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अश्व संचलनासन की विधि,लाभ और सावधानियों ।Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.

आज हम बात कर रहे है, अश्व संचलनासन की विधि,लाभ और सावधानियों ।Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon  की। अश्व संचलनासन योग मुद्रा को अंग्रेजी में Equestrian Pose कहा जाता है। इस आसन का अभ्यास हम सूर्य नमस्कार योगाभ्यास के दौरान भी करते है।

हम सभी इस तथ्य से भली भॉति परिचित है कि शरीर को स्वस्थ एवं निरोगी रखने के लिए शरीर के सभी अंगों को क्रियाशील रखना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। जिन लोगों की आजीविका में श्रम की प्रधानता होती है,जैसे कृषक,श्रमिक आदि इनको आजीविका कमाने के दौरान इतना परिश्रम करना पड़ता है,कि इन्हें अपने शरीर को सक्रिय रखने के लिए किसी अन्य प्रकार के श्रम की आवश्यकता ही नहीं रहती है। परन्तु जिन लोगों के दैनिक जीवन में श्रम का अभाव होता है।

ऐसे लोगों को अपने शरीर के विभिन्न अंगों में जकड़न या दर्द,पाचन,पेट की समस्याओं से ग्रस्त होकर बिमारियों से सामना करना पड़ता है। यह हम अपने आसपास के परिदृश्य आम तौर पर देखते है, जो कि एक सामान्य स्थिति बन गई है। ऐसी स्थिति में उन्हे अपने आप को स्वस्थ एवं शरीर को सक्रिय रखने के लिए योगा,जिम या मलाभ्यास करने की आश्यकता महसूस होती है।

यह एक बहुत ही सुखद स्थिति है कि आज लोग , विशेषकर युवावर्ग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने लगे है तथा वे ध्यान,योग एवं प्राणायाम जैस भारतीय उपायों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने लगे है।

Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.
https://pixabay.com/photos/yoga-woman-beach-stretching-6849471/(चित्र में हाथों की स्थिति भिन्न है।)

 

क्रम सं0 विषय वस्तु
1 अश्व संचलनासन का शाब्दिक अर्थ.
2 अश्व संचलनासन करने की विधि
3 ध्यान.
4 अश्व संचलनासन के लाभ
5 अश्व संचलनासन के अभ्यास में सावधानियां.
6 अश्व संचलनासन के अभ्यास में सहयोगी आसन.
7 निष्कर्ष

1-अश्व संचलनासन का शाब्दिक अर्थ.                     (Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.)

अश्व संचलनासन में अश्व शब्द का अर्थ होता है”घोड़ा” और संचलन शब्द का अर्थ होता है “गति “तथा आसन का शाब्दिक होता है “योग की मुद्रा।” इस प्रकार इस आसन का शाब्दिक अर्थ हुआ, घोड़ा संचलान करने की मुद्रा इस आसन में व्यक्ति की मुद्रा एक घुड़सवार की भॉति होने के कारण इस योगाभ्यास को अश्व संचलनासन कहा जाता है । यह शरीर को लचीला बनाने, संतुलन सुधारने और ऊर्जा के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करता है।
अब हम जानते है अश्व संचलनासन के अभ्यास की सही विधि की जानकारी।

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2-अश्व संचलनासन करने की विधि                (How To Do Ashwa Sanchalanasana/ Equestrian Pose )

आज हम बात कर रहे है, अश्व संचलनासन की विधि,लाभ और सावधानियों ।Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon  की।

1.किसी समतल जगह पर योगा मेट बिछा कर शान्त भाव के साथ दोनों पैरों को आपस में सटा कर रखते हुए खड़े हो जायें।
2. धीरज के साथ आराम से अपने पंजों के बल बैठ जायें।
3.अब धीरे धीरे अपने बांये पैर को जितना ले जा सके, उतना पीछे की ओर ले जायें। जबरदस्ती नहीं करें,पैर का तलवा ऊपर की ओर रखें पंजें का सीधा भाग एवं घुटना जमीन को स्पर्श करता रहे,की मुद्रा बनाएं।

4.अपने दोनों हाथों की हथेलियों को अपने दाहिनें पैर के पंजें के बराबर जमीन पर स्पर्श करावें।
5.गहरा श्वांस भरते हुए अपने मेरूदण्ड को सीधा एवं नितम्बों को नीचे की ओर झुकाते हुए अपने सीने को बाहर की ओर तानने का प्रयास करें।
6.इस स्थिति में अपने शरीर का समस्त भार दायें पैर पर स्थानान्तरित होने का अनुभव करें ।
7 .अपनी गर्दन सीधी एवं दृष्टि सामने की ओर देखते हुए होनी चाहिए। इस स्थिति में आपके शरीर की आकृति धनुष के समान बन जाती है।

8.इस मुद्रा को 15 से 20 सेकेण्ड तक बनाए रखेनें के उपरान्त सामान्य स्थिति में आ जायें।
9 .इस प्रक्रिया का अभ्यास अब दूसरे पैर से भी करें।
यह एक चक्र हुआ। इसकी 3 से 5 आवृति दोहरानी चाहिए।
अगर आप सूर्यनमस्कार का अभ्यास करते है, तो आपको यह योगाभ्यास करने में ज्यादा असुविधा नहीं होगी ।

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3 -ध्यान.                                                         (Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.)

इस योगाभ्यास के दौरान ध्यान आज्ञा चक्र पर लगाया जाता है,तो अधिक लाभ मिलने की सम्भावना बनती है।

4 अश्व संचलनासन के लाभ.                             (Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.)

आज हम बात कर रहे है, अश्व संचलनासन की विधि,लाभ और सावधानियों ।Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon  की।  किसी भी कार्य या योगाभ्यास को करने से पूर्व उसके लाभ एवं हानियों की भी हमें जानकारी होनी चाहिए ताकि उसी के अनुरूप योगाभ्यासों को अपनाकर अपने स्वास्थ हेतू अधिक लाभ प्राप्त कर सकें एवं हानियों के प्रति सजग रह सकें।

1.मेरूदण्ड लचीला बनता है।
अश्व संचलनासन के अभ्यास में हमारे मेरूदण्ड की काफी मालिश हो जाती है। इस प्रकार अगर अश्व संचलनासन का नियमित एवं विधि पूर्वक अभ्यास किया जाये तो हमारा मेरूदण्ड स्वस्थ एवं लचीला बनता है ।
2.मांसपेशियों को मजबूती देनें में लाभदायक.
अश्व संचालनासन का नियमित एवं विधिपूर्वक अभ्यास करने से हमारे शरीर की मांसपेशियों को बहुत लाभ मिलता है।
अश्व संचालनासन के अभ्यास के दौरान हमारी टांगें, टखने, नितम्ब एवं शरीर के निचले हिस्से की मांसपेशियां को मजबूती मिलती हैं।
3.पाचन तन्त्र के लिए लाभदायक.

अश्व संचलनासन के अभ्यास के दौरान हमारे पेट एवं पेट के आन्तरिक अंगों जैसे अमाशय,आन्त आदि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिससे पाचन तन्त्र मजबूत एवं स्वस्थ बनता है। फलस्वरूप हमारे द्वारा ग्रहण किये गये भोजन का पर्याप्त रस बन कर शरीर को प्राप्त होने पर सामान्य बिमारियां स्वतः समाप्त हो जाती है। शरीर स्वस्थ बनता है।

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4 .रक्त परिसंचरण में सुधार होता है.
अश्व संचलनासन के नियमित अभ्यास से हमारे शरीर के समस्त अंगों की नसों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिससे हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त का परिसंचरण होकर शरीर स्वस्थ बनता है।
5.पीठ के लिए लाभदायक.
अश्व संचलनासन के अभ्यास के समय हमारी पीठ को काफी घुमाव में मुड़ना पड़ता है। जिससे पीठ में लचीलापन आता है। जिस कारण पीठ की मांसपेशियों को आराम मिलता है। पीठ से सम्बन्धित समस्याएं जैसे पीठ का कड़कपन,दर्द आदि में राहत मिलती है। इसके साथ साथ ही कुल्हों एवं पिण्डलियों को भी लाभ मिलता है।

6हृदय के लिए लाभदायक।
7.कुल्हों को मजबूती देता है एवं उनके जोड़ों की जकड़न को खत्म करता है।
8.साइटिका दर्द के पीड़ीतों के लिए अश्व संचलनासन का अभ्यास लाभदायक होता है।
9.अश्व संचलनासन के नियमित अभ्यास से शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को गति एवं स्फूर्ति मिलती है।
10. इस अभ्यास के दौरान हमारा ध्यान आज्ञा चक्र पर केन्द्रित होने के कारण हमारी स्मस्ण शक्ति बढ़ती है एवं एकाग्रता मजबूत बनती है।
11. इस योगाभ्यास से हमारा मानसिक तनाव नियन्त्रित होता है।

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5-अश्व संचलनासन के अभ्यास में सावधानियां.                    (Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.)

  आज हम बात कर रहे है, अश्व संचलनासन की विधि,लाभ और सावधानियों ।Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon  की।  योगाभ्यास से होने वाले लाभों के ज्ञान के साथ साथ हमें इससे होने वाली हानियों या अभ्यास में रखी जाने वाली सावधानियों के प्रति भी सजग रहना चाहिए। जिनकी चर्चा हम यहॉ नीचे कर रहे है।

1.जिन लोगों को घुटनों के दर्द हो या घुटनों की कोई सर्जरी करवाई गई हो ,ऐसे लोगों को इस अभ्यास से बचना चाहिए। अगर कोई करना चाहे तो उसे अपने चिकित्सक एवं योगा प्रशिक्षक से परामर्श करने के उपरान्त ही कोई निर्णय लेना चाहिए। अन्यथा की स्थिति में घुटनों की समस्या बढ़ सकती है।
2.किसी व्यक्ति को मेरूदण्ड या कमर से सम्बन्धित कोई समस्या हो तो भी अश्व संचलनासन के अभ्यास से बचना चाहिए।

3 .अभ्यास के दौरान अपने शरीर की बात सुननी चाहिए। यदि शरीर में कहीं दर्द या खिंचाव का अनुभव हो रहा हो, तो जबदस्ती नहीं करनी चाहिएए अभ्यास वहीं पर रोक देना चाहिए एवं अपने योग प्रशिक्षक से परामर्श कर अभ्यास में कुछ बदलाव करने चाहिए। कुछ दिनों के अभ्यास से आप अश्व संचलनासन का अभ्यास सुगमता से कर पायेंगें।
4 .गर्दन या मेरूदण्ड में किसी प्रकार का दर्द या कोई चिकित्सकीय समस्या हो तो अभ्यास को बन्द कर देना चाहिए।
5.कोई भी योगाभ्यास हो उसे खाली पेट करने से लाभ बढ़ जाते है। अतःअश्व संचलनासन योग का अभ्यास भी खाली पेट करना चाहिए।

6.योगाभ्यास के समय अगर आपको जमीन का स्पर्श चुभता हो तो आप योगा मेट के उपर कोई मोटा कम्बल या इसी तरह का कोई कपड़ा या गद्दी का उपयोग कर सकते है।
7.अगर इस अभ्यास के दौरान आपको किसी प्रकार की असुविधा हो रही हो तो आप अपने योग गुरू से परामर्श कर अभ्यास में कुछ सामान्य परिवर्तन भी कर सकते है।
8.गर्भवती महिलाओं को अश्व संचलनासन का अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

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6-अश्व संचलनासन के अभ्यास में सहयोगी आसन.                             (Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.)

आज हम बात कर रहे है, अश्व संचलनासन की विधि,लाभ और सावधानियों ।Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon  की।अश्व संचलनासन का अभ्यास करने से पूर्व अगर हम इन आसनों के अभ्यस्त हो जाते है तो यह आसन हमारे लिए आसान हो जायेगा। अतः हमें इन आसनों का अभ्यास करना चाहिए।
1.वज्रासन ।
2.उत्तानासन।
3.त्रिकोणासन।
4.वीरभद्रासन।

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7-निष्कर्ष–

अश्व संचलनासन का अभ्यास सरल एवं प्रभावकारक होता है। जिसका नियमित एवं विधिपूर्वक योग्य मार्गदर्शन में अभ्यास किया जाये तो यह हमारे घुटनें,टखनों पैर की मांसपेशियों को मजबूती देता है। नियमित अभ्यास से हमारी पीठ एवं मेरूदण्ड को लचीला बना कर दर्द रहीत करने में सहयोगी होता है। इसका नियमित अभ्यास हमारे रक्त के प्रवाह को सुचारू बनाता है। शरीर को ऊर्जावान बनाता है। शरीर को लचीला बनाता है। मानासिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
इस प्रकार यह आसन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हमारे शरीर के प्रत्येक अंग पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। अतः अपने दैनिक जीवन में इसका अभ्यास आवश्यक रूप से शामिल करना चाहिए।

इस पोस्ट का उद्देश्य मात्र योग की जानकारी देना है,किसी चिकित्सकीय उपयोग हेतू अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक एवं योग प्रशिक्षक से आवश्यक रूप से परामर्श करना चाहिए।

FAQ

Ashwa Sanchalanasana

अश्व संचलनासन का शाब्दिक अर्थ- अश्व संचलनासन में “अश्व“ शब्द का अर्थ होता है “घोड़ा,“ और “संचलन“ शब्द का अर्थ होता है “गति“ ,तथा आसन का शाब्दिक होता है, योग की मुद्रा। इस प्रकार इस आसन का शाब्दिक अर्थ हुआ। घोड़ा संचलान करने की मुद्रा,इस आसन में व्यक्ति की मुद्रा एक घुड़सवार की भॉति होने के कारण इस योगाभ्यास को अश्व संचलनासन या घुड़सवारासान भी कहा जाता है । इस आसन को अंग्रेजी में Equestrian Pose कहते है।
1.किसी समतल जगह पर योगा मेट बिछा कर शान्त भाव के साथ दोनों पैरों को आपस में सटा कर रखते हुए,खड़े हो जायें। 2. धीरज के साथ आराम से अपने पंजों के बल बैठ जायें। 3.अब धीरे धीरे अपने बांये पैर को जितना ले जा सके, उतना पीछे की ओर ले जायें। जबरदस्ती नहीं करें,पैर का तलवा ऊपर की ओर रखें पंजें का सीधा भाग एवं घुटना जमीन को स्पर्श करता रहे,की मुद्रा बनाएं। 4.अपने दोनों हाथों की हथेलियों को अपने दाहिनें पैर के पंजें के बराबर जमीन पर स्पर्श करावें। 5.गहरा श्वांस भरते हुए अपने मेरूदण्ड को सीधा एवं नितम्बों को नीचे की ओर झुकाते हुए अपने सीने को बाहर की ओर तानने का प्रयास करें। 6.इस स्थिति में अपने शरीर का समस्त भार दायें पैर पर स्थानान्तरित होने का अनुभव करें । 7. अपनी गर्दन सीधी एवं दृष्टि सामने की ओर देखते हुए होनी चाहिए। इस स्थिति में आपके शरीर की आकृति धनुष के समान बन जाती है। 8.इस मुद्रा को 15 से 20 सेकेण्ड तक बनाए रखेनें के उपरान्त सामान्य स्थिति में आ जायें। 9. इस प्रक्रिया का अभ्यास अब दूसरे पैर से भी करें। यह एक चक्र हुआ। इसकी 3 से 5 आवृति दोहरानी चाहिए।
1.-मेरूदण्ड लचीला बनता है। 2.मांसपेशियों को मजबूती देनें में लाभदायक- 3.पाचन तन्त्र के लिए लाभदायक- 4.- रक्त परिसंचरण में सुधार होता है- 5. पीठ के लिए लाभदायक- 6.हृदय के लिए लाभदायक। 7.कुल्हों को मजबूती देता है एवं उनके जोड़ों की जकड़न को खत्म करता है। 8.साइटिका दर्द के पीड़ीतों के लिए अश्व संचलनासन का अभ्यास लाभदायक होता है। 9. अश्व संचलनासन के नियमित अभ्यास से शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को गति एवं स्फूर्ति मिलती है। 10 इस अभ्यास के दौरान हमारा ध्यान आज्ञा चक्र पर केन्द्रित होने के कारण हमारी स्मस्ण शक्ति बढ़ती है एवं एकाग्रता मजबूत बनती है। 11. इस योगाभ्यास से हमारा मानसिक तनाव नियन्त्रित होता है।

 

 

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2 responses to “अश्व संचलनासन की विधि,लाभ और सावधानियों ।Ashwa Sanchalanasana Ki Vidhi,Labh Aur Savdhaniyon.2025”

  1. सरोज Avatar

    मैं आपकी हर पोस्ट पढ़ती हूं, अच्छी जानकारी मिलती हैं

  2. सरोज Avatar

    मैं आपकी योग पोस्ट हमेशा पढ़ती हूं, पोस्ट में ज्ञानवर्धक जानकारी मिलती हैं

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