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1- उपाय से जान किसी के मन की बात 1- Upaay Se Jaan Kisee Ke Man Kee Baat

कहा जाता है कि त्राटक साधना का साधक किसी के भी मन की बात जान सकता है और उसे अपना अनुयायी भी बना सकता है। आज हम बात कर रहे है,त्राटक साधना की।

त्राटक क्या है ?

1- Upaay Se Jaan Kisee Ke Man Kee Baat
Photo by Vlada Karpovich on Pexels.com


त्राटक को सम्मोहन क्रिया भी कहते है। त्राटक को हठ योग की क्रिया भी माना जाता है। अभ्यासी लोगों के लिए त्राटक या सम्मोहन क्रिया आनन्दमयी क्रिया होती है। वे लोग इसमें बहुत आनन्द लेते है।
त्राटक के बारे में घेरण्ड संहिता में स्पष्ट किया गया है कि


निमेषोन्मेषकं त्यक्त्वा सूक्ष्मलक्ष्यं निरीक्षयेत्।
पतन्ति यवदश्रूणि त्राटकं प्रोच्यते बुधैः।53।
अर्थात- जब तक ऑसुओं का पतन न हो तब तक बिना पलक बन्द किये किसी लक्ष्य को देखते रहने का नाम त्राटक है।53।
एवमभ्यासयोगेन शाम्भवी जायतेध्रुवम्।
नेत्रदोषा विनश्यन्ति दिव्यद्ष्टिः प्रजायते।54।
अर्थात-त्राटक का अभ्यास करने से शाम्भवी सिद्ध होती है नेत्र रोग नष्ट होते है और दिव्यदृष्टि प्राप्त होती है।54।

उचित मार्गदर्शन में विधिपूर्वक एवं नियमित रूप से त्राटक साधना करने वाले साधक की आंखों में एक विशेष प्रकार का आकर्षण एवं तेज दिखाई देने लगता है। इसके सफल अभ्यास से साधक को विशेष प्रकार की ऊर्जा प्राप्त होती है। इसके अभ्यास से ऑखों के विकार शान्त होते है।
माना जाता है कि त्राटक करने वाला व्यक्ति सामने वाले के मनोभावों को समझने मे सफल होता है। उसे सम्मोहित कर सकता है। कहते है स्वामी विवेकानन्द एवं ओशो ( रजनीश ) भी त्राटक विधि में निपुण थे। त्राटक निपुण व्यक्ति अच्छा वक्ता एवं लोगों को प्रभावित करने वाले व्यक्तित्व का धनी होता है। जो लोगों को नेतृत्व करने की क्षमता से सम्पन्न होता है।


त्राटक दो प्रकार से किया जाता है। आन्तरिक त्राटक एवं बाह्य त्राटक।

1- उपाय से जान किसी के मन की बात 1- upaay se jaan kisee ke man kee baat आन्तरिक त्राटक ध्यान लगाने वाले साधकों को अपने लक्ष्य प्राप्ति में सहायक होता है। इसमें साधक ध्यान लगाने के उद्देश्य से शरीर के आन्तरिक अंगों हृद्य,आज्ञा चक्र आदि किसी सुविधानुसार स्थल पर अपने मन,बु़द्ध को केन्द्रीत करता है।
बाह्य त्राटक में किसी भौतिक वस्तु का आलम्बन लेकर अपना मन,बुद्धि को स्थिर करने का उपाय करता है।
यहॉ बात कर रहे है बाह्य त्राटक की । जिसका अभ्यास एक मोमबती या दीपक की लौ या फिर अन्य किसी वस्तु जैसे बिन्दु,कोई निशान,अपने ईष्ट की प्रतिमा आदि पर किया जा सकता है।
घेरण्ड संहिता के अनुसार त्राटक की साधना सफल होने पर साधक की शाम्भवी शक्ति सिद्ध हो जाती है। उसे दिव्य दृष्टि प्राप्त हो जाती है।


त्राटक करने की विधिः- (1- उपाय से जान किसी के मन की बात 1- upaay se jaan kisee ke man kee baat)


आज हम त्राटक का अभ्यास दीपक की लौ से करेंगे। इसके लिए किसी शान्त, एकान्त एवं ऐसा स्थान जहॉ अन्धेरा हो हवा का ज्यादा प्रवेश नहीं हो, इस अभ्यास के लिए उत्तम स्थान रहेगा है। अगर कोई बन्द कमरा हो तो ज्यादा उचित रहेगा। क्योंकि वहां पर बाहर का शोर हमें बाधित नहीं करेगा एवं हवा के प्रभाव से हमारे दीपक की लौ भी नहीं हिलेगी।

त्राटक साधना हेतू सामग्रीः-
मेज
दीपक तेल एवं बती सहीत
आसन

1.निर्धारित किये गये स्थान पर आसन बिछा शान्त भाव के साथ बैठ जायें।
2.आपकी कमर, मेरूदण्ड,गर्दन सीधे रहने चाहिए।
3.बैठने के बाद आपकी आखों की ऊंचाई के बराबर एक मेज लगभग चार या पॉच फिट की दूरी पर रखें।
4.मेज पर एक दीपक रख कर उसे जला लें।
5.आसन पर किसी सुखासन में शान्त भाव के साथ निर्विकार होकर बैठ जायें।
6.दीपक की जलती हुई लौ को एकटक आंखों को बिना झपकाएं, देखें…..देखें और…………देखते रहें। जब तक आपकी आखों से पानी टपकने नही लगे।
7.लगातार अपलक देखने से आपकी ऑखों में जलन होने लगेगी परन्तु घबरायें नहीं बल्कि आंखों को ठण्डे पानी से आंखों धो लें।
8.प्रारम्भ में लौ को अधिक समय तक न देखें जब आखें थकान महसूस करें,तब आंखों को ठण्डे पानी से धो ले और आराम दें।
9.जब आप बिना पलकों को झपकायें दीपक की लौ को 10 मिनट तक देखने के बाद भी आपकी आखों से पानी न आये, इतना अभ्यास होने के बाद इस अभ्यास को 3 से 5 बार तक दोहरा सकते है।

1- उपाय से जान किसी के मन की बात 1- upaay se jaan kisee ke man kee baat

त्राटक के लाभ

  1. त्राटक का अभ्यास करने से ऑखों के विकार नष्ट होते है । ऑखें स्वस्थ और बड़ी बन जाती है। इसके अभ्यास से ऑखों में विशेष आकर्षण और चमक पैदा हो जाता है।
  2. त्राटक का अभ्यास करने से सम्मोहन शक्ति प्राप्त होती है। एक आध्यात्मिक ऊर्जा का शरीर में संचरण होता है।
  3. त्राटक का अभ्यास करने से मानसिक एकाग्रता प्राप्त होती है।
  4. त्राटक का अभ्यास करने से स्मरण शक्ति समृद्ध होती है।
  5. त्राटक का अभ्यास करने से आत्मबल में वृद्धि होती है।
  6. त्राटक का अभ्यास करने से नेत्र ज्योति तेज होती है।
  7. त्राटक का अभ्यास करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है जिससे सामने वाले व्यक्ति को अपने शब्दों से सम्मोहित किया जा सकता है। उसके मन को पढ़ा जा सकता है।
  8. त्राटक का साधक अपने मन,मस्तिष्क में चल रहे विचारों को रोक सकता है । जिससे मस्तिष्क का विश्राम करने का समय मिल जाता है।

त्राटक में सावधानियां

(1- उपाय से जान किसी के मन की बात 1- upaay se jaan kisee ke man kee baat)


1. त्राटक साधना सामान्य साधना नहीं है। यह बहुत गहरी और सावधानीपूर्वक की जाने वाली साधना है। इसे बिना किसी योग्य गुरू के प्रारम्भ नहीं करना चाहिए।
2.नेत्र रोग से पीड़ित व्यक्ति को त्राटक साधना में जाने से पूर्व अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
आजकल लोगों ने इस विद्या का भी व्यवसायिकरण कर दिया है। विज्ञापन निकाल कर इसके कैम्प आदि लगाते है और साधकों से मोटा शुल्क भी वसूले है। जबकि साहित्य के अनुसार इस विद्या को किसी सम्पति की तरह गुप्त रखना चाहिए। अनावश्यक रूप से इसका प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। इसका उपयोग मानव भलाई में करना चाहिए,दुरूपयोग तो कतई नहीं करना चाहिए।

(1- उपाय से जान किसी के मन की बात 1- upaay se jaan kisee ke man kee baat)

  1. इस लेख को लिखने का उद्देश्य योग सम्बन्धी जानकारी देना मात्र है। स्वास्थ्य की दृष्टि से अभ्यास करने से पूर्व अपने चिकित्सक या योग प्रशिक्षक से परामर्श किया जाना चाहिए।
  2. ब्लॉग अच्छा लगा हो तो शेयर,कॉमेंट और लाईक करें ।

FAQ

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त्राटक करने की विधिः- आज हम त्राटक का अभ्यास दीपक की लौ से करेंगे। इसके लिए किसी शान्त, एकान्त एवं ऐसा स्थान जहॉ अन्धेरा हो हवा का ज्यादा प्रवेश नहीं हो, इस अभ्यास के लिए उत्तम स्थान रहेगा है। अगर कोई बन्द कमरा हो तो ज्यादा उचित रहेगा। क्योंकि वहां पर बाहर का शोर हमें बाधित नहीं करेगा एवं हवा के प्रभाव से हमारे दीपक की लौ भी नहीं हिलेगी। त्राटक साधना हेतू सामग्रीः- मेज दीपक तेल एवं बती सहीत आसन 1.निर्धारित किये गये स्थान पर आसन बिछा शान्त भाव के साथ बैठ जायें। 2.आपकी कमर, मेरूदण्ड,गर्दन सीधे रहने चाहिए। 3.बैठने के बाद आपकी आखों की ऊंचाई के बराबर एक मेज लगभग चार या पॉच फिट की दूरी पर रखें। 4.मेज पर एक दीपक रख कर उसे जला लें। 5.आसन पर किसी सुखासन में शान्त भाव के साथ निर्विकार होकर बैठ जायें। 6.दीपक की जलती हुई लौ को एकटक आंखों को बिना झपकाएं, देखें…..देखें और…………देखते रहें। जब तक आपकी आखों से पानी टपकने नही लगे। 7.लगातार अपलक देखने से आपकी ऑखों में जलन होने लगेगी परन्तु घबरायें नहीं बल्कि आंखों को ठण्डे पानी से आंखों धो लें। 8.प्रारम्भ में लौ को अधिक समय तक न देखें जब आखें थकान महसूस करें,तब आंखों को ठण्डे पानी से धो ले और आराम दें। 9.जब आप बिना पलकों को झपकायें दीपक की लौ को 10 मिनट तक देखने के बाद भी आपकी आखों से पानी न आये, इतना अभ्यास होने के बाद इस अभ्यास को 3 से 5 बार तक दोहरा सकते है। त्राटक साधना हमेशा किसी योग्य प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही करनी चाहिए अन्यथा हानि होने की सभ्भावना बन जाती है।
त्राटक दो प्रकार से किया जाता है। आन्तरिक त्राटक एवं बाह्य त्राटक। आन्तरिक त्राटक ध्यान लगाने वाले साधकों को अपने लक्ष्य प्राप्ति में सहायक होता है। इसमें साधक ध्यान लगाने के उद्देश्य से शरीर के आन्तरिक अंगों हृद्य,आज्ञा चक्र आदि किसी सुविधानुसार स्थल पर अपने मन,बु़द्ध को केन्द्रीत करता है। बाह्य त्राटक में किसी भौतिक वस्तु का आलम्बन लेकर अपना मन,बुद्धि को स्थिर करने का उपाय करता है। यहॉ बात कर रहे है बाह्य त्राटक की । जिसका अभ्यास एक मोमबती या दीपक की लौ या फिर अन्य किसी वस्तु जैसे बिन्दु,कोई निशान,अपने ईष्ट की प्रतिमा आदि पर किया जा सकता है। त्राटक साधना हमेशा किसी योग्य प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही करनी चाहिए अन्यथा हानि होने की सभ्भावना बन जाती है।
त्राटक के लाभ 1. त्राटक का अभ्यास करने से ऑखों के विकार नष्ट होते है । ऑखें स्वस्थ और बड़ी बन जाती है। इसके अभ्यास से ऑखों में विशेष आकर्षण और चमक पैदा हो जाता है। 2. त्राटक का अभ्यास करने से सम्मोहन शक्ति प्राप्त होती है। एक आध्यात्मिक ऊर्जा का शरीर में संचरण होता है। 3. त्राटक का अभ्यास करने से मानसिक एकाग्रता प्राप्त होती है। 4.त्राटक का अभ्यास करने से स्मरण शक्ति समृद्ध होती है। 5.त्राटक का अभ्यास करने से आत्मबल में वृद्धि होती है। 6.त्राटक का अभ्यास करने से नेत्र ज्योति तेज होती है। 7.त्राटक का साधक अपने मन,मस्तिष्क में चल रहे विचारों को रोक सकता है । जिससे मस्तिष्क का विश्राम करने का समय मिल जाता है। 8.त्राटक का अभ्यास करने से शाम्भवी सिद्ध होती है नेत्र रोग नष्ट होते है और दिव्यदृष्टि प्राप्त होती है।54।
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2 responses to “1- उपाय से जान किसी के मन की बात 1- upaay se jaan kisee ke man kee baat”

  1. Raghuvir singh Avatar

    Mansikta ke akagrta me sarthak

  2. Ripudaman Avatar

    Good

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