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हाकिनी मुद्रा कैसे करें,तरीका और 10 लाभ। Hakini Mudra Kaise Karen,Tarika Aur 10Labh.

 

आज हम बात कर रहे है,हाकिनी मुद्रा कैसे करें,तरीका और 10 लाभ। Hakini Mudra Kaise Karen,Tarika Aur 10Labh.की ,हकीनी मुद्रा यह यह एक प्राचीन हस्त योग मुद्रा है। जिसकों हाथों की अंगुलियों एवं अंगुठे की सहायता से बनाया जाता है। इस मुद्रा के अभ्यास से हम अपने मस्तिष्क के दोनों हिस्सों (दाएं और बाएं) के बीच संतुलन बनाये रखने का प्रयास कर सकते है।

इस मुद्रा के अभ्यास से मस्तिष्क को सम्बल एवं ध्यान,स्मरण शक्ति बढ़ाने में काफी सहायता मिलती है। जब उम्र बढ़ने के साथ हमारे शरीर के अंग शिथिल पड़ने लगते है ,तो हमारी स्मरण शक्ति का भी ह्रास होने लगता है। हम अपनी याददास्त खोने लगते है। जिसका हमारे मानसिक एवं सामाजिक,पारिवारिक जीवन पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

हकीनी मुद्रा क्या होती है ?                                      Hakini Mudra Kaise Karen,Tarika Aur 10Labh.

आज हम बात कर रहे है,हाकिनी मुद्रा कैसे करें,तरीका और 10 लाभ। Hakini Mudra Kaise Karen,Tarika Aur 10Labh.की ,माना जाता है कि हमारे तीसरे नेत्र की हिन्दू देवी हकीनी के नाम पर इस मुद्रा का नामकरण किया गया है। चूंकि यह मुद्रा हमारे मस्तिष्क को सबसे अधिक प्रभावित करती है एवं देवी हकीनी भी मस्तिष्क के किसी भाग का प्रतिनिधित्व करती है । अतः उन्ही के नाम पर इस मुद्रा का नामाकरण किया गया प्रतीत होता है।

हमारे जीवन में किसी प्रकार की समस्या हो,चाहे वह सामाजिक हो ,व्यावसायिक हो या फिर किसी भी अन्य प्रकार उसका सीधा असर हमारे मस्तिष्क पर आता है। परिणाम स्वरूप हम चिन्ताग्रस्त होकर मानसिक तनाव में आ जाते है। फलस्वरूप उस मानसिक तनाव के कारण हमारे शारीरिक के साथ साथ , सामाजिक जीवन का सारा तानाबाना अस्तव्यस्त हो जाता है। जिसका हमें भयंकर परिणाम भुगतना पड़ता है। क्योंकि हम इतना तनाव में होते है कि सामाजिक या व्यवहारिक रिश्तों को निभाने में हमारा मन नहीं लगता हमेशा हमारे मन एवं शरीर में ऊर्जा,उत्साह की कमी महसूस होती रहती है। नींद एवं भूख कम होने की समस्या भी होने लगती है।

इस तरह की समस्या होने पर आपको पारिवारिक एवं सामाजिक सम्बल की आवश्यकता होती है। इस समस्या से निपटने के लिए हमारे योग साहित्य में हाकीनी मुद्रा को भी काफी लाभप्रद बताया गया है।

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हाकिनी मुद्रा का महत्व-                                                              Hakini Mudra Kaise Karen,Tarika Aur 10Labh.

आज हम बात कर रहे है,हाकिनी मुद्रा कैसे करें,तरीका और 10 लाभ। Hakini Mudra Kaise Karen,Tarika Aur 10Labh.की ,हमारे हाथों की अंगुलियों कों हमारे पंच तत्वों (वायु,अग्नि,जल,पृथ्वी और आकाश)का प्रतिनिधित्व करने वाली बताया गया है। इसके हमारे अंगुठे को अग्नि,तर्जनी को वायु,मध्यमा को आकाश,अनामिका को पृथ्वी एवं सबसे छोटी अंगुली को जल का प्रतिनिधित्व करने वाली माना गया है। इस मुद्रा के अभ्यास में जब दोनों हाथों की अंगुलियों हो हल्के दबाव के साथ मिलाया जाता है,तो हमारे पंच तत्वों को तालमेल एवं सक्रिय होने का कारण मिलता है। जिसका प्रभाव हमारे शरीर पर होता है।

माना जाता है कि इस मुद्रा का अभ्यास उन लोगों को प्राथमिकता के साथ करना चाहिए,जिन्हे नींद न आने की समस्या हो या जो लोग मानसिक तनाव का सामना कर रहे हों। इस मुद्रा के अभ्यास से मस्तिष्क मजबूत एवं स्वस्थ बनता है जिससे मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है। मस्तिष्क को शान्ति एवं एकाग्रता मिलती है।

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हाकिनी मुद्रा के अभ्यास की विधि-                        Hakini Mudra Kaise Karen,Tarika Aur 10Labh.

आज हम बात कर रहे है,हाकिनी मुद्रा कैसे करें,तरीका और 10 लाभ। Hakini Mudra Kaise Karen,Tarika Aur 10Labh.की ,

1.किसी शान्त एवं एकान्त जगह का चयन कर योगा मेट या आसन बिछा कर शान्त भाव के साथ सुखासन मुद्रा में बैठ जायें।
2. पांच से सात गहरे एवं लम्बे श्वांस लें एवं छोड़ें।
3.अपने मेरूदण्ड एवं कमर को सीधा रखें।
4.अपने दोनों हाथों को नाभि के सामने रखें।

5.अब अपने दोनों हाथों की अंगुलियों एवं अंगुठे के अग्रीम सिरों को आपस में हल्के से स्पर्श करायें । ध्यान रखें अंगुंलियों पर आपस में दबाव नहीं देना है। हाथों की अंगुलियों से त्रिकोण की आकृति बनायें, और अपने सीने के सामने सीने से दूरी बनाये हुए स्थापित करें।
6.आपकी कोहनियां आपके शरीर से स्पर्श नहीं करेंगी,आपकी पसलियों से कुछ दूरी बनाएं हुए रखें।
7. आपकी आंखें हल्के से बन्द एवं ध्यान आपके आज्ञा चक्र पर रहना चाहिए।

8. श्वांस गहरे एवं लम्बे लेते रहें ।
9. विचारों में शुन्यता होनी चाहिए।
10.प्रारम्भ में इस मुद्रा का अभ्यास 10 मिनट तक करना चाहिए। बाद में अभ्यास होने पर अपने मार्गदर्शक के निर्देशानुंसार इसकी अवधी बढ़ाई जा सकती है। लेकिन ध्यान रखें अभ्यास के समय आपका पेट खाली होना चाहिए।

11. इस मुद्रा का समापन करने के लिए अपनी अंगुलियों को धीरे धीरे एक एक कर खोलते हुए मुद्रा का समापन करना चाहिए। इसी प्रकार अपनी आंखों को भी धीरे धीरे खोलना चाहिए।

हाकीनी मुद्रा का अभ्यास कब और कितने समय करना चाहिए।

इस मुद्रा का अभ्यास सूर्यादय के बाद अपनी सुविधा के अनुसार कितनी भी बार किया जा सकता है। 10 मिनट से लेकर 45 मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें अभ्यास के समय आपका पेट खाली होना चाहिए।

आज्ञा चक्र पर ध्यान और 6 योगा

हाकीनी मुद्रा के लाभः-                                                          Hakini Mudra Kaise Karen,Tarika Aur 10Labh.

आज हम बात कर रहे है,हाकिनी मुद्रा कैसे करें,तरीका और 10 लाभ। Hakini Mudra Kaise Karen,Tarika Aur 10Labh.की ,हाकीनी मुद्रा का अभ्यास सीधे हमारे मस्तिष्क को प्रभावित करता है। इसके नियमित अभ्यास से हमारा मस्तिष्क पुष्ट होता है। मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। चिन्ता,तनाव कम होता है।

1. हाकीनी मुद्रा के नियमित एवं विधिवत रूप से अभ्यास किये जाने से हमारे मस्तिष्क के दोनों दोयें एवं बांये भाग का सन्तुलन बनाये रखने में मदद मिलती है। जिस कारण मस्तिष्क सन्तुलित होकर निर्णय लेने एवं स्मरण शक्ति की क्षमता का विकास होता है।
2. इसके नियमित अभ्यास से मानसिक शांति मिलती है। जिससे तनाव कम होता है । अच्छी नींद आती है,मन शान्त रहता है।

3. इसके अभ्यास से रक्त का प्रवाह नियमित बनता है,रक्त का प्रवाह एवं ऑक्सीजन मस्तिष्क को मिलती है। जिसका कारण इस अभ्यास के दौरान गहरी एवं लम्बी सांसों का लेना होता है। रक्त एवं आक्सीजन की आपूर्ति होने से हमारी मस्तिष्क पुष्ट बनता है।
4. अभ्यास के दौरान गहरी एवं लम्बे सांस लेने के कारण श्वसंन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को खत्म करने में मदद मिलती है।
5. इस मुद्रा का नियमित अभ्यास हमारे पंच तत्वों को सन्तुलित बनाने में सहयोगी बन सकता है।
6. इस मुद्रा के अभ्यास से हमारे वात,पित और कफ को सन्तुलन मिलता है।

7. हाकीनी मुद्रा का नियमित अभ्यास मानसिक रूप से तनाव और चिन्ता,अवसाद,अनिन्द्रा आदि की समस्याओं का अन्त करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
8. इसका नियमित अभ्यास हमारे विचारों में सकारात्मकता की वृद्धि करता है एवं हमारे मनोबल को बढ़ता है।
9. हाकीनी मुद्रा का नियमित अभ्यास हमारे आध्यात्मिक पक्ष/विचारों को मजबूत करता है।
10. इसके अभ्यास से हमारी तार्किक शक्ति, रचनात्मकता एवं जिज्ञासा को बढ़ाता है।

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निष्कर्ष- हमने अभी तक जानी है कि हाकीनी मुद्रा के अभ्यास से हमारी मानसिक शक्ति का विकास होता है। मस्तिष्क मजबूत बनता है।स्मरण,ध्यान एवं एकाग्रता की शक्ति का विकास होता है। अनिंद्रा एवं तनाव दूर होते है। यह अभ्यास कमजोर स्मरण शक्ति वालों, विद्यार्थियों एवं मानसिक शक्ति का उपयोग करने वालों के लिए विशेष लाभकारी माना गया है। आज हम बात कर रहे है,हाकिनी मुद्रा कैसे करें,तरीका और 10 लाभ। Hakini Mudra Kaise Karen,Tarika Aur 10Labh.की ,

इस पोस्ट का उद्देश्य सामान्य जानकारी देना मात्र है। किसी चिकित्सकीय उद्देश्य से इसका अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक या योग गुरू से आवश्यक रूप से परामर्श करना चाहिए।

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FAQ

Hakini

हाकीनी मुद्रा यह यह एक प्राचीन हस्त योग मुद्रा है। जिसकों हाथों की अंगुलियों एवं अंगुठे की सहायता से बनाया जाता है। इस मुद्रा के अभ्यास से हम अपने मस्तिष्क के दोनों हिस्सों (दाएं और बाएं) के बीच संतुलन बनाये रखने का प्रयास कर सकते है। माना जाता है कि हमारे तीसरे नेत्र की हिन्दू देवी हकीनी के नाम पर इस मुद्रा का नामकरण किया गया है।
हमारे हाथों की अंगुलियों कों हमारे पंच तत्वों (वायु,अग्नि,जल,पृथ्वी और आकाश)का प्रतिनिधित्व करने वाली बताया गया है। इसके हमारे अंगुठे को अग्नि,तर्जनी को वायु,मध्यमा को आकाश,अनामिका को पृथ्वी एवं सबसे छोटी अंगुली को जल का प्रतिनिधित्व करने वाली माना गया है। इस मुद्रा के अभ्यास में जब दोनों हाथों की अंगुलियों हो हल्के दबाव के साथ मिलाया जाता है तो हमारे पंच तत्वों को तालमेल एवं सक्रिय होने का कारण मिलता है। जिसका प्रभाव हमारे शरीर पर होता है।
हाकिनी मुद्रा के अभ्यास की विधि- 1.किसी शान्त एवं एकान्त जगह का चयन कर योगा मेट या आसन बिछा कर शान्त भाव साथ सुखासन मुद्रा में बैठ जायें। 2. पांच से सात गहरे एवं लम्बे श्वांस लें एवं छोड़ें। 3.अपने मेरूदण्ड एवं कमर को सीधा रखें। 4.अपने दोनों हाथों को नाभि के सामने रखें। 5.अब अपने दोनों हाथों की अंगुलियों एवं अंगुठे के अग्रीम सिरों को आपस में हल्के से स्पर्श करायें । ध्यान रखें अंगुंलियों पर आपस में दबाव नहीं देना है। हाथों की अंगुलियों से त्रिकोण की आकृति बनायें, और अपने सीने के सामने सीने से दूरी बनाये हुए स्थापित करें। 6.आपकी कोहनियां आपके शरीर से स्पर्श नहीं करेंगी,आपकी पसलियों से कुछ दूरी बनाएं हुए रखें। 7. आपकी आंखें हल्के से बन्द एवं ध्यान आपके आज्ञा चक्र पर रहना चाहिए। 8. श्वांस गहरे एवं लम्बे लेते रहें । 9. विचारों में शुन्यता होनी चाहिए। 10.प्रारम्भ में इस मुद्रा का अभ्यास 10 मिनट तक करना चाहिए। बाद में अभ्यास होने पर अपने मार्गदर्शक के निर्देशानुंसार इसकी अवधी बढ़ाई जा सकती है। लेकिन ध्यान रखें अभ्यास के समय आपका पेट खाली होना चाहिए। 11.इस मुद्रा का समापन करने के लिए अपनी अंगुलियों को धीरे धीरे एक एक कर खोलते हुए मुद्रा का समापन करना चाहिए। इसी प्रकार अपनी आंखों को भी धीरे धीरे खोलना चाहिए।
इस मुद्रा का अभ्यास सूर्यादय के बाद अपनी सुविधा के अनुसार कितनी भी बार किया जा सकता है। 10 मिनट से लेकर 45 मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें अभ्यास के समय आपका पेट खाली होना चाहिए।

 

 

 



2 responses to “हाकिनी मुद्रा कैसे करें,तरीका और 10 लाभ। Hakini Mudra Kaise Karen,Tarika Aur 10Labh.”

  1. सरोज Avatar

    Kripya esi Gyan vardhak jankariya dete rahe

  2. Raghuvir singh Avatar

    Good

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