बच्चों के लिए योगा,शुरूआत के योगा Yoga for Children
बच्चों के लिए योगा,शुरूअत के योगा Bachchon Ke Liye Yoga। बच्चों के लिए योग-शुरुआत के योग. आजकल बड़े बच्चों के हाथ में भी मोबाइल फोन क्या होता है। मोबाइल पर बेकार गेम प्रतिभागी हैं। बहुत से बच्चों ने मैदान के खेलों को भी तिलांजलि दे दी है। जिसके कारण उनका शारीरिक श्रम समाप्त हो गया है। जब शारीरिक मेहनत नहीं करनी होगी तो शारीरिक विकास भी नहीं हो सकता।
इन सभी लेखों में भी हमने देखा है, और अभी भी देख रहे हैं। पूर्व में हमने देखा कि एक मोबाइल गेम के कारण कई बच्चों ने आत्महत्या तक कर ली थी, और कई बच्चे मानसिक रूप से विक्षिप्त होकर अंतिम संस्कार तक पहुंच गए थे। यह भी सही है, कि आज पढ़ाई के नजरिए से भी मोबाइल बच्चों की जरूरतें पूरी हो गई हैं, बच्चों की पढ़ाई का कितना दबाव हो गया है, कि बच्चे भी शारीरिक खेलों में भाग नहीं लेना चाहते हैं। लेकिन मोबाइल का सही उपयोग हो यह देखना माता-पिता शिक्षक एवं गणेश का दायित्व बनता है। आजकल बच्चों के स्कूल टिफिन भी फास्ट फूड से सजाये जाने लगे हैं। जो कि उनके स्वास्थ्य के प्रति उदासीन नहीं है।
इन सभी सहयोगियों के बीच माता-पिता को समय-समय पर बच्चों को योग आसनों के लिए प्रेरित करना चाहिए। योग एक एक्सर्साइज ही नहीं है। इस व्यक्ति को तन, मन और अध्यात्म से जोड़ने वाला साधन है। जिसका प्रमाण सारी दुनिया समझ चुकी है। अब तो भारत सरकार के प्रयास से 21 जून को पूरे विश्व में योग दिवस के रूप में मनाया जाना शुरू हो गया है, जिसमें योग के महत्व के बारे में बताया गया है।
इस पर हम चर्चा करेंगे ऐसे योगासन की जिन्हे करते हुए बच्चे परेशान भी नहीं होंगे और खेल-खेल में योगाभ्यास भी सीख जाएंगे। योगाभ्यास बच्चों के लिए Bachchon Ke Liye Yoga स्वास्थ्य के साथ-साथ शैक्षिक विकास की दृष्टि से भी किस प्रकार की झलक है इस पोस्ट में इसी पर चर्चा करेंगे-
1.सुखासन योगाभ्यासः- Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
सुखासन का प्रयोग प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में करता है। यह भी कहा जा सकता है कि यह आसन बिना किसी विशेष प्रयास के किया जा सकता है। दोनों स्टार्स को क्राॅस करके इसमें शामिल किया जाता है। भोजन का समय या सामान्य पूजा पाठ का समय भी इसी आसन में शामिल किया जाता है।
1.1 सुखासन करने की विधि :-
यह वही है जो हर कोई करता है। जो लोग साधना,ध्यान में नहीं जाना चाहते वे भी इस आसन का प्रयोग करते हैं।
जानिए सुखासन योग की विधि।
- शुद्ध और शांत वातावरण में योगा मेट या आसन कर पैर फैलाकर शांत मन के साथ बैठ जाएं, श्वास-प्रश्वास पर कोई ध्यान नहीं दे, उन्हें स्वतः आने-जाने दें।
- मेरुदंड एवं गर्दन को सीधा रखें।
- दायें पैर को घुमायें और बायें पैर को नीचे रखें।
- बायें पैर को घुमाएं और मेडम टांग के नीचे रखें।
- अब आपके दोस्तों की स्थिति स्पोर्ट्स में बन गई है।
- बिना किसी तनाव के शांत मुद्रा में आंख बंद कर बैठ जाएं। किसी भी प्रकार का शारीरिक या मानसिक तनाव महसूस न करें।
- दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा में दोनों मुद
- इस स्थिति में 10-15 मिनट या अपनी प्राथमिकता के अनुसार बैठ सकते हैं।
1.2-सुखासन योग के लाभः-
अब बात करते हैं सुखासन योगासन के अभ्यास से होने वाले लाभ की-
ध्यान या योगाभ्यास के लिए जिन आसनों का प्रयोग किया जाता है, हो सकता है कि उनमें से कुछ आसनों में नए सिरे से समझने की कोशिश करें। लेकिन सुखासन ऐसा आसन है जिसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि संभव ही नहीं है।
- इस आसन को समुद्र तटीय समय तक दोहराया जा सकता है।
- सुखासन योगाभ्यास से शारीरिक रूप से आराम मिलता है और थकान दूर होती है।
- सुखासन योगाभ्यास से तनाव दूर होता है।
- सुखासन योगाभ्यास से आप कोई भी साधना या मंत्र जपने के लिए लंबे समय तक सुख प्राप्त कर सकते हैं।
- सुखासन योगाभ्यास से मानसिक शांति का अनुभव होता है।
- सुखासन योगाभ्यास से मतली के दर्द, चोटों में राहत मिलती है,घुटनें मजबूत होती हैं।
- सुखासन योगाभ्यास से मेरुदंड मजबूत बनता है।
1.3-सुखासन करते समय सावधानियां :-
यह एक ऐसा योगाभ्यास है, जिसमें किसी विशेष सावधानी की आवश्यकता नहीं है।
- लेकिन फिर भी किसी भी प्रकार के लक्षण, कमर, पैरों के दर्द होने पर यह योगाभ्यास नहीं करना चाहिए।
2.बालासन योगाभ्यासः- Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
बालासन को इंजील पोज़ भी कहते हैं। यह आसन योगासन करने वाले लोगों के लिए उपयोगी हो सकता है। क्योंकि अभी भी योगाभ्यास नहीं होने के कारण सरल आसनों से ही शुरुआत करनी चाहिए। ताकि उनकी रुचि योग आसनों में बनी रहे, और धीरे-धीरे वे योगासनों के अभ्यासी हो।
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2.1-बालासन करने की विधि –
- जमीन पर योग करें या आसन लें, वज्रासन में शांत मन के साथ बैठें। तीन चार तटीय और गहरी सांसें ले और छोड़ें सामान्य हो जाएं।
- अब आपके दोनों हाथ धीरे-धीरे सामने की ओर फैले हुए हैं दोनों हाथों के बीच से अपने-अपने पैरों को जमीन पर फैलाएं। अपने नितंब ऐदारों पर रुकें।
- कुछ समय के लिए अपने हाथों को अपने दोस्तों की ओर भी ले जा सकते हैं। परन्तु अपना माथा पूर्व की स्थिति में भूमि को स्पर्श करता रहेगा।
- श्वास पर विशेष ध्यान न दे, श्वासों को स्वतः आने दे।
- इस मुद्रा में एक से एक मिनट तक बने रहें।
- इसके सामान्य उपाए अपने शोरूम को क्वेश्चन के पास लायें और धीरे-धीरे उठती स्थिति में ग्यान वज्रासन में बैठ जायें।
- विश्राम करें।
- अपनी योग्यता के अनुसार इसका अभ्यास करें।
2.2-बालासन के लाभः-
इस आसन का अभ्यास करना आसान है, परंतु इस बालासन का लाभ कम नहीं है। इस आसन के अभ्यास से भी पूरे शरीर के अंग प्रभावित होते हैं। यदि अंग प्रभावित हो रहा है, तो निश्चित है कि हमें भी लाभ मिलेगा। इसके ढांचे पर चर्चा करते हैं।
- चक्कर आने पर बालासन का नजारा।
- बालासन के अभ्यास से पेट के व्यायाम की मालिश करने से पाचन तंत्र मजबूत बनता है।
- बालासन के अभ्यास से मस्तिष्क शांत रहता है।
- बालासन में तनाव दूर करें।
- कमर दर्द में.
- यह आसन मिश्रण को लचीले एवं मेरुदंड को स्वस्थ बनाता है।
2.3- बालासन करते समय सावधानियां –
- जिन जोड़ों के जोड़ों में दर्द हो सकता है, उनमें यह आसन नहीं करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
3.ताड़ासन योगाभ्यासः- Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
1.ताड़ासनः-
ताड़ासन यह पूरे शरीर को लचीला बनाता है। इस आसन से शरीर की मांसपेशियां बहुत हद तक लचीली होती हैं।
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3.1-ताजासन करने की विधि –
- ताड़ासन करने के लिए सबसे पहले हम अपनी कमर और गर्दन को सीधा रखते हैं।
- उसके बाद अपने हाथों को धीरे-धीरे सिर के ऊपर सीधा लक्ष्य देंगे और सांस लेते हुए पूरे शरीर को धीरे-धीरे ऊपर की ओर खींचते हुए अपने लक्ष्य के प्रयासों पर खड़े होने का प्रयास करेंगे।
- हाथों को पूरे जोर से बांधते हुए आकाश की और मजबूत किये गये।
- ऐसा तब तक करेंगे जब तक पूरे शरीर में गंजापन महसूस न होने लगे।
- इस श्रेणी को अपनी-अपनी श्रेणी के अनुसार,
- फिर धीरे-धीरे सांस धीरे-धीरे अपने हाथ और शरीर को पहली अवस्था में लेकर आयें।
- इस अभ्यास को तीन से चार बार डबलवें।
3.2-ताड़ासन के फायदे
- इस आसन से शरीर की नसों, जोड़ों, कंडों और अन्य पदार्थों का मिश्रण होता है, जिसके कारण दर्द से राहत मिलती है।
- मेरुदण्ड को बैठक में बहुत मज़ा आता है।
- ताड़ासन करने से बच्चों की मदद मिलती है।
- इस आसन में संपूर्ण शरीर के साथ पेट और कमर पर जमा वसा को बाहर निकालने में मदद मिल सकती है।
3.3-ताड़ासन के अभ्यास की समयावधियाँ:-
- यह आसन गौरववती महिलाओं एवं इलेक्ट्रानिक को इस आसन को अपने चिकित्सक की सलाह से करना चाहिए।
4.वृक्षासन योगाभ्यासः-Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
इस योगासन को करने से समय वृक्ष की चोटी बनने का आभास होता है। जिस कारण इस आसन को वृक्षासन कहा जाता है।
इस पोस्ट में हम विधि वृक्षासन का अभ्यास करने की एवं इससे होने वाले एवं लाभ सावधानियों पर चर्चा करें।
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4.1-वृक्षासन करने की विधि- Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
- शांत वातावरण में योगा मेट या आसन अलग कर शांत भाव के साथ सीधे हो जावें। अपने श्वास को सामान्य होने दें।
- अपने हाथों को सीधे अपने दुश्मनों से सटाते रहें।
- अपने दायें पैर को उठायें और अपने बायें पैर के छेद के ऊपर जंधा पर सता कर रखें।
- इस स्थिति में आपका सन्तुलन स्थापित किया जा सकता है। मूलतः आपका सन्तुलन बनाये रखने का प्रयास करें।
- सन्तुलन बनने के बाद अपने हाथों को मुद्रा में रखें मुद्रा, आपको सन्तुलन बनाने में कोई परेशानी न हो तो अब अपने हाथों को प्रणाम मुद्रा में ही अपने सिर के ऊपर से आकाश की ओर सीधा कर दें।
- श्वास प्रश्वास स्वभाविक रूप से होना।
- इस स्थिति में आपका शरीर पूरी तरह से सीधा रहना चाहिए, अन्यथा आप अभ्यास नहीं कर पाएंगे।
- अपनी रेटिंग के अनुसार कुछ समय के लिए समान मुद्रा में हिस्सेदारी रखें।
- बाद में सबसे पहले अपने हाथों को सीने पर लगाते हुए सावधान रहें कि मुद्रा में आयें। और धीरे-धीरे अपने पैर को बायें पैर से हटाते हुए जमीन पर रखें।
- स्थिर रहें ही विश्राम करें।
- सामान्य होने के बाद अब यही प्रैक्टिस बायें पैर को दायें पैर पर लगे हुए।
- इस अभ्यास को 3-5 बार डबलवें।
4.2-वृक्षासन करने के लाभः- Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
- वृक्षासन योगाभ्यास से बहुत लाभ मिलता है। यह आसन ध्यान एवं शारीरिक सन्तुलन बनाता है।
- वृक्षासन के अभ्यास से मानसिक एकाग्रता प्… जिससे यह आसन शिष्यों के लिए अदृश्य हो जाता है।
- वृक्षासन के अभ्यास से शरीर के जोड़ों को सूचीबद्ध किया जाता है।
- वृक्षासन के अभ्यास से शरीर का सन्तुलन बनाने में सहायता मिलती है।
- वृक्षासन के अभ्यास से मेरुदंड स्वस्थ और मजबूत बनता है।
4.3-वृक्षासन समय सावधानियां :-
- यह आसन योग उन लोगों को नहीं करना चाहिए जिनसे चक्कर, मिर्गी या सिरदर्द की समस्या हो।
- जिन लोगों को शारीरिक मजबूती के कारण सन्तुलन बनाने में दिक्कत होती है उन्हें भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
- समुद्र तट के समुद्र तट पर भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
- किसी भी प्रकार की शारीरिक चोट या दर्द से पीड़ित व्यक्ति को भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
5.वीरभद्रासन-1 योगाभ्यासः-Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
वीरभद्रासन संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ ‘यौद्धा’ होता है। इसके अभ्यास से भी शरीर के हर अंग की रोशनी होने के कारण शरीर एक तरह से मजबूत बनता है।
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5.1- वीरभद्रासन की विधि :- Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
- वीरभद्रासन का अभ्यास करने के लिए शांत वातावरण में योगाभ्यास या आसन करके उस पर सीधे स्थिर हो जाएं।
- अपनी डोनेशन यात्रा के मध्य 3 से 3.5 फिट की दूरी तय की गई।
- दायें पैर को 90 डिग्री पर घुमाते रहे और बनाये पैर को 90 डिग्री पर घुमाते रहे।
- अपने दोनों हाथों को अंकित करते हुए अपने सिर पर ले जाएं और मुद्रा की मुद्रा टूटे हाथों को आकाश की ओर सीधे रखें।
- मेरुदंड को बिल्कुल सीधा स्थान दिया गया।
- अब दायें पैर को पैरों से मोड़कर 90 डिग्री के कोण से नीचे।
- अपने सैनिकों को स्थिर रखे हुए हैं बाकी शरीर को दायें पैर की तरफ घुमाते हुए ऊपर की ओर देखें।
- इस मुद्रा में रह कर चार से पांच बार स्वांस-प्रश्वास करें और सामान्य स्थिति में सीधे ब्रेक हो जाएं।
- बाद में इसी प्रक्रिया को अपनाते हुए दूसरे पैर से यही आसन करें।
5.2- वीरभद्रासन के लाभ :- Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
- यह एक ऐसा योगासन है जिसके अभ्यास से पैर, कमर, पेट, हाथ, कंधे और सिर का व्यायाम होता है।
- पाचन शक्ति को मजबूत बनाता है।
- इस योगासन के अभ्यास से कमर एवं पेट पर काफी खिचाव पैदा होता है। जिससे पाचन तन्त्र स्वस्थ एवं मजबूत बनता है।
- कमर के दर्द से राहत।
- इस योगासन के अभ्यास से कमर पर भी काफी खिचाव पैदा होता है जिससे कमर में दर्द होता है और कमर के अन्य अंगों में काफी आराम मिलता है।
- आदिवासियों को आवास मिलता है।
- इस आसन के अभ्यास में आदिवासियों को काफी कठोर बनाया गया है, जिसके कारण आदिवासियों की पिण्डलियाँ, घुटने, जंघा जोड़ों को जोड़ा जाता है।
5.3-वीरभद्रासन के अभ्यास में सावधानियांः-
- इस आसन का अभ्यास मेरुदण्ड,पीठ,कंधें एवं अन्य प्रकार के दर्दों की समासियों से गिटार वादकों को नहीं करना चाहिए।
- गभवती महिलाओं के लिए यह दर्शन बिना क्लिनिक परामर्श के नहीं करना चाहिए।
6. भुजंगासन/सर्पासन (कोबरा आसन)ःBachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
इस आसन में सर्प के पंख उठाने की ऊपरी परतें हैं, इसमें भुजंगासन, सर्पासन या कोबरा आसन भी शामिल है। ठंड के मौसम में अक्सर कमर दर्द, गार्डन दर्द की समस्या बनी रहती है। भुजंगासन, सर्पासन योगासन का अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए।
6.1-भुजंगासन, शीर्षासन करने की विधिः-
- भुजंगासन, शीर्षासन करने के लिए किसी भी नर आसन को जमीन पर रखकर पेट के बल लेटें।
- आकाश की ओर से ऊपर ऐडियॉँ होना चाहिए।
- हाथ कंधों के नीचे हथेलिओ जमीन से छड़ी होनी चाहिए।
- आकाश की और दृष्टि दिए गए शरीर के आगे के हिस्सों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर ले जाया गया।
- यह आसन तीन प्रकार से किया जाता है।
- एथलीट को बॉडी से एक फिट,आधा फिट और सताकर भुजंगासन, सरासन दिया जाता है। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि शरीर को ऊपर की ओर झुका हुआ समय श्वास को अवरुद्ध करने और भरने और मुंह की स्थिति ऊपर की ओर करने और होने पर श्वास को सर्पिल की तरफ फुफकारते हुए बाहर की ओर और खाली पेट को खाली करने के लिए कहा जाता है।
- सामर्थ्य अनुसार रुकें और छात्र सामान्य स्थिति में आ जाएं।
6.2-भुजंगासन, शीर्षासन करने के लाभः-
- इस योगासन को करने से त्वचा और ताकत मिलती है।
- मेरुदंड लचीलेपन और स्वस्थ्य बनाता है।
- पीठ और माथे का दर्द ठीक होता है।
- इस योगासन से पेट,चाटी,कमर,मेरुदण्ड,एवं गले,गर्दन की स्वस्थ्य मालिस होती है।
- मोटापा कम होने में भी सहयोगी होता है।
7.धनुरासन योगाभ्यासः-Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
इस आसन के योगाभ्यास के दौरान साधक की चोटी धनुराशि की तरह बनती है। इसलिए इसे धनुरासन कहा जाता है।
आज हम इस पोस्ट में धनुरासन करने की विधि, लाभ एवं सावधानियों के बारे में चर्चा करेंगे।
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7.1-धनुरासन करने की विधि :-
- साफ,स्वच्छ वातावरण में योगा मेट या आसन निराकर पेट के बल लेट जाएं।
- अपने दोनों तीर्थयात्रियों को मितव्ययता से मोड़ते हुए तीर्थयात्रियों को सिर की ओर ले जाना,
- अपने दोनों हाथों से दुश्मनों को तानों से या ऐरियों से पकड़ कर, शवंस भरे हुए घुटने, जंघा और सिर को ऊपर उठाएं, कोशिश करें कि पैर सिर के ऊपर आ जाएं।
- इस स्थिति में आपके शरीर का संतुलन बनाए रखना चाहिए।
- अपनी रेटिंग के अनुसार रुकें।
- इस योगासन का चार से पोज़ बार दोहराएँ।
7.2-धनुरासन के लाभ-
- कम मोटापा करने की सलाह-
धनुरासन करने से पेट और जंघाओं पर खिचाव होता है जिसके कारण यह समुद्र में वसा पिघलती है और मोटापे को कम करने में सहायक बनती है।
- पेट के बर्तनों को सहायक में ख़त्म करना-
धनुरासन करने से जैसा आपने अनुभव किया है कि पेट पर खिचाव पैदा होता है। इस कारण पाचन तंत्र के एवं दांतों के विकार नष्ट हो जाते हैं।
- ह्रदय के लिए
धनुरासन करने से छाती पर दबाव आता है,जिससे सीना दिखता है। दबाव के बाद फेफड़ों में ऑक्सीजन की अधिक मात्रा का प्रवेश होता है जिससे मजबूती का निर्माण होता है।
- श्वसन क्रिया स्वस्थ बनाने में सहायक-
इस योगासन में श्वसन क्रिया काफी प्रभावित होती है। जिस कारण से सांसारिक और उष्णकटिबंधीय फिल्मांकन होता है, कुम्भक लगता है। जिससे श्वसन तंत्र मजबूत बनता है।
- धनुरासन मेरुदंड को लचीले ढंग से बनाने में सहायक-
- इस आसन के अभ्यास से मेरुदंड लचीलेपन और पूरे शरीर की मालिश होती है जिससे वे स्वस्थ और मजबूत बनते हैं।
7.3-धनुरासन के अभ्यास में सावधानियां –
- यह आसन हृदय रोग से पीड़ित, हार्निया, पेट के रोग से पीड़ित, रक्तचाप, अलसर के रोगियों को नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस आसन में पूरे पेट पर खिचाव और तनाव पैदा होता है जिसके कारण यह कहा जा सकता है कि नासिका के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
- गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
8-सेतुबन्ध योगाभ्यासः- Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
इस आसन को सेतुबंधासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस आसन के अभ्यास से समय शरीर (सेतु) पुल की स्थापना होती है।
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8.1-सेतुबंधासन करने की विधि – Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
- स्वच्छ और हवादार वातावरण में योगा मेट या आसन भूमि पर आराम कर बल बल के साथ लेट जाएं।
- इसके बाद अपने मांसपेशियों को मोड़ने और कुछ दूरी तय करने के बाद दोनों ने मध्य में कुछ दूरी तय की।
- दोनों हाथों से अपनी एक हथेली पकड़ती है या उनके पास अपने हाथों को रखती है,हथेलियो जमीन को छूती रहती है।
- श्वांस को भरना और अपने निताम्ब एवं कमर को ऊपर की ओर खींचना। हाथों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा, हाथ अब भी ऐदारों के पास ही रहेंगे।
- आपके शरीर का पूरा भार आपके कन्धों एवं यात्रा पर सन्तुलित रहेगा।
- इस मुद्रा में अपने रेटिंग के मानक बने रहें।
- अब धीरे-धीरे सांसें छूटती हुई सामान्य स्थिति में आ जायेंगी।
8.2-सेतुबन्ध योगासन के लाभ :-
- सेतु बंध योगासन के अभ्यास से रक्त का प्रवाह सिर की ओर से अवसाद,तनाव एवं सिरदर्द दूर होता है।
- सेतु बंध योगासन का नियति अभ्यास करने से पेट से संबंधित समस्यों का निदान होता है और पाचन तंत्र मजबूत बनता है।
- सेतु बंध योगासन के नियमित अभ्यास से तीज,कमर,पेट एवं कंधों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
- सेतुबंध योगासन का अभ्यास महिलाओं में मासिकधर्म से संबंधित योगासन का निदान भी है।
- सेतु बंध योगासन के अभ्यास के दौरान मेरुदंड छाती एवं गर्दन पर खिचाव होने के कारण रक्त का प्रवाह अधिक बनता है और उसकी हड्डियां भी मजबूत होती हैं।
8.3-सेतुबंधासन के अभ्यास के समय सावधानियांः- Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga
- किसी भी प्रकार की चोट से पीड़ित एवं किसी भी प्रकार के दर्द से पीड़ित व्यक्ति को यह योगासन नहीं करना चाहिए।
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बच्चों के लिए कौन सा योग उपयोगी है?
बच्चों को ऐसे करें योगासन, जो आसान हो और बच्चों में आपकी रुचि पैदा हो सके इसके बच्चों के लिए सुखासन, बालासन, ताड़ासन, वृक्षासन, वीरभद्रासन, भुजंगासन आदि आसान आसन प्रशिक्षण शामिल हैं।
बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए कौन सा योगासन उपयोगी होता है?
बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सुखासन, बालासन, शवासन, बद्ध कोणासन, अद्योमुखासन आदि योगासन करवाये जाने चाहिए।
3 responses to “बच्चों के लिए योगा,शुरूआत के योगा ।Bachchon Ke Liye Yoga-Shuruaat Ke Yoga”
Swasthy ke liye mahtavpurn jakari
bacchon ke liye Labhdayak
Good