google-site-verification=89yFvDtEE011DbUgp5e__BFErUl9DiCrqxtbv12Svtk

 

 

हंसासन की विधि,लाभ और सावधानियां। Hansasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.

आज हम बात कर रहें है, हंसासन की विधि,लाभ और सावधानियां। Hansasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.की आजकल हर व्यक्ति का जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि उसे अपने परिवार बच्चों की तो छोड़ो स्वयं के स्वास्थ्य का ध्यान भी रखने का समय नहीं मिल रहा है।

इसी स्थिति का परिणाम है कि आज अधिकांश व्यक्ति पेट दर्द,कमर दर्द,पीठ दर्द,गर्दन दर्द,मेरूदण्ड के दर्द से पीड़ित नजर आते है। आज व्यक्ति इतना व्यस्त हो चुका है कि उसे अपने स्वास्थ्य के लिए योगा,एक्सरसाईज करने का भी समय नहीं मिल रहा, यहॉ तक की व्यक्ति,” जीवित भोजन” भी ग्रहण नहीं कर भोजन भी “मृत भोजन” कर रहा है। आज बाजार में मिल रहा डिब्बाबन्द भोजन या फास्ट फूड को हम मृत भोजन कह सकते है। इस भोजन की तुलना आप अपनी रसोई में बने भोजन से करेंगे तो आप स्वयं जान जायेगें कि कौनसा “जीवित भोजन” है और कौनसा “मृत भोजन”।

अतः स्वस्थ जीवन जीने के लिए हमे अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करना पड़ेगा। जैसे की सुबह योगा,प्रणायाम जैसी क्रियाएं अपने दैनिक जीवन में अपनानी होगी,साथ ही भोजन के प्रति भी जागरूक होना होगा,और अपने भोजन में शुद्ध,ताजा और पौष्टिक भोजन शामिल करना होगा।
यह हमे ज्ञात होना चाहिए की योगासन के अभ्यास से हमारे शरीर में खिंचाव एवं मालिश होती है जिससे हमारे शरीर में उत्पन्न किसी भी प्रकार के दर्द में राहत मिलती है। कुछ ऐसी बिमारियां भी है जिनका ईलाज हम योग प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में योगाभ्यास द्वारा स्वयं भी कर सकते है।

Hansasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.
https://pixabay.com/photos/yoga-man-exercise-yoga-pose-6932159/

अपने जीवन में हम सभी ने अनुभव लिया है, कि जब भी हमारे सिर दर्द हो, कमर दर्द हो या पीठ दर्द इन दर्दो का ईलाज हमने अपने स्तर भी मालिश द्वारा प्राप्त किया है। तो योगासन में तो ऐसे ऐसे योगाभ्यास है जिसने द्वारा कई बिमारियों का ईलाज किया जा सकता है।
इसी चर्चा में आज हम हंसासन योग पर चर्चा कर रहे है।
जब हम हंसासन योगाभ्यास करते है तो हमारे शरीर का समस्त सन्तुलन हमारे हाथों पर आ जाता है और हमारे शरीर की आकृति हंस पक्षी जैसी बन जाती है। इसलिए इस आसन को हंसासन योग कहा जाता है।

45 मिनट में नींद की पूर्ति कैसे करें- देखें

विषय सूची

  •  हंसासन करने की विधि।
  •  हंसासन करने के लाभ।
  •  हंसासन करने में सावधानी।

 

हंसासन करने की विधि

आज हम बात कर रहें है,हंसासन की विधि,लाभ और सावधानियां। Hansasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.किसी भी योगासन को करने से पूर्व हमें उस योगासन को करने की सही विधि का ज्ञान होना अति आवश्यक है तभी हम उस योगाभ्यास से होने वाले लाभ का सही मूल्य प्राप्त कर सकेगें इसके लिए आवश्यक है किसी योग प्रशिक्षक से उचित परामर्श कर लिया जावें, क्योंकि हर आसन की अपनी प्रकिति होती है। अपना महत्व एवं परिणाम होता है। तो आज हम हंसासन के अभ्यास की सही विधि पर चर्चा करेंगें।

नाड़ी का शुद्धिकरण कैसे करें? और नाड़ी के प्रकार

1. सबसे पहले घुटनों के बल जमीन पर बैठ जाएं।
2. दोनों पंजों को साथ में रखें और घुटनों के मध्य अन्तर रखें।
3. हथेलियों को जमीन पर रखें और अंगुलियों को सामने की ओर रखें।
4. फिर दोनों हाथों की कोहनियों पर पेट एवं कलाईयों पर अपने सीना को स्थापित करें ।
5. अब अपने शरीर का सन्तुलन बनाते हुए अपने दोनों पैरों को धीरे धीरे पीछे की ओर सीधा करते हुए जमीन से ऊपर उठाते हुए अपने शरीर के समानान्तर ले आएें।

(कुछ योग प्रशिक्षक इस स्थिति में पैरों के अंगुठे को जमीन पर स्पर्श करने की स्थिति में रखते है एवं हाथों की अंगुलियों को अपने पैरों की ओर रखने की सलाह देते है। अतः अपने योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन अनुसार योगाभ्यास करना चाहिए।)

6.अब अनुभव करें कि आपके शरीर का सम्पूर्ण सन्तुलन एवं भार आपकी कोहनियों पर है।
7. सिर को ऊपर उठायें और आपकी दृष्टि एकदम सामने रखें।
8अपनी शारीरिक सामर्थ्यता के अनुसार इस मुद्रा को बनाये रखें।
9.फिर घुटनों को जमीन पर लें आएं और वज्रासन में बैठ जाएं।
10. इस आसन को कम से कम 30 सेकेंड तक करें, पूर्ण अभ्यास होने पर योग प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है।
11. प्रारम्भ में इस योगाभ्यास को योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में करना चाहिए।

भद्रासन योग विधि, लाभ और सावधानी

हंसासन करने के लाभः-

किसी भी योगासन का अभ्यास करने से पूर्व हमे इससे होने वाले लाभ की जानकारी भी प्राप्त कर लेनी चाहिए। ताकि उसी अनुरूप हम इस योगाभ्यास का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकें इसी क्रम में  आज हम बात कर रहें है ,हंसासन की विधि,लाभ और सावधानियां । Hansasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.की ,हंसासन योगाभ्यास हमारी कई शारीरिक समस्याओं को ठीक करने में हमारा सहयोगी होता है। जैसे सिर,कमर,मेरूदण्ड,गर्दन,एवं पेटदर्द में काफी आराम देता है,इसके अतिरिक्त भी इसका नियमित अभ्यास कर हम अनेकों अन्य लाभ प्राप्त कर सकते है। जिसकी चर्चा यहॉ करेंगे।

1.इस योगाभ्यास में आप अनुभव करेंगे कि अभ्यास के दौरान हमारे चेहरे पर रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है। जिस कारण हमारे चेहरे पर तेज एवं कांन्ति,ग्लो बढ़ जाता है।
2.हसांसन के अभ्यास से हमारे शरीर में रक्त का परिसंचरण बढ़ता है जिससे हमारे शरीर मे हमे स्फूर्ति एवं चुस्ती का अनुभव होता है।
3.हसांसन के योगाभ्यास से हमारे रक्त परिसंचरण का सुधार होने पर हमारे स्नायुतंत्र पर सक्रिय प्रभाव पड़ता है। जिससे हमारा शरीर स्वस्थ अनुभव करने लगता है।

एक योगाभ्यास 10 लाभ कैसे – देखें

4.हंसासन के नियमित एवं विधिपूर्वक अभ्यास से हमारे पेट दर्द, पीठ दर्द, कमर दर्द, को समाप्त करने में सहायता मिलती है।
5.इस आसन का नियमित अभ्यास करने से हमारी पाचन तन्त्र स्वस्थ एव मजबूत बनता है। जिससे हमारे भोजन का सम्पूर्ण रस हमारे शरीर को मिलता है।
6.हंसासन योगाभ्यास के नियमित अभ्यास से हमारे पेट एवं कमर की अनावश्यक चर्बी को पिघलाने में सहायता मिलती है जिससे हमारा मोटापा कम हो सकता है।

8. हंसासन के नियमित अभ्यास से हमारा सीना चौड़ा एवं सुडौल बनता है।
9. हंसासन के नियमित अभ्यास से हमारे हाथ,पैरा एवं पेट की मांसपेशियां मजबूत एवं स्वस्थ बनती है।
10.हंसासन योगाभ्यास से हमारा श्रोणी क्षेत्र (Pelvic Area ) स्वस्थ बनता है, जिससे प्रजनन सम्बन्धी समस्याओं का नाश होता है।
11.हंसासन के नियमित अभ्यास से हमारी पैंक्रियाज ग्रन्थी सक्रिय होती है। जिससे हमारा पाचन तन्त्र मजबूत होता है एव् रक्त में शर्करा की मात्रा नियन्त्रित करने में सहायता मिलती है।

11.हंसासन के योगाभ्यास के समय आप अनुभव करेंगे कि इस दौरान आपके सीने पर काफी प्रभाव पड़ता है,खिंचाव महसूस करते है। इसी खिंचाव,तनाव के कारण हमारे फेफड़े फैलते है,उनकी कार्यक्षमता में विकास होता है। जिस कारण हमारे शरीर को ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति होने में सहायता मिलती है। फेफड़े स्वस्थ तो शरीर स्वस्थ।

जाने प्राण वायु क्या होती है – देखें

हंसासन अभ्यास के दौरान सावधानियॉः-

आज हम बात कर रहें है हंसासन की विधि,लाभ और सावधानियां। Hansasan Vidhi,Labh Aur Savdhaniyan.तो किसी भी योगासन को करने से पूर्व जैसे हमारी जिज्ञासा उससे होने वाले लाभ के प्रति होती है उसी प्रकार हमें इस योगासन के अभ्यास के समय अपनायी जाने वाली सावधानियों के प्रति भी हमारी जागरूकता होनी चाहिए अन्यथा हमें लाभ के बजाय हानि होने की सम्भावना भी बन सकती है।

हंसासन योगाभ्यास करते समय सबसे पहले हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम अपने शरीर का सन्तुलन अपने हाथों पर बनाए रखने में कितने सफल हो पा रहे है। इसका उचित मार्गदर्शन में अभ्यास करना चाहिए,अन्यथा हम असन्तुलित होकर जमीन पर गिर सकते है और हमारे हाथ,कन्धे आदि स्थाना पर चोट लगने की सम्भावना बन सकती है।

अतः शुरूआती दिनों में हंसासन योगाभ्यास, योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
इसके अभ्यास के दौरान कभी भी अपने पैरों को झटके के साथ न तो उठाना चाहिए और न ही नीचे लाने में झटके का सहारा लेना चाहिए।
इसके अतिरिक्त निम्न सावधानियों का भी ध्यान रखना चाहिएः-

क्या आप पेट की समस्याओं से पीड़ीत है – एक आसान तरीका

1.किसी प्रकार का ऑपरेशन हाल में या पुराना हो तो अपने प्रशिक्षक से इस बारे में परामर्श करना चाहिए।
2.शरीर के किसी भी भाग में किसी भी प्रकार का दर्द या जकड़न हो तो बिना परामर्श के इस योगाभ्यास से बचना चाहिए।
3. पेट की कोई समस्या हो तो इस योगाभ्यास से बचना चाहिए।
4. रक्तचाप,सिर में चक्कर आदि की समस्या होतो भी इस योगाभ्यास से बचना चाहिए।
5. गर्भधारण के समय एवं मासिकधर्म के समय महिलाओं को इस योगाभ्यास को नहीं करना चाहिए।
6.इस योगासन का अभ्यास अल्सर,हार्निया के रोगियों को नहीं करना चाहिए।

जाने कुण्डलिनी का रहस्य ? यहॉ क्लिक करें

इस पोस्ट का उद्देश्य योग सम्बन्धी जानकारी देना मात्र है। किसी प्रकार की चिकित्सा हेतू योगाभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक एवं योगा प्रशिक्षक से इस बारे में पूर्णरूप से परामर्श करना चाहिए।

 

FAQ

Hansasan

आज हम हंसासन के अभ्यास की सही विधि पर चर्चा करेंगें। 1. सबसे पहले घुटनों के बल जमीन पर बैठ जाएं। 2. दोनों पंजों को साथ में रखें और घुटनों के मध्य अन्तर रखें। 3. हथेलियों को जमीन पर रखें और अंगुलियों को सामने की ओर रखें। 4. फिर दोनों हाथों की कोहनियों पर पेट एवं कलाईयों पर अपने सीना को स्थापित करें । 5. अब अपने शरीर का सन्तुलन बनाते हुए अपने दोनों पैरों को धीरे धीरे पीछे की ओर सीधा करते हुए जमीन से ऊपर उठाते हुए अपने शरीर के समानान्तर ले आएें। (कुछ योग प्रशिक्षक इस स्थिति में पैरों के अंगुठे को जमीन पर स्पर्श करने की स्थिति में रखते है एवं हाथों की अंगुलियों को अपने पैरों की ओर रखने की सलाह देते है। अतः अपने योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन अनुसार योगाभ्यास करना चाहिए।) 6.अब अनुभव करें कि आपके शरीर का सम्पूर्ण सन्तुलन एवं भार आपकी कोहनियों पर है। 7. सिर को ऊपर उठायें और आपकी दृष्टि एकदम सामने रखें। 8अपनी शारीरिक सामर्थ्यता के अनुसार इस मुद्रा को बनाये रखें। 9.फिर घुटनों को जमीन पर लें आएं और वज्रासन में बैठ जाएं। 10. इस आसन को कम से कम 30 सेकेंड तक करें, पूर्ण अभ्यास होने पर योग प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है। 11. प्रारम्भ में इस योगाभ्यास को योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
1.इस योगाभ्यास में आप अनुभव करेंगे कि अभ्यास के दौरान हमारे चेहरे पर रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है। जिस कारण हमारे चेहरे पर तेज एवं कांन्ति,ग्लो बढ़ जाता है। 2.हसांसन के अभ्यास से हमारे शरीर में रक्त का परिसंचरण बढ़ता है जिससे हमारे शरीर मे हमे स्फूर्ति एवं चुस्ती का अनुभव होता है। 3.हसांसन के योगाभ्यास से हमारे रक्त परिसंचरण का सुधार होने पर हमारे स्नायुतंत्र पर सक्रिय प्रभाव पड़ता है। जिससे हमारा शरीर स्वस्थ अनुभव करने लगता है। 4.हंसासन के नियमित एवं विधिपूर्वक अभ्यास से हमारे पेट दर्द, पीठ दर्द, कमर दर्द, को समाप्त करने में सहायता मिलती है। 5.इस आसन का नियमित अभ्यास करने से हमारी पाचन तन्त्र स्वस्थ एव मजबूत बनता है। जिससे हमारे भोजन का सम्पूर्ण रस हमारे शरीर को मिलता है। 6.हंसासन योगाभ्यास के नियमित अभ्यास से हमारे पेट एवं कमर की अनावश्यक चर्बी को पिघलाने में सहायता मिलती है जिससे हमारा मोटापा कम हो सकता है। 8. हंसासन के नियमित अभ्यास से हमारा सीना चौड़ा एवं सुडौल बनता है। 9. हंसासन के नियमित अभ्यास से हमारे हाथ,पैरा एवं पेट की मांसपेशियां मजबूत एवं स्वस्थ बनती है। 10.हंसासन योगाभ्यास से हमारा श्रोणी क्षेत्र (Pelvic Area ) स्वस्थ बनता है, जिससे प्रजनन सम्बन्धी समस्याओं का नाश होता है। 11.हंसासन के नियमित अभ्यास से हमारी पैंक्रियाज ग्रन्थी सक्रिय होती है। जिससे हमारा पाचन तन्त्र मजबूत होता है एव् रक्त में शर्करा की मात्रा नियन्त्रित करने में सहायता मिलती है। 11.हंसासन के योगाभ्यास के समय आप अनुभव करेंगे कि इस दौरान आपके सीने पर काफी प्रभाव पड़ता है,खिंचाव महसूस करते है। इसी खिंचाव,तनाव के कारण हमारे फेफड़े फैलते है,उनकी कार्यक्षमता में विकास होता है। जिस कारण हमारे शरीर को ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति होने में सहायता मिलती है। फेफड़े स्वस्थ तो शरीर स्वस्थ।
1.किसी प्रकार का ऑपरेशन हाल में या पुराना हो तो अपने प्रशिक्षक से इस बारे में परामर्श करना चाहिए। 2.शरीर के किसी भी भाग में किसी भी प्रकार का दर्द या जकड़न हो तो बिना परामर्श के इस योगाभ्यास से बचना चाहिए। 3. पेट की कोई समस्या हो तो इस योगाभ्यास से बचना चाहिए। 4. रक्तचाप,सिर में चक्कर आदि की समस्या होतो भी इस योगाभ्यास से बचना चाहिए। 5. गर्भधारण के समय एवं मासिकधर्म के समय महिलाओं को इस योगाभ्यास को नहीं करना चाहिए। 6.इस योगासन का अभ्यास अल्सर,हार्निया के रोगियों को नहीं करना चाहिए।
, ,


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Search

About

Lorem Ipsum has been the industrys standard dummy text ever since the 1500s, when an unknown prmontserrat took a galley of type and scrambled it to make a type specimen book.

Lorem Ipsum has been the industrys standard dummy text ever since the 1500s, when an unknown prmontserrat took a galley of type and scrambled it to make a type specimen book. It has survived not only five centuries, but also the leap into electronic typesetting, remaining essentially unchanged.

Gallery

Discover more from Yoga Health Corner

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading