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भद्रासन योग विधि, लाभ और सावधानी. Bhadrasan Yoga Vidhi,Labh Aur Savdhani.

Bhadrasan Yoga Vidhi,Labh Aur Savdhani.
Photo- Pixabay

हम बात कर रहे है, भद्रासन योग विधि, लाभ और सावधानी. Bhadrasan Yoga Vidhi,Labh Aur Savdhani. की भद्रासन एक प्रमुख योग आसन है, जो शरीर और मन को स्वस्थ बनाने में मदद करता है। यह आसन मेरूदण्ड को मजबूत बनाता है। पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है, और मानसिक तनाव को कम करता है। भद्रासन के नियमित अभ्यास से मन की एकाग्रता बढ़ती है और नियमित अभ्यास से प्रजनन क्षमता का भी विकास होता हैं।

 

भद्रासन के मुख्य बिंदुः-

1. भद्रासन क्या है?
2. भद्रासन करने की विधि ।
3. भद्रासन के लाभ।
4. भद्रासन के लिए आवश्यक सावधानियां।

1-भद्रासन क्या है   ?                  भद्रासन योग विधि, लाभ और सावधानी. Bhadrasan Yoga Vidhi,Labh Aur Savdhani.

भद्रासन का अर्थः

भद्रासन संस्कृत शब्द है,भद्रासन का अर्थ है “भद्र“ यानी “शालीन“ और “आसन“ यानी “मुद्रा“। यह आसन शरीर और मन को शुभ और स्वस्थ बनाने में मदद करता है। इस आसन को अंग्रेजी भाषा में Gracious Pose भी कहा जाता है।

भद्रासन कई प्रकार से किया जाता हैं पर हम यहाँ पर भद्रासन के अभ्यास की सबसे सरल विधि की चर्चा करेंगें।

2-भद्रासन योग विधि –                                                             Bhadrasan Yoga Vidhi,Labh Aur Savdhani

हम बात कर रहे है, भद्रासन योग विधि, लाभ और सावधानी. Bhadrasan Yoga Vidhi,Labh Aur Savdhani. की तो भद्रासन किस विधि से करें ताकि हम अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें। भद्रासन कई विधियों से किया जाता है। आज यहॉ पर हम चर्चा कर रहे है, भद्रासन करने की तीन आसन विधियों की जिसको सीख कर आप इस योगाभ्यास को अपने घर पर भी कर सकते हैं।

भस्त्रिका प्राणायाम करने वाले सावधान

  • भद्रासन करने की विधि -1

1. सबसे पहले किसी समतल और हवादार स्वच्छ स्थान पर योगा मेट या दरी /चटाई बिछा लें।
2. कुछ समय के लिए सुखासन में बैठें, श्वांस प्रश्वांस को सामान्य गति से प्रवाहित होने दें।
3. अब अपने दोनों पांवों को अपने सामने की ओर सीधे जमीन पर फैलाकर बैठ जायें।
4. अपने दोनों पैरों को धीरे-धीरे घुटनों से मोड़ें और दोनों पैरों के तलवों को आपस में मिला लें।
5. अपने दोनों हाथों से पैरों के टखनों को पकड़े ओर अपने मुलाधार से स्पर्श करवाने का प्रयास करें।
6. अपने पैरों को सही स्थिति में मूलाधर पर स्पर्श करने या बिना कष्ट के मूलाधार के नजदीक तक पहुंचने पर अपने घुटनों को जमीन से स्पर्श करवाने का प्रयास करें।

7. इस स्थिति में आपके कमर, गर्दन एकदम सीधी तनी हुई स्थिति में होनी चाहिए।
8. भद्रासन के अभ्यास के दौरान आपके सांसों की गति सामान्य होनी चाहिए।
9. इस आसन में तितली आसन का पोज बन जाता है परन्तु तितली आसन और भद्रासन में अन्तर यह है कि तितली आसन में घुटनों की उपर नीचे क्रिया करवायी जाती है। परन्तु भद्रासन में घुटनों से कोई क्रिया नहीं की जाती है।
10. अपने सुविधाजनक समय तक इस पोज में रूकें।
11. योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में इस योगाभ्यास की अवधि को बढ़ाया जाना चाहिए।
12. आराम से सामान्य स्थिति में आयें और योगाभ्यास के पोज को छोड़ें।

  • भद्रासन योग करने की द्वितीय विधि इस प्रकार हैं :       Bhadrasan Yoga Vidhi,Labh Aur Savdhani.

1. सबसे पहले किसी समतल और हवादार स्वच्छ स्थान पर योगा मेट या दरी /चटाई बिछा लें।
2. कुछ समय के लिए सुखासन में बैठें, श्वांस प्रश्वांस को सामान्य गति से प्रवाहित होने दें।
3. अब वज्रासन में बैठ जाये।
4. अपने दोंनों घुटनों में जितना संभव हो सके अधिक से अधिक आपस में दूरी बनायें रखते हुए खोलें। परन्तु आपके दोनों पैरों की अंगुलियां आपस में स्पर्श करती रहनी चाहिए।

5. अपने नितम्बों को अपने पैरों की ऐड़ियों के मध्य में रखते हुए बैठ जायें ,इस स्थिति में आपके नितम्ब जमीन को स्पर्श करते रहने चाहिए।
6. अपने दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में अपने घुटनों पर रखें।
6. शरीर को स्थिर और सीधा रखे। कमर-गर्दन सीधी रहनी चाहिए।
7. आपका ध्यान आपकी नासिका के अग्रभाग पर केंद्रित होना चाहिए।
8. श्वासों की गति सामान्य होनी चाहिए।
9. भद्रासन का अभ्यास उचित मार्गदर्शन में अपने अनुकुल समय अवधि के लिए करना चाहिए।

  • भद्रासन योग करने की तृतीय विधि इस प्रकार हैं :                         Bhadrasan Yoga Vidhi,Labh Aur Savdhani.

1. कुछ योगाचार्य भद्रासन का अभ्यास की तृतीय विधि के अनुसार भी करवाते है।
2. इसमें ऊपर वर्णित द्वितीय विधि के पोज में आकर अपने हाथों से अपने पैरों के अंगुठे को पकड़ कर जालन्धर बन्ध लगाया जाता है।
3. अन्य सभी क्रियाएं द्वितीय विधि की भॉति ही की जाती है।

3-भद्रासन के लाभ-                                    Bhadrasan Yoga Vidhi,Labh Aur Savdhani.

हम बात कर रहे है, भद्रासन योग विधि, लाभ और सावधानी. Bhadrasan Yoga Vidhi,Labh Aur Savdhani. की तो, भद्रासन के नियमित अभ्यास से हमें अनेक लाभ प्राप्त होते है जिनमें में से कुछ की चर्चा आज हम यहॉ पर कर रहे है।
1. कमर दर्द में लाभकारीः- भद्रासन के नियमित अभ्यास से हम कमर दर्द की समस्या से राहत पा सकते है।
2.प्रसव में आसानी :- कहा जाता है कि भद्रासन के नियमित अभ्यास से गर्भवती महिलाओं के प्रसव के समय ज्यादा परेशानी नहीं होती है और उन्हें ऑपरेशन की आवश्यकता भी नहीं पड़ती ।

परन्तु कहीं कही यह भी बताया गया है कि यह योगाभ्यास गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए।
अतः अगर गर्भवती महिला इस योगाभ्यास को करना चाहती हों तो उन्हे अपने चिकित्सक के परामर्श के बिना इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
3.मेरूदण्ड के लिए लाभदायक :- भद्रासन का नियमित अभ्यास हमारे मेरूदण्ड को स्वस्थ रखने में अति लाभदायक होता है ।
4.ध्यान,मेडिटेशन के लिए लाभदायक :- जो लोग ध्यान या मेडिटेशन करने के लिए प्रयासरत हैं।इस योगाभ्यास के दौरान अपना ध्यान नासिका के अग्रभाग पर केन्द्रित करना होता है।जिस कारण ध्यान,मेडिटेशन के साधकों को भद्रासन योग का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। इस योगासन से उन्हें ध्यान,मेडिटेशन लगाने में काफी लाभ मिलने की सम्भावना बनती है।

5. भद्रासन स्मरण शक्ति को तेज करने में लाभदायक :-यह आसन ध्यान,मेडिटेशन के लिए लाभदायक होता है,अतः इसका नियमित अध्यास करने से यह स्मरण शक्ति,दिमाग तेज करने एवं एकाग्रता को बढ़ाने में लाभदायक हो सकता है।

6. मन की चंचलता कम करने में सहायक :-भद्रासन के नियमित एवं विधिपूर्वक अभ्यास करने से मन के चंचलता को कम करता है। जिससे साधक को मन पर नियन्त्रण करने में लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
7.प्रजनन शक्ति मजबूत बनाने में सहयोगी :-भद्रासन का नियमित अभ्यास पेल्विक (श्रोणी) क्षेत्र को मजबूत बनाता है। नियमित अभ्यास से पेल्विक की नसें एवं मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।जिससे प्रजनन शक्ति बढ़ती है और बांझपन जैसे समस्याओं से मुक्ति मिलने की सम्भावना बनती है।
8.पैरों को मजबूत बनाने में सहायक :- भद्रासन का नियमित अभ्यास करने से यह पैरों की मांसपेशियों को मजबूती देता है।

इनके अतिरिक्त अन्य काफी लाभ मिलते है। जैसे
1. पाचन पाचन शक्ति ठीक रहती हैं।
4. रक्त संचार को बेहतर बनाता है।
5. शरीर को लचीला और मजबूत बनाता है।
6. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
7. कब्ज की समस्या को दूर करता है।
8. शरीर को स्वच्छ और हल्का महसूस कराता है।

4-भद्रासन के अभ्यास में सावधानियां                                                                  Bhadrasan Yoga Vidhi,Labh Aur Savdhani.

हम बात कर रहे है, भद्रासन योग विधि, लाभ और सावधानी. Bhadrasan Yoga Vidhi,Labh Aur Savdhani. की तो यहॉ पर इस भद्रासन के अभ्यास के समय हमें सावधानियां भी रखनी चाहिए,ताकि किसी प्रकार की शारीरिक हानि से बचा जा सके।
1.घुटने में किसी प्रकार का दर्द होने या ऑपरेशन होने पर भद्रासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
2.कमर,पीठ अथवा मेरूदण्ड में किसी प्रकार का दर्द अथवा अन्य कोई समस्या होने पर भद्रासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

3.पेट का ऑपरेशन हुआ हो अथवा किसी प्रकार की समस्या हो तो भद्रासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
4. गर्भवती महिलाओं को भद्रासन नहीं करना चाहिए। अगर कोई महिला भद्रासन करना चाहे तो उन्हें यह आसन किसी विशेषज्ञ के निगरानी में करनी चाहिए।

5. भद्रासन करते समय अपने शरीर को स्थिर और आरामदायक रखें।
6. भद्रासन को धीरे-धीरे और सावधानी से करें।भद्रासन का अभ्यास जल्दबाजी में या लापरवाहीपूर्वक नहीं करना चाहिए।
7.भद्रासन के अभ्यास के उपरान्त तुरन्त कोई कार्य करने बजाये कुछ समय आराम करना चाहिए।
8. यदि आपको कोई शारीरिक समस्या है, तो भद्रासन करने से पहले अपने डॉक्टर या योग प्रशिक्षक से परामर्श लें।

इस पोस्ट का उदे्श्य योग सम्बन्धी जानकारी उपलब्ध करवाना है। किसी शारीरिक समस्या के लिए आसन का अभ्यास अपने चिकित्सक या योग प्रशिक्षक के परामर्श एवं सानिध्य में करना चाहिए।

FAQ

Bhadrasan

भद्रासन कई प्रकार से किया जाता है परन्तु सर्वाधिक प्रचलित विधि इस प्रकार है। भद्रासन योग करने की द्वितीय विधि इस प्रकार हैं : 1. सबसे पहले किसी समतल और हवादार स्वच्छ स्थान पर योगा मेट या दरी /चटाई बिछा लें। 2. कुछ समय के लिए सुखासन में बैठें, श्वांस प्रश्वांस को सामान्य गति से प्रवाहित होने दें। 3. अब वज्रासन में बैठ जाये। 4. अपने दोंनों घुटनों में जितना संभव हो सके अधिक से अधिक आपस में दूरी बनायें रखते हुए खोलें। परन्तु आपके दोनों पैरों की अंगुलियां आपस में स्पर्श करती रहनी चाहिए। 5. अपने नितम्बों को अपने पैरों की ऐड़ियों के मध्य में रखते हुए बैठ जायें ,इस स्थिति में आपके नितम्ब जमीन को स्पर्श करते रहने चाहिए। 6. अपने दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में अपने घुटनों पर रखें। 6. शरीर को स्थिर और सीधा रखे। कमर-गर्दन सीधी रहनी चाहिए। 7. आपका ध्यान आपकी नासिका के अग्रभाग पर केंद्रित होना चाहिए। 8. श्वासों की गति सामान्य होनी चाहिए। 9. भद्रासन का अभ्यास उचित मार्गदर्शन में अपने अनुकुल समय अवधि के लिए करना चाहिए।
भद्रासन का अर्थः भद्रासन संस्कृत शब्द है,भद्रासन का अर्थ है “भद्र“ यानी “शालीन“ और “आसन“ यानी “मुद्रा“। यह आसन शरीर और मन को शुभ और स्वस्थ बनाने में मदद करता है। इस आसन को अंग्रेजी भाषा में Gracious Pose भी कहा जाता है।
भद्रासन के नियमित अभ्यास से हमें अनेक लाभ प्राप्त होते है जिनमें में से कुछ की चर्चा आज हम यहॉ पर कर रहे है। 1. कमर दर्द में लाभकारी। 2.प्रसव में आसानी । अगर गर्भवती महिला इस योगाभ्यास को करना चाहती हों तो उन्हे अपने चिकित्सक के परामर्श के बिना इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। 3.मेरूदण्ड के लिए लाभदायक । 4.ध्यान,मेडिटेशन के लिए लाभदायक । 5. भद्रासन स्मरण शक्ति को तेज करने में लाभदायक । 6. मन की चंचलता कम करने में सहायक। 7. प्रजनन शक्ति मजबूत बनाने में सहयोगी । 8.पैरों को मजबूत बनाने में सहायक । इनके अतिरिक्त अन्य काफी लाभ मिलते है। जैसे 1. पाचन पाचन शक्ति ठीक रहती हैं। 4. रक्त संचार को बेहतर बनाता है। 5. शरीर को लचीला और मजबूत बनाता है। 6. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। 7. कब्ज की समस्या को दूर करता है। 8. शरीर को स्वच्छ और हल्का महसूस कराता है।
भद्रासन का अभ्यास करने की समयावधि अपने योग प्रशिक्षक के परामर्श के अनुसार या अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार निर्धारित करनी चाहिए।

 

 

 

 

 

 

 

 

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    Shandar

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