भस्त्रिका प्राणायाम करने वाले सावधान। Bhastrika Paranaya karane Wale Savdhan.
भस्त्रिका प्राणायाम घेरण्ड संहिता में-
भस्त्रैव लोहकाराणां यथाक्रमेण सम्भ्रमेत्।
ततो वायुः च नासाभ्यामुभाभ्यां चालयेच्छनैः।।74
एवं विंशतिवारं च कृत्वा कुर्याच्चा कुम्भकम्।
तदन्ते चालयेद्वायुः पूर्वोक्तं च यथाविधि।।75
त्रिवारं साधयेदेनं भस्त्रिकाकुम्भकं सुधीः।
न च रोगं न च क्लेशमारोग्यं च दिने दिने।।76
आज हम बात कर रहे है,भस्त्रिका प्राणायाम करने में सावधानियों,Bhastrika Paranaya karane me Savdhaniyon ki, की भस्त्रिका प्राणायाम,Bhastrika Paranaya एक बहुत की प्रभावशाली प्राणायाम है। इस प्राणायाम को सांसों की धौंकनी भी कहा जाता है। क्योंकि इसमें सांसों को लौहार की धौंकनी की तरह ही चलाया जाता है।
जैसा कि इस प्राणायाम के नाम से ही स्पष्ट होता है, कि भस्त्रिका प्राणायाम का नियमित अभ्यास हमारे शरीर में गर्मी (ऊष्णता) पैदा करता है। जो हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्तर संतुलित करता है।

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इस प्राणायाम के अनेकों प्रभावशाली लाभ है जैसे- Bhastrika Paranaya karane Wale Savdhan.
1.शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़़ाता है।
2.मानसिक तनाव को दूर करता है।
3.पाचन तन्त्र को मजबूत करता है।
4.रोग प्रतिरोधक क्षमाता का विकास करता है।
5.श्वसन तन्त्र को स्वस्थ बनाता है।
6.शरीर को डिटोक्स करने में सहायक होता है।
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1-अगर आप इन लाभों को लेने एवं अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास कर रहे है ,तो सावधान हो जायें। Bhastrika Paranaya karane Wale Savdhan.
आज हम बात कर रहे है,भस्त्रिका प्राणायाम करने में सावधानियों,Bhastrika Paranaya karane me Savdhaniyon ki, ,क्योंकि यह प्राणायाम जितना लाभकारी है । उतना ही यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। अगर आप बिना उचित मार्गदर्शन एंव जानकारी के भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करते है।
जिन व्यक्तियों को निम्नाकिंत समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। उन्हे भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास बिना किसी उचित मार्गदर्शन के नहीं करना चाहिए।
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2-भस्त्रिका प्राणायाम के समय सावधानियां- Bhastrika Paranaya karane Wale Savdhan.
आज हम बात कर रहे है,भस्त्रिका प्राणायाम करने में सावधानियों,Bhastrika Paranaya karane me Savdhaniyon ki,
1.जिनको अधिक पसीना आता हो,जल्दी थकान आ जाती हो, उन लोगों को भस्त्रिका प्राणायाम नहीं करना चाहिए। क्योकि जिन लोगों के शरीर की प्रकृति गर्म होगी उन्हें ही अधिक पसीना आयेगा और उन्हें थकान भी जल्दी आती है।
अतः ऐसी प्रकृति के लोग भस्त्रिका प्राणायाम का नियमित एवं अधिक अभ्यास करेंगें ,तो यह अभ्यास और अधिक गर्मी पैदा करेगा। जो शरीर के लिए उपयोगी नहीं होकर हानिकारक हो सकती है।
2. जिन लोगों को उच्च रक्तचाप की शिकायत हो,ज्यादातर गर्म प्रकृति के व्यक्तियों जैसे तनावग्रस्त या अधिक क्रोध करने वाले को उच्च रक्तचाप की समस्या अधिक होने की सभ्मावना होती है। इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास शरीर में और गर्मी बढ़ाएगा। अतः उच्च रक्तचाप से पीड़ीत व्यक्तियों को भस्त्रिका प्राणायाम का नियमित अभ्यास बिना चिकित्सक या योग गुरू मे परामर्श नहीं करना चाहिए।
3.हृदय रोग एवं अस्थमा से ग्रस्त हों ,भस्त्रिका प्राणायाम में श्ंवास प्रश्ंवास को गति के साथ किया जाता है। जिस कारण हमारे शरीर के रक्त प्रवाह की गति तेज हो जाती है। जो हृदय के रोगियों के लिए लाभदायक नहीं हो सकता। अतः उचित मार्गदर्शन के आधार पर ही इस प्राणायाम को करने का निर्णय लेना चाहिए।
4.गर्भधारण एवं मासिक धर्म के समय महिलाओं के शरीर को अत्यधिक गर्मी की आवश्यकता नहीं होती । जबकि भस्त्रिका प्राणायाम शरीर में गर्मी एवं श्वसन की गति मे तेजी पैदा करता है। अतः गर्भावस्था एवं मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को भस्त्रिका प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
5.गर्मी के मौसम में सावधानी एवं सजगता के साथ करना चाहिए। क्योंकि जब इस प्राणायाम का ’’नाम’’ ही लौहार की धौकनी से लिया गया है। लौहार की धौकनी में इतनी ताकत होती है ,कि वह लोहा को भी भस्म कर सकती है। तो यह भी निश्चित है, कि यह हमारे शरीर में भी गर्मी (ऊष्णाता) को बढ़ाता है। इसलिए आवश्यक हो जाता है, कि गर्मी के मौसम में इस प्राणायाम को बिना सही जानकारी प्राप्त किये नहीं करना चाहिए।
अगर इस प्राणायाम का नियमित रूप से अभ्यास किया गया तो यह शरीर में गर्मी बढ़ायेगा । जिससे चक्क्र एवं .मिर्गी की समस्या को बढ़ावा मिल सकता है।
6.पेट का अल्सर एवं हार्निया के पीड़ितों को भी इस भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए।Shorten with AI
7.बिना मार्गदर्शन एवं बिना विधिवत जानकारी के भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करने से मानसिक तनाव,नींद की समस्या,सांस की समस्या को बढ़ावा दे सकता है।
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3-भस्त्रिका प्राणायाम के समय खाना-पीना- Bhastrika Paranaya karane Wale Savdhan.
1. चुंकि यह प्राणायाम ऊष्णता पैदा करता है। अतः भस्त्रिका प्राणायाम करने से लगभग एक घण्टा पहले और एक घण्टा बाद में 2-2 गिलास पानी पीना चाहिए।
2. भसि़्त्रका प्राणायाम के अभ्यास के दौरान पेट खाली होना चाहिए,और सुबह का समय सर्वोतम होता है।
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4-भस्त्रिका प्राणायाम के बाद कौन से आसन या प्राणायाम करने चाहिए- Bhastrika Paranaya karane Wale Savdhan.
1. भस्त्रिका प्राणायाम करने के उपरान्त कपाल भाति प्राणायाम एवं शवासन आदि योगाभ्यास भी करने चाहिए। ताकि शरीर को प्राप्त ऊष्णता को सन्तुलित किया जा सके।
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5-भस्त्रिका प्राणायाम कितने समय करें। Bhastrika Paranaya karane Wale Savdhan.
एक बार में इसकी बीस बीस बार क्रिया करें, और इस क्रिया को तीन बार दौहराना चाहिए।
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निर्ष्कषः-भस्त्रिका प्राणायाम को विधिपूर्वक उचित मार्गदर्शन में किया जाये तो यह शरीर को ऊर्जा,ऊष्णता देता है। शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है।
इसी प्रकार अगर यह प्राणायाम बिना उचित मार्गदर्शन एवं आधी अधूरी जानकारी के आधार पर किया जाये तो विभान्न प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक समस्याएं पैदा कर सकता है । जैसे कि हमने इसी पोस्ट में ऊपर चर्चा की है।
इस पोस्ट का उद्देश्य योग की जानाकारी देना मात्र है। चिकित्सकीय उद्देश्य से इसका अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक एवं योग गुरू से इसके सम्बन्ध में परामर्श कर लाभ एवं सावधानियों बाबत जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।
FAQ
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