आभा,औरा को कैसे देखें। Abha,Aura ko kaise dekhen.
Abha,Aura ko kaise dekhen.आभामण्डल (Aura)हमारे शरीर के चारों ओर अण्डाकार आकृति में रंगीन प्रकाश एवं विद्युतीय तरंगों एक घेरा होता होता है। ओरा 2 इंच से लेकर काफी बड़ा हो सकता है। आभामण्डल (Aura)घेरा व्यक्ति के स्वभाव और प्रकृति पर निर्भर करता है। आपने तस्वीरों में देवी देवताओं के सिर के पीछे एक प्रकाशमान चक्र देखा होगा। यह आभामण्डल (Aura) होता है। आभामण्डल (Aura) प्रत्येक मानव,वस्तु या पेड़ पौधों के भी होता है। यह आभामण्डल (Aura) सामान्यतः आंखों से नहीं देखा जा सकता। आभामण्डल (Aura) की फोटो एक विशेष प्रकार के कैमरे किर्लियन फोटोग्राफ से ली जाकर देखी जा सकती है।
आभामण्डल (Aura) को देखने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है। अगर मनुष्य धैर्य और उचित मार्गदर्शन में इस आभामण्डल (Aura) को देखने का अभ्यास करे, तो वह स्वयं का ओर अन्य का आभामण्डल (Aura) को देख सकता है।
हर व्यक्ति के आभामण्डल (Aura) का वलय भिन्न भिन्न दूरी का हो सकता है। ओरा का वलय जितना अधिक होगा व्यक्ति उतना की प्रभावशाली माना जाता है।

1-आभामण्डल (Aura) क्या है।
आभा,औरा को कैसे देखें। Abha,Aura ko kaise dekhen.
आभामण्डल (Aura) हर सजीव या निर्जीव के चारों ओर एवं प्रकाशवलय होता है। जो शरीर या वस्तु
के चारों ओर 4 ईच लेकर अनन्त दूरी तक का एक रंगीन वलय होता है।
इसका रंग उस व्यक्ति के स्वभाव एवं प्रकृति पर निर्भर करता है। जैसा स्वभाव या मनुष्य की प्रकृति होगी वैसा ही इस आभामण्डल (Aura) का रंग होगा। ज्ञानी लोग आभामण्डल (Aura) को देख कर व्यक्ति का स्वभाव,उसकी रूची एवं स्वास्थ के बारे में जान जाते है।
हम अपने जीवन में जैसा बर्ताव,व्यवहार रखते है। उसी के अनुरूप हमारा आभामण्डल बन जाता है। अगर हम अपने व्यवहार को सुधार लेते है। तो हमारा आभामण्डल (Aura) भी सुधर जाता है।
इसको इस प्रकार भी समझा जा सकता है कि जैसे हम वस्त्र धारण करते है। अगर हम मैले कुचले वस्त्र पहनेगें,गैर जिम्मेदारान व्यवहार करेंगे तो हमारा मनोबल पर हमारी सोच पर भी विपरित प्रभाव पड़ेगा। उसी तरह समाज में हमारे प्रति धारण भी बन जायेगी।
अगर हम साफ सुथरे धुले हुए वस्त्र पहनतें है,सामाजिक दायित्वों के प्रति सजग रहते है, तो हमारा मनोबल उॅच्चा होगा। किसी भी व्यक्ति से हम आत्मविश्वास के साथ बात कर सकेंगे। समाज में भी हमारी प्रतिष्ठा बढती है।
यही स्थिति हमारे मन के साथ होती है अगर वह साफ और निर्मल रहता हैं। तो उसका आभामण्डल (Aura) भी उॅच्चा होगा। उस व्यक्ति की सामाजिक छवि भी उज्जवल होगी।
जैसे वस्त्र को साफ कर सकते हैं। उसी तरह अपने व्यवहार एवं सोच को बदल कर हम अपना ओरा आभामण्डल को भी सुधार सकते है।
अभ्यास से इस आभामण्डल (Aura) के रंगां को बदला भी जा सकता है। आपने तस्वीरों में देवी देवताओं या सन्तों के सिर के चारों और सूर्य की भॉति किरणों को निकलते हुए देखा होगा।
यह किरणें हर व्यक्ति के शरीर के सम्पूर्ण भाग से निकलती है। परन्तु सिर का भाग अधिक सक्रिय रहता है। इस कारण सिर के भाग से अधिक दिखाई देती है। ये किरणों शरीर की ऊर्जा होती है जो शरीर से विसर्जित होती रहती है। सजीव में शारीरिक ऊर्जा अधिक सक्रिय रहती है। इसलिए यह सजीवों में अधिक दिखाई देती है। जबकि निर्जिव पदार्थो में कम मात्रा में दिखाई देती है।
आभामण्डल (Aura) व्यक्ति के शरीर से निकलने वाली सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा होती है। आभामण्डल (Aura) खुली आंखों से दिखाई तो नहीं देता परन्तु इसको हर व्यक्ति महसूस अवश्यय करता है। अनुभव करता है।
हमारे जीवन में हमें प्रतिदिन अनेकां व्यक्ति मिलते है। कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं। जिनसे मिल कर हमें आनन्द की अनुभूति होती है या हमारा मन उनसे बार बार मिलने को होता है। हम उनसे बहुत प्रभावित भी होते है। जबकि उनसे हमें अपने भौतिक जीवन में किसी प्रकार के लाभ की अपेक्षा भी नहीं होती और न हीं हमने उनसे कभी भी किसी प्रकार का लाभ लिया है।
इसी प्रकार कुछ ऐसे व्यक्ति भी हमे अपने दैनिक जीवन में मिलते है। जो हमारे प्रति सहानुभूति भी रखते है। हमारा उन्होंने कोई अहित भी नहीं किया होता है। इसके उपरान्त भी हम उनसे मिलने के बाद मन में उदास हो जाते है, और चाहते है कि यह व्यक्ति जल्द से जल्द यहा से चला जाये।
इसके अतिक्ति आपने अपने जीवन में यह भी महसूस किया होगा कि आप किसी जगह पर या किसी मकान पर जाते है। तो आपको उन जगहों पर एक आत्मिक सुकुन या बैचनी महसूस होने लगती है। आप या तो वहॉ पर बैठ कर उस सुकुन,शान्ति का पूर्ण आनन्द लेना चाहेंगे या फिर जल्द से जल्द से उस जगह को छोड़ना चाहेगे।
यह सब उस जगह पर मौजूद सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है। यह उस जगह का आभामण्डल (Aura) होता है। इस प्रकार हम सभी आभामण्डल (Aura) को अनुभव तो कर सकते है परन्तु देख नहीं सकते है।
2-आभामण्डल (Aura) का स्वरूपः- (आभा,औरा को कैसे देखें। Abha,Aura ko kaise dekhen.)
मानव के तीन शरीर माने गये है। स्थूल शरीर,सूक्ष्म शरीर और कर्म शरीर। पहला स्थूल शरीर हाड़,मांस,रक्त का बना भौतिक शरीर होता है। जिसे हम सभी भौतिक रूप से देखते एवं अनुभव करते है।मानव जीवन का संचालन सूक्ष्म शरीर की करता है। जो भौतिक रूप से दिखाई नहीं देता। तीसरा है कर्म शरीर जन्म मरण आदि घटनांऐ इसी कर्म शरीर के कारण होती है। सूक्ष्म शरीर से निकलने वाली किरणें ही आभामण्डल का निर्माण करती है। जो कर्म के आधार पर घटती-बढ़ती रहती है।
आभामण्डल (Aura) का स्वरूप दो भागों में होता है।
- अण्डाकार ।
- ऊर्जा ।
अण्डाकार यह आभामण्डल Aura शरीर के चारों ओर व्यक्ति के स्वभाव एवं प्रकृति के अनुरूप रंग वाला होता है। जो शरीर के चारों ओर सुरक्षा घेरा बनाये होता है।
ऊर्जा का आभामण्डल यह शरीर से निकलने वाली सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा जैसी मानव की प्रकृति या स्वभाव होगा के अनुरूप शरीर के चारों ओर घेरा बनाये होता है।
आभामण्डल (Aura) की परिधि व्यक्ति की पवित्रता पर निर्भर करती है। यह दो इंच से लेकर सैकड़ों किलो मीटर तक हो सकती है। भगवान बुद्ध का आभामण्डल 200 मील तक फैला हुआ माना जाता है। इस आभामण्डल को देखना हर किसी की क्षमता में नहीं होता है। इसको देखनें की क्षमता प्राप्त करने के लिए योग्य गुरूजनों के सानिध्य में कड़ी साधन करनी पड़ती है।

3-आभामण्डल (Aura) और रंग।
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आध्यात्मिक व्यक्तियों के अनुभव से आभामण्डल (Aura) में रंग होते है।
लाल रंगः-जिनके आभामण्डल में रक्तमय लाल रंग की प्रधानता हो तो मानना चाहिए कि ऐसे व्यक्ति स्वस्थ,शान्त प्रवृति के होते है। इनमें रचनात्मकता होती है। ऐसे व्यक्ति धार्मिक आस्था में विश्वास रखने वाले होते है। गहरे लाल रंग की आभा वाले व्यक्ति नीच प्रवृति के हो सकते है।
सफेद रंगः- सफेद रंग का आभामण्डल दुर्लभ होता है। सफेद रंग के आभामण्डल वाले व्यक्ति शान्त चित, इन्द्रीयों पर नियन्त्रण वाला होता हे।इन व्यक्तियों का आचरण शुद्ध एवं मन निर्मल होता है।
स्लेटी या कबूतरी रंगः-स्लेटी या कबूतरी रंग की आभा वाले व्यक्ति अपने दोष छुपाने वाले एवं मिथ्या भाषण करने वाले होते है। ऐसे व्यक्ति दुष्ट वृति के होते है। ये अन्य व्यक्तियों का मखौल उड़ाने वाले चोरी करने वाले हो सकते है। ये दूसरां की कमियॉ निकालने वाले होते है।
नीला रंगः- चमकीला नीला रंग के आभामण्डल वाले व्यक्ति विश्वसनीय होते है। ये व्यक्ति धार्मिक विचारों वाले होते है। मित्रता को निभाने वाले होते है। ये भावनात्मकता एवं संवेदनशील होते है।
गहरा नीला आभामण्डल वाले व्यक्ति ईर्ष्यालू,हिंसक एवं निर्लज्ज प्रवृति के होते है।
गुलाबी रंगः- गुलाबी रंग के आभामण्डल Auraवाले व्यक्ति प्रेम,करूणा सकारात्मक सोच वाले होते है। ऐसे व्यक्ति बिना मांगे अन्य लोगों की सहायता करने वाले होते है।
काला रंगः- काला रंग का आभामण्डल Auraवाले व्यक्ति इन्द्रीयों के वश में होते है। इनका जीवन सम्यक नहीं होता है। ऐसे व्यक्ति बिना सोचे विचारे कार्य करते रहते है। इनके जीवन में सकारात्मकता की कमी होती है। इनकी रूची हिंसा एवं क्रूरता में होती है।
पीला रंगः-जिन व्यक्तियों के आभामण्डल Auraमें पीला रंग की प्रधानता होती है। ऐसे व्यक्ति ऊर्जावान एवं आशावादी होते है। ऐसे व्यक्ति बुद्धिजीवी होते है। ये आध्यात्मिक एवं प्रसन्नचित वाले होते है। ऐसे व्यक्ति भविष्य की चिन्ता किये बैगर वर्तमान में जीना पसंद करते है।
नारंगी रंगः-नारंगी रंग की आभामण्डल वाले व्यक्ति ऊर्जावान होते है। इनमें रचनात्मकता भरी होती है। ऐसे व्यक्ति अपनी धुन के पक्के होते है। जब ये किसी कार्य को करने की ठान लेते है। तो इनकी पूरी सोच उस कार्य को अन्तिम निर्ष्कष पर पहुंचाने पर केन्द्रीत हो जाती है। उस कार्य को वास्तविकता में बदलने पर ही सांस लेते है।
हरा रंगः-हरा रंग प्रकृति एवं खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। अतः हरा रंग के आभामण्डल वाला व्यक्ति मेहनती होता है। ऐसे व्यक्ति अपनी मेहनत से अपने जीवन में खुशहाली लाने वाले होते है।
परन्तु काला रंग लिए हरा रंग की आभा वाले व्यक्ति ईर्ष्यालू,षड़यन्त्रकारी भी हो सकते है।
आभामण्डल (Aura) हमारे भावनात्मक एवं मानसिक, सोच औरं क्रियाकलापों से बहुत प्रभावित होता है। इन्ही के कारण हमारे आभामण्डल का रंग बदलता रहता है। इन्ही कारणों को सकारात्मकता में बदल कर पोजेटिव एनर्जी बढ़ा कर हम अपने आभामण्डल को बदल सकते है।
अभी तक हमने जाना कि रंग का हमारे आभामण्डल (Aura) को बहुत प्रभावित करता है या ये कहें कि हमारे आभामण्डल का प्रभाव हम उसके रंग से जान सकते है। आभामण्डल (Aura) का रंग भी हमारे सात चक्रो से प्रभावित होता है। ये चक्र जितने सक्रिय होंगे उतना ही हमारे आभामण्डल को प्रभावित करेंगें।अतः इन सात चक्रों को साध कर हम अपने आभामण्डल (Aura) को मजबूत कर सकते है।
यदि आपका आभामण्डल उच्च स्तर का है जिसका घेरा काफी दूरी तक हे,तो आपका सब कुछ सही रहेगा,आप विद्वान बनेगें, आध्यात्मिक रूप से सम्पन्न होगें,शान्ति एवं स्थिर मन के होगें आदि आदि समाज आपसे प्रभावित रहेगा । आपको अपेक्षित सफलताएं मिलेंगी।
4-अब बात करते है आभामण्डल (Aura) को शुद्ध करने और आभामण्डल (Aura) बढ़ाने की।
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इन प्रयोगों को कर के आप अपने आभामण्डल को शुद्ध कर सकते है, ओरा बढ़ा सकते है।
पानी से आभामण्डल (Aura) का शुद्ध होना।
सुबह उठते ही आपको नींबु और नमक मिला पानी पीना चाहिए। ये दोंनों वस्तुएं शरीर से नेगेटिव एनर्जी,टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करेगी।
आपने हिन्दू धर्म में या समाज में देखा भी होगा आपकी दादी या नानी बुरी नजर उतारने के लिए इन दोनों वस्तुओं का प्रयोग करती थी। वास्तुशास्त्री भी इन दोनों वस्तुओं का प्रयोग कर नगेटिव एनर्जी हटाने का प्रयोग बतातें है।
अतः प्रातः नींबू और नमक का पानी पीकर आप भी अपना आभामण्डल (Aura) शुद्ध कर सकते है।

सुबह की सैर एवं सूर्य दर्शन से आभामण्डल (Aura) का शुद्ध होना।
आपने सुबह की सैर में ताजी और शुद्ध प्राकृतिक वायु एवं प्रकृति दर्शन से होने वाले अनकों लाभ पढ़ें एवं सुनें होंगे। आप अगर उन लाभों को प्राप्त करने में सफल होते है, तो आपका आभामण्डल स्वतः शुद्ध होने के अवसर बढ़ जाते है।
इसी समय उगते हुए सूर्य के अगर आप दर्शन करते है। तो भी आपमें सकारात्मकता बढ़ती है। इस स्थिति में मन प्रसन्न और प्रफुल्लित होता है ।
इस प्रकार अगर आप अपनी दिनचर्या अपनाते हैं तो आपके विचारों में सकारात्मकता की वृद्धि होगी। सकारात्मकता विचारों में बनती है, तो आभामण्डल (Aura) शुद्ध होने लगता है।
स्नान द्वारा से आभामण्डल (Aura) का शुद्ध होना।
कहा जाता है आप द्वारा किये गये कार्य में कभी कभी कोई पछतावा हो सकता हैं। परन्तु स्नान ऐसा कार्य है जिसमें कभी किसी को कोई पछवाता होने की सम्भवना नहीं रहती है।
अगर स्नान के पानी में थोड़ सा नमक, कुछ बून्द नीम्बू या गुलाब जल , आपकी पसन्द के अनुसार अन्य कोई खुशबुदार बून्द या पावडर डाल कर स्नान करें । आप का मूड तुरन्त एक दम तरोताजा हो जायेगा।
जब मन शान्त एवं प्रसन्नचित होगा तो विचारों से नगेटिव एनर्जी दूर होगी और शुद्धता आयेगी। विचारों में शुद्धता आने पर आभामण्डल Auraस्वतः शुद्ध होने सम्भावना बढ़ जाती है।
धार्मिक कार्यो द्वारा से आभामण्डल (Aura) का शुद्ध होना।
कोई अपवाद ही होगा। जिस घर में पूजा पाठ नहीं किया जाता है। जब हम स्नान आदि से निवृत होकर अपने घर के पूजा स्थल अथवा किसी मन्दिर में ईश्वर दर्शन,भोग, आरती आदि के लिए जाते है। तब वहॉ पर श्रृंगारित देवी देवेताओं की प्रतिमा,प्रज्वलित दीपक,सजे हुए भोग को देखते है। भावविभोर भक्तों द्वारा गाई जा रही आरती में शामिल होते है । तो हमारा मन एकाग्रचित होकर उसी लौ में रम जाता है। मन को एक असीम आनन्द की अनुभूति प्राप्त होती है। मन पोजिटिव एनर्जी से भर जाता है। मन को शान्ति की अनुभूति होती है। मन में उत्पन होने वाली नकारात्मकता नष्ट हो जाती है।
इस स्थिति में अगर ध्यान लगाया जाये, मन्त्रों का उच्चारण किया जाये तो सोने में सुहागा वाली बात होती है। लाभ की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है।
इस स्थिति में हमारा आभामण्डल (Aura) शुद्ध होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
सतसंग से आभामण्डल (Aura) का शुद्ध होना।
सतसंग चाहे वो धर्मग्रन्थों का हो, सन्तों का हो, सकारात्मक विचारों वाली पुस्तकों का हो या सच्चे और चरित्रवान मित्रों के संग का, इनको साथ रखने से विचारों में शुद्धता और व्यवहार में सकारात्मकता आयेगी। परिणाम स्वरूप आपका आभामण्डल समृद्ध होगा।
निष्कर्ष यही है कि अगर हमारा मन एवं चित, खुश एवं प्रसन्नचित रखने के साथ साथ विचारों से सकारात्मक होगें तो हमारा आभामण्डल भी समृद्ध होगा ।
अगर आप अपने आभामण्डल को मजबूत और विस्तृत बनाना चाहते है। तो आपका उक्त उपायों का प्रयोग कर अपने आभामण्डल (Aura) को शुद्ध करना चाहिए। ताकि आप अपने व्यक्तित्व को आकर्षक और प्रभावी बना सके।
5-क्या हम आभामण्डल (Aura) को देख सकते है ?
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हॉ, हम अपने या किसी अन्य के आभामण्डल (Aura) को कुछ अभ्यास करके देख सकते है।
हाथों के प्रयोग द्वारा आभामण्डल (Aura) का अनुभव करना।
अपने किसी मित्र को कुर्सी पर बैठा दें। अब अपने हाथों को उसके शरीर से 2 से 3 इंच दूर रखते हुए उसके शरीर पर ऊपर से नीचे एवं नीचे ऊपर को घुमायें। कुछ समय बाद आप अपनी अंगुलियों के छोर पर गर्म,ठण्डा या कम्पन्न अनुभव करेंगें। अब आप यह भी अनुभव करेंं कि अगुलियों पर अनुभव आपके मित्र के शरीर से कितनी दूरी तक महसूस होता है। जितनी दूरी तक यह अनुभव हो उतनी दूरी तक आपके मित्र का आभामण्डल सक्रिय है। यह मानना चाहिए।
हथेलियों से आभामण्डल का अनुभव करना।
आप अपने हाथों की हथेलियों को आपस में मिला लें। अब कुछ समय बाद दोंनों हथेलियों के बीच 2 से 3 इंच का अन्तर रखतें हुए आमने सामने रखें। अनुभव करेंं आपके हथेलियों से ऊर्जा निकल रही है। आप जिसकी गर्माहट महसूस कर रहे है। धीरे धीरे अपनी हथेलियों को दूर ले जायें, जब तक आप गर्माहट महसूस करें,हथेलियों की दूरी बढ़ाते जायें । एक स्थिति आयेगी जब आप गर्माहट का अनुभव नहीं करेगें। तो माना जाना चाहिए आपका आभामण्डल यहीं तक है।
दर्पण से आभामण्डल देखना ।
आप किसी दर्पण के सामने खड़े हो जायें। अपनी दृष्टि को अपनी भृकुटी के मध्य स्थापित करें । जब तक आपकी आंखें थक नहीं जायें या धुंधला दिखायी न देने लग जाये। दर्पण में अपनी भृकुटी के मध्य देखते रहें। अब आपको अपना आभामण्डल दिखने लगेगा। आभामण्डल देखने के लिए अपनी दृष्टि को भृकुटी से नहीं हटाना चाहिए। दृष्टि हटा लेने से आभामण्डल दिखाई नहीं देगा। यह ध्यान रखें।
6-आभामण्डल (Aura) का प्रभाव ।
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आभामण्डल देखने में सक्षम होने पर व्यक्ति भविष्यवाणी करने में सक्षम हो जाता है। आभामण्डल के रंगों को समझने वाला व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के मनोभावों को समझनें में भी सक्षम हो जाता है। आभामण्डल के रंगों को देख कर व्यक्ति के शरीर में भविष्य में आने वाले रोगों की जानकारी भी प्राप्त की जा सकती है। जिस कारण उन बिमारियों का समय पर उपचार किया जा सकता है।
अगर आप भी अपने आभामण्डल को कमजोर मानते है। तो उक्त उपायों को प्रयोग में लेकर अपने आभामण्डल को समृद्ध बना सकते है।
इस पोस्ट का उद्देश्य आपको आभामण्डल (Aura) की जानकारी देना मात्र है। अगर आप इसका प्रयोग करना चाहते है। तो किसी योग्य प्रशिक्षक के सानिध्य में अभ्यास करें।
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FAQ
2 responses to “आभा,औरा को कैसे देखें। Abha,Aura ko kaise dekhen.”
Nice 👍👍
Thanks