसन होता है, जिसे हर कोई कर सकता है।  सबसे पहले समतल स्थान पर योगा मैट या आरामदायक चटाई पर आराम से बैठ जाएं।  कुछ गहरी-गहरी सांसे भरें ताकि आपका शरीर आरामदायक स्थिति में आ जाये।  इसके बाद आप व्रजासन मुद्रा में बैठें। अपने दोनां हाथों की मुठ्ठियों को बंद करें, ओर अपने अंगूठों को बाहर की तरफ रखें।  अब दोनां हाथों की मुठ्ठियों को नाभि पास रखें और ऐसे दबाव बनाएं कि मुठ्ठी खड़ी हो और अंगूठे अंदर की तरफ हों।  एक लम्बी और गहरी सांस अंदर की ओर खींचे।  सांस छोड़ते समय आगे की ओर झुकें और नाभि पर दबाव बनाऐं। अपनी वक्ष का दबाव अपनी जांघों पर अनुभव करें। अपना सिर और गर्दन ऊंची रखें जिससे आपकी द्ष्टि सामने होने चाहिए। इस मुद्रा में आप 1 से 2 मिनट रहें।  इस मुद्रा से बाहर आने की तैयारी में एक लम्बी सांस छोड़ें। अब एक गहरी सांस लें और वज्रासन की मुद्रा में आ जाएं।  इस प्रक्रिया को 3 से 5 बार दोहराएं। द्वितीय विधिः- सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठें। इसे दौरान आपके दोनों पैरों के अंगूठे आपस में सटे हों और घुटने के मध्य कुछ दूरी बनाते हुए खोल कर जमीन पर रखने चाहिए । अब धीरे-धीरे श्वांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर सिर की ओर उठाकर पीठे की ओर ले जाएं और अपनी दोनों हाथों की हथेलियों को बांयी हथेली को दांये कन्धें पर एवं दांयी हथेली को बांये कन्धे पर रखें। इस स्थिति में आपकी मेरूदण्ड और गर्दन सीधी होनी चाहिए। कुछ देर इसी मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। iii उत्तान मण्डूकासन का अभ्यास सुप्त वज्रासन के समान ही है। वज्रासन लगाकर पीछे लेट जायें, दोनों हाथ सिर के निचे, सिर कोहनियों पर टिका दें।दोनों जाँघे एक साथ चिपकी हुई रहनी चाहिए। पैरों की अंगुलियां जुड़ी हुई एवं ऐड़ियां खुली हुई होनी चाहिए। यह सुप्त वज्रासन है। इस मुद्रा में आपके नितम्ब एड़ी के ऊपर रहने चाहिए। उत्तान मण्डूकासन में कमर को जमीन से ऊपर उठा लिया जाता है। इस स्थिति में शरीर का समस्त भार घुटनों एवं सिर पर रहता है
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