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बकासन योग करने का तरीका, फायदे और सावधानियां Bakasan Yoga Karne KaTarika,Fayade aur Savdhaniya

“बकासन“ (Bakasana) पर एक विस्तृत हिंदी ब्लॉग लिखा गया है। इसमें बकासन  करने की विधि, लाभ, सावधानियाँ ,Bakasan Yoga Karne KaTarika,Fayade aur Savdhaniyaपर चर्चा की गई है।

प्रस्तावना
योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य देन है, जो केवल शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि एक जीवनशैली है। योगासनों में अनेक प्रकार के आसन होते हैं, जिनमें से कुछ संतुलन, शक्ति और एकाग्रता का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत करते हैं। ऐसे ही एक आसन का नाम है ‘ बकासन (Bakasana), जिसे अंग्रेज़ी में “Crow Pose“ कहा जाता है।
बकासन योग का एक ऐसा आसन है, जो देखने में कठिन लगता है, लेकिन अभ्यास से न केवल इसे किया जा सकता है, बल्कि इससे शरीर व मस्तिष्क को अनेक लाभ मिलते हैं। इस लेख में हम बकासन की जानकारी प्राप्त करेंगे।

बकासन क्या है?

’बक’ का अर्थ है बगुला। संस्कृत में “बक“ (Baka) का अर्थ बगुला होता है और “आसन“ का अर्थ है स्थिति या पोज़। जब कोई योगी इस आसन को करता है, तो उसकी मुद्रा एक बगुले के समान लगती है कृ दोनों हाथ ज़मीन पर, घुटने ऊपर उठे हुए,भुजाओं पर और पूरा शरीर हाथों के सहारे आगे की ओर झुका हुआ होता है।
आसन की इस मुद्रा में हमारे घुटने हमारी कोहनियों पर होते है और शरीर का समस्त वजन हमारे हाथ की हथेलियों पर होता है।

इस आसन को “क्रो पोज़” (Crow Pose) भी कहा जाता है, दोनों के बीच अंतर पर हम आगे चर्चा करेंगे।

Bakasan Yoga Karne KaTarika,Fayade aur Savdhaniya
Bakasan Yoga Karne KaTarika,Fayade aur Savdhaniya

          https://pixabay.com/photos/yoga-ayurveda-asana-exercises-2427975/

1-बकासन का इतिहास  Bakasan Yoga Karne KaTarika,Fayade aur Savdhaniya

बकासन का उल्लेख हठयोग और अन्य प्राचीन योग ग्रंथों में मिलता है। यह आसन पारंपरिक योग का एक भाग है, जिसे शारीरिक बल, मानसिक संतुलन और ध्यान के लिए विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।

Table of Contents

क्रम. सं. विषय वस्तु
1 प्रस्तावना
2 बकासन क्या है?
3 बकासन का इतिहास
4 बकासन/काकासन करने का सही तरीका
5 बकासन करने के फायदे
6 बकासन करने में सावधानियां
7 बकासन का अभ्यास कब और कितनी बार करें?
8 बकासन और ध्यान
9 बकासन एवं काकासन में अन्तर-
10 आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बकासन
11  निष्कर्ष

2-बकासन/काकासन करने का सही तरीका (How To Do Bakasana/Kakasana Pose With Right Posture)

बकासन के अभ्यास को सावधानिपूर्वक किया जाना चाहिए। क्योंकि प्रारम्भ में अधिकतर लोग इसके अभ्यास में गिरने के भय से ग्रस्त होकर इस योगाभ्यास को करने से कतराने लग जाते है। ऐसे लोगों को सही मार्गदर्शन एवं सहायक की उपस्थिति में इस योगाभ्यास का अभ्यास करना चाहिए,ताकि निर्भय होकर वे इसका अभ्यास कर सके।
बकासन या काकासान के अभ्यास के दौरान हमें अपने पैरा,घुटनों,हाथों एवं कलईयों का सन्तुलन बनाने पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

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3-बकासन/काकासन कैसे करें      Bakasan Yoga Karne KaTarika,Fayade aur Savdhaniya

चरण 1ः प्रारंभिक स्थिति

1. सबसे पहले वज्रासन या समतल स्थिति में बैठें।
2. फिर धीरे-धीरे मलासन की स्थिति में आ जाए
3.अपने दोनां पैरों के घुटनों को चौड़ा करके उकड़ू की स्थिति में बैठ जायें। घुटनों को चौड़ा रखने में असुविधा हो रही हो, तो घुटनों को सटा कर भी रख सकते है।

चरण 2ः

1.अब अपने हाथों की हथेलियों को अपने कन्धों की चौड़ाई के बराबर अपने से 6 ईन्च की दूरी बनाते हुए जमीन पर रख लें।
2. अपने शरीर का वजन अपने पैरों के पंजें पर लाते हुए अपने दोनों पैरों के घुटनों को अपने हाथों की कोहनियोंं से ऊपर अपनी भुजाओं पर सावधानीपूर्वक मजबूती के साथ स्थापित करें। ध्यान रहे आपके घुटने भुजाओं से फिसलने नहीं पाये।
3. आप उकड़ू की जिस स्थिति में बैठे थें उसी स्थिति में अब धीरे धीरे अपने पैरों एवं नितम्बों को एक साथ ऊपर की ऊठाते हुए, अपने शरीर को सन्तुलित रखते हुए, अपने भुजाओं पर रखें और स्थिर होने का प्रयास करें।

4.इस स्थिति में आपका सिर सामने की ओर जमीन को देखते हुए रहना चाहिए।
5. पूरा शरीर अब केवल हथेलियों पर संतुलित होना चाहिए।
6. श्वांस की गति सामान्य बनी रहनी चाहिए।
7. इस योगाभ्यास की स्थिति में 10 से 15 सेकिंड तक बने रहने का प्रयास करें ।
जब आप इस आसन को करने में अभ्यस्त हो जावें तो अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर केन्द्रित कर सकते है।

4-बकासन करने के फायदे (Benefits of Bakasana Pose)      Bakasan Yoga Karne KaTarika,Fayade aur Savdhaniya

बकासन का नियमित एंव सही मार्गदर्शन में अभ्यास किया जाये तो आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त किये जा सकते है।
1- बकासन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी को संतुलन और लचीलापन प्रदान करता है जिससे पीठ संबंधी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
2-इस योगाभ्यास के समय हमारे पेट का संकुचन होता है, जिस कारण हमारा पेट ,वं पेट का निचला भाग (पेल्विन ऐरिय )को स्वास्थ लाभ मिलता है।
3- हमारा पाचन तन्त्र स्वस्थ बनता है।
4-इस आसन के अभ्यास के दौरान हमारे चेहरे की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह अधिक होने के कारण चेहरे की झुर्रियों को हटाने में मदद मिलती है।

5- बकासन करते समय मन को एक बिंदु पर केंद्रित करना पड़ता है, जिससे ध्यान और एकाग्रता की क्षमता में वृद्धि होती है।
6- इस आसन के अभ्यास से हमारी पेट एवं जांघों की मांसपेशिय मजबूत बनती है।
7- इस योगाभ्यास में हमारे शरीर का समस्त भार हमारी बाहों एवं कन्धों पर होता है इसलिए इस योगाभ्यास से हमारी बाहों एवं कन्धों को मजबूती मिलती है।

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5-बकासन करने में सावधानियां (Precautions for Bakasana Pose)    Bakasan Yoga Karne KaTarika,Fayade aur Savdhaniya

. कलाई या शरीर की किसी मसल्स में दर्द हो, आपके शरीर के किसी अंग की सर्जरी हुई हो तो, इस योगाभ्यास को करने से बचना चाहिए अथवा योग्य योग प्रशिक्षक का मार्गदर्शन लेना चाहिए।
इन स्थितियो में भी इस योगाभ्यास से बचना चाहिएः-

1.चक्कर आना, सिर चकराना या आंखों से जुड़ी कुछ समस्याएं हैं।
2.कलाई में गठिया, कलाई में दर्द की समस्या है।
3.पीठ दर्द या पीठ की कोई चोट है, कलई,कन्धें की समस्या,सर्जरी, डिस्क,कुल्हे या गठिया आदि की समस्या हो तो भी इस आसन को करने से बचना चाहिए।
4.उच्च रक्तचाप या हृदय रोग से पीड़ित लोग यह आसन चिकित्सक की सलाह से ही करें।
5.गर्भवती महिलाएं इस आसन से बचें।
6. जिस प्रकार अन्य योगाभ्यास के समय हम अपने शरीर की बात सुनते है। उसी प्रकार इस आसन में भी हमें अपने शरीर की बात को सुन कर उसका पालन करना चाहिए।
7. अभ्यास प्रारंभ में किसी योग्य योग शिक्षक की निगरानी में करें।

6-बकासन का अभ्यास कब और कितनी बार करें?        Bakasan Yoga Karne KaTarika,Fayade aur Savdhaniya

1. किसी भी आसन को करने का सही समय सुबह का एवं खाली पेट सबसे उपयुक्त होता हैं। इसी तरह इस आसन को भी सुबह एवं खाली पेट करना चाहिए।
2. अगर आप किसी कारण सुबह के समय योगाभ्यास नहीं कर पा रहें है तो शाम को भी कर सकते है, परन्तु यह ध्यान रखना होगा कि आपने योगाभ्यास के 4 घण्टे पूर्व भोजन ग्रहण कर लिया हो।
3.सप्ताह में 3-4 बार करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
4.शुरुआत में 10-15 सेकंड और फिर धीरे-धीरे 1 मिनट तक कर सकते हैं।

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7-बकासन और ध्यान                                        Bakasan Yoga Karne KaTarika,Fayade aur Savdhaniya

बकासन केवल शारीरिक आसन नहीं है, यह ध्यान और मानसिक संतुलन का भी अभ्यास है। जब आप बकासन करते हैं, तो आपके मन को एक स्थान पर टिकना होता है। इससे मानसिक हलचल कम होती है और ध्यान की स्थिति प्राप्त होती है।

8-बकासन एवं काकासन में अन्तर-
विशेषता बकासन (Bakasana) काकासन (Kakasana)
नाम का अर्थ बगुला मुद्रा कौआ मुद्रा
हाथों की स्थिति हाथ आगे की ओर थोड़े सीधे हाथ थोड़े मुड़े हुए
घुटनों की स्थिति ऊपरी बाजुओं पर रखे जाते हैं कोहनियों के पास टिके होते हैं
संतुलन का प्रकार अधिक आगे झुकना होता है थोड़ा कम झुकाव
कठिनाई स्तर थोड़ी अधिक अपेक्षाकृत आसान

 

9-आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बकासन

आयुर्वेद के अनुसार बकासन वात और कफ दोष को संतुलित करता है। यह पाचन अग्नि को बढ़ाता है और शरीर के स्थूलता को कम करता है। मानसिक तनाव, चिंता और अनिद्रा में यह अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

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10-निष्कर्ष

यदि आप अपने योग अभ्यास को एक नए स्तर पर ले जाना चाहते हैं, तो बकासन को ज़रूर अपने अभ्यास में शामिल करें। आरंभ में चाहे कितनी भी कठिनाई आए, एक दिन ऐसा आएगा जब आप पूरी सहजता से इस मुद्रा में संतुलन बना पाएंगे।

 

FAQ

Bakasan Yoga

’बक’ का अर्थ है बगुला। संस्कृत में “बक“ (Baka) का अर्थ बगुला होता है और “आसन“ का अर्थ है स्थिति या पोज़। जब कोई योगी इस आसन को करता है, तो उसकी मुद्रा एक बगुले के समान लगती है कृ दोनों हाथ ज़मीन पर, घुटने ऊपर उठे हुए,भुजाओं पर और पूरा शरीर हाथों के सहारे आगे की ओर झुका हुआ होता है। आसन की इस मुद्रा में हमारे घुटने हमारी कोहनियों पर होते है और शरीर का समस्त वजन हमारे हाथ की हथेलियों पर होता है।
चरण 1 प्रारंभिक स्थिति 1. सबसे पहले वज्रासन या समतल स्थिति में बैठें। 2. फिर धीरे-धीरे मलासन की स्थिति में आ जाए 3.अपने दोनां पैरों के घुटनों को चौड़ा करके उकड़ू की स्थिति में बैठ जायें। घुटनों को चौड़ा रखने में असुविधा हो रही हो, तो घुटनों को सटा कर भी रख सकते है। चरण 2 1.अब अपने हाथों की हथेलियों को अपने कन्धों की चौड़ाई के बराबर अपने से 6 ईन्च की दूरी बनाते हुए जमीन पर रख लें। 2. अपने शरीर का वजन अपने पैरों के पंजें पर लाते हुए अपने दोनों पैरों के घुटनों को अपने हाथों की कोहनियों, से ऊपर अपनी भुजाओं पर सावधानीपूर्वक मजबूती के साथ स्थापित करें। ध्यान रहे आपके घुटने भुजाओं से फिसलने नहीं पाये। 3. आप उकड़ू की जिस स्थिति में बैठे थें उसी स्थिति में अब धीरे धीरे अपने पैरों एवं नितम्बों को एक साथ ऊपर की ऊठाते हुए, अपने शरीर को सन्तुलित रखते हुए, अपने भुजाओं पर रखें और स्थिर होने का प्रयास करें। 4.इस स्थिति में आपका सिर सामने की ओर जमीन को देखते हुए रहना चाहिए। 5. पूरा शरीर अब केवल हथेलियों पर संतुलित होना चाहिए। 6. श्वांस की गति सामान्य बनी रहनी चाहिए। 7. इस योगाभ्यास की स्थिति में 10 से 15 सेकिंड तक बने रहने का प्रयास करें । जब आप इस आसन को करने में अभ्यस्त हो जावें तो अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर केन्द्रित कर सकते है।
बकासन का नियमित एंव सही मार्गदर्शन में अभ्यास किया जाये तो आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त किये जा सकते है। 1- बकासन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी को संतुलन और लचीलापन प्रदान करता है जिससे पीठ संबंधी समस्याएं दूर हो सकती हैं। 2-इस योगाभ्यास के समय हमारे पेट का संकुचन होता है, जिस कारण हमारा पेट ,वं पेट का निचला भाग (पेल्विन ऐरिय )को स्वास्थ लाभ मिलता है। 3- हमारा पाचन तन्त्र स्वस्थ बनता है। 4-इस आसन के अभ्यास के दौरान हमारे चेहरे की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह अधिक होने के कारण चेहरे की झुर्रियों को हटाने में मदद मिलती है। 5- बकासन करते समय मन को एक बिंदु पर केंद्रित करना पड़ता है, जिससे ध्यान और एकाग्रता की क्षमता में वृद्धि होती है। 6- इस आसन के अभ्यास से हमारी पेट एवं जांघों की मांसपेशिय मजबूत बनती है। 7- इस योगाभ्यास में हमारे शरीर का समस्त भार हमारी बाहों एवं कन्धों पर होता है इसलिए इस योगाभ्यास से हमारी बाहों एवं कन्धों को मजबूती मिलती है।
1. किसी भी आसन को करने का सही समय सुबह का एवं खाली पेट सबसे उपयुक्त होता हैं। इसी तरह इस आसन को भी सुबह एवं खाली पेट करना चाहिए। 2. अगर आप किसी कारण सुबह के समय योगाभ्यास नहीं कर पा रहें है तो शाम को भी कर सकते है, परन्तु यह ध्यान रखना होगा कि आपने योगाभ्यास के 4 घण्टे पूर्व भोजन ग्रहण कर लिया हो। 3.सप्ताह में 3-4 बार करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं। 4.शुरुआत में 10-15 सेकंड और फिर धीरे-धीरे 1 मिनट तक कर सकते हैं।
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